मंजरी भाभी

loverboyof2010 2009-11-23 Comments

प्रेषक : अर्जुन चौधरी

दोस्तो, मैं पिछले एक महीने से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ और आपकी प्रेरणा से आज अपना एक सच्चा अनुभव लिख रहा हूँ।

मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ, 30 साल, 5’10”, औसत शरीर वाला समार्ट लडका हूँ। यह कहानी आज से 9 साल पहले की है, तब मेरी उमर करीब 21 साल की थी, तब मैं थोड़ा पतला था।

मैं कुछ नहीं करता था क्योंकि मैं डिप्लोमा की परीक्षा में फ़ेल हो गया था और परीक्षा को अभी बहुत समय था तो पिताजी ने मुझे अपने एक दोस्त के यहाँ नौकरी पर लगा दिया। वहाँ पर लगभग हर रोज ही एक महिला आती थी। उनका नाम मंजरी (नाम बदला हुआ) था। जब भी वो आती अंकल मुझे खाना खाने के या कुछ भी बहाना करके वहाँ से भेज देते। वैसे तो उनका भतीजा भी मेरे साथ वहीं पर काम करता था और मेरी और उसकी अच्छी पटती थी, तो एक दिन मैंने उससे पूछ ही लीया। तब मुझे पता चला कि मंजरी का पति उनको मारता था, शराबी और जुआरी भी था तो वो अंकल से मदद लेने आती थी। और उसने मुझे यह भी बताया कि उसने उसके साथ मजे भी किये हैं। तो मैंने पिताजी के दोस्त के भतीजे को मेरे लिए कुछ करने के लिए कहा। उसने शायद मेरे लिए बात भी की मगर शायद वो कुछ डर रही थी इसलिए मना कर दिया।

अरे हाँ ! मंजरी भाभी के चूचे बड़े नहीं पर हाँ कसे हुए थे। जब भी मैं उन्हें देखता था मेरा लण्ड तो मेरे अन्डरवीयर से निकल कर मेरी नाभि तक आ जाता था। उनका कद करीब 5′ 2″, कमर पतली और एकदम सफ़ेद जैसे दूध से धुली हो। मेरे मन में बस उन्हें पाने की इच्छा जाग गई थी।

तो आखिर वो दिन आ ही गया। अन्कल किसी काम से बाहर गये हुए थे, और वो आ गई, मुझ से कुछ सामान लेकर बात करनी शुरु की, मैं तो बस उनके चेहरे को ही सामने से देखता रहा, जैसे ही उनको पता चला, वो कुछ शरमाने लगी और हंस कर बोली- मेरे चेहरे पे मोर लगे हैं क्या?

मुझे लगा अगर हंसी तो फ़ंसी।

और अचानक ही मैंने उनसे अपने मन की बात कह दी। पहले तो वो कुछ बोली नहीं, पर कुछ देर बाद मुझसे वादा लेते हुए कि किसी और से यह बात नहीं कहने का मुझे अपना फ़ोन नंबर देकर हंसते हुए चली गई।

दो दिन बाद जब मैंने उनके नम्बर पर फ़ोन किया, तो फोन पर वही थी, हमने थोड़ी देर इधर उधर की बात की, फिर बात करते हुए मुझे लगा कि उनके घर पर कोई नहीं है, तो मैंने उनको मिलने की इच्छा जताई। थोड़ी ना-नुकर के बाद वो 10 मिनट के लिए मान गई।

उतने में अन्कल आ गये और मैं उनसे बहाना करके तुरन्त मंजरी घर पहुँच गया।

उन्होंने मुझे घर के अन्दर बुलाया के और मेरे सामने कुर्सी रखकर मुझसे बातें करने लगी। मेरा ध्यान तो बस उनके बदन पर ही था। मुझे लगा आज मौका नहीं मिलेगा क्योंकि घर के सामने के मैदान में सोसायटी के बच्चे खेल रहे थे। तो मैंने भी उनसे पानी का बहाना किया।

जैसे ही वो पानी लेने के लिए रसोई में गई, मैं उठकर अन्दर के कमरे में जाकर बिस्तर पर बैठ गया। उन्होंने मुझे देख लिया था तो वो भी पानी लेकर अन्दर कमरे में आ गई। मैंने भी पानी पीकर ग्लास उन्हें दिया, जैसे ही उन्होंने ग्लास लेने के लिये हाथ आगे किया मैंने उनका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठाकर उन्हें चूमना शुरु कर दिया।

तभी वो अपने को छुड़ा कर एकदम उठी, पर तब तक वो गर्म हो चुकी थी, क्योंकि उनकी आँखें सब बता रही थी। अचानक वो बाहर चली गई और मुझे लगा आज भी मुझे खाली हाथ जाना पड़ेगा। पर उतने में वो घर के सारे दरवाजे बन्द करके मेरे पास आकर बैठ गई और मेरा हाथ पकड़ लिया।

बस फिर क्या था मैंने भी उनको पकड़ कर होंठों पर चुम्बन करना चालू कर दिया, फिर उन्हें बिस्तर पर लिटाकर जबरदस्त चूमा-चाटी शुरु कर दी। धीरे-धीरे मैंने उनके मम्मे दबाने शुरु कर दिये, अब वो भी मेरी जीभ चूस रही थी और मैं उनकी। फिर मैंने उनके ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए, उन्होंने नीचे काली ब्रा पहन रखी थी, मैंने ब्रा का हूक खोलकर उनके दूध को चूसने का कार्यक्रम शुरू किया।

