पहला प्यार, पहला चुम्बन, पहला सम्भोग

(Pahla Pyar, Pahla Chumban, Pahla Sambhog)

बात तब की है जब मैं इंजिनियरिंग कर रहा था। मैंने दूसरे साल में प्रवेश लिया तो साथ ही मेरा ज़ूनियर बैच भी आ गया।
उसमें एक लड़की भी थी जो बहुत खूबसूरत थी पर मेरा इंटरेस्ट भी उसमें नहीं था।

मैं अपने कॉलेज में बहुत फेमस था खास तौर से ज़ूनियर के बीच में क्योंकि मैंने कभी किसी ज़ूनियर को परेशान नहीं किया।
सभी मुझसे खुलकर बात करते थे, वो लड़की भी…
उसके साथ साथ मैं गर्ल्स हॉस्टल भी जाने लगा।
धीरे धीरे मैं गर्ल्स हॉस्टल में भी मशहूर हो गया।

उस लड़की का नाम आरती (काल्पनिक नाम) था, उसकी हाइट 5’6″ थी और साइज़ 32-26-30 था, मैं और आरती धीरे धीरे बहुत ज़्यादा करीब आ गये, हम दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया, हम रोज़ मिलने लगे कभी कॉलेज में कभी कॉलेज के बाहर!

एक साल बाद मैंने हॉस्टल छोड़ दिया और बाहर कमरा लेकर रहने लगा। आरती मुझसे मिलने अब वहाँ आने लगी।
मेरे मकान मलिक बहुत खुले विचारों के थे इसलिए उन्हें उसके आने में कोई परेशानी नहीं हुई।

एक दिन आरती मेरे कमरे पर आई हुई थी और बातों ही बातों में हम दोनों बहुत करीब आ गये। बातों ही बातों में कब हम दोनों एक दूसरे से गले लग गये पता ही नहीं चला।

मैंने उसे उस दिन उसके गाल पर चुम्बन किया, उसके बाद उसने मेरे होठों पर चुम्बन किया.. मेरी ज़िंदगी में यह मेरा पहला एहसास था।
फिर हम दोनों ने एक दूसरे को जी-भर कर किस किया, बहुत अच्छा लगा उस दिन!

फिर शाम को वो हॉस्टल चली गई।

उस रात मैं उसके चुम्बन को याद करके सो नहीं पाया।
अब वो लगभग वो रोज़ आने लगी, रोज़ हम लोग खूब मज़े करते थे।

एक दिन उसका प्लान रात में मेरे कमरे पर रुकने का बन गया।लेकिन दोस्तो हम दोनों का ही दिल बहुत साफ था, हम दोनों ने कभी सेक्स के बारे में कभी सोचा ही नहीं था।

उस रात भी हमने खूब चूमाचाटी की।
रात के करीब 11 बजे हम दोनों टीवी देख रहे थे, पहली बार मेरा हाथ उसे किस करते हुए उसके कुर्ते के अंदर चला गया या यह कहो कि मैंने खुद ही डाल दिया।

जब उसने कोई विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने सबसे पहले टीवी बंद किया क्योंकि उससे थोड़ी रोशनी हो रही थी।

अब कमरे में बिल्कुल अंधेरा था, मैंने आरती को बेड पर लिटाया और अपने होंठ उसके होंठों से मिला दिए, उसके बाद हम दोनों कहाँ खो गये थे, यह हमें भी नहीं पता था।

उसके मुँह से केवल एक ही आवाज़ निकल रही थी… उउम्म म्म्म्ह्ह ह्ह्ह्हाआ आआआ..
उसे किस करते हुए मेरा दाहिना हाथ उसके कुर्ते के अंदर धीरे से चला गया। पहली बार किसी लड़की की कमर पर हाथ रखा था।

मेरा लिंग पूरी तरह से खड़ा हो गया था। थोड़ी देर तक मैं उसकी कमर को सहलाता रहा, फिर धीरे से उसके सीने पर हाथ ले गया।

यार मत पूछो… इतना गोल और चिकना… मैंने कभी नहीं सोचा था कि लड़कियों के बूब्स इतने सेक्सी होते होंगे।
जोश में आकर मैंने उसे ज़ोर से दबा दिया और वो चीख पड़ी- प्लीज़ ! ऐसे मत दबाओ, लगता है…
‘फिर कैसे दबाऊँ?’ मैंने पूछा।

‘अपना मुँह यहाँ लगाओ और मुँह से दबाओ।’

अब मैंने उसका कुर्ता उपर उठा दिया और ब्रा का हुक खोलने लगा तो उसने मना कर दिया और कहा- इसे मत खोलो!

