कुंवारी बुर में लंड लेने की लालसा- 3
(Pahli Chudai Ka Maja )
पहली चुदाई का मजा मैंने लिया अपनी भाभी के दोस्त से. जब उसने मुझे लंड चूसने को कहा तो मुझे घिन्न सी आयी. पर मुझे सेक्स करने की इतनी ललक थी कि …
यह कहानी सुनें.
पहली चुदाई का मजा कहानी के पिछले भाग
चुदक्कड़ चालू भाभी का पर्दाफाश
में आपने पढ़ा कि मेरी भाभी ने मुझे अपने दोस्त के साथ सेक्स करने के लिए मना लिया था. मैं खुद अपनी पहली चुदाई का मजा लेने को आतुर हो रही थी.
भाभी का दोस्त मेरे साथ था और चुदाई से पहले की चूमा चाटी शुरू कर चुके थे.
अब आगे पहली चुदाई का मजा:
मेरी शर्म थोड़ी खुल गयी थी तो मैं उसके ऊपर बैठ गयी और उसके होंठ पूरी शिद्दत से चूसने लगी।
मेरे खुले बाल उसके चेहरे पे लटक रहे थे और हम एक दूसरे को चुंबन किए जा रहे थे।
मैं अजय की जांघों पे बैठी थी तो मुझे महसूस होने लगा कि उसके लन्ड में हरकत होने लगी थी और धीरे धीरे वो सख्त होने लगा था।
ऊपर से वो मेरी चूत के पास था तो मुझे और जोश आने लगा था।
अजय ने मेरे बूब्स को दोनों हाथो से पकड़ के दबाना शुरू कर दिया था.
मैं ऐसे ही कपड़ों में अपनी चूत को उसके लंड पे ऊपर नीचे घिसते हुए उसके होंठों को चूस रही थी।
कमरे में हल्की हल्की साँसों की और चप चप की आवाज आ रही थी।
थोड़ी देर में मुझे अहसास हुआ कि मेरी चूत में और पैंटी में हल्की हल्की नमी सी आने लगी है और अजय का लंड पूरा खड़ा हो चुका है।
जब उसके होंठों को किस कर के मेरा मन भर गया तो मैं उसके ऊपर से उठ गयी।
अब तो मुझसे एक पल भी नहीं रुका जा रहा था, मैंने तुरंत ही अपनी चोली को पीछे हाथ दे कर खोल दिया और आगे को उतार दी और साइड में फेक दी।
मेरी सफ़ेद ब्रा में फसे मेरे बूब्स सख्त हो चुके थे और बाहर निकलने को तड़प रहे थे।
मैंने भी देर ना करते हुए अपनी ब्रा उतार दी।
उधर अजय ने भी अपने कपड़े उतार दिये और सिर्फ कच्छा छोड़ दिया; उसमें उसका लंड पूरा सख्त हो चुका था।
यह देख के मैंने भी अपने लहंगे का नाड़ा खोला और उसे भी उतार दिया और पैंटी छोड़ दी।
अजय बोला- रुक क्यूँ गयी, ये भी उतारो ना!
मैंने कहा- पहले तुम उतारो।
अजय बोला- नहीं, पहले तुम दिखाओ चूत।
मैंने कहा- पहले तुम दिखाओ अपना लंड।
लेकिन ‘एक मिनट’ बोलकर मैंने खुद ही अजय का कच्छा नीचे खींच दिया और हंसने लगी.
पर जैसे ही उसका लंड उछल के खड़ा हो गया मेरी हंसी आश्चर्य में बदल गयी।
मेरे मुंह से निकला- इतना बड़ा है तुम्हारा!
सच में अजय का लंड बड़ा था, लगभग मेरी हथेली के बराबर तो होगा ही।
अजय ने उसे लहराते हुए पूछा- क्यूँ पसंद आया ना?
मैंने ‘हम्म’ कहा।
अजय बोला- फिर सोच क्या रही हो शुरू करो।
मैंने कहा- क्या शुरू करूँ?