धीरे-धीरे मैंने उनकी साड़ी को पेटीकोट के साथ जैसे ही ऊँचा किया, तो मैंने देखा कि उन्होंने पेन्टी तो पहनी ही नहीं थी। मैंने हल्के से एक उंगली उनकी चूत में जैसे ही डाली, वो एकदम से सिहर गई, धीरे-धीरे मैंने दूसरी, फिर तीसरी उंगली डाली। उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझे अपने होंठों के पास लाकर मेरे होंठों को कस कर चूसने लगी।

तुरंत ही मेरी उंगली में कुछ गीलापन महसूस हुआ। तब मुझे लगा कि शायद उन्हें पेशाब आ गई क्योंकि वह मेरा पहला अनुभव था, मुझे तो बाद में पता लगा कि औरतें भी झड़ती हैं।

फिर उन्होंने मेरी पैंट में हाथ डाला और मेरे लण्ड को पकड़कर हिलाने लगी, मुझे तो अब और भी मज़ा आने लगा। फिर उन्होंने मुझे पैंट निकालने को कहा। तो मैं पूरे कपड़े निकालने ही जा रहा था कि उन्होंने मुझे रोका और कहा- आज इतना वक्त नहीं है, तुम सिर्फ़ पैंट को नीचे कर लो।

जैसे ही मैंने पैंट को नीचे किया और उन्होंने मेरे लण्ड को जैसे ही देखा, वो तो बस मेरे लण्ड को एक बारगी तकती ही रह गई, और फिर अचानक फटाक से मेर लण्ड पकड़ कर मुँह में ले लिया और मेरी गोलियों से मजे से खेलने लगी, कभी कभी उनको भी मुँह में भर कर चूसने और चाटने लगती।

चूंकि मेरा यह पहला अनुभव था मैं तो जैसे सातवें आसमान पर था, मुझे तो इतना मज़ा आ रहा थी कि बस पूछो मत। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी।

मैं भी अब जोश में आने लगा था, मैं उनका सिर पकड़कर आगे-पीछे करने लगा, एक बार तो उनका सर पकड़ कर लण्ड पर ही पूरा दबा दिया। पर जैसे ही मैंने उनको देखा, उनकी आँखों से पानी निकलने लगा, तो मैंने अपनी पकड़ ढीली कर दी और उन्हें ऊपर लाकर उनके होंठों पे, गालों पे, कान के नीचे चेहरे पे हर जगह चूमना चालू कर दिया।

उन्होंने मुझे मेरे कान में कहा- आज तक मैंने किसी का मुँह में नहीं लिया, पर पता नहीं तुम्हारे उस में क्या खास बात थी जो मैंने उसे मुंह में भर लिया, सच में तुम्हारा बहुत मस्त है।

वो अभी भी शायद कुछ शरमा रही थी, इसीलिये लण्ड शब्द का प्रयोग नहीं कर रही थी।

इतना बोल कर वो तो जैसे पागल होने लगी थी और मेरे लण्ड को अपनी चूत पर जोर जोर से रगड़ने लगी। अब मेरा भी अपने पर काबू करना मुश्किल हो रहा था, तो मैंने उन्हें धक्का मार कर बिस्तर पर लिटा दिया और लण्ड को चूत पर रख कर धक्का मारना शुरु किया, पर मेरा लण्ड फिसल कर इधर उधर जाने लगा तो उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ कर चूत के छेद पर टिका कर मेरे नितम्ब पकड़कर उन्होंने ही धक्का मार कर लण्ड चूत में ले लिया।

फिर तो मैंने आव देखा ना ताव और एक जोरदार धक्का मारकर पूरा लण्ड जड़ तक अन्दर डाल दिया। मेरे होंठ उनके होंठों पर ही थे इसलिये मुझे लगा कि वो जैसे चिल्ला रही हैं, पर होंठों के चिपके होने के कारण चीख दब गई।

तब मेरा ध्यान उनकी आँखों पर गया तो मैंने देखा कि वो रो रही है, तो मैंने भी थोड़ी देर उनके ऊपर पड़े रहना ही उचित समझा और धीरे-धीरे उनके मम्मों को चूसता और दबाता उनकी छाती पर लेटा रहा।

वो धीरे-धीरे सामन्य हो रही थी और धीरे-धीरे अपने चूतड़ उठा कर धक्के देने लगी। फिर मैंने भी अपने धक्के चालू कर दिए। करीब 10-12 मिनट के बाद उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और जोर से मेरी जीभ को चूसने लगी। मेरा तो अब साँस लेना भी मुश्किल हो रहा था। तभी अचानक मुझे मेरे लण्ड पर कुछ पानी जैसा महसूस हुआ, मैं भी अब जोश में धक्के पर धक्के लगा रहा था, पर करीब 20-25 धक्कों के बाद मेरे लण्ड में भी हरकत शुरु हुई और मैंने भी उनको कस कर पकड़ लिया और उनकी जीभ चूसने लगा और फिर मैंने भी अपना सारा लावा उनकी चूत में उडेल दिया, और पस्त होकर उनके नंगे बदन पर लेट गया।

कुछ देर तक हम यों ही पड़े रहे, फिर जैसे ही मैं कपड़े पहनकर जाने लगा, उन्होंने मुझे रोक कर एक लम्बी चुम्मी मेरे होंठों पर दी और मुस्कराते हुए बोली- अब जब भी मन करे, मुझे फोन कर देना, तुम जहाँ बुलाओगे, मैं आ जाऊँगी, मैं आज से तुम्हारी हुई, आज मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा दिन है।

और मैंने भी उनको चूमते हुए उनसे विदाई ली।

तो दोस्तो, यह थी मेरी कहानी, एक सच्ची कहानी। फिर मैंने उन्हें 5-7 बार और चोदा, पर वो सब बाद में। मैं आपकी राय के इन्तज़ार में हूँ।

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category पहली बार चुदाई or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

मंजरी भाभी

Comments

Scroll To Top