मेरी पहली चुदाई कैसे हुई
(Meri Pahli Chudai Kaise Hui)
मेरा नाम निशा साहू है, मैं अभी 9 मई 2017 को 18 साल की हुई हूँ, हमारी फैमिली में मैं मेरे मम्मी पापा और एक भाई है जो मुझसे 1 साल बड़ा है पर हम दोनों दोस्त की तरह रहते हैं.
पापा का बिजनेस है और मम्मी हाउसवाइफ हैं, मैं और मेरा भाई एक ही कॉलेज में साथ साथ पढ़ाई करते हैं.
अपने बारे में बता दूं- मैं गोरी चिट्टी और हेल्दी लड़की हूँ, फिगर मीडियम आकार की और कमर 28 की है, चलती हूँ तो गांड अच्छे से हिलाती हूँ, कम उम्र होने के बाद भी 20-22 की लगती हूँ इस कारण मेरे क्लास के ऊपर के लड़के प्रपोजल लेकर आया करते थे पर मैं उन पर ध्यान नहीं दिया करती थी.
मेरी एक सहेली है मानसी, जिसे अपनी सारी बातें मैं शेयर करती हूँ और वो थोड़ी चालू टाइप की है. पर मेरे साथ नार्मल रहती है, मैं पढ़ाई में अच्छी हूँ और क्लास में अच्छे नंबर लाती हूँ इस कारण कॉलेज में भी चर्चे होते हैं मेरे!
अब कहानी पर आती हूँ.
मेरी सहेली मानसी के कई बॉयफ्रेंड रह चुके हैं और वो एकदम खुलकर रहती है. मेरी मम्मी हमेशा कहा करतीं है कि उससे दूर रहा कर, वो लड़की ठीक नहीं है, तुझे बिगाड़ देगी. पर मैं उनकी बात नहीं सुनती क्योंकि मानसी मुझे कभी गलत काम के लिए नहीं कहती और ना ही मैं करना चाहती हूँ.
हम मतलब मैं और मेरा भाई दोनो एक रूम में सोते हैं और मम्मी पापा दूसरे रूम में! एक रात क्या हुआ कि रात को मैं पानी पीने के लिए उठी तो मम्मी की तेज आवाज सुनी जो उनके कमरे से आ रही थी, मैंने सोचा इतनी रात को मम्मी ऐसे क्यों चीख रही हैं. पास जाकर देखी तो दरवाजा अंदर से लॉक था और मैंने साइड में बने होल से देखी तो अंदर देखा कि मम्मी पापा दोनों नंगे होकर कुछ कर रहे हैं, मम्मी पूरी नंगी नीचे लेटी हैं और पापा पूरे नंगे उनके मूतने की जगह पे अपना लंड डालकर धक्के दिए जा रहे हैं.
यह देखकर मुझे लगा कि ‘मेरे अंदर कुछ हो रहा है’ और मेरी चूत गीली होने लगी. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था मेरे साथ.
मम्मी ‘और जोर से … और जोर से …’ कह रहीं थीं और पापा धक्के ऊपर धक्के लगाए जा रहे थे.
मैं डर कर अपने रूम में भाग गई और जाकर सोने की कोशिश करने लगी पर मेरे चेहरे के सामने पापा मम्मी की हरकतें नजर आ रहीं थीं, मुझे अंदर से कुछ कुछ होना चालू हो गया. फिर मैं कब सो गई पता नहीं चला.
सुबह मैं मम्मी से पूछना चाहती थी पर मम्मी हमेशा गुस्से में बात किया करतीं थीं तो मैंने पूछना ठीक नहीं समझा और तैयार होकर कॉलेज चली गई. पर रात वाली बात बार बार याद आ रही थी, तो मैंने अपनी सहेली मानसी को वो बात बोली और पूछा- वो क्या कर रहे थे रात में?
वो बोली- सब जानती है तू … फिर भी ऐसा नाटक क्यूं कर रही है निशा?
मैं बोली- अरे मुझे नहीं पता कुछ भी, तू बता ना?
मानसी बोली- उसे चुदाई कहते है पगली! और वैसा सब करते हैं, तेरे मम्मी पापा, मेरे मम्मी पापा सब लोग करते हैं. उनके पास लाइसेंस होता है करने का और हम लोगों के पास नहीं है इसलिए हम लोग बॉयफ्रेंड बनाती हैं चुदाई करने के लिए, अब समझी!
