गौने से पहले-1

ए के हुबली 2009-06-21 Comments

प्रेषक : ए के

मैं एक 32 वर्षीय पुरुष हूँ, उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ। मैं जैसे ही 22 साल का हुआ, मेरी शादी कर दी गई और मेरी शादी होते ही मुझे मुंबई में नौकरी मिल गई। और जैसा कि आप सब जानते ही होंगे कि हमारे यहाँ शादी में बीवी को विदा नहीं करते, तीन साल बाद गौना आता है। तब मुझे अकेले ही मुंबई जाना था।

उन दिनों मुंबई में हमारा कोई नहीं था पर हमारे पड़ोस के गाँव के रामू काका दादर में रहते थे तो मैं उनके पास चला आया और उनसे अपनी नौकरी के बारे में और रहने के बारे में बात की। उन्होंने मुझे कुछ दिनों तक अपने साथ रहने के लिए कहा, मैं भी तुरंत राजी हो गया क्योंकि मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था।

रामू काका अपनी बीवी और एक अठारह वर्षीय पुत्री के साथ काफी समय से मुंबई रहते थे। अब मैं भी इनके घर का एक सदस्य बन गया था। रामू काका का बाकी परिवार गाँव में रहता था। रामू काका की पुत्री नीरू मुंबई के नेशनल कालेज की छात्रा थी और बहुत ही खुले विचारों की थी, वो मुझसे बहुत मजाक किया करती थी पर मैं बड़ा ही शर्मीला और वहम वाला लड़का था, मेरे विचार भी गाँव के लड़के की तरह थे और तो और मुझे हर वक़्त डर सा रहता था कि कहीं मेरी किसी बात से रामू काका बुरा न मान जाएँ और मुझे कहीं और जाकर रहने को न कह दें। मैंने अपने काम पर जाना शुरू कर दिया।

दिन बीतने लगे, अचानक रामू काका के भाई की तबीयत कुछ ख़राब हो गई जिसके कारण काकी व काका को गाँव जाना पड़ा और उन्होंने नीरू को सँभालने की जिम्मेदारी मुझे दे दी पर बात तो एकदम उलटी थी, नीरू ही मुझे सँभालने वाली थी क्योंकि मैं ठहरा गाँव का !

मेरे मन में कभी भी नीरू के लिए कोई गलत विचार नहीं था पर वो शहरी होने के नाते कुछ ज्यादा ही आगे थी। मैं और नीरू काका-काकी को स्टेशन पर छोड़ कर घर आये और काफी देर तक वो मुझे अपने कालेज के किस्से सुनाती रही, फिर उसने अपने बहुत से फोटो मुझे दिखाए।

एक बात कहता हूँ कि वो बला की सुन्दर थी और उसका भी ब्याह हो चुका था पर गौना नहीं गया था। यह उसके कालेज का आखिरी साल था।

रात का समय था, हमने खाना खा लिया था और मैं सोने की तैयारी कर रहा था पर वो मुझे जगाये रखकर कुछ और ही करवाना चाहती थी।

धीरे से वो मेरे बदन को सहलाने लगी, मुझे गुदगुदी होने लगी, मेरी बुद्धि काम नहीं कर रही थी कि वो क्या चाहती है सो मैंने भी उसको सहलाना शुरू कर दिया, मैंने सोचा यूँ ही मजाक-मस्ती कर रही होगी।

पर धीरे धीरे उसका हाथ मेरी कमर के नीचे जाने लगा तो मेरे बदन में मानो बिजली का झटका लगा। वो मुझसे सटने लगी और मेरे गाल पर एक चुम्बन जड़ दिया। फिर मुझे भी चूमने को कहा पर मुझे शर्म आ रही थी, मजाक मस्ती के आगे मैं नहीं जाना चाहता था क्योंकि मैंने फिल्मों में देखा था कि हीरो और हिरोइन जैसे ही एक दूसरे से चिपकते हैं, हिरोइन गर्भवती हो जाती है। बस इसी बात का डर मेरे मन में घर कर गया था कि नीरू गर्भवती हो गई तो रामू काका मुझे नहीं छोड़ेंगे, घर से निकाल देंगे और मेरे घरवाले भी मुझे मारेंगे।

पर नीरू कहाँ मानने वाली थी, उसने झट से मेरे शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए और साथ साथ अपने भी कपड़े निकालने लगी। कुछ ही पलों में हम बिल्कुल निर्वस्त्र हो गए थे और वो मुझे शांत करने मे लगी थी। ऐसा निर्वस्त्र बदन मैंने आज तक फिल्मो में भी नहीं देखा था, मैं तो दंग रह गया, जैसे मेरे होश ही उड़ गए हों।

ऐसी जवानी मैंने पहले कभी नहीं देखी थी, मुझे सेक्स का ज्ञान नीरू से मिला, वो मुझे पटक कर मुझ पर चढ़ गई और अपने हाथो से मेरे लण्ड को ऊपर-नीचे करने लगी, मुझे दर्द सा महसूस हो रहा था क्योंकि मैंने तब तक मुठ भी नहीं मारी थी।

उसकी गोलाइयाँ बहुत बड़ी थी, मैं उसकी चूचियों से खेलने लगा।

अब मेरा लण्ड भी फुंफकार रहा था और अपनी मंजिल पाने को बेकरार हो रहा था, उसने अपने हाथों से पकड़कर मेरे लंड को अपनी बुर में रखकर जोर से धक्का मारा और मेरे मुँह से चीख निकल गई जैसे किसी ने मेरा कुछ फाड़ दिया हो, चीखी जोर से वो भी और नीचे-ऊपर होने लगी।

धीरे धीरे हम कहीं और जाने लगे अब चारों तरफ आनन्द ही लग रहा था। वो अपने चूतड़ों को खूब हिला रही रही थी और मैं भी मस्त होकर उसका साथ दे रहा था। एक पल ऐसा आया कि हम जोर जोर से हाफ़ने लगे और एक दूसरे में समां गए। फिर तो जैसे मुझे धुन ही लग गई और मैंने रात भर में उसे छः बार चोदा।

दूसरे दिन न मैं काम पर गया और ना ही वो कालेज गई, हमने साथ साथ स्नान किया और रात के काम को दोहराया।

आगे क्या हुआ ? अगले भाग में आप पढ़ पाओगे तब तक के लिए यह गाँव का लड़का आपको नमस्कार करता है।

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