जो भी करना है, कर डालो !
मैं यहाँ पहली बार अपनी आपबीती बताने जा रही हूँ जब मैंने पहली बार सेक्स किया था !
मुझे इस साईट का पता मेरे पहले प्यार देवाशीष ने बताया !
मैं नागपुर जिले की गाँव में रहने वाली हूँ ! मेरे पिताजी के रिटायर होने के बाद हम लोग गाँव में रहने के लिए आये थे !
मैं दिखने में गोरी, 5’3″ लम्बी हूँ, मेरी चूचियाँ 34″, कमर 30″ और पिछवाड़ा 36″ का है !
तब मेरी उम्र 18 साल थी और हमारे घर के बाजु में एक परिवार रहता था जो हमारे रिश्ते में ही था ! हमको आए अभी तीन महीने हुए थे और इन दिनों में उस घर की सभी लड़कियों से मेरी अच्छी जान पहचान हो गई थी और हम सहेलियाँ बन गई थी !
मेरी सहेली का भाई इंजीनियरिंग कर रहा था जिसका नाम देवाशीष था ! उसकी उम्र 21 साल थी और दिखने में जवाँमर्द दीखता था। वो छुट्टियों में जब गाँव आया तो मेरी उससे पहचान हो गई और कुछ दिनों में ही मैं उससे प्यार करने लगी। देवाशीष के चाचा का बेटा छोटा था, एक दिन मैंने एक चिट्ठी में प्यार का इजहार करके वो उसके हाथ देवाशीष तक पहुँचा दी !
वो भी मन ही मन में मुझसे प्यार करता था लेकिन इजहार नहीं कर रहा था। चिट्ठी मिलते ही उसने भी चिट्ठी भेज कर मुझसे प्यार का इजहार किया और यहाँ से हमारे प्यार शुरुआत हुई।
दिन बीत रहे थे हम छुप-छुप कर एक दूसरे से मिलते थे। वो बड़े शर्मीले किस्म का लड़का था और मैं बिन्दास थी !
हम जब भी मिलते थे वो दूर से ही बात करता था लेकिन मुझे उससे लिपटने की इच्छा होती थी। मुझे लगा कि यह कुछ करने वाला नहीं है, मुझे ही शुरुआत करनी पड़ेगी !
एक दिन हम नागपुर के गार्डन में घूमने गए। वहाँ मैंने उसे पहली बार किस किया तो उसने भी मुझे किस किया। तब मैं समझ गई कि यह शुरुआत तो नहीं कर सकता लेकिन उसे निभा जरुर सकता है !
हम रोज रात को 12 बजे हमारे घर के बाहर गली में मिलते थे और किसिंग करते थे !
एक दिन मैंने उसे पूछा- देवाशीष, तुम्हें दूध पसंद है?
तो वो कहने लगा- हाँ सीमा मैं रोज दूध पीता हूँ, तभी तो इतना तंदुरुस्त हूँ !
दूसरे दिन हम फिर से मिले तो मैंने पूछा- आज दूध पीकर आये या नहीं?
तो वो कहने लगा- हाँ, पीकर आया !
मैं बोली- आज मेरा दूध पी लो !
और अपने हाथों से मैंने अपना कमीज ऊपर उठा लिया !
वो थोड़ा शर्मा गया लेकिन थोड़े ही देर के बाद में मुझसे लिपट गया और मुझे चूमने लगा ! मैं अपना कमीज ऊपर उठा कर ही खड़ी थी।
मैं बोली- अब ब्रा भी मैं ही उठाऊँ क्या?
वो बोला- ठीक है, मैं उठा लेता हूँ !
और उसने मेरा ब्रा ऊपर सरका कर मेरे उरोज दबाने शुरु कर दिए ! वो अपनी उँगलियों से मेरे निप्पल दबा रहा था !
मैं बोली- दूध पीओ ना !
तब उसने मेरे बड़े बड़े चुच्चों को चूसना शुरु किया। मैं अपनी आँखें बंद करके उसका आनन्द महसूस कर रही थी।
अब हम रोज रात को चुम्मा-चाटी और बूब्स चूसने का आनन्द उठा रहे थे !
