कल फिर आना
प्रेषक : अभिज्ञान राज
मैं राज मोतिहारी शहर में रहता हूँ, उम्र 18 साल और मैं एक काल-बाय बनना चाहता हूँ।
जब मेरे दोस्त ने अन्तर्वासना के बारे में बताया तो मैंने यह साईट खोली यह मुझे बहुत अच्छी लगी, मैंने सोचा कि क्या सचमुच में ऐसा होता है।
तो अब सब कुछ छोड़ कर कहानी पर आते हैं।
तब मैं ईंटर सेकेंड ईयर में था, मेरे पड़ोस में एक परिवार रहने आया था, उस परिवार में एक आदमी जो मेरे भैया जैसे थे और उनकी पत्नी अर्थात मेरी भाभी और भाभी का भाई और उनके दो छोटे छोटे बच्चे।
एक दिन मैंने देखा कि भाभी मुझे घूर रही थी। मैंने उनको देखा और अपने कमरे में आ गया। हम दोनों के घर आमने सामने ही थे, मैं उन्हें रोज इसी तरह देखता रहा, कई बार उनके नाम की मुठ मारी, तब मैं अन्तर्वासना की कहानी पढ़कर बहुत कुछ जान गया था तो मैंने सोचा इस तरह रहने से कुछ नहीं होगा पहले उसके भाई को पटाया जाए, उसके बाद उसको देखा जाएगा।
तो मैंने उसके भाई से बात की। उसका नाम था राकेश, मुझसे दो साल छोटा था, मैं उसके साथ किक्रेट, बैडमिंटन खेलता था।
एक दिन की बात है, मैं उसके घर खेलने गया। मैंने काल बेल बजाई तो भाभी ने दरवाजा खोला।
मैंने पूछा- राकेश कहाँ है?
तो उन्होंने कहा- वह घर गया है, तीन दिन बाद आयेगा।
इतना सुनने के बाद मैं पीछे मुर कर चलने को हुआ।
तो उन्होंने कहा- चाय तो पीते जाओ।
तो मैंने कहा- नहीं, ठीक है।
उनके बार बार आग्रह से मैं रूक गया। उन्होंने पीले रंग की साड़ी पहन रखी थी और वो बहुत सेक्सी लग रही थी। इतने में वो चाय लेकर आ गई तो मैंने पूछा- भैया कहाँ हैं?
तो उन्होंने कहा- वो दिल्ली में किसी फैक्ट्री में काम करते हैं।
मैंने उनका नाम पूछा तो उन्होंने कामिनी बताया, फिर उन्होंने मेरा पूछा, मैंने राज बताया।
फिर कुछ देर तक शाँति रही। उन्होंने मेरे कालेज के बारे में पूछा और मैं क्या करता हूँ, बहुत सारे सवाल पूछे, मैं सब बताता गया।
तब मैं चलने को हुआ तो उन्होंने कहा- कल फिर आ जाना, मैं अकेली बोर हो जाती हूँ।
तो मैं अगले दिन उनके घर गया। वो उस समय नहाने जा रही थी। उन्होंने मुझे बिठाकर कहा- तुम यहीं बैठो, मैं नहाकर आती हूँ।
वो नहाने चली गई। मैं उनके बाथरूम के गेट के छेद से उनका नहाना देखने लगा। मेरा लँड चार इँच से छः इँच का हो गया।
क्या मस्त चूचियाँ थी दोस्तो ! मैं साईज वाईज के बारे में नहीं जानता इसलिए नहीं बता पाऊँगा कि उनका साईज क्या था।
तभी उन्हें शक हो गया कि मैं उन्हें देख रहा हूँ। मैं चुपचाप आकर बैठ गया।
जब वो नहाकर निकली तो क्या मस्त लग रही थी वो, गुलाबी साड़ी में गजब ढा रही थी।
मेरा मन हुआ कि अभी पेल दूँ लेकिन मजबूर था।
वो आकर मेरे पास बैठ गई। तभी उनका बच्चा रोने लगा वो उसे उठा कर ले आई और दूध पिलाने लगी। उनकी चूची को देखकर मेरा लँड उफान मारने लगा।
तभी उन्होंने कहा- ऐसे क्या देख रहे हो? कभी देखा नहीं क्या?
उन्होंने गुस्से में कहा था तो मैं थोड़ा डर गया था। तभी मैंने देखा कि बच्चा सोने लगा है। वो उठकर बेडरुम में चली गई इधर मैं भी भागने के फेर में था। मैं गेट तक पहुँचा ही था कि पीछे से आवाज आई- कहाँ चल दिए?
तो मैंने कहा- मैं घर जा रहा हूँ।
तो उन्होंने कहा- थोड़ी देर और रुक जाओ।
मेरा तो डर के मारे बहुत बुरा हाल था, मैं चुपचाप जाकर बैठ गया।
तो उन्होंने कहा- क्या देख रहे थे राज?
तो मैंने कहा- वो तो मैं आपके बेटे को देख रहा था, बिल्कुल आपकी तरह है।
उन्होंने कहा- बेटे को देख रहे थे या कुछ और ही?
मैं खामोश रहा।
तभी उन्होंने दूसरा तीर छोड़ा- और जब मैं नहा रही थी तब तुम छेद से क्या देख रहे थे?
तब मैंने कहा- भाभी, मुझे माफ कर दो, मैं ऐसा कभी नहीं करुँगा।
तो उन्होंने कहा- सिर्फ़ देखोगे या कुछ करोगे भी?
वो एकदम से आकर मेरे पास बैठ गई और मेरे लँड को अपने कब्जे में कर लिया।
मैं उनका खुला निमंत्रण पाकर फूला न समाया। आज पहली बार मुझे बुर मिलने वाली थी।
मैं उनके उभारों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा और धीरे धीरे उसे खोल भी दिया और ब्रा भी हटा दी और उनकी चूची चूसने लगा।
इतनी देर में उन्होंने मेरी पैंट भी खोल दी और मेरा लण्ड सहलाने लगी। यह कहानी आप अन्तर्वासना.कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उसके बाद मैं उन्हें बेडरूम में ले गया और दोनों ही नँगे हो गये। मैंने उनके सोये हुए बेटे को एक तरफ सरका कर उनकी खूब पेलाई की, उस टाईम तीन बार अलग-अलग तरीके से उनकी बुर मारी। उसके बाद हमे जब भी मौका मिलता, हम एक दूसरे पर हावी हो जाते।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी सच्ची कहानी, मुझे अपने विचार जरूर भेजें !
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