पहली बार चुदाई मौसी के साथ
(Pahli Bar Chudai Mausi Ke Sath)
दोस्तो, मेरा नाम तेजस्व है. ये मेरी पहली और रियल सेक्स स्टोरी है. आपको कैसी लगी, पढ़ने के बाद ज़रूर बताना.
मैं बचपन से ही पढ़ाई में अच्छा था. मैं दिखने में भी अच्छा था और मेरा रंग भी गोरा था, इसलिए कई लड़कियां मेरी फ्रेंड थीं. लेकिन उस समय मैं सेक्स के बारे में नहीं जानता था.
वक्त के साथ धीरे-धीरे मैं बड़ा होता गया. जब मैं जवान हुआ तो सेक्स की इच्छा भी मन में होने लगी. स्कूल में दोस्तों से सेक्स की बातें भी सुनता था. दोस्त अपनी सेक्स स्टोरी बताते थे … लेकिन मुझे ये बातें थोड़ी अच्छी लगती तो थोड़ी बुरी भी, क्योंकि घर में यही बताया जाता था कि इस तरह की बातें करना गंदी बात होता है. लेकिन संगत और कमउम्र का असर होने लगा था.
इस समय तक मेरा क्लास की लड़कियों को देखने का नज़रिया भी बदल गया था. अब जब भी किसी लड़की को देखता तो मेरी नज़र उसके मम्मों पर ही टिक जाती थीं और मन में सेक्स करने की इच्छा होने लगती थी. लेकिन किसी से कह नहीं पाता था.
बात उन दिनों की है, जब मैं 11 2वीं क्लास में था. मैं उस समय एकदम जवान पट्ठा हो गया था. वो सर्दियों के दिन थे. उस दिन जब मैं स्कूल से लौट कर घर आया तो पता चला कि मेरी दूर के रिश्ते की मौसी आई हुई हैं. वो मेरी हम उम्र ही थीं. मैंने उन्हें देखा तो बस देखता ही रह गया.
क्या बला की माल थीं. उनका गोरा रंग, पतला शरीर, मस्त मम्मे, उठी हुई गांड आह … दिल खुश हो गया.
मम्मी ने मेरे और मौसी के लिए खाना लगा दिया था. हम दोनों खाना खाते- हुए बातें कर रहे थे. बात ही बात में ही पता चला कि वो 12वीं क्लास में हैं.
मौसी इतनी खूबसूरत थीं कि बस मैं उनसे प्यार कर बैठा. लेकिन मैं कहने से डर रहा था कि कहीं वो बुरा ना मान जाए.
रात हुई … पापा अलग कमरे में सो गए. एक बेड पर मैं सो गया, बगल की खाट पर मेरी माँ और मौसी लेट गईं. हम अपनी-अपनी रज़ाई में दुबके हुए थे. मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं अपनी मौसी से प्यार का इज़हार करना चाह रहा था लेकिन डर रहा था.
फिर हिम्मत जुटा कर मैंने उनके हाथ पर अपना हाथ रखा, उन्होंने कुछ नहीं कहा तो मुझमें थोड़ी हिम्मत आ गई. मैंने उनका हाथ थोड़ा सा दबाया … इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा तो मैंने उनका हाथ धीरे-धीरे सहलाना शुरू कर दिया … पर मौसी ने कोई रिएक्शन नहीं किया. मैं समझ गया कि वो भी कुछ चाहती हैं.
मैंने धीरे से उसके कान में ‘आई लव यू …’ कहा तो उन्होंने मेरा मुँह दबा दिया. मौसी को डर था कि कहीं बगल में लेटी मम्मी सुन ना लें. मैं समझ गया. मैंने उनका हाथ धीरे से अपनी रजाई के अन्दर कर लिया लिया और उनकी उंगलियों को चाटने लगा. जब मुझे लगा कि अब मम्मी सो गई हैं तो मैंने मौसी के मम्मों पर हाथ रख दिया और दबाने लगा.
