मूत्र-विसर्जन के चक्कर में चुद गई सोनम
मेरा नाम शेखर है, ग्रेटर नॉएडा में रहता हूँ, मेरी उम्र 22 साल है।
मैं एक अच्छा-खासा नौजवान हूँ, मेरी ऊँचाई 5’10” की है।
यह मेरी पहली कहानी है। यह बात तब की है जब मैंने 12वीं क्लास के इम्तिहान दिए थे। इम्तिहान के बाद गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थीं।
मेरी एक दोस्त जिसका नाम सोनम था, जो एक अमीर घराने से थी, उसने मुझे अपने फार्म हाउस पर चलने को कहा जो शहर से काफी दूर था।
वहाँ हम अक्सर जाया करते थे, वहाँ स्वीमिंग किया करते थे और रात में मूवीज देखा करते थे।
उस दिन भी शाम को 4 बजे चल दिए और हम वहाँ 6 बजे पहुँच गए।
वहाँ पर पता चला कि केवल चौकीदार है जो बस जाने वाला ही था।
उसने हमें चाबी दी और चला गया।
उसके बाद हमने कुछ खाया और हर बार की तरह इस बार भी हम तैरने लगे।
अब आगे की कहानी मेरी उसी दोस्त सोनम की जुबानी सुनिए।
मैं और शेखर तैराकी कर रहे थे और एक-दूसरे से रेस भी कर रहे थे।
काफी देर रेस करने के बाद मुझे सूसू लगी और मैंने शेखर को टॉयलेट तक चलने को कहा, क्योंकि स्विमिंग पूल फार्म-हाउस से करीब 50 फुट की दूरी पर था और टॉयलेट उधर ही घर के अन्दर था।
उस वक्त अंधेरा भी हो गया था इसलिए मुझे डर लग रहा था।
लेकिन शेखर ने जाने से मना कर कर दिया, मैंने उससे प्यार से याचना की तब भी उसने कहा- एक बार मुझे रेस में हराओ, तब चलूँगा।
मैं क्या करती, उसे हराने की कोशिश में लग गई और हम दोबारा से रेस करने लगे।
मुझे बहुत तेज सूसू आ रही थी, मैं ज्यादा जोर नहीं लगा पा रही थी और मैं रेस हार गई।
बार-बार इसी तरह रेस होती रही और मैं 10-15 बार रेस हार गई और अब मुझे बहुत ही ज्यादा तेज सूसू आने लगी और मैं थोड़ा रुक गई तो शेखर मुझे चिढ़ाने लगा और मुझे लूजर कहने लगा।
यह सुनते ही मुझमें नया जोश आने लगा और मैं फिर से मैदान में उतर गई और हम फिर से रेस करने लगे।
लेकिन मैं फिर 5-6 रेस हार गई।
अब पता नहीं क्या हुआ कि अब मुझे सूसू नहीं आ रही थी।
अब बस एक अजीब सी चीज मेरी चूत में फंस गई हो, ऐसा मुझे लग रहा था और मैं फिर से रेस करने लगी।
इस बार मैंने उसे हरा ही दिया। मुझे इस जीत की ऐसी खुशी हुई जैसे मैंने माउंट एवरेस्ट फतेह कर लिया हो।
शर्त के मुताबित हम दोनों अन्दर जाने लगे और मैं टॉयलेट में चली गई।
मैंने शेखर को बाहर ही खड़े रहने को कहा और मैंने अपना स्विम सूट उतारा और पॉट पर बैठ गई और जोर लगाने लगी। लेकिन न जाने क्यों मैं सूसू नहीं कर पाई और अब मुझे मेरी चूत में और भी बड़ी चीज फंसी हुई लगने लगी।
मुझे दर्द होने लगा, तभी बाहर से शेखर ने आवाज लगाई और मैं बाहर निकल आई लेकिन मेरी चूत में तो जैसे डंडा घुसा हुआ लग रहा था।
उसके बाद शेखर टॉयलेट में चला गया और उसके मूतने की आवाज बाहर तक आ रही थी।
मेरा मन कर रहा था साले का लंड ही काट दूँ, क्योंकि मेरी इस हालत का वही जिम्मेदार था।
तभी इतने में वो बाहर निकल आया और मैं फिर से अन्दर चली गई।
फिर से जोर लगाने लगी और मैंने इतनी जोर से ताकत लगाई कि मेरी चीख निकल गई।
फिर शेखर की आवाज आई- क्या हुआ?’