अजय बोला- अरे, मुंह में लेकर चूसो इसे और क्या!
मैंने कहा- छी … नहीं!
अजय बोला- ऐसे नहीं चलेगा, जैसे मैं कह रहा हूँ, वैसे करो!
और फिर अजय खड़ा हो के मेरे पास आया।
मैं उसकी आंखों में देख रही थी और फिर अजय ने मेरे दोनों कंधों पे हाथ रखे और हल्के से नीचे दबाने लगा और मुझे फर्श तक बैठा दिया और बोला- कुछ नहीं होगा, बहुत मजा आयेगा।
मैंने उसके काले लंड को देखा और बुरा सा मुंह बनाते हुए हल्के से किस किया.
अजय बोला- ऐसे नहीं … मुंह खोलो हल्का सा!
मैंने कहा- नहीं।
उसने बोला- खोलो तो!
मैंने हल्का सा मुंह खोला और फिर अजय ने अपना लंड मेरे होंठों पे रख के दबा दिया।
विरोध में मैंने ‘उम्म’ किया पर उसने मेरा सिर पीछे से पकड़ लिया और अपना लंड मेरे मुंह में धकेलने लगा।
धीरे धीरे उसका सख्त लंड मेरे मुंह में अंदर तक चला गया और मैं म्म … हम्म … हम्म … कर रही थी क्योंकि मैं उसे निकाल नहीं सकती थी.
शुरू में तो मुझे उल्टी सी होने को हुई पर फिर धीरे धीरे मैंने उसे चूसना ही शुरू कर दिया और फिर अजय का साथ देते हुए अंदर बाहर चूसने लगी।
अजय भी उम्महह … उम्म … उमह्ह … करके सिसकारियाँ लेता रहा और मैं उसका लंड 2-3 मिनट तक चूसती रही।
तभी अजय ज़ोर ज़ोर से आह … आहह … नेहा … आहह … करने लगा.
और फिर उसने मेरा सिर अपने लंड पे दबा दिया और उसके लंड से वीर्य छूट गया मेरे मुंह में।
मैंने घिन्न में उम्म … उम्म … किया भी पर फिर भी उसने सब नमकीन नमकीन माल मेरे मुंह में ही भर दिया।
थोड़ा सा वीर्य लीक होते हुए मुंह से साइड में भी निकलने लगा।
खैर जैसे तैसे मेरा लंड चूसना खत्म हुआ और फिर मैं उठ के अलग हो गयी और होंठ साफ करते हुए कहा- अब तो खुश हो?
अजय बोला- बहुत … लाओ अब तुम्हें खुश कर देता हूँ।
मैंने पूछा- कैसे?
उसने बोला- इधर आओ, बताता हूँ।
मैं उसके पास गयी तो उसने फट से मेरी पैंटी नीचे सरका दी और मुझे बेड पे सीधा गिरा दिया।
मैंने पूछा- क्या कर रहे हो।
उसने बोला- अभी बताता हूँ।
और अजय ने मेरी टाँगें चौड़ी करी और मेरी चूत को देखने लगा।
मैंने उत्सुकतावश पूछा- कैसी लगी?
अजय बोला- बहुत सुंदर चूत है तुम्हारी … एकदम सील पैक … और एक बाल नहीं है।
मैंने कहाँ- हाँ वो तो है. आज तक किया जो नहीं कभी।
अजय बोला- कोई नहीं … आज हो जाएगा.
और उसने मेरी चूत को किस किया ज़ोर से!
मेरे शरीर में एकदम से सिरहन सी दौड़ गयी आनंद की और मेरे मुंह से हल्की सी ‘आह …’ निकल गयी।
अजय बोला- क्या हुआ?
मैंने कहा- बहुत मजा सा आया।
अजय बोला- मजा आया ना, अभी और आएगा!
