पहली चूत चुदाई शॉपिंग मॉल में
(Pahli Chut Chudai Shopping Mall me)
बस ने जोर का झटका मारा और मेरी चीख निकलते निकलते रह गई, कोई सख्त चीज मेरे चूतड़ों के बीच मेरी गांड में घुस रही थी।
मेरे पीछे कमल खड़ा था मैंने गुस्से में हाथ पीछे किया तो उसका लंड मेरे हाथ में आ गया।
मैं पसीने पसीने हो गई, तेज रफ्तार में चलती बस… लोगों की भीड़ और मेरे हाथ में कमल का लंड!
तो जनाब की यह योजना थी। सुबह नौकरी के लिये निकलते समय वो मुझे बस स्टैंड पर मिला था, मैंने लैंगिग पर टाइट टॉप पहन रखा था।
वो मुझे एक कोने में ले गया और कहने लगा कि तुम लोग पैंटी क्यों पहनती हो?
मैंने कहा- लैंगिग का कपड़ा हल्का होता है। उस पर मेरा छोटा टॉप.. अगर पैंटी नहीं पहनूं तो नीचे के ऐसे नजारे दिखेंगे कि सड़क पर एक्सीडेंट होने लगेंगे।
कमल ने कहा कि शाम को एक घंटे बाद की बस से लौटेंगे, तब तक अंधेरा हो चुका होगा और कुछ नहीं नजर आयेगा, इसलिये लौटते समय पैंटी नहीं पहनना।
मुझे भी लगा कि चलो अंधेरे में एक बार ऐसा भी करके देखते हैं। शाम को मैंने दफ्तर में एक घंटे ज्यादा काम किया, दफ्तर से निकलने से पहले मैं बॉशरूम में गई और अपनी पैंटी उतार कर पर्स में रख ली।
बाहर हल्की हल्की हवा चल रही थी जो सीधे मेरी चूत से टकरा रही थी। सड़क पर चलते हुए मुझे एक अलग सी मस्ती चढ़ रही थी। बस स्टैंड पर ही मुझे कमल मिल गया, कहने लगा अब तो प्राइवेट बस मिलेगी।
बस आई तो काफी भरी हुई थी लेकिन किसी तरह हम दोनों बस में चढ़ गये, कमल मेरे ठीक पीछे खड़ा हुआ था। बस में हल्का सा अंधेरा था, इसी का फायदा उठाकर रवि ने अपना लंड पैंट से बाहर निकाल लिया और जब बस ने तेजी से ब्रेक मारे तो रवि का लंड मेरी गांड से टकराया था। गांड के दरवाजे की चौकीदारी करने वाली पैंटी पहले से ही गायब थी इसलिये लंड थोड़ा भीतर भी घुस गया था। इसी के बाद मैंने गुस्से में अपना हाथ अपनी गांड की तरफ ले गई तो वहीं कमल का फनफनाता हुआ लंड पकड़ में आया।
लोगों की भीड़ के बीच मेरे हाथ में कमल का लंड.. मजा तो बहुत आया लेकिन घबराहट में सांस तेज चलने लगी… पूरा शरीर पसीने पसीने हो गया और मैंने कमल का लंड छोड़ दिया।
थोडी़ ही देर में हम दोनों का स्टैंड आ गया, मैंने कमल से कहा- ….तो इसलिये मेरी पैंटी उतरवाई गई थी?
कमल भी मुस्कराते हुए बोला- ..मस्ती तो खूब चढ़ी होगी मेरी जान… अच्छा बता मेरे लंड की मोटाई और गर्मी कितनी होगी?
मैंने बनावटी गुस्से में कहा- बदतमीजी मत कर..