तो मैंने मना कर दिया और बाहर निकल आई, लेकिन अब भी वो टॉयलेट का डंडा मेरी चूत में ही था और बाहर आने के बाद मैंने जोर से शेखर के गाल पर एक चांटा रसीद कर दिया और जमीन पर बैठ कर रोने लगी।
मुझे रोते देख कर शेखर ने पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने उसे सारी बात बता दी।
अब शेखर ने कहा- कभी-कभी ज्यादा देर तक सूसू रोकने की वजह से वो नहीं हो पाता लेकिन कोशिश करने से हो जाता है, तुम फिर से कोशिश करो।
मैं टॉयलेट में चली गई और फिर जोर लगाने लगी, लेकिन वो तो ऐसे अटक गया था, जैसे कुते का लंड कुतिया की चूत में अटक जाता है।
मैं बाहर आ गई और शेखर को बताया।
शेखर- एक आईडिया है लेकिन..!
सोनम- लेकिन क्या..! मुझे कुछ नहीं पता.. तुम कुछ करो वरना मैं मर जाऊँगी।
शेखर- ठीक है अपना स्विम सूट उतारो और टॉयलेट के फर्श पर लेट जाओ।
सोनम- तुम्हारे सामने मैं नंगी कैसे हो जाऊँ..? मुझे शर्म आती है।
शेखर- और कोई चारा नहीं है।
मैंने जल्दी से अपना स्विम-सूट उतारा और टॉयलेट के फर्श पर लेट गई।
उसके बाद शेखर मेरे पास बैठ गया और मुझे देखने लगा।
मैं बता दूँ कि उस वक्त मेरी उम्र 18 की थी और हाइट 5’5” थी। मेरा साइज़ 32-26-34 था और मेरा रंग एकदम गोरा, ऐसा कि अगर छू लो तो मैला हो जाए।
शेखर तो जैसे एक मूरत बन गया.. शायद उसने पहले कभी किसी लड़की को नंगा नहीं देखा था।
मैं जोर से चिल्लाई- मुझे बाद में देख लियो.. बहनचोद पहले मेरी चूत का कोई इंतजाम कर!’
उसने ‘सॉरी’ बोला।
फिर शेखर मेरी चूत के पास आया और मेरी चूत के बालों में ऊँगली फिराने लगा और बोला- एकदम तनाव रहित हो जाओ और धीमे-धीमे पेशाब करने की कोशिश करो… ज्यादा जोर मत लगाना।
फिर वह एक ऊँगली मेरी चूत जो कि एक लाइन जैसी थी, के ऊपर चलाने लगा और वहीं घुमाने लगा।
उसके बाद मैंने कोशिश की तो मैं धीमे-धीमे पेशाब करने लगी और इस दौरान मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं और मैं पूरे 5 मिनट तक मूतती रही।
मुझे ऐसा लग रहा था मानो मैं जन्नत में सैर कर रही होऊँ।
उसके बाद जब मैंने सूसू कर ली, तो मैंने आँखें खोलीं तो देखा शेखर पूरा मेरे पेशाब से भीग गया है और मैं जोर से हँसने लगी।
तो शेखर ने मुझे याद दिलाया कि मैं नंगी हूँ तो शर्म के मारे मैं जाने लगी, तो शेखर ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
शेखर- मेरी फीस?