और उसने मेरी चूत को कुत्ते की तरह जीभ से ऊपर-नीचे चाटना शुरू कर दिया ज़ोर ज़ोर से।
मैं अब ऊपर को उचक सी गयी क्योंकि पहली बार मुझे इतना मजा आया था।
मेरे मुंह से हल्की हल्की सीईई … सीईईई … सीईईई … निकलने लगी और अजय मेरी चूत के द्वार को जीभ से कुरेद कुरेद के चाटता रहा।
मेरी उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी और मेरी सांसें भी तेज़ हो गयी थी।
मैं हकलाते हुए बोल रही थी- आहह … अजय … आहह … मज्जा आ रहा है … ऐसे ही करते रहो … आहह … स्सस्स … स्स … आह!
अजय बड़ी शिद्दत से मेरी चूत को चाट रहा था.
और तभी मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी कि मेरे पूरे शरीर में आनंद की लहर सी मारने लगी.
अगले ही पल मेरी चूत से पानी छूट गया और मेरी सांस फूल गयी।
मैं ज़ोर ज़ोर से हाँफते हुए शांत होने लगी और अजय उठ के साइड में बैठ गया था।
कुछ देर बाद अजय ने पूछा- अब आया मजा?
मैंने कहा- इस बार तो मजा ही आ गया, इतना मजा तो कभी नहीं आया।
अजय बोला- अरे जान, देखती जाओ, अभी तो और मजा आयेगा जब तुम चुदवाओगी मेरे लंड से।
मैंने कहा- रुक जाओ थोड़ी देर, सांस तो लेने दो।
अजय बोला- ठीक है, तुम थोड़ा आराम कर लो, मैं एक सिगरेट पी आता हूँ तब तक।
मैंने कहा- ठीक है.
और अजय ने एक तौलिया लपेटा और सिगरेट पीने चला गया.
मैं वैसे ही नंगी बेड पे टांगें खोल के पड़ी रही और सुस्ताती रही।
मैंने सोचा कि अभी तो सेक्स हुआ भी तब इतना मजा आ रहां है, सेक्स में तो पता नहीं कितना मजा आएगा।
कुछ देर बाद मैं उठी और बाथरूम में पेशाब करने और अपनी चूत साफ करने चली गयी।
वापस आई तो अजय कमरे में आ चुका था।
मुझे देखते ही बोला- तो तैयार हो अपनी जबर्दस्त चुदाई करवाने के लिए?
मैंने कहा- हम्म बिल्कुल।
अजय बोला- तो फिर आओ मेरे पास और खड़ा करो मेरा लंड!
अब मुझे पता ही था कि क्या करना है.
इसलिए मैं घुटनों के बल अजय के सामने बैठ गयी और उसके मुरझाए हुए लंड को किस करने लगी.
और फिर धीरे धीरे होंठों से मुंह में लेते हुए हल्का हल्का चूसने लगी।
कुछ ही देर में उसका लंड फिर से बड़ा होने लगा मेरे मुंह में।
फिर मैं और अच्छे से अंदर बाहर चूसने लगी और वो अपनी पूरी लंबाई तक बड़ा हो गया 2 मिनट में ही।
अजय ने बोला- अब रुक जाओ, अब देर मत करो, चुपचाप बेड पे टांगें खोल के लेट जाओ।
मैंने तुरंत वैसे ही किया और सिर के नीचे तकिया लगा के घुटने मोड के बेड पे लेट गयी।
अजय फिर मेरी चूत पे आया और जीभ से चाटने लगा।
मुझे हल्की हल्की गुदगुदी के साथ मजा आने लगा और उत्तेजना में मेरी चूत गीली सी होने लगी.
और मेरे बूब्स भी सख्त होने लगे।
मेरे मुंह से हल्की हल्की आहह … आह … उम्महह … उमम्ह … सिसकारियाँ निकल रही थी और पूरा शरीर में करेंट सा दौड़ रहा था।
मैंने उसका सिर बालों से पकड़ रखा था और अपनी चूत पे ऊपर नीचे घिस रही थी।
आखिर मेरी चूत अब चुदाई के लिए तैयार थी।
मैंने उसे रोकते हुए कहा- बस अजय, अब तो लंड डाल ही दो, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा एक पल भी!