लेकिन सच तो यह था कि कमल का लंड छूकर मुझे जन्नत का नजारा दिखने लगा था। कमल से मेरी हंसी मजाक पिछले एक साल से जारी थी। हाल के एक महीने में वो अक्सर बस में मेरे पीछे खड़ा होने लगा था और उसका लंड बार बार मुझसे टकराता था लेकिन आज की घटना तो मस्त करने वाली थी।
मैंने अपनी भाभी से लंड-चूत के कई किस्से सुने थे लेकिन पहली बार किसी का लंड पकड़ा था और अब मैं कमल के लंड को अपनी चूत के दर्शन कराने के लिये पागल होने लगी थी।
मेरी पूरी रात जागते जागते बीती।
अगले दिन में दस मिनट पहले ही बस स्टैंड पर पहुंच गई।
कमल को भी मैंने जल्दी ही बुला लिया और उससे अपने मन की बात कही।
कमल बोला- ठीक है, किसी कमरे का इंतजाम करता हूँ।
शाम को दफ्तर लौटते समय उसने कहा कि कमरे का इंतजाम तो नहीं हुआ है लेकिन सिटी मॉल में मेरे दोस्त की दुकान है। दुकान में चार लड़कियाँ काम करती हैं लेकिन वो चारों लड़कियों को दोपहर एक बजे आने को कहेगा। हम दोनों वहाँ ग्यारह बजे तक पहुँच जाएंगे और डेढ़ घंटे तक मस्ती कर सकते हैं।
मैंने कहा- दोस्त के साथ नहीं.. मैं तुम्हारे साथ ही करना चाहती हूँ।
मेरा जवाब सुन कर कमल बोला- ..ठीक है, वो दोस्त दुकान से बाहर रहेगा। कल दफ्तर से छुट्ठी ले लो सुबह ग्यारह बजे से पहले मॉल में पहुँचना होगा।
मैंने उसी समय अपने बॉस को फोन करके छुट्टी का इंतजाम कर लिया।
सुबह साढ़े दस बजे तक हम मॉल में पहुँच चुके थे। मॉल में करीब डेढ़ सौ लोग होंगे। ज्यादातर स्कूल-कॉलेज के लड़के-लड़कियाँ थीं जो मौज मस्ती के इरादे से वहाँ आये थे।
मेरे साथ कमल अपने दोस्त की रेडीमेड कपड़ों की दुकान में पहुँचा। उसकी दुकान में दो कस्टमर थे। हम दोनों भी वहीं अपनी जींस पसंद करने लगे।
कमल मेरे कान में फुसफुसाया..- इन दोनों कस्टमर के जाते ही तुम जींस लेकर ट्रॉयल रूम में चली जाना और मेर बुलाने तक बाहर नहीं निकलना।
मैंने ऐसा ही किया।
दोनों कस्टमर के जाते ही एक जींस लेकर ट्रायल रूम में चली गई जबकि कमल कपड़ों की आड़ में छिप गया।
इसी समय कमल के दोस्त ने दुकान का शटर बाहर से गिराया और वहाँ से चला गया।
इसके बाद कमल के आवाज लगाने पर मैं बाहर निकली।
मैं कभी सोच भी नही सकती थी कि मॉल की दुकान में ऐसा मौका मिल सकता है।
दुकान के बाहर लड़के-लड़कियों की बातें साफ सुनाई दे रहीं थीं। वहाँ भी सुबह के सन्नाटे और बंद दुकान का फायदा उठाकर चूचियाँ दबाई जा रहीं थीं और दुकान के अंदर कमल मुझे देखकर मुस्करा रहा था।
उसने कहा- कहिये मैडम… कैसा है यह इंतजाम?
मैंने कहा- एकदम मस्त इंतजाम है।
उसने कहा- साढ़े बारह बजे तक दोस्त लौट आयेगा, इससे पहले हमें काम पूरा कर लेना होगा।
लेकिन मुझे डर लग रहा था, अगर पकड़ी गई तो बदनामी होगी।
लेकिन फिर सोचा कि जब पकड़े जाएंगे तब की तब देखी जायेगी, अभी तो कमल का लंड अपनी आंखों से देख लें क्योंकि बस में पकड़ा तो था लेकिन देखा नहीं था।
मेरी मंशा जानकर कमल ने अपने कपड़े उतारे। उसे देखकर मैंने भी कपड़े उतार दिये।
लेकिन यह क्या… उसका लंड तो मुरझाया सा पड़ा था।
मैंने कहा- बस में तो बहुत मोटा था, अब क्या यह बीमार हो गया है?