मौसी के चूचे बहुत ही मस्त थे. मैं पहली बार किसी लड़की के मम्मों को छू रहा था. मेरा लंड पूरा टाइट हो गया था. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. लेकिन मौसी सेक्स करने को अभी राज़ी नहीं थीं … शायद उन्हें कुछ डर था. अब तक हम दोनों एक-दूसरे के बारे में बहुत कम जानते थे.
अगले दिन रविवार था … इसलिए हमने एक-दूसरे से बहुत सारी बातें की. मौसी अब मुझसे बहुत खुल गई थीं.
रात हुई … सब सोने लगे लेकिन आज ना तो मेरी आँखों में नींद थी, ना ही मौसी की. कुछ देर बाद मैंने उन्हें अपनी रज़ाई में बुला लिया. डर हम दोनों को लग रहा था कि कहीं मम्मी जाग ना जाएं. ये मेरी जिंदगी में पहली बार हो रहा था. जब मैं किसी जवान लड़की के साथ एक ही बिस्तर पर लेटा था.
मैंने धीरे-धीरे उनके हाथों को सहलाना शुरू किया, वे मुझसे चिपक गईं. मैंने अपने होंठ उनके कोमल और गुलाबी होंठों पर रख दिए. मैं फिल्मों में चूमा-चाटी के सीन कई बार देख चुका था. सो थोड़ा आइडिया था. मेरा मन कर रहा था कि हम एक-दूसरे को यूं ही बांहों में जकड़े हुए पड़े रहें.
मैं मौसी के गुलाबी होंठों को बहुत देर तक चूसता रहा. कुछ देर बाद मौसी ने मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी. कभी मैं उनकी जीभ को चूसता, तो कभी वो मेरे होंठ चाटती रहीं. उस समय हम दोनों जन्नत की सैर कर रहे थे.
यह मेरा पहला चुम्बन था तो बहुत नया लग रहा था. मैं मौसी के साथ जिंदगी भर यूं ही किस करते रहना चाहता था.
फिर धीरे से मैंने अपना हाथ उनके चूचे पर रख दिया. मौसी के चूचे मीडियम साइज़ के थे.
धीरे-धीरे हम अपने होश खोते जा रहे थे. हम दोनों की साँसें गर्म और तेज हो रही थीं. मेरा लंड पैन्ट फाड़ कर बाहर आना चाह रहा था. मैं अपने हाथ धीरे से उनके पेट पर ले गया और उनकी नाभि में गुदगुदी करने लगा तो वो उछल पड़ीं. मैंने जैसे ही अपना हाथ और नीचे ले जाना चाहा, तो उन्होंने मुझे रोक दिया. मैं समझ गया कि मौसी अभी ऊपर ही मज़ा लेना चाहती हैं.
मैंने उनकी ब्रा को खोल दिया और उनके मम्मों को आज़ाद कर दिया. मैं पहली बार चूचियों को देख रहा रहा था, सो मैं तो ऊपर वाले की इस नियामत को देखता ही रह गया.
मौसी के दोनों मस्त उभार देख कर मुझे नशा सा चढ़ रहा था. मैं उन दोनों उभारों के ऊपर टंके हुए सबसे मस्त मूंगफली के दाने के बराबर गुलाबी रंग की घुंडियों को मसलने लगा. अगले ही पल मैं तो उन पर लगभग टूट ही पड़ा और निप्पलों को चाटते हुए मींजने लगा. मैं अपने जीवन में पहली बार किसी लड़की के दूध दबा रहा था सो मुझे होश ही नहीं रहा कि इसमें दर्द भी हो सकता है, मैं बहुत तेज दबाने लगा तो मौसी दर्द से कराहने लगीं.
फिर मैं बस मौसी के दूध हौले से सहलाने लगा. धीरे-धीरे मैंने अपनी जीभ से उनका पूरा पेट चाटा चूमा. वो पूरी तरह मदहोश हो चुकी थीं और मुझसे बेल की तरह लिपट गई थीं.
मैंने इसी बीच उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया तो वो शर्माने लगीं. मैं उन्हें किस करने लगा और रात के अंधेरे में ही उनकी चड्डी भी उतार दी. चड्डी के उतरते ही वो अपनी बुर ढकने लगीं.