अजय रुका और घुटनों के बल चल के मेरे ऊपर आ के झुक गया और बोला- तैयार हो, डालूँ फिर?
मैंने उसकी आँखों में देखते हुए हाँ में सिर हिलाया।
अजय ने अब देर न करते हुए अपने सख्त लंड को मेरी चूत के द्वार पे रखा और दबा के ऊपर नीचे घिसने लगा।
मैंने कहा- उम्महह … ये क्या कर रहे हो … आहह … डालो न … प्लीज … यार!
अजय बोला- धीरे धीरे डालता हूँ. वरना दर्द होगा तुम्हें जब सील टूटेगी।
मैंने कहा- तुम्हें जैसे डालना है डालो, पर डालो।
अजय ने अपने लंड की खाल को पीछे खींचा और उसका अंदर वाला चिकना लंड मेरी चूत पे रख के हल्का सा अंदर को दबाने लगा।
चूत चिकनी होने से उसका लंड आसानी से अंदर घुसने लगा।
पर जैसे ही वो थोड़ा सा और अंदर गया मुझे दर्द की एक लहर सी महसूस हुई और मेरे मुंह से सीईईई … निकल गयी।
अजय ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं … तुम डालो।
अजय थोड़ा और अंदर डालने लगा तो और तेज़ दर्द सा हुआ और मेरे मुंह से ऊई … निकल गयी और मैं ऊपर को खिसक गयी जिससे उसका लंड बाहर निकल गया।
अजय अब थोड़ा और पास आया और दुबारा लंड डालने लगा.
पर मुझे दर्द होने लगा था तो मैं उसे स्सी … स्सी … करते हुए रोकने लगी।
अजय बोला- यार, थोड़ा दर्द तो बर्दाश्त करना पड़ेगा, वरना आगे का मजा कैसे आयेगा।
मैंने उसकी बात समझते हुए थोड़ा स्थिर रहने का निश्चय किया और कहा- ठीक है, अब नहीं हिलूंगी. पर धीरे धीरे डालना।
अब मैंने अपने घुटने मोड़ रखे थे. अजय ने उन्हें हाथ से पकड़ लिया और लंड को मेरी चूत पे सटाया।
फिर उसने एक हाथ से हल्का सा अंदर सरकाया और फिर से मेरे घुटनों को पकड़ लिया।
अजय बोला- तैयार हो?
मैंने कहा- हाँ, पर धीरे धीरे!
अजय बोला- ठीक है.
और बहुत धीरे धीरे लंड को अंदर सरकाने लगा।
उसका मोटा लंड मेरी चूत के छोटे से छेद को जबर्दस्ती खोलता हुआ अंदर घुसने लगा।
मेरे मुंह से दर्द की हल्की हल्की स्सस्सी … स्सस्सी … स्सस्सी … स्सस्सी … निकल रही थी।
जैसे ही अजय ने लंड थोड़ा और अंदर डाला मुझे और तेज़ दर्द होने लगा और मेरी आँखों से आँसू भी आने लगे.
पर मैंने उसे नहीं रोका।
वो दबाव डालता जा रहा था और मेरी सील टूटती जा रही थी और अचानक से पूरी फट गयी.
मेरे पूरे शरीर में दर्द की लहर दौड़ गयी और मेरे मुंह से आहह … ऊई … स्सस्सी … स्सस्सी … निकल गयी।
इधर अजय का लंड अभी आधा भी अंदर नहीं गया था और मैं दर्द से तड़प रही थी और ज़ोर ज़ोर से उम्महह … उम्महह सांस ले रही थी।
अजय ने अपना लंड अंदर डालना जारी रखा और मैं भी आहह … आहह … स्सस्सी … स्सस्सी … करते हुए उसका साथ दे रही थी।
उसका सख्त लंड मेरी छोटी सी गर्म चूत में समाता जा रहा था।
आखिरकार थोड़ी देर में उसने पूरा लंड अंदर तक पहुंचा के अटका के ही दम लिया।
लंड आखिर तक पहुंचने से मुझे ऊपर को हल्का सा झटका लगा।
मैं अब भी उम्महह … उम्महह … कर रही थी और अजय भी उफ़्फ़ … फ्फ़ … कर रहा था.
