सुहागरात की सच्ची कहानी

(Suhagraat ki Sachhi Kahani)

दोस्तो, मैं अपनी सुहागरात की सच्ची कहानी ज्यों की त्यों लिख रहा हूँ, इसमें कोई भी बनावटी बातें नहीं हैं।

जब मेरी शादी हुई तो सुहागरात को मेरे घर वालों ने मुझे अपने कमरे में भेज दिया। वह मेरे पत्नी दीवार के सहारे खड़ी हुई थी।

मुझे देख वो मेरे पास आई और मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया।

वो एकदम परी लग रही थी, उसके बालों में मोगरे का गजरा लगा था और बड़ी भीनी महक बिखेर रहा था।

वो बहुत ही शरमा रही थी। मैंने उसके माथे पर चुम्बन लिया और उसके गहने उतारे। फिर जैसे ही मैंने उसके कच्चे बदन को हाथ लगाया तो मुझे करेंट सा लगा, ऐसा ही कुछ हाल उसका भी था। सच बताऊँ तो मुझे कुछ भी नहीं पता था कि आगे क्या करना है।

इससे पहले मैंने कभी सेक्स का कोई अनुभव नहीं किया था। हाँ कभी-कभार दोस्तों के साथ पोर्नो ज़रूर देखे थे पर उन सबके ज्ञान का असल में कोई मतलब नहीं होता है, आपको खुद ही सच्चा अनुभव लेना पड़ता है।

पोर्नो में अक्सर आदमी का काफी देर बाद स्खलित होता है और औरत की योनि में भी कोई गीलापन नहीं होता है, मुझे भी यही सब पता था।

और एक बात का और डर था कि पता नहीं मैं अपनी पत्नी को संतुष्ट भी कर पाऊँगा या नहीं, कितनी देर तक मैं उसके साथ सेक्स में टिक पाऊँगा।

जब कभी मैंने हस्तमैथुन किया था तो मेरे लिंग के ऊपरी भाग ज्यदा सेंसिटिव होने के कारण मैं उसे कभी ज्यादा छू नहीं पाया। यही बात मुझे परेशान कर रही थी कि मैं अपनी पत्नी के साथ सेक्स कैसे कर पाऊँगा।

हम दोनों धीरे से बिस्तर पर बैठ गए, मैंने कांपते हाथों से उसके ब्लाउज के हुक खोलने शुरू किए।

यह अनुभव बहुत ही शानदार था। उसका पूरा बदन गर्म हो रहा था। ब्रा का रंग हल्का गुलाबी था और मेरी पत्नी का बूब्स साइज़ 34 का था।

हम दोनों अब बेड पर लेट गए। वो मुझसे एकदम सट गई। हम दोनों कुछ भी नहीं बोल रहे थे। एक अजीब सी हलचल हो रही थी मन में, मुझे यह डर था कि वो बुरा न मान जाए या फिर मुझ से कोई गलती न हो जाए।

जब हम दोनों बेड पर लेट गए तो हम सामने से एक दूसरे के करीब थे। मैंने थीरे से उसके ब्रा पर हाथ लगाया तो एक झटका सा लगा क्योंकि यह सब पहली बार हो रहा था। उसके बूब्स बहुत ही सख्त थे। फिर उनके ब्रा से मुझे एक गुलाब का फूल मिला तो उसने बताया की यह मेरे लिए था।

धीरे धीरे मैंने उसके पूरे बदन को स्पर्श किया तो मन में जिज्ञासा हुई कि योनि को भी देखूँ कि वो असल में कैसी होती है?

जब मैं योनि पर हाथ ले कर गया तो उसने मेरे हाथ को हटा दिया। मुझे लगा कि उसे अच्छा नहीं लगा तो मैंने दोबारा हाथ नहीं लगाया।

उसके शरीर की बनावट इतनी सुन्दर थी कि मुझे उसे हाथ लगाने में भी सिरहन हो रही थी। उसके पैर को मैंने छुआ, जांघ को स्पर्श किया पर योनि को नहीं हाथ लगाया।

फिर मैंने धीरे से उठ कर अपने लिंग पर कोंडोम लगाया और उसके ऊपर आ गया मैंने उससे पूछा- कहाँ अन्दर डालूँ?