कमल ने कहा- नहीं मैडम… इसकी थोड़ी सेवा करो। इसे आइसक्रीम बना कर खाओ।
इसके बाद कमल ने जेब से एक चॉकलेट निकली और उसे दोनों हाथों में रगड़ कर लंड पर लगा दिया। इसके बाद अपनी चॉकलेट से सने हाथों से मेरी दोनों चूचियों को दबा दिया।
किसी ने मेरी चूचियों को पहली बार दबाया था, मेरे पूरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई।
कमल ने अपने लंड को पीने का इशारा किया, मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन मैंने अपने मुंह में कमल का लंड भर लिया। लंड पर चॉकलेट लगी थी इसलिये उसे पीने में मुझे मजा आने लगा।
दो तीन मिनट में कमल का लंड फनफनाने लगा, मेरी हरकत से कमल सिसकारी भरने लगा था, अचानक उसने मेरा सिर कस कर पकड़ा और अपने लंड को मेरे मुंह में पूरा भर दिया, मेरा दम घुटने लगा और मैंने उसका लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया।
कमल ने कहा कि ऐसा ही लंड बस में मेरी गांड में घुसा था।
उसने कहा कि इसी तरह से वो भी मेरी चूचियों पर लगी चॉकलेट को साफ करेगा।
वो आगे बढ़ा और मेरी चूचियों को छोटे बच्चे की तरह पीने लगा।
मेरी उत्तेजना लगातार बढ़ रही थी। मेरी आंखें बंद थी और मेरी गांड भी थिरकने लगी थी।
मुझे गर्म देख कर कमल ने मेरी चूत में अपनी ऊंगली डाल दी। चूत में ऊंगली जाते ही मैं तड़फ उठी। कमल मेरी तड़फ को समझ गया… उसने मुझे नीचे ही लिटाया और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया, इसके बाद उसने झटके देने शुरू कर दिये।
मैं भी कमल का साथ दे रही थी, एक अजीब सा नशा हम पर चढ़ा हुआ था।
अचानक मेरे मुंह से एक चीख निकली और पूरा शरीर ढीला पड़ गया।
कमल ने भी इसके बाद दो झटके और दिये और निढाल होकर नीचे गिर गया।
मेरी चीख सुनकर दुकान के बाहर मस्ती कर रहे स्कूली लड़के-लड़कियों की आवाज आने लगी, कह रहे थे- दुकान बाहर से तो बंद है लेकिन अंदर से आवाज तो ऐसी आई कि कोई चुद गई हो।
उनकी बातें सुनकर हम अलर्ट हो गये।
अभी हमारे पास आधे घंटे का समय था और हम इस समय का भी इस्तेमाल करना चाहते थे। हम जिस दुकान में थे वो तीसरी मंजिल पर थी। दुकान के दूसरी तरफ शीशे की बड़ी सी खिड़की थी। यहाँ ख़ड़े होने पर नीचे आते जाते लोग दिख रहे थे। कमल बोला इसी तरफ आ जाते हैं, हमारी आवाज बाहर नहीं जायेगी।
इतना कह कर कमल ने मेरे होंठ पीने शुरू कर दिये।
हमारे पास समय कम था इसलिये कमल बोला- इस बार तुम ऊपर आकर झटके देना।
मैंने पहले की तरह कमल का लंड तैयार किया और उसके ऊपर चढ़ गई, मुझे शीशे से बाहर का नजारा साफ नजर आ रहा था, ऐसा लग रहा था कि मैं खुलेआम सबके बीच में अपने को चुदवा रही हूँ।
उत्तेजना के चलते मैंने जोर से झटके देने शुरू किये, कमल बोला- …एक ही बार चुदी हो लेकिन इतना सीख गई हो जैसे कई सालों से ठुकवा रही हो।
मैंने भी कहा- जनाब, मेरा टीचर लाखों में एक है।
इस बार मुझे कमल के लंड से कुछ गर्म गर्म चूत में जाता महसूस हुआ। शायद पहली बार में मुझे अंदाजा नहीं हो पाया था। उस गरम गरम पानी के निकलते ही कमल ढीला पड़ने लगा।
मुझे भी एक तेज झटका लगा और मैं कमल के ऊपर ही गिर कर सो गई।
ठीक साढ़े बारह बजे कमल ने मुझे उठाया और ट्रायल रूम में जाने को कहा।
डेढ़ घंटे में दो बार चुदाई की वजह से मेरा पूरा शरीर दुख रहा था, मैं लड़खड़ाते हुए उठी और अपने कपड़े लेकर ट्रॉयल रूम के भीतर चली गई।
थोड़ी ही देर बाद उसके दोस्त ने दुकान खोल ली और उसके बाद हम दोनों भी चुपचाप वहाँ से रवाना हो गये।
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