सोनम- मिल जाएगी.. नॉएडा चल कर एक अच्छी सी पार्टी दे दूँगी।
शेखर- मैंने तुम्हारी मदद यहाँ की है मुझे फीस भी यहीं चाहिए।
सोनम- हाँ बोल.. क्या चाहिए तुम्हें।
शेखर- एक लम्बा सा चुम्बन।
चुम्बन की बात सुन कर मैंने सोचा कि चुम्बन ही तो मांग रहा है दे देती हूँ और मैंने ‘हाँ’ कह दी।
उसके बाद वह खड़ा हुआ, उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरे होंठों को चूमने लगा।
पहले उसने मेरे ऊपर के होंठ को अपने मुँह में लिया और अपने दांतों के बीच में धीमे-धीमे दबाने लगा, मेरे शरीर को और जोर से दबाने लगा, चूंकि मैं नंगी थी मेरी चूचियाँ उसकी छाती से दबने लगीं।
मैं जानबूझ कर थोड़ा हिलने लगी जिससे मेरी चूचियाँ रगड़ खाने लगीं।
मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरी जीभ को चूसने लगा।
मैंने उसकी मदद की और मैंने भी अपनी जीभ उसको सौंप दी।
अब उसने अपना एक हाथ मेरी चूचियों के ऊपर रख दिया और दबाने लगा।
उसने मेरी चूची के निप्पल को दबाया और फिर मेरी चूची को बड़े ही आराम से दबाने लगा।
मेरा तो हाल बेहाल था मेरी चूत गीली हो गई थी।
पता नहीं कब मेरा हाथ मेरी चूत के ऊपर पहुँच गया और उसे दबाने लगी।
मेरी इस हरकत को देख कर शेखर ने मेरा हाथ पकड़ लिया, वो मेरी झांटों में ऊँगली फेरने लगा।
मैंने भी आगे बढ़ कर उसके लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी उसका लंड 6” लम्बा और 2.5’मोटा था उस वक्त भी हम चुम्बन कर रहे थे और मेरी चूत में ऊँगली डालने लगा।
चूंकि अभी तक मैंने अपनी चूत में कभी ऊँगली नहीं डाली थी इसलिए उसकी ऊँगली आराम से अन्दर नहीं जा रही थी।
फिर उसने मुझे वहीं फर्श पर लिटा दिया।
अब मेरी चूत के ऊपर उसने मुँह रख दिया और अपनी जीभ चलाने लगा। वो कभी मेरी झांटों में, कभी मेरी चूत के ऊपर, कभी मेरी चूत में जीभ डालने लगा और मेरी चूत के दाने को छेड़ने लगा।
मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी और ही दुनिया में हूँ।
उसके बाद उसने अपनी ऊँगली पर थूक लगाया और मेरी चूत में मलने लगा।
मुझे दर्द होने लगा और मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और फिर छोड़ दिया और बोली- प्लीज आराम से.. अभी कुँवारी है।
फिर उसने और थूक मेरी चूत पर गिराया और मेरी चूत की लाइन पर ऊँगली फेरने लगा।
वो दूसरे हाथ की ऊँगली से मेरी झांट को सहलाने लगा।
फिर उसने अपनी थोड़ी सी ऊँगली अन्दर डाली और उसे वहीं हिलाने लगा।
मुझे बहुत ही मजा आ रहा था, मेरे मुँह से ‘आह आह्ह्ह्ह प्लीज् ओह..’ निकला।
फिर उसने और ऊँगली आगे घुसेड़ी और फिर उतने में ही आगे-पीछे करने लगा।
फिर बाहर निकाली और थूक मेरी चूत पर गिराया और ऊँगली गीली की और फिर डालने लगा। इस बार उसने अन्दर-बाहर करते हुए पूरी ऊँगली अन्दर कर दी और फिर जोर-जोर से हिलाने लगा और मेरे मुँह से एक जोर की सिसकारी निकली- अह्ह्ह्ह्ह्स्स्स्स्स्स्स ओह अह अह.. ऐसे ही करते रहो बड़ा मजा आ रहा हे और जोर से और जोर से अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह और जोर से फाड़ दो साली को.. बड़ा बम्बू अटका लेती है साली हाँ ऐसे ही ओह्ह्ह्ह्ह्..’