और फिर उसने ब्रा को ऊपर खिसका दिया, उसके दोनों बूब्स मेरे सामने थे, मैंने भी देर नहीं की, अपनी टीशर्ट उतारी और उससे लिपट गया और उसके बूब्स को चूसने लगा।
इतना मज़ा मुझे इससे पहले कभी नहीं आया था।

फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गये।

इस रात भी कुछ नहीं हुआ था हम दोनों के बीच…

सुबह हुई तो हम दोनों ने फिर से रात की कहानी दोहराई, पर इस बार हम दोनों थोड़ा खुल गये थे और वो भी कम शरमा रही थी।
ऐसे ही चलता रहा।

एक दिन उसने कहा कि वो हॉस्टल छोड़ कर बाहर रूम लेना चाह रही है, कोई रूम ढूँढने को कहा।
मैंने अपनी ही कॉलोनी में ही एक ऐसा रूम ढूँढा जहाँ मेरे आने जाने में कोई दिक्कत ना हो!

एक महीने बाद वो उस रूम में शिफ्ट हो गई, अब हम दोनों बिल्कुल आज़ाद थे कुछ भी करने के लिए!
अब हम दोनों लगभग साथ में ही रहने लगे, कभी वो मेरे रूम पर और कभी मैं उसके रूम पर…
मैं कई बार रात को उसके रूम पर ही रुक जाता था।

धीरे धीरे सर्दियों का मौसम भी आया… दिसंबर की रात थी तारीख मुझे याद नहीं… हम दोनों मूवी देख कर आए थे, आते ही उसने चाय बनाई और हम दोनों ने साथ बैठ कर पी।

अब हम दोनों के बीच बातें कम और प्यार ज़्यादा होता था।
आज उसने स्कर्ट और टॉप पहन रखा था, रात को मैं उसके साथ ही सोया, रज़ाई क अंदर जाते ही ना जाने आज मुझे क्या हो गया, उसका टॉप उठा कर उसके बूब्स चूसने लगा और एक हाथ से उसका स्कर्ट धीरे धीरे ऊपर उठाने लगा।

पर उसने एक हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया- नहीं!
मैं- क्यूँ क्या हुआ?
आरती- डर लगता है…
मैं- डरो मत, मैं हूँ ना!
आरती- नहीं… आज नहीं।
मैं- अच्छा ठीक है… आज नहीं!

मैं उसकी स्कर्ट के ऊपर से ही उसकी जाँघों को सहलाता रहा। उसके बूब्स में ऐसा टेस्ट था जो मैं बता नहीं सकता।

मैंने उसे किस करते हुए उससे कहा- अपनी जीभ निकालो, मुझे चूसनी है…
उसने किस करते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, वो अहसास मैं कभी नहीं भूल सकता।

काफ़ी देर तक चूसने के बाद उसने मेरी जीभ अपने मुँह में ले ली और ऐसे चूसने लगी जैसे अभी खा ही जाएगी।
इसी दौरान मैंने अपना हाथ नीचे की तरफ से उसकी स्कर्ट के अंदर डाल दिया और उसकी जाँघों को सहलाने लगा।
हम दोनों किसी दूसरी दुनिया में खो चुके थे।

उसकी जाँघों को सहलाते हुए बड़ा मज़ा आ रहा था, बहुत ही चिकनी जांघें थी उसकी..

मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी पैंटी पर रख दिया… उसने तुरंत मेरा हाथ झटक दिया और बोली- नहीं… आज नहीं… मुझे बहुत डर लग रहा है… कुछ हो गया तो!
‘कुछ नहीं होगा.. मैं हूँ ना… डरो मत… और मैं सिर्फ़ छू कर ही तो देख रहा हूँ! कुछ नहीं करूँगा, भरोसा रखो…’ मैं बोला।
और इस बार हम दोनों फिर रज़ाई के अंदर थे।

अब तक मैंने उसका टॉप और ब्रा उतार दिए थे और उसके शरीर पर चुम्बन ले रहा था। अब मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना सिर उसके पैर के पास ले गया और दोनों हाथों से उसके पैर पकड़ लिए और धीरे धीरे हाथ ऊपर जाने लगा।

जैसे जैसे उसकी जांघें पास आ रही थी, मेरा लिंग फूलता जा रहा था।

अब मैंने उसकी स्कर्ट पूरी उठा दी थी और उसकी जांघें मेरे सामने थी… मैंने भी प्यार से उसकी जाँघों को जी भर कर चूमा और एक ही झटके में उसकी स्कर्ट नीचे खींच दी।
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अब वो मेरे सामने सिर्फ़ पैंटी में थी।
मैंने उसे ऊपर से लेकर नीचे तक चूमना शुरू कर दिया।

अब मैंने अपनी पैंट उतारी और उसके शरीर से लिपट गया और उसे पागलों की तरह चूमने लगा।
अब तक वो भी गर्म हो चुकी थी।

मैंने उससे पूछा- आरती! सेक्स करोगी?
उसने कोई जवाब नहीं दिया।

मैंने फिर पूछा.. उसने फिर कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने धीरे से उसकी पैंटी नीचे खिसका दी।
जब उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने उसकी पैंटी पूरी उतार कर अलग कर दी।
अब तक हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे।

मैं उसके उपर चढ़ गया और उसको किस करने लगा.. धीरे से मैंने अपना लिंग जो 7 इंच का है और बहुत मोटा भी है (यह मुझे आरती ने ही बाद में बताया था) उसकी योनि पर रखा और बोला- आरती ! डाल दूँ…?

वो धीरे से बोली- ..जैसी आपकी मर्ज़ी…
मैं बोला- अपनी टांगें फैला लो…
उसने अपनी टाँगें फैला ली… मैंने अपने लिंग को थोड़ा धक्का दिया और वो चीख पड़ी- उउउइईई ईईईई माआआआ आआ मर गई… प्लीज़ थोड़ा धीरे से… बहुत लग रहा है।

उसने मुझे ज़ोर से पकड़ रखा था।
अब मैं समझ चुका था कि लिंग को अंदर डालना इतना आसान नहीं है।
मैंने दुबारा कोशिश की… फिर से धक्का लगाया, लेकिन वो फिर से चीख पड़ी- उउउइई ईईईईई माआ आआआआ…

मैंने धीरे धीरे कई बार कोशिश की लेकिन कुछ नहीं कर पाया।
फिर मैं लिंग को उसकी योनि पर रगड़ने लगा, इसमें उसे और मुझे दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था।

मैंने फिर से उसे किस करना शुरू किया और उसकी जीभ अपने मुँह में ले ली और ज़ोर से पकड़ ली।
उसे भी जीभ चुसवाना अच्छा लग रहा था।

मैंने लिंग को रगड़ते रगड़ते धीरे से उसकी योनि पर ले गया और पूरी ताक़त से एक जोरदार धक्का दिया और मेरा 70% लिंग अंदर चला गया।
वो उउम्म्म्मम ममम मममम मममम… करती रह गई क्योंकि उसकी जीभ मैंने अपने मुँह में दबा रखी थी.. वो चीख नहीं सकी।

जब मैंने जीभ छोड़ी तो वो रोते हुए बोली- सर प्लीज़! इसे अभी निकालिए! बहुत दर्द हो रहा है… मैं मर जाऊँगी!
मैं प्यार से बोला- कुछ नहीं होगा… रो मत… यह दर्द ज़िंदगी में एक बार होता है इस दर्द का मज़ा लो…

मेरे इतना कहते ही वो शांत हो गई और मैंने भी एक और ज़ोर का झटका दिया और बाकी का लिंग भी अंदर डाल दिया।
अब मैं बिल्कुल स्वर्ग में था।

फिर वो कहती रही- निकालो… निकालो दर्द हो रहा है…
पर मैंने उसकी एक ना सुनी… उसकी चीखें सुनकर मुझे ना जाने क्यूँ अच्छा लग रहा था।
मैं उसके ऊपर चढ़ कर झटके देता रहा।

यह हम दोनों की ज़िंदगी का पहला सेक्स था।

करीब दस मिनट बाद वो शांत हो गई और फिर वो भी मज़े लेने लगी।
बीस मिनट तक सेक्स करने क बाद मेरे स्पर्म बाहर आकर उसके अंदर जा चुके थे लेकिन मेरा लिंग बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।

मैंने अपने लिंग को उसके अंदर से निकाला नहीं और धीरे धीरे अंदर बाहर करता रहा।

मैं थक चुका था।
हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे और मैं सो गया..