उसका लंड अक्सर खड़ा हो जाता था और वो मैं महसूस कर सकती थी, वो जब भी पीछे से मेरी चूचियाँ दबाता तब उसका लंड मेरे चूतड़ों की दरार के बीच में चुभता रहता था और बड़ा अच्छा लगता था, जिसकी वजह से मेरी चूत में भी पानी निकल आता था।
मेरी इच्छाएँ दिनों दिन बढ़ रही थी ! अब मुझे चुदवाने की इच्छा होने लगी ! लेकिन मैं यह सोच रही थी कि देवाशीष पहल करेगा ! दूसरी तरफ देवाशीष यह सोच रहा था कि मैं पहल करुँगी !
एक दिन देवाशीष ने मुझे पूछा- मुझे तुमसे सेक्स करना है !
मैं बोली- नहीं !
इस मामले में तो थोड़ा शर्माना ही पड़ेगा ना !
तो वो बोला- मैं जबरदस्ती चोदन कर दूंगा तुम्हारा !
मैं बोली- तो कर दो !
वो इसको समझ ही नहीं पाया कि मैं क्या चाहती हूँ।
उस रात उसने कुछ भी नहीं किया, रोज का काम करके निकल गया।
सही बताऊँ तो ये सब हम एक 2′ की गली में चुपके से करते जहाँ ढेर सारा कचरा भी था।
एक दिन मेरे माता-पिता और मेरी दोनों बहनें रिश्तेदार के यहाँ शादी में तीन दिनों के लिए सुबह सुबह ही निकल गए !
अब घर में मैं और मेरा बड़ा भाई ही थे ! मेरा बड़ा भाई जॉब पर जाता था इस हफ्ते में उसकी नाईट शिफ्ट थी ! मैंने सोच लिया था कि आज घर पर कोई नहीं रहेगा तो मैं रात को देवाशीष को घर में ही बुला लूँगी।
ठीक रात के 12 बजे देवाशीष उसी गली में आ गया !
आते ही मैंने उसे बता दिया कि आज घर पर कोई नहीं है, मैं अकेली हूँ !
वो कुछ देर चुप रहा फ़िर मुझे अन्दर चलने के लिए बोला !
हम पहली बार दीवान पर एक साथ बैठे और चूमाचाटी कर रहे थे कि उसका ध्यान लाईट पर गया और बोलने लगा- आज कोई डर नहीं है, तू लाईट तो बंद कर दे !
मैंने उठ कर लाईट बंद कर दी और दीवान पर आ गई।
मेरे मन में ऐसे लग रहा था कि आज की रात और ऐसा शानदार मौका आज तो खाली नहीं जायेगा? मेरी आज चुदवाने की पूरी इच्छा थी लेकिन इसके पहले मैंने कभी भी सेक्स नहीं किया था तो डर भी लग रहा था कि कहीं कुछ हो न जाये !
देवाशीष के तेवर देखकर आज मैं जान चुकी थी कि मुझे आज कुछ नहीं करना है आज देवाशीष ही करेगा।
जैसे ही मैं दीवान पर बैठी, उसने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मेरे होठों को चूमने लगा, मैं भी उसे चूम रही थी। वो अपने हाथों से मेरी चूचियां कपड़ों के ऊपर से ही दबा रहा था।
धीरे-धीरे उसने मुझे दीवान पर लिटा दिया और मेरे बदन पर लेट कर मेरे पूरे शरीर को चूमने लगा, कभी होठों पर तो कभी गर्दन पर तो कभी चूचियों पर !
चूमते चूमते वो मेरे एक एक करके कपड़ों को मेरे शरीर से हटा रहा था, उसने मेरा कुरता निकल दिया और ब्रा के ऊपर से मेरे दोनों आमों को दबाना शुरु कर दिया। ब्रा भी निकाल कर फेंक दी, अब मेरी चूचियाँ पूरी नंगी हो गई थी, ताजमहल के गुम्बद सी दिख रही थी ! वो उन्हें मुँह में भर कर चूस रहा था।
उधर उसका लंड मेरी चूत के ऊपर चुभ रहा था जिससे मेरी गर्मी बढ़ गई थी, मेरी योनि से पानी रिसना चालू हो गया था।
ऐसा 15 मिनट चला होगा, मेरे मुँह से गरम गरम सांसें निकल रही थी और मैं अपने पैरों को सिकोड़ रही थी !
पहली बार चुदवाने के चक्कर में मेरे मुंह से अजब अजब आवाजें निकल रही थी !
देवाशीष ने अब अपना एक हाथ मेरे पैरों से फेरते फेरते मेरी चूत के ऊपर सहलाना शुरु कर दिया।
मैं बोली- देवाशीष, प्लीज उधर कुछ मत करो, मैंने अभी तक कुछ भी नहीं किया है !