मुझे तो ऐसा मजा पहली बार आया था और फिर अचानक मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं- ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह साले चोद भेन्चोद फाड़ दे ओह मैं गई’ और मैं झड़ गई।
मैं 5 मिनट ऐसे ही पड़ी रही।
अब मेरा नम्बर था। वो खड़ा हुआ और अपना अंडरवियर उतार दिया और उसका फनफनाता हुआ लंड मेरे सामने था।
वो मुझसे बोला- इसे आइसक्रीम और लॉलीपॉप की तरह चूसो।
मैंने उसका लंड अपने हाथों में लिया और आगे-पीछे किया। मेरे कोमल हाथों की वजह से वो पूरे जोश में आ गया।
फिर मैंने उसके लंड का सुपारा अपने मुँह में लिया और दांतों से हल्के-हलके काटने लगी।
‘अह्ह्ह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह्ह् ऐसे ही करती रहो..’
उसने मेरा सिर पकड़ लिया और पूरा लंड मेरे हलक तक उतार दिया।
जब तक ऐसा किया, जब तक मुझे खांसी नहीं आ गई।
लेकिन उसके ऐसा करने से मुझे भी एक अलग ही मजा मिल रहा था।
उसके बाद तो मैं उसे ऐसे ही मुँह से चोदती रही, कभी लॉलीपॉप की तरह चूसती तो कभी आइसक्रीम की तरह चाटती, कभी उसकी झांटों को खींचती और वो दर्द से कराह जाता।
फिर लंड को मुँह में ले लेती और वो शान्त हो जाता।
ऐसे ही हम 5 मिनट करते रहे और वो बोला- मैं गया।
वो ‘अह्ह्ह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह्ह् एह्ह्ह्ह्ह..’ करते हुए मेरे मुँह में ही झड़ गया।
फिर भी मैं उसे चूसती रही, जब तक की उसकी आखिरी बूंद भी मेरे मुँह में न गिर गई।
उसके बाद वो फिर मेरी चूत के पास जीभ चलाने लगा और उसने अपना लंड मेरे मुँह की तरफ कर दिया।
मैं समझ गई मुझे क्या करना है और उसका मुरझाया हुआ लंड फिर से खड़ा होने लगा और मेरी चूत फिर से हरी होने लगी।
वो फिर से पानी छोड़ने लगी।
वो भी मेरी चूत चाटे जा रहा था और मेरे चूत के दाने को छेड़ रहा था। जैसे ही वो मेरे दाने को झेड़ता मुझे मानो जन्नत मिल जाती।
उसके ऐसा करने से मेरी चूत में ऐसा लग रहा था, जैसे कई हजार चींटियाँ घुस गई हो।
मैंने शेखर से कहा- कुछ करो यार.. मेरी चूत में आग लगी है.. मैं मर जाऊँगी।
तो वो मेरी चूत की तरफ आ गया और उस पर थूक लगा कर उसमें फिर से ऊँगली करने लगा और जैसे ही मैं चरम सीमा पर पहुँचने ही वाली थी, उसने ऊँगली करना बंद कर दिया।
मैं उसके सामने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज करो..’
तो वो उठा और शावर चला आया और मुझे उसके नीचे लिटा दिया।
मेरे गरम जिस्म पर वो पानी की बौछार ऐसी लगी जैसे यही जिन्दगी है बाकी सब तो बेकार है.. बस चुदाई करते रहो.. चोदते रहो और चुदवाते रहो।
उसके बाद उसने अपना गरम लंड मेरे चूत के ऊपर रख दिया।
मुझे ऐसा लगा जैसे उसने कोई गरम सरिया रख दिया हो और मेरे मुँह से ‘आआअह्हह्ह’ निकल गई।
उसने बड़े ही प्यार से उसने जोर लगाया वो पानी की गिरती बूँदें और लंड के घुसते ही होने वाला दर्द बड़ा ही मनमोहक था।
उसके बाद उसने एक और धक्का लगाया।
इस बार मुझे लगा जैसे किसी ने मेरी चूत में चाकू डाल दिया हो। मैंने उससे कहा- आराम से..!