मैंने समय ना गंवाते हुए अपने सारे कपड़े उतार दिए और उनसे चिपक गया. जैसे ही मैंने लंड को उनके शरीर को छुलाया, वो तो एकदम से पागल हो गईं. उनकी साँसें गर्म और तेज हो गईं.
मैंने नीचे को होकर अपने होंठ उनकी बुर पर रखा … तो दोस्तों की सारी बातें याद आने लगीं. मौसी की बुर जैसी भट्टी की तरह गर्म हो गई थी. मुझे बुर के छेद का अंदाज़ा नहीं था इसलिए मौसी ने अपने हाथ से मुझे अपनी बुर का रास्ता दिखाते हुए मेरी उंगली अपनी बुर के छेद में लगा दी.
मैं बुर के स्पर्श से दंग रह गया. मौसी की बुर फूल से भी कोमल थी. उनकी बुर पानी से पूरी तरह गीली हो चुकी थी. मैं समझ गया था कि मौसी चुदाई के लिए तैयार हैं.
मैंने सबसे पहले अपनी एक उंगली को उनकी बुर में डाली और अन्दर-बाहर करने लगा. कुछ देर बाद उन्होंने खुद मेरा लंड अपनी बुर के छेद पर रखवा लिया. मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उनकी बुर पर लंड से हल्का दबाव बनाया तो लंड फिसल गया. मैंने फिर ट्राइ किया तो लंड हल्का सा अन्दर घुस गया. लंड के अन्दर घुसते ही वो छटपटा उठीं और मुझसे अलग होने की कोशिश करने लगीं. मैंने उन्हें जोर से पकड़ किया और एक धक्का दे मारा. वो बहुत जोर से चीखने को हुईं … लेकिन उनकी आवाज़ बाहर ना आ सकी.
मैं मौसी के होंठों पर अपने होंठ लगाए हुए था. अब मैं उनकी चुदाई किए जा रहा था. उनके हाथ के नाख़ून मेरी पीठ में गड़ रहे थे. मौसी मेरे लंड के कारण छटपटा रही थीं और उनकी कुंवारी बुर से खून बह रहा था … वो दर्द से तड़फ रही थीं.
कुछ देर बाद जब उनका दर्द कुछ कर कम हुआ तो मैंने एक जोरदार झटका मारते हुए अपना पूरा लंड मौसी की बुर में उतार दिया. वो एक बार फिर पागलों की तरह तड़फने लगीं, लेकिन चीख बाहर ना आ सकी. मुझे पता था कि उनको बहुत दर्द हो रहा है … लेकिन मैं मौका हाथ से खोना नहीं चाहता था.
मैं मौसी को लगातार किस किए जा रहा था और उनकी चूचियों को सहला रहा था. कुछ देर बाद जब मौसी का दर्द कम हुआ तो मैं मस्ती से धक्के लगाने लगा. अब वो भी गांड उठा कर मेरा साथ दे रही थीं. कुछ समय बाद मौसी मुझसे बहुत जोर से चिपक गईं और अकड़ कर ढीली हो गईं.
मुझे उनकी बुर से निकलता गर्म पानी उनके झड़ने का अहसास करा रहा था. कुछ देर मैं उन्हें चोदता रहा. तभी मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अन्दर से कोई लावा फटने वाला है. मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी … कुछ ही धक्कों के बाद मैंने अपना सारा पानी उनकी बुर में गिरा दिया … और उनसे चिपक कर लेट गया.
दो जवान दिलों का मेल हो गया था. वो मेरी बांहों में पिघलती रहीं.
मैं आज अपनी सारी हसरतों को पूरी करना चाह रहा था. अभी हम दोनों टीन एज वाले थे, सो दिलों में खूब जोश था. कुछ देर बाद हम दोनों ने फिर से सेक्स किया.
सुबह होने से पहले वो फिर मम्मी की रज़ाई में घुस गईं.
मौसी के संग चुदाई की कहानी आगे भी है … आपके इस सेक्स स्टोरी पर मेल मिलने के बाद मैं उसे भी लिखूँगा.
मेरी पहली चुदाई की कहानी कैसी लगी ज़रूर बताएं.
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