वो उठ कर बाथरूम चली गई… उस अंधेरे कमरे में मुझे नहीं पता चला कि उसकी योनि से खून निकाला या नहीं!
वो बाथरूम से आई और मेरे साथ सो गई।

हम दोनों रात भर नंगे ही सोते रहे।
दो बजे रात में हम लोगों ने फिर से सेक्स किया, इस बार वो चीखी नहीं पर थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा था।

सुबह होते ही आठ बजे हमने फिर सेक्स किया। हम दोनों पूरी तरह से थक चुके थे।

जब सुबह मैंने देखा कि बिस्तर पर खून गिरा हुआ है… तब मैंने आरती को बताया और उसने बेडशीट चेंज की।

सुबह के दस बज रहे थे वो नहाने जा रही थी, तब मैंने बोला- आरती ! आज हम दोनों साथ में नहाते हैं।

‘धत्त ! गंदे…’ वो बोली।

मैंने ज़बरदस्ती उसे पकड़ा और बाथरूम में घुस गया।
उस सर्दी के मौसम में पता नहीं क्यूँ मेरा नहाने का मन कर रहा था।
अंदर घुसते ही मैंने शावर चालू किया और उसे भिगो दिया ताकि वो बाहर ना जा सके।

अब हम दोनों ही भीगे हुए थे और एक दूसरे को किस कर रहे थे।
मैंने उसका कुर्ता उतार दिया और अपनी टी-शर्ट भी जो पूरी तरह से भीग चुकी थी उतार कर फेंक दी।
उसका भीगा हुआ बदन अब मेरे बदन से चिपका हुआ था… और वो मेरे सीने पर किस कर रही थी… उसने मेरी पैंट उतार दी और मेरे लिंग को हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी।

मैंने भी उसकी सलवार उतारी और हम दोनों वहीं लेट गये। उस मौसम में हम दोनों को ठंड लग रही थी लेकिन एक दूसरे की गर्मी अच्छी लग रही थी।

हम दोनों ने एक दूसरे को नहलाया और फिर मुझे चूमते हुए वो नीचे की ओर जाने लगी, मेरे लिंग के करीब जाकर कर रुक गई और लिंग को किस किया…
मेरी तो जैसे जान ही निकल गई…

उसके धीरे से मेरे लिंग को अपने मुँह में लिया और एक बार चूस कर छोड़ दिया।
‘और करो ना आरती!’ मैं बोला।
आरती- नहीं! बस!
‘प्लीज़…’ मैं बोला।
आरती- अच्छा ठीक है…

फिर उसने मेरे लिंग को मुँह में लेकर जो चूसना शुरू किया, मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया… मैंने अपने दोनों हाथ उसके सिर के पीछे लगा दिए ताकि मैं उसे धक्का दे सकूँ और अपना पूरा लिंग उसके मुँह में दे सकूँ!
मैंने किया भी ऐसा ही!

उसने इस तरह चूसा कि मेरा वीर्य उसके मुँह में ही निकल गया, उसने वहीं पर तुरंत अपना मुँह धोया.. उसे वीर्य का स्वाद अच्छा नहीं लगा।
उसे थोड़ा अच्छा लगे इसलिए मैंने उसके होंठों पर देर तक किस किया और उसकी जीभ भी चूसी।

लेकिन उस दिन मुझे बहुत मज़ा आया।
अब वो कुछ फ्रेश लग रही थी।

नहाने के बाद हम दोनों ने खाना खाया और सो गये।

उसके बाद मैं रोज़ रात में उसके रूम पर जाने लगा और रोज़ हम दोनों मज़े करने लगे।
यह सिलसिला दो साल तक चलता रहा।

यह सच्ची कहानी कैसी लगी… ज़रूर बताइएगा…
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