पहली बार की उत्सुकता

मैं रोहित एक बार फिर हाज़िर हूँ एक नई कहानी के साथ…

पिछली कहानियों की तरह यह भी मेरा एक सच्चा अनुभव है… दरअसल जब मैंने अपनी पिछली कहानियाँ अन्तर्वासना पर भेजी तो मेरे पास काफी मेल्स आए। इन्हीं में से एक मेल मुझे दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक लड़की का आया। लड़की का नाम निशा था। वैसे साफ कर दूँ कि यह नाम असली नहीं है, मैं नहीं चाहता कि उसकी बदनामी हो।

खैर उसने मुझे मेल किया और मेरे बारे में जानकारी ली कि मैं कहाँ रहता हूँ, क्या करता हूँ, वगैरह-वगैरह… उसने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर भी मांग लिया… मैंने नंबर दे भी दिया लेकिन वो मेल पर ही बात करती रही करीब एक महीने तक। अब मुझे उसके बारे में काफी कुछ पता लग गया था और मैं समझ रहा था कि यह निशा शर्म के मारे बोल नहीं पा रही है।

अब आखिरकार नंबर भी एक्सचेंज हो गए… पहले फोन मैंने ही किया। उसकी आवाज़ सुनते ही मैं जैसे पागल सा हो गया। मैंने उसे मिलने के लिये बुलाया। दिल्ली के लक्ष्मी नगर में वीथ्रीएस मॉल में वो मिलने के लिये आई, अपनी स्कूटी लेकर।

मैंने उसका चेहरा नहीं देखा था और ना उसने मेरा.. लेकिन उसने मुझे यह बता दिया था कि वो नीले रंग के टॉप में आएगी, सो मैंने उसके टॉप से उसे पहचान तो लिया… लेकिन झिझक रहा था कहीं कोई और लड़की हुई तो खामखां जूते ना पड़ जाएं…

तो मैंने उसके फोन का इंतज़ार किया… जैसे ही उसने फोन किया मैं फोन उठाए बिना उसके सामने चला गया…

हमने काफी देर बातचीत की और मैंने सीधे सीधे बात करने की हिम्मत करते हुए उससे पूछ लिया कि वो मुझसे चाहती क्या है…?

तब उसने आखिरकार काफी टटोलने के बाद बताया कि उसकी कुछ सहेलियों के ब्वॉयफ्रेंड हैं… लेकिन वो किसी चक्कर में नहीं पड़ना चाहती क्योंकि वो केवल अपने मां बाप के चुने लड़के से ही शादी करेगी लेकिन क्योंकि उसकी सहेलियाँ उसे सैक्स के मज़े के बारे में बताती हैं इसलिये वो सेक्स के लिये काफी उत्सुक है।

मैं आपको यह बताना भूल ही गया कि वो लड़की बला की खूबसूरत थी… कॉलेज में सेकंड ईयर में थी, उम्र कोई 20 साल होगी… ठीक ठाक हाईट थी, पतली कमर, गज़ब के चूचे, पर पिछवाड़ा ज़्यादा उभरा हुआ नहीं था… खैर भगवान ने बड़ी फुरसत से उसे बनाया था… शक्ल इतनी खूबसूरत थी कि जो देखे बस देखता ही रह जाए।

मैंने उसे समझाया कि वो मेरे साथ अगर रिलेशन बनाएगी तो किसी को पता नहीं चलेगा और मैं उसके साथ किसी चक्कर में नहीं पड़ूँगा.. मतलब प्यार-व्यार के चक्कर में नहीं…

वो मान गई, उसने मुझे कहा कि जब मेरे घर पे कोई नहीं होगा तो वो मुझे फोन करके बुलाएगी।

मैं मान गया।

अगले ही हफ्ते उसने मुझे बुला लिया।

मैं दोपहर को करीब 2 बजे उसके घर पहुँचा। उसके मम्मी पापा मेरठ गए हुए थे और रात को देर से आने वाले थे। उसका एक भाई था, वो भी साथ ही गया हुआ था। घर पहुंचते ही जब उसने दरवाजा खोला तो मैं उसे देखता रह गया। एक ढीला सा लोअर और एक बड़े से गले वाली ढीली-ढाली टीशर्ट..

हो सकता है कि वो घर में ऐसे ही रहती हो पर मुझे लगा कि शायद तैयारी मेरे लिये ही है… मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाया और उसे बांहों में भर के चूमना शुरु कर दिया लेकिन वो मना करने लगी और बोली- अभी रुको, पहले कुछ खा लेते हैं। उसने मेरे लिये पिज़्जा-हट से पिज्जा ऑर्डर किया हुआ था, हम दोनों ने पिजा खाया और फिर वो पिजा के खाली डब्बे फेंकने रसोई में रखे हुए डस्टबिन की ओर गई।

मैं उसके पीछ पीछे गया, उसे वहीं से गोद में उठाया और सीधा बेडरुम में ले गया… मैंने उसे बेतहाशा चूमना शुरु कर दिया। उसके होठों में गजब का रस था। आज तक कितनी लड़कियों को चोदा पर वो रस किसी में नहीं था।

फिर मैंने धीरे धीरे उसके कपड़े उतारने शुरु किये, पहले उसकी टॉप उतारी, उसका संगमरमर जैसा गोरा बदन देखकर मैं बेकाबू होता जा रहा था। उधर वो अभी भी शरमा ही रही थी, मैंने अब उसकी पिंक ब्रा को भी अलग कर दिया और उसके मस्त उभारों को चूमना शुरु कर दिया। जी भर कर चूसा, उसके पूरे बदन पर चुम्बन किये।