मेरी आँखों से आँसू बह रह थे।
कुछ देर तक अजय ऐसे हो रुका रहा और थोड़ी देर में मेरा दर्द भी कम सा होने लगा।
अजय ने पूछा- अब ठीक है?
मैंने कहा- हाँ, धीरे धीरे कर लो अब।
अजय के चेहरे पे मुस्कान आ गयी और फिर उसने धीरे धीरे लंड निकाला और फिर दुबारा डाला।
मुझे अब हल्का हल्का दर्द हो रहा था पर मेरी धीरे धीरे चुदाई हो रही थी।
मैंने अजय से कहा- अब चोदना तेज़ कर सकते हो।
अजय बोला- ठीक है.
और उसने चुदाई की गति बढ़ा दी।
वो धीरे धीरे आधे से ज्यादा लंड निकालता और फिर झटके से पूरा अंदर तक डाल देता।
उसका हर झटका मुझे ऊपर को हिला देता और मेरे मुंह से आहह … अहह … आहह … आई … आई … स्सस्सी … स्सस्सी … स्सस्सी … आहह … अजय निकलने लगी।
ऐसे ही वो मुझे 4-5 मिनट तक चोदता रहा और फिर थोड़ी देर बाद रुक गया और हांफते हुए सांस भरने लगा।
अब तक मेरा दर्द भी काफी कम हो गया था और हल्का हल्का मजा भी आने लगा था.
मैं सीधी लेट कर आराम कर रही थी।
कुछ देर सुस्ता के अजय बिल्कुल मेरे ऊपर आ गया और मेरी आँखों में देखते हुए बोला- अब फिर से शुरू करता हूँ।
मैंने ‘हम्म’ कहते हुए सिर हिलाया और अजय ने मेरे ऊपर झुके हुए ही अपना लंड मेरी चूत पे लगाया और मेरे ऊपर पूरा लेट गया और उसका आधे से ज्यादा वजन मेरे ऊपर आ गया।
फिर उसने लेटे हुए ही मेरे ऊपर सरक के अपना लंड अंदर डाल दिया धीरे धीरे।
मेरी आँखें बंद हो गयी और मेरी मुंह से स्सस्सी … स्सस्सी … आहह आह … निकलने लगी।
इस बार अजय मुझे ऐसे लेटे लेटे ही ऊपर नीचे सरक के चोदने लगा.
पर इस बार मुझे भी मजा आने लगा और मैं सेक्स का आनंद लेते हुए स्सस्सी … स्सस्सी … करते हुए चुदवाने लगी।
धीरे धीरे उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी और हमारे बदन एक दूसरे पे रगड़ते रहे और मेरी चुदाई चलती रही।
अजय भी हम्म … हम्म … हम्म … करते हुए ऊपर नीचे सरक के मुझे चोद रहा था और 5-6 मिनट तक चोदता ही चला गया।
जब वो थक गया तो लंड अंदर ही डाल के रुक गया और मेरे ऊपर लेटा रहा और हम दोनों सुस्ताने लगे।
कुछ देर सुस्ता के वो साइड में उतर गया और कुछ वक़्त हम ऐसे ही पड़े रहे।
अब मुझे चुदवा के मजा आ रह था तो मैंने ही पहल करते हुए कहा- वाह यार, कमाल का चोदते हो तुम तो!
अजय बोला- सालों का अनुभव है नेहा चुदाई में तो, पता नहीं कितनी सील तोड़ी होंगी।
मैंने कहा- मुझे क्या पता अनुभव का … शुरू करो दुबारा तभी तो पता चलेगा।
इस तरह मैंने पहली चुदाई का मजा लेने की शुरूआत की.
आपको कैसी लगी यह कहानी? मुझे मेल करके बताये और कमेंट्स भी करें.
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पहली चुदाई का मजा कहानी का अगला भाग: कुंवारी बुर में लंड लेने की लालसा- 4
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