तो वो वहीं रुका रहा और वहीं धीरे-धीरे धक्का लगाता रहा और फिर उसने एक फिर जोरदार धक्का मारा और मैंने उसे पूरी ताकत से अपने से अलग करने की कोशिश की लेकिन उसने बड़ी ही मजबूती से मुझे पकड़ रखा था।
उसके बाद वो मेरे चूचे दबाने लगा और फिर मुझे थोड़ा आराम मिला।
उसने इस बार पूरा लंड बाहर निकाला और पूरी ताकत से अन्दर दे मारा। इस बार तो मुझे ऐसा लगा मानो अभी मुँह से बाहर निकल आएगा।
मैं रोने लगी और उससे बोलने लगी- प्लीज बाहर निकाल लो बहुत दर्द हो रहा है।’
तो उसने बताया- दर्द जितना होना था हो चुका है, मेरा पूरा लंड तुम्हारे अन्दर है।’
तब जाके मुझे थोड़ी सांत्वना मिली फिर वो मेरे दूधों को चूसने लगा और उन्हें दबाने लगा और उसके इस काम से मुझे मजा आने लगा।
अब मेरा दर्द भी थोड़ा कम होने लगा और मैंने अपने चूतड़ थोड़े उचकाए, वो समझ गया और उसने भी अपना लंड चलाना शुरू कर दिया।
लंड को बाहर निकलता, अन्दर डालता तो ‘अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह’ की आवाज मेरे मुँह से निकलती।
उसके ऐसा करने से मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।
मैं उससे बोल रही थी- फाड़ दो.. फाड़ दो.. साली को फाड़ दो।’
मेरे मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थीं जिससे उसे दुगना जोश मिल रहा था।
मेरे मुँह से हर धक्के पर ‘अह्ह्ह्ह्ह् करते रहो’ निकलता और अब तो वो पूरा बाहर निकाल कर अन्दर डालने लगा।
मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा, मेरे मुँह से सिसकारियाँ और उसके मुँह से गरम साँसें.. आह्ह.. बहुत मजा आ रहा था।
अब उसने अपना लंड बाहर निकाला और मुझे कुतिया की तरह उल्टा कर दिया और पीछे से चोदने लगा और फिर से ‘ओह अह्ह्ह्ह प्लीज् करते रहो’
ऐसे ही धक्के लगाते हुए मेरे दूधों को भी मसलना शुरू कर दिया।
अब तो मन कर रहा था कि मेरे इन चूचों को कोई काट ले जाए.. रेलगाड़ी के नीचे रख दे.. टक्कर मार दे.. माल गाड़ी मेरे दूधों में..
मैं उससे कह रही थी- और मसलो..’
मेरे चूचे बहुत ही कड़े हो गए थे।
ऐसे ही करते हुऐ हमने एक बार फिर अपनी अवस्था बदली और इस बार अब वो मुझे पीछे से लेटे हुए चोद रहा था उसने मेरी टाँगें उठा रखी थी और धक्के पर धक्के मारे जा रहा था।
अब उसकी और मेरी सिस्कारियों से पूरा गुसलखाना गूंज रहा था। ऐसा लग रहा था मानो कोई इंजन का पिस्टन चल रहा हो और उसी तरह की आवाज भी आ रही थीं।
वो ऐसे ही धक्के पर धक्के मारने लगा और मैं नीचे से उसका साथ देती रही।
करीब 10 मिनट के बाद वो बोला- मैं गया।
उसने लंड बाहर निकाला और आगे से डालते हुए फिर से चोट मारने लगा और उसने अपनी रफ्तार तेज कर दी और वो झड़ने लगा और उसके साथ ही मैं भी झड़ने लगी।
इस दौरान में 2 बार पहले भी झड़ गई थी। उसके उस कामरस से मेरी चूत में ऐसा लगा मानो सूखी धरती पर बाढ़ आ गई हो।
वो ऐसे ही 5 मिनट मेरे ऊपर लेटा रहा और उसके बाद जब उसने अपना लंड बाहर निकाला तो ‘फच’ की आवाज हुई और फिर हम दोनों एक साथ नहाए।
उसने और मैंने दोनों ने एक-दूसरे को ‘थैंक्स’ बोला और फिर रात को 4 बार और चुदाई किया।
मेरी कहानी आपको कैसे लगी, मुझे मेल करें।
What did you think of this story??
Comments