“हा यार … मतलब तू भी चुदाई करती है मानसी अभी से?”
मानसी- हाँ, मैं तो कई बार कर चुकी हूँ.
मैं बोली- यार उनकी चुदाई देखकर मेरी चूत से पानी निकाल रही थी रात को.
मानसी- मतलब अब तू भी चुदाई करेगी मेरी रानी!
“हाँ यार लेकिन किस से? मेरा तो कोई बॉयफ़्रेंड भी नहीं है, किससे चुदूँगी?
“हो जाएगा सब, कल से सब लड़कों को लाइन देना शुरू कर दे. कोई ना कोई आएगा शहीद होने!”
मैंने कहा- ओके, कल से लंड की खोज शुरू!
फिर मैं कॉलेज से छुट्टी के बाद घर आ गयी, रात वाली बात से मेरी वासना जाग गयी थी जो अब तक शांत थी. मैं अब लंड के सपने देखने लगी कि कब कोई लंड वाला मेरी चूत की गर्मी शान्त करेगा.
दूसरे दिन से में कॉलेज में जाकर हर किसी लड़के को देखकर स्माइल देने लगी, पर सब बदले में स्माइल देकर निकल जाते थे क्योंकि मैं शरीफ लड़की थी इसलिए लोग अब भी मुझे शरीफ ही समझ रहे थे.
फिर 2 हफ़्तों के लंबे इंतज़ार के बाद 12वीं का लड़का आकाश मुझे प्रपोज़ करने आया, वो मुझे काफी दिनों से देखता रहता था पर कुछ नहीं बोलता था.
उसने मुझे प्रपोज़ किया तो मैंने तुरंत हां बोल दी.
फिर मैं मिलने के मौके ढूंढने लगी. फिर वो दिन भी आ गया.
कॉलेज में लंच के टाइम उसने अपने एक दोस्त को बोला कि मिलने के लिए रूम चाहिए, हमें रूम मिल गया. मैं खुश थी बहुत कि आज मेरी लंड की भूख और मेरी चूत की प्यास खत्म होगी और मज़े करूँगी बहुत! फिर हम दोनों उसके दोस्त के रूम में मिलने गए, जो कॉलेज के ही पास में था.
जैसे ही हम दोनों रूम में पहुंचे, वो मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरे होंठों को जोरदार किस करके लगा. पहली बार किसी ने मुझे ऐसा किस किया था, मेरे तन बदन में आग सी लग गयी और मैंने उसको सीधे बोल दिया – जल्दी मुझे करो अब रहा नहीं जाता है मैं कबसे तुमसे कराने के लिए मर रही हूँ, मुझे चोदो आकाश!
वो मेरे चूतड़ों को दबाने लगा इससे मुझे बहुत मज़ा आने लगा, मेरी चूत अब गीली होकर बहना शुरू हो चुकी थी.
उसने मेरे शर्ट को ऊपर उठा के निकाल दिया. मैंने उस दिन अंदर काली समीज और नीली ब्रा पहनी थी, वो मेरी शमीज के ऊपर से ही मेरे दूध को दबाने लगा, मैं पूरे जोश में आकर सिसकारियां लेने लगी, वो जोर जोर से दूध दबाये जा रहा था और मेरे होंठों को चूमे जा रहा था.
फिर उसने मेरी समीज उतारनी चाही पर मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं अभी तक किसी के सामने नंगी नहीं हुई थी, मुझे शर्म आ रही थी.
तो वो बोला- ठीक है!
फिर वो शमीज को ऊपर उठाकर मेरे दूध को ब्रा के ऊपर से दबाने मसलने लगा.
मैं अपने होश खो रही थी जोश के मारे … मैं इतनी चुदासी हो गयी थी. मैं बोली- जल्दी करो यार, वापस कॉलेज भी जाना है.
फिर उसने मुझसे बेड पर लिटा दिया और मेरी पजामे का नाड़ा खोलने लगा खोलते खोलते उसने नाड़ा उलटे टाइट कर दिया. मैं हंसी और मैंने अपना नाड़ा खुद ही खोला. फिर उसने मेरे पजामे को नीचे कर दिया, अब मैं मेरे आशिक़ के सामने ऊपर उठा शमीज, उसके अंदर नीली ब्रा और काली चड्डी में थी.
यह देखकर वो भी जोश में आ गया और उसने झट से मेरी चड्डी भी नीचे कर दी.