अब निशा भी मस्त होती जा रही थी, उसने खुद ही मेरी टीशर्ट को उतार दिया, मेरा बनियान निकाल दिया, और मेरी छाती और कमर को सहलाए जा रही थी। मैंने उसके लोअर को भी उतार दिया।उसकी गोरी गोरी जांघें गजब की थी। अब मैंने उसकी चूत की हालत देखी तो मजा आ गया। उसकी गुलाबी रंग की फूलों वाली पेंटी नीचे से पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने फटाफट एक ही झटके में उसकी पेंटी को उतारा और उसे चूमना शुरु कर दिया।उसकी चूत का रस ऐसा नशीला था कि आदमी हर दारू का नशा भूल जाए।

मैंने उसकी चूत को जीभ से चाटना शुरु किया और वो अब तक खासे नशे में आ चुकी थी और मेरे चेहरे को चूत में दबाए जा रही थी। उसकी सिसकारियों से कमरा गूंज रहा था।

उसने फटाफट उठते हुए मेरी जींस को उतारा और मेरे हथियार को पहले अंडरवियर के ऊपर से ही हाथ में लिया क्योंकि लंड खड़ा हो चुका था और अंडरवियर में 90 डिग्री का कोण बना कर तंबू बनाए हुए था। फिर मैंने झट से अपने अंडरवियर उतार दिया। इसके बाद तो उसने मेरा लंड हाथ में लेकर उसे सहलाना शुरु कर दिया…

अब मेरा भी हाल खराब हो रहा था… मैंने झट से अपना लंड उसके मुँह के पास कर दिया और उसे चूसने के लिये कहा लेकिन उसने मना कर दिया।

काफी कहने के बाद भी कहने लगी- मुझे उल्टी आ जाएगी !

तो मैंने ज़ोर नहीं दिया… फिर मैंने देर ना करते हुए अपना लंड उसकी भट्टी की तरह तपती चूत में डालने के लिये चूत के मुहाने पर रख दिया लेकिन वो ज़्यादा डरने लगी क्योंकि मेरा लंड काफी मोटा है और वो अब तक अक्षतयौवना थी इसलिये उसे काफी डर लग रहा था…

तो मैंने उसे समझाया कि थोड़ा सा दर्द एक बार होगा और घबराने की कोई बात नहीं है फिर बहुत मजा आएगा…

थोड़ा समझाने पर वो मान गई।

मैं कॉन्डम लेकर आया था, मैंने कॉन्डम उसे पहनाने के लिये कहा… तो वो बोली- नहीं, मुझसे नहीं होगा..

मैंने कहा- अगर तुम नहीं पहनाओगी तो मैं बिना कॉन्डम के ही करुंगा और फिर तुम प्रेगनेंट भी हो सकती हो…

वो मान गई और उसने मुझे कॉन्डम पहनाया।फिर मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में घुसाने की कोशिश की.. मगर दो तीन बार झटका मारने के बाद भी लंड अंदर नहीं जा रहा था क्योंकि उसकी चूत बहुत कसी थी… फिर मैंने निशाने पर लगाया और एक ज़ोरदार झटका लगाया। लंड का आगे का बड़ा हिस्सा अंदर घुसा और वो चिल्लाई और क्योंकि मुझे इसकी उम्मीद थी तो मैंने झट से उसके चेहरे पर हाथ रख दिया और फिर उसके होंठ चूसने शुरु कर दिये…

उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे… मैं वहीं रुक गया… और थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद उसके आँसू थम चुके थे… तो मैंने पूछा- अब ठीक हो…?

वो बोली- हाँ करो…

तो मैंने एक और झटका मारा और आधे से ज़्यादा लंड घुस गया…

तभी वो और चिल्लाई और मैंने फिर वही किया…

अब मैंने उसके बहते आँसुओं पर कोई तरस ना खाते हुए बेदर्दी से एक धक्का और मारा और पूरा लंड अंदर कर दिया…

उसने अपना हाथ नीचे लगाया तो हाथ पर खून लग गया… जिससे वो और डर गई…

तब मैंने उसे समझाया कि पहली बार ऐसा होता ही है…

तो वो समझ गई… और फिर थोड़ी देर बाद नीचे से गांड उठा उठा कर मेरा सहयोग करने लगी…

मैं समझ गया कि अब सब ठीक है… तो मैंने भी धीरे धीरे झटके मारने शुरु किये… वो खूब सिसकारियाँ भरते हुए मजे ले रही थी… मुझे बहुत मजा आ रहा था भट्टी जैसी कसी चूत मारने में।

करीब 20 मिनट उसे चोदने के बाद मैं झड़ गया… इतनी देर में वो भी तीन बार डिस्चार्ज हो चुकी थी।

फिर मैंने उसे शाम तक तीन बार और चोदा और फिर शाम को हमने वीथ्रीएस में ही जाकर डिनर किया। लेकिन जाते वक्त उसने मुझे 5000 रुपए थमा दिये और कहा- यह राज़ राज़ ही रहना चाहिये और हम दोबारा कभी नहीं मिलेंगे।

मैं मन ही मन बहुत खुश था…

यह कहानी पूरी तरह सच्ची है…. आप मानें या ना मानें…

कहानी कैसी लगी ज़रूर बताएँ…

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