तो उसने अपने हाथ से मेरा लिंग शर्माते हुए पकड़ा और योनिद्वार पर रखा। मैं यह अनुभव भूल नहीं सकता कभी भी। मुझे नीचे की तरफ कुछ गीला सा लगा तो तब मुझे पता लगा कि योनि कितना गीली होती है सेक्स के समय।

मैंने धीरे से योनि में अपना लिंग डाला तो मुझे योनिद्वार संकरा लगा लेकिन योनि गीली होने के कारण लिंग आधा अन्दर चला गया। अभी भी मुझे संकरापन महसूस हो रहा था। जैसे ही लिंग ने योनि में प्रवेश हुआ तो मेरे पत्नी की चीख निकल गई और मैं डर गया कि कही कोई समस्या खड़ी ना हो जाए!

पर मैंने थोड़ी देर लिंग को स्थिर रखा और पूछा- दर्द अभी भी हो रहा है क्या?

मेरे पत्नी ने काफी देर तक कुछ नहीं बोला, फिर थोड़ी देर में कहा- आप अपना काम कर लो, मुझे अब दर्द नहीं हो रहा।

मैंने धीरे से लिंग और अन्दर सरकाया। पूरी योनि एकदम कसी हुई थी और बहुत ज्यादा मात्रा में गीलापन हो रहा था।

मेरे लिंग में थोड़ा दर्द हुआ क्योंकि यह मेरा पहला अनुभव ही था। फिर मैंने धीरे धीरे से लिंग को हिलाना चालू किया लेकिन घबराहट के कारण मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा था, लेकिन असीम आनन्द आ रहा था।

2-3 मिनट बाद मुझे लगा कि मैं स्खलित होने वाला हूँ तो मैंने अपनी पत्नी से पूछा कि उसका हो गया तो उसने केवल अपना सर हिला दिया। पर इतना तो मुझे पता चल गया था कि उसका अभी स्खलन नहीं हुआ है क्योंकि उसे कुछ हुआ ही नहीं था।

तब मैंने उसको भी मज़ा देने की सोची, फिर मैंने उसकी ब्रा उसके स्तनों से ऊपर सरका कर उन्हें अनवृत किया, क्या बताऊँ, उसके स्तन इतने सख्त थे कि बस मज़ा आ गया।
निप्पल एकदम गुलाबी थे और बिल्कुल तने हुए।
मैंने एक निप्पल को मुंह में ले लिया, ऐसा लगा कि जन्नत कि सैर कर रहा हूँ। एकदम सख्त निप्पल था।

योनि से रस वर्षा हो रही थी, मैं रस वर्षा को अपने लिंग पर महसूस कर सकता था क्योंकि वो मुझे योनि पर हाथ ही नहीं लगाने दे रही थी।

फिर मैंने ठान लिया कि आज तो योनि को तो मैं चूम कर ही रहूँगा। मैं उसकी टांगों के बीच बैठ गया और उसका पेटीकोट कमर तक ऊपर कर दिया।
उसने थोड़ा मना किया पर मैंने कर दिया।

उसके बाद मन में अजीब सी हलचल हुई, जैसे मैंने उसकी योनि को देखा, एकदम गीली, बिल्कुल क्लीन शेव और छोटी सी अनछुई कोमल कली। योनि का रंग थोड़ा गहरा था, उसमें से पता नहीं कैसी खुशबू आ रही थी जिसे सूंघ कर मुझे अच्छा लग रहा था।

जैसे ही मैंने योनि पर हाथ लगाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, लेकिन मैं भी कहाँ मानने वाला था। अपनी जीभ से मैंने उसकी योनि का ऊपरी उभरा हुआ हिस्सा छुआ तो मुझे अच्छा लगा पर योनि का गीलापन देख कर एक बार तो मुझे हिचकिचाहट हुई।

मैंने उसके पेटीकोट से सारा गीलापन साफ़ कर दिया और फिर से अपनी जीभ से योनि को चाटने लगा। योनि का स्वाद कुछ नमकीन था। जैसे जैसे में योनि को जीभ से सहलाता वैसे ही योनि में गीलापन और ज्यादा हो जाता।

थोड़ी देर बाद उसने भी अपने कूल्हे उठा कर यह संकेत दे दिया कि उसे भी मज़ा आ रहा है। उसका यह मज़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा था और कुछ देर बाद वो मेरा नाम जोर से लेकर स्खलित हो गई।

यह थी दोस्तो, एक सच्ची बिना बनावट की मेरी सुहागरात की कहानी।
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