मेरी चालू बीवी-31
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इमरान
सलोनी ने मधु का हाथ पकड़ कर खींच कर सीधे मेरे तने हुए लण्ड पर रख दिया और बोली- तू भी तो पागल है.. बदला क्यों नहीं लेती… तू भी देख ..कि कहीं तेरे भैया ने तो सूसू नहीं की.. हे हे हे हे…
सलोनी के इस करतब से मैं भौंचक्का रह गया.. और शायद मधु भी…
हाथ के खिंचने से वो सलोनी के ऊपर को आ गई थी.. सलोनी ने ना केवल मधु का हाथ मेरे लण्ड पर रखा बल्कि उसको वहाँ पकड़े भी रही कि कहीं मधु जल्दी से हटा न ले…
मधु का छोटा सा कोमल हाथ मेरे लण्ड को मजे दे ही रहा था कि अब मधु ने भी मेरी समझ पर परदा डालने वाली हरकत की…
उसने कसकर अपनी छोटे छोटे हाथ से बनी जरा सी मुट्ठी में मेरे लण्ड को जकड़ लिया…
मधु- हाँ भाभी, आप ठीक कहती हो… क्या अब भी भैया सूसू कर देते हैं बिस्तर पर?
सलोनी- हा हा… हाँ बेटा… तुझे क्या पता कि ये अब भी बहुत नालायक हैं.. ना जाने कहाँ कहाँ मुत्ती करते हैं… मेरे कपड़े तक गीले कर देते हैं…
मैंने मधु के हाथ को लण्ड से हटाने की कोई जल्दी नहीं की… लेकिन कुछ प्रतिवाद का दिखावा तो करना ही था इसलिए..
मैं- तुम दोनों पागल हो गई हो क्या?? यह क्या बकवास लगा रखी है?
तभी मधु मेरे लण्ड को सहलाते हुए अपना हाथ लण्ड के सुपाड़े के टॉप पर ले जाती है.. उसको कुछ चिपचिपा महसूस हुआ… मेरे लण्ड से लगातार प्रीकम निकल रहा था…
मधु- हाँ भाभी.. आप ठीक कह रही हो… भैया ने आज भी सूसू की है.. देखो कितना गीला है…
सलोनी- हा हा हा…
मैं- हा हा… चल पागल…फिर तो तूने भी की है ..अपनी देख वहाँ भी कितनी गीली है…
शायद सलोनी जैसी समझदार पत्नी बहुत कम लोगों को मिलती है… मेरा दिल कर रहा था कि जमाने भर की खुशियाँ लाकर उसके कदमों में डाल दूँ…
मेरे लण्ड और मधु की चूत के गीलेपन की बात से ही वो समझ गई कि हम दोनों अब क्या चाहते हैं… उसने बिना कुछ जाहिर करे मधु को एक झटके से अपने ऊपर से पलटकर मेरी ओर कर दिया और खुद मधु की जगह पर खिसक गई।
फिर बड़े ही रहस्यमयी आवाज में बोली- ..ओह तुम दोनों ने मेरी नींद का सत्यानाश कर दिया… तू इधर आ और अब तुम दोनों एक दूसरे की सूसू को देखते रहो.. कि किसने की और किसने नहीं की सूसू…
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मधु एकबारगी तो बौखला सी गई पर बाद में सीधी होकर लेट गई…
मैं समझ नहीं पा रहा था कि कुछ बोलूं या नहीं…
मैंने घूमकर देखा कि सलोनी वाकयी दूसरी और करवट लेकर लेट गई थी…
अब मैंने मधु के चेहरे की ओर देखा… उसके चेहरे पर कई भाव थे… उसकी आँखों में वासना और डर दोनों नजर आ रहे थे..
जबकि होंटो पर हल्की मुस्कुराहट भी थी…
मेरे दिल में एक डर भी था कि कहीं सलोनी कुछ फंसा तो नहीं रही…
मगर पिछले दिनों मैंने जो कुछ भी देखा और सुना था… सलोनी का वो खुला रूप याद कर मेरा सारा डर निकल गया…
मैंने झुककर मधु के पतले कांपते होंठों पर अपने होंठ रख दिए…
मधु तो जैसे सब कुछ करने को तैयार थी… लगता है… इस उम्र में उसकी वासना अब उसके वश से बाहर हो चुकी थी…
वो लालायित होकर अपने मुँह को खोलकर…मेरा साथ देने लगी…
मैं उसके ऊपर तिरछा होकर झुका था… उसका बायां हाथ मेरे लण्ड को छू रहा था…
अचानक मैंने महसूस किया कि उसने फिर से अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को पकड़ लिया है… उसकी बेचैनी को समझते हुए मैं उसके होंठों को छोड़कर ऊपर उठा… मैंने उसकी समीज की ढीली आस्तीन को उसके कंधो से नीचे सरका दिया…
मधु इतनी समझदार थी कि वो तुरंत समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ…
उसने अपने दोनों हाथों से अपनी आस्तीन को निकाल दिया…
मैंने उसके सीने से समीज को नीचे कर उसकी नाजुक छोटी छोटी चूचियों को एक ही बार में अपनी हथेली से सहलाया…
मधु बहुत धीरे से- अहा… आआ…
उसकी समीज उसके पेट पर इकट्ठी हो गई थी…
मैंने एक बार फिर समीज नीचे को की…
मधु ने सलोनी की ओर देखते हुए अपने चूतड़ को उठाकर अपने हाथ और पैर से समीज को पूरा निकाल दिया…
सलोनी अपने नंगे चूतड़ को उठा हमारी ओर करवट लिए वैसे ही लेटी थी… उसकी साँसें बता रही थी कि वो सो गई है या सोने का नाटक कर रही है…
मेरा कमर से लिपटा कपड़ा तो कब का खुलकर बिस्तर से नीचे गिर गया था…
कहानी जारी रहेगी।
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