मेरी इच्छा तो पूरी थी लेकिन जानबूझकर नाटक कर रही थी।
लेकिन देवाशीष नहीं माना और मेरा चूत से मेरा हाथ हठा कर बाजू में कर दिया और मेरे पायजामे का नाड़ा खोल दिया और उसे अपने पैरों से निकाल दिया !
मैं भी इसी मौके का इंतजार कर रही थी, अब मुझे कोई झिझक नहीं हो रही थी।
उसने चड्डी के ऊपर से ही मेरी चूत को चाटना शुरु कर दिया, अब मैं पूरी तरह से लंड लेने के लिए तैयार हो गई थी ! चुदवाने के चक्कर में मैंने आज पहले ही नहाते समय अपने चूत के बाल भी साफ़ कर लिए थे जिससे मेरी चूत पूरी तरह चिकनी थी।
उसने थोड़ी देर चूत चाटने के बाद मेरी चड्डी भी निकाल दी और अपने भी पूरे कपड़े उतार कर नंगा हो गया !
अँधेरा होने की वजह से उसका लंड दिख तो नहीं रहा था लेकिन उसने अपना लंड मेरे हाथ में थमा दिया और मैंने उसे आगे-पीछे करना शुरु कर दिया था, बड़ा मोटा लंड था और बहुत हीटर के जैसा गरम हो गया था !
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैंने उसे कहा- देवाशीष, जो भी करना है, कर डालो ! लेकिन जल्दी, अब मुझे बरदाश्त नहीं हो रहा है !
वो मेरे पैरों के तरफ आ गया और मेरे दोनों पैरों को अपने कन्धों पर उठा लिया। उठाने के बाद उसने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा !
वैसे ही मेरे मुँह से जोर की चीख निकली- …ओह्ह्ह माँ, मर गई मई…
और मेरे आँखों से आँसू निकल आये !
मैं बोली- प्लीज देवाशीष, निकालो इसे, नहीं तो मैं मर जाऊँगी !
देवाशीष बोला- कुछ नहीं होगा तुम्हें, पहली बार है ना इसीलिए दर्द हो रहा है, तुम चुप हो जाओ, मैं आराम आराम से करता हूँ, थोड़ी देर के बाद तुम्हें अच्छा लगेगा !
दो मिनट रुकने के बाद उसने धीरे-धीरे मेरी चूत को चोदना शुरु किया, अब भी मुझे दर्द हो रहा था लेकिन पहले से कम था ! हौले-हौले उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
अब मुझे अच्छा लग रहा था, मैं बोली- देवाशीष, डालो, और डालो ! आज मेरी इच्छा पूरी कर दो !
अब देवाशीष ने जोर-जोर से चोदना शुरु कर दिया, मैं भी अपनी गांड उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी।
आह्ह… आह्ह्ह… ओह्ह्ह… माह्ह्ह…
ऐसे ही 15 मिनट तक चला, अब तक मेरा पानी निकल चुका था, चूत गीली हो गई थी, अब देवाशीष का लंड भी आराम से अन्दर-बाहर हो रहा था !
थोड़ी ही देर के बाद उसके लंड ने मेरी चूत में गरम-गरम पानी छोड़ दिया ! हम दोनों भी ऐसे ही लेटे रहे ! उसके बाद जब मैं उठने की कोशिश करने लगी तो उठा नहीं जा रहा था, मैं पूरी तरह से अकड़ गई थी !
देवाशीष उठा और लाईट जलाई तो देखा कि पूरी चादर खून से भरी पड़ी थी ! मैंने वो चादर बदली कर दी और बाथरूम में जाकर अपनी चूत साफ़ करके आई !
उस रात हमने तीन बार चुदाई की और सुबह के चार बजे देवाशीष चुपके से मेरे घर से निकल गया।
दूसरे दिन मुझसे चलना भी नहीं हो रहा था, फिर भी ऐसा मौका मैं छोड़ने वाली नहीं थी ! इन तीन दिनों में हमने पूरी रातें चुदाई में निकाल दी !
अब मेरी शादी हो गई है और उसकी भी हो गई है ! जब भी मैं गाँव में आती हूँ तो अक्सर मौका मिलते ही कभी भी देवाशीष से चुदवा लेती हूँ या अगर मेरे पति घर पर नहीं रहे तब मैं उससे चुदवाती हूँ।
मेरे पति से ज्यादा मुझे देवाशीष के साथ सेक्स करना अच्छा लगता है !
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