पहली चूत चुदाई जवान नौकरानी के साथ
(Pahli Chut Chudai Jawan Naukrani Ke Sath)
आदाब अर्ज़ है दोस्तो, मैं महबूब अहमद खान 29 वर्षीय युवक हूँ और मैं लखनऊ, उत्तर प्रदेश से हूँ.
यह घटना मेरे जीवन का पहला सेक्स अनुभव है.
बात तब की है जब मैं 18 वर्ष का था और स्कूल में 12वीं क्लास का छात्र था, मेरे परिवार में अब्बू, अम्मी और एक भाई है. भाई उस वक़्त काफी छोटा था.
हमारे घर में एक बहुत ही खूबसूरत काम वाली बाई आती थी जिसका नाम सुल्ताना( बदला हुआ नाम ) था. वो करीब 21 वर्ष की थी, गोरा रंग, कद करीब पांच फीट तीन इंच, गदाराया हुआ भरा भरा बदन और सबसे ख़ास बात उसकी मुस्कराहट बेहद कातिलाना थी.
सुल्ताना को अम्मी ने अभी कुछ दिन पहले ही काम पर रखा था, उससे पहले एक बूढ़ी अम्मा काम पर आती थी, जिन्होंने अब काम करना छोड़ दिया था.
मैंने जब से सुल्ताना को पहले दिन से देखा था, तब से मैं उसके सेक्सी बदन पर मर मिटा था, मेरा लंड उसको देखते ही खड़ा हो गया था और मैं उसके साथ चुदाई करना चाहता था.
मगर मैं कुछ नहीं कर पा रहा था क्यूंकि मेरी अम्मी आम तौर पर उसके आस पास ही रहती थीं.
सर्दियों के दिन थे, वो हमेशा सलवार सूट पहन कर आती थी, ऊपर से वो एक कार्डिगन या जरसी पहनती थी, ऊपर ऊपर सर पर से दुपट्टा भी लेती थी. हमारे घर अ कर वो सबसे पहले दुपट्टा उतार कर टांग देती, फिर अपना स्वेटर उतार कर रख देती और काम पर लग जाती. मैं उसे छिप चिप कर देखता था पर कई बार सामने हूँ होता तो मजा ही आ जाता था. जब वो स्वेटर उतार रही होती तो उसकी चुची स्वेटर में से निकाल कर बाहर को आती तो मेरा दिल मचल उठता कि मैं भाग कर उनको अपने दोनों हाथों में थाम लूँ और पहले बड़े प्यार से सहलाऊँ, फिर उन्हें दबा दबा कर मसल डालूं!
लेकिन दिल के अरमाँ दिल में ही दब कर रह जाते… अम्मी के खौफ के कारण!
इसी तरह कुछ महीने बीत गए और गर्मियों का मौसम आ पहुंचा. मेरी परीक्षा के बाद स्कूल में छुट्टी हो गयी और मैं घर पर रहने लगा. अब मैं रोज़ उसको लाइन देता था और मेरी मेहनत रंग लायी।
एक दिन मैं किचन में पानी पी रहा था और वो आँगन से बर्तन लेकर आई, उसने बर्तन अंदर लाकर रखे तो हम दोनों एक दूसरे के बेहद करीब खड़े थे और मैंने उसकी आँखों में आँखें डाल कर देखा. कुछ देर यूं ही देखते रहने के बाद उसने अचानक से मेरा लण्ड पकड़ लिया और सहलाते हुए धीरे से फुसफुसा कर कहा- हम आपके बहुत दीवाने हैं!
दोस्तो, पहली बार किसी लड़की ने मेरे लंड को हाथ लगाया था… मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता कि कैसा करंट लगा था मुझे!
मैं हैरान परेशान भी था उसकी ऎसी निडरता भरी हरकत से… मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि कोई जवान लड़की ऎसी हरकत कर सकती है. वो तो मेरे से भी बहुत गर्म निकली और एडवांस भी… सुल्ताना तो चुत चुदाई के लिए तैयार बैठी थी, उसकी कामवासना पूरी उफान पर लग रही थी.
चूँकि अम्मी किचन से ठीक बाहर बने डाइनिंग रूम में डाइनिंग टेबल पर बैठी थीं तो हमने कुछ और करना उचित नहीं समझा और मैं मुस्कुरा कर बाहर आ गया.
मेरे अब्बू डॉक्टर हैं और उनके पास एक पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन है जिसको लेकर वो मेडिकल कैंपों में जाना चाहते थे. उन्होंने अम्मी से मशवरा किया और उन दोनों ने लखनऊ के पास के एक गाँव में कैंप लगाने का निर्णय लिया.
और वो अगले ही दिन से कैंप में जाने लगे और हम दोनों के लिए मौज हो गयी। मेरा भाई उस वक़्त बहुत छोटा था.
अम्मी और अब्बू के पहले दिन कैंप जाते ही जब सुल्ताना आयी तो मैंने अपने भाई को बाहर बैठा दिया कुछ ड्राइंग का काम देकर और वो मुस्कुराते हुए किचन के अंदर आ गयी।
उसके किचन में आते ही मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसकी चूचियां दबाते हुए उसके होंठ चूसने लगा।
कोई दस पंद्रह मिनट की चुम्मा चाटी के बाद मैं उसको अपने बैडरूम में ले गया और उसको जल्दबाज़ी में ज़मीन पर ही लिटा दिया।
चूँकि ये मेरी पहली चुदाई थी तो इसलिए मैं तो एकदम बावला सा हो गया था। मुझे बहुत जल्दी थी उसे चोदने की… और मेरा भाई भी बाहर बैठा था तो उसके आने का डर भी था. उसने अपनी सलवार का नाड़ा खुद ही खोल लिया और सलवार पूरी उतार कर एक तरफ रख दी. उसने काले रंग की पेंटी भी पहनी हुई थी, मैं उसे उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से छूने लगा लेकिन उसने अपनी पैंटी भी उतार दी और नीचे लेट कर मुझे उसके ऊपर आने का इशारा किया.
मैंने अपना लंड पजामे से बाहर निकाला और अपने लंड को निशाने पर रख कर फटाफट से एक धक्का मारा, मगर लंड फिसल गया नीचे की तरफ। सुल्ताना मेरा उतावलापन देख कर हंस पड़ी और उसने अपने हाथ में लंड पकड़ कर उसको निशाने पर यानि अपनी चूत के छेद पर लगाया और मुझे धक्का मारने को कहा.
मैंने फिर धक्का मारा, इस बार मेरा पूरा लंड सुल्ताना की गीली चूत के अंदर चला गया आराम से। उसकी चूत अंदर से बहुत गरम थी. कसम से दोस्तो, पहली बार लंड को किसी लड़की की चूत के अंदर डालने का मज़ा ही कुछ और था, इस आनन्द को लफ़्ज़ों में बयान नहीं किया जा सकता।
फिर मैं उसके होंठों को को चूमते चाटते हुए और उसकी चूचियां मसलते हुए चोदने लगा, उसके चेहरे को देखकर लग रहा था कि उसको बेहद मज़ा आ रहा है, उसकी सांसें बहुत तेज़ चल रहीं थीं। करीब दस मिनट की चुदाई के बाद जब वो एक बार झड़ चुकी उसके बाद मैं भी झड़ गया। मैं उसकी चूत के अंदर ही झड गया था जबकि मैंने कोई कंडोम नहीं लगाया था, उसने भी इसके लिए कुछ नहीं कहा था.
मैं झड़ने के बाद दो तीन मिनट सुल्ताना के ऊपर ही लेटा रहा. तब सुल्ताना ने मुझे उसके ऊपर से उठने के लिए कहा और मैं अपना लंड उसकी चूत से निकाल कर उठा गया. मेरा लंड सिकुड़ कर छोटा सा हो चुका था.
उसके बाद सुल्ताना उठी, बिस्तर की चादर के एक कोने से अपनी चूत साफ़ की, पैंटी पहनी, सलवार पहनी, उसने अपने कपड़े ठीक किये और कमरे से बहार जाकर अपने काम में लग गयी और मैंने भी अपना लंड पौंछा और पजामे के अंदर कर लिया.
इसा सारे खेल में हमें मुश्किल से पन्द्रह मिनट लगे होंगे.
मैं बाहर आया तो मेरा छोटा भाई अपने काम में लगा था. उसे कुछ पता नहीं लगा कि अभी अभी कमरे में क्या गुल खिलाया है मैंने!
मैंने हाथ धोये ए रसोई में गया तो सुल्ताना बरतना मंज रही थी. वो मुझे देख कर मुस्कुराई और अपना काम करती थी. तभी उसने आँखों से इशारा करके मुझसे पूछा कि कैसा लगा.
मैंने उसे गर्दन हिला कर और आँखों से इशारा करके बताया कि मुझे बहुत मजा आया.
कुछ देर बाद वो काम ख़त्म करके जाने लगी तो मैंने उसे एक बार फिर पकड़ लिया और उसके होंठ चूसने लगा. लेकिन वो फ़टाफ़ट मुझसे छुट कर चली गयी।
अब तो ये रोज़ का काम हो गया था हमारा, मेरे वालिदैन के जाते ही मैं उसका इंतज़ार करता और उसके आते ही छोटे भाई को घर के बाहर करके हम चुदाई में खो जाते।
उसके साथ की गयी दूसरी चुदाई सबसे मज़ेदार थी। इस बार मैंने सुल्ताना को करीब करीब नंगी कर दिया था सिवाए कुर्ता पूरा उतारने के। उसका कहना था कि अचानक से दोबारा पहनना पडा तो पहनने में टाइम लगेगा।
मैं उसकी चूचियां दबाते और चूसते हुए उसके साथ फोरेप्ले कर रहा था और वो गर्म सांसें छोड़ रही थी। पहले दिन तो मैंने उसकी चुची सिर्फ कुरते के ऊपर से ही दबाई थी.
उसके बाद मैंने पलटी मारी और उसको अपने ऊपर ले लिया, उसकी चूचियां मेरे सीने पर दब गयीं, बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने उसको अपने ऊपर चढ़ कर चुदाई करने को बोला मगर वो नहीं मानी तो मैंने उसको वापस अपने नीचे लिया और चूत में लण्ड डाल कर चुदाई शुरू कर दी। मैं बहुत तेज़ धक्के मार रहा था और हर धक्के के साथ उसकी चूचियां ऐसे ऊपर नीचे झूल रहीं थीं कि एकदम पागल कर देने वाला नज़ारा था।
चूँकि उसकी चूत पनिया गयी थी इसलिए हर धक्के के बाद चूत से पच्च पच्च की आवाज़ होने लगी। यह आवाज़ मुझे और पागल कर रही थी और मेरे धक्के नतीजतन तूफानी होते चले गए। पूरे आधे घंटे की धकापेल चुदाई के बाद मैं दो बार उसको झड़वा कर खुद भी झड़ गया और उसकी उठती गिरती चूचियों के बीच की खाई में सर रख कर हांफने लगा।
वो भी हांफ रही थी और हम दोनों जून की गर्मी में पसीने से तरबतर थे।
हमारा चुदाई का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा और एक बार मैंने उसको मुँह में लेने को कहा था मगर वो नहीं मानी और बहुत मनाने पर उसने सिर्फ में लण्ड के टोपे पर एक चुम्मा दे दिया था।
बीच में उसकी बहन भी एक दिन काम करने आयी थी।
घर पर सिर्फ मैं और भाई ही थे, दिल तो कर रहा था कि इसको भी चोद दूं मगर एक अनजाने से डर ने मुझे रोक लिया।
अगली बार जब सुल्ताना आयी और हमने चुदाई की तो मैंने इस बात का ज़िक्र उससे किया कि उसकी बहन को चोदने का मन हो रहा था मेरा.
सुल्ताना ने बताया कि उसकी बहन घर पर मुझे याद कर रही थी। मतलब अगर मैं उसे पकड़ लेता तो वो भी बिना किसी आनाकानी के चुद जाती.
मेरे और सुल्ताना के ताल्लुकात लगातार छह महीने तक बने रहे और वो एक बार गर्भवती भी हो गयी थी। लेकिन उसने मुझे कोई टेन्शन नहीं ड़ी, उसने खुद ही दवाई वगैरा लेकर उस परेशानी से छुटकारा पा लिया था. उसने मुझसे सिर्फ सौ रुपये लिए थे. इसके अलावा उसने मुझसे कभी कोई पैसे नहीं मांगे, या और कुछ भी नहीं माँगा. मुझे लगता था कि वो सिर्फ अपनी कामवासना और चुदाई के शौक के कारण मुझसे चुदती है.
फिर एक दिन मेरे वालिदैन मिलिट्री कैंटीन गए थे सामान लाने और मैं उसको चोद रहा था। मैं ड्राइंग रूम के परदे लगा देता था और दरवाज़ा बंद करके उसको चोदता था इत्मीनान से।
हम चुदाई कर ही रहे थे कि अचानक घर की घंटी बजी। हम दोनों हड़बड़ा कर अलग हो गए।
वो घबरा के बोली- बनियानी कहाँ है?
जी हाँ… वो अपनी देहाती जुबां में ब्रा को बनियानी ही कहती थी।
मैंने ब्रा उसको पकड़ाई और हम दोनों ने आनन फानन में अपने कपड़े पहने।
उसके बाद मैंने दरवाज़ा खोला और वो आँगन में चली गयी बर्तन लाने जो वो पहले ही धो चुकी थी।
मेरे अब्बू ने पूछा- दरवाज़ा खोलने में इतनी देर क्यों हो गयी?
तो मैंने बोला- मैं बाथरूम में था।
अम्मी के चेहरे पर शक साफ़ नज़र आ रहा था।
जैसे ही वो बर्तन लेकर किचन में आयी अम्मी ने उसको बोला- तुम्हारा हिसाब कर दे रही हूँ, कल से काम पर आने की कोई ज़रूरत नहीं है.
वो मना करने लगी तो अम्मी ने उसको बहुत डांटा और उसका हिसाब करके उसको काम से बाहर कर दिया।
मैं उसके साथ इतने वक़्त से हमबिस्तरी करते करते थोड़ा जज़्बाती तौर पर जुड़ गया था इसलिए मुझे बेहद अफ़सोस हुआ उसके निकाले जाने से।
उसके बाद मैंने बहुत सी लड़कियों और औरतों को चोदा दोस्तो… मगर अपनी पहली चुत चुदाई को याद करके आज भी मैं उत्तेजित हो जाता हूँ।
सुल्ताना के साथ बिताये गए पलों की हसीन यादें मेरे साथ हमेशा रहेंगी।
उम्मीद करता हूँ कि मेरी कहानी आप सब को पसंद आयी होगी। आप चाहें तो मुझे मेल करके अपनी राय मुझे बता सकते हैं.
शुक्रिया दोस्तो!
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