अब मेरी प्यारी सी छोटी चूत उसके सामने खुली पड़ी थी वो मेरी चूत को अपनी उंगलियों से छूने लगा तो मैं बोली- यार, अपने लंड से छुओ, उंगली से नहीं!
वो मुस्कुराया और अपनी पैन्ट और चड्डी निकाल दी. उसका लौड़ा अपने आकार को प्राप्त कर चुका था.
और इधर मैंने भी अपनी ब्रा को ऊपर करके अपने नंगे संतरों के दर्शन उसे कराये, वो उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगा, मैं उसके सिर की अपने छाती में दबाने लगी.
उसने फिर धीरे से मेरी चूत की तरफ हाथ बढ़ाकर एक उंगली मेरी चूत में डाल ही दी तो मैं कसमसा गई.
मेरी चूत एकदम टाइट थी, उसकी उंगली ठीक से अंदर नहीं जा पा रही थी, वो फिर भी कोशिश करता रहा और उसकी उंगली मेरे अंदर तक चली गई.
मैंने कहा- बस, अब मत तड़पा! चोद मुझे मेरे हीरो! चोद अपनी निशा को!
वो अपना लंड मेरी जांघों के बीच लेकर मेरी चूत के दरवाजे पर रगड़ने लगा, मेरी सांसें बढ़ने लगी. उसने अपना लंड घुसाना चालू किया पर वो फिसलकर कभी ऊपर कभी नीचे चला जाता. शायद वो भी अभी तक कुँवारा था, लड़की चोदने का अनुभव उसे भी नहीं था और चुदने का मुझे भी नहीं!
उसका लंड बार बार स्लिप हुए जा रहा था और मेरी चूत के रगड़ से और ज्यादा जोश के कारण वो मेरी चूत के दरवाजे पर ही अपना माल गिरा दिया. उसके लौड़े ने पानी फेंक दिया था और मैं गुस्से में बेड पर लेटी तड़प रही थी.
वो उठकर अपनी पैन्ट पहनने लगा तो मैंने कहा- करो न?
वो बोला- नहीं होगा आज, किसी और दिन करेंगे.
“फिर भी करो प्लीज यार … मैं मर रही हूँ!” पर उस कमीने को रहम नहीं आया और वो मुझे अधूरे में ही छोड़कर चला गया. मैं नंगी बेड पर अपनी बिना चुदी फ़ुद्दी लेकर रो रही थी पर कोई चोदने नहीं आया!
फिर मैं अपनी बिना चुदी कुँवारी चूत लिए वापस कॉलेज आ गई.
मानसी- आज तो उद्घाटन करवाकर आ गयी मेरी रानी?
मैंने कहा- नहीं रे … वो तो खेल के पहले ही आउट गया, उसका बल्ला डाउन हो गया.
फिर वो बोली- हाँ होता है कभी कभी … बिना खेले ही खिलाड़ी आउट हो जाता है. ऐसा कर, कोई और देख जो अच्छे से खेले!
मैं अपना खराब मूड लेकर घर आ गई.
मम्मी ने कहा- आजकल तू अपनी उस सहेली के साथ ज्यादा बात करती है. देखना कहीं वो तुझे बिगाड़ न दे बेटी!
मैंने मन ही मन कहा- बिगाड़ तो आप लोगों के रात वाली खेल ने दिया है मम्मी! क्या करूं मैं?
मैं फिर फ्रेश होकर टीवी देखने लगी.
तभी मुझे मेरे पड़ोस वाले भैया की आवाज सुनाई दी, वो मेरी मम्मी से बातें कर रहे थे. उन भैया उनकी उम्र लगभग 23 की होगी, वो दिखने में स्मार्ट थे, बॉडी भी अच्छी थी. पर मैं उनसे ज्यादा बात नहीं किया करती थी, वो भैया एकदम स्ट्रिक्ट थे, मुझे पढ़ाई नहीं करने पर डांटा करते थे. भले ही वो मेरे घर के नहीं थे, फिर मेरे घर में उनकी सब रेस्पेक्ट किया करते थे. वो भैया पढ़ाई में काफी आगे थे.
मैं मम्मी के पास जाकर खड़ी हो गयी और उन लोगों की बातें सुनने लगी. बातें सुनते सुनते मैंने नोटिस किया कि वो भैया मुझे ऊपर से नीचे बड़े ध्यान से देख रहे थे फिर मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगे.
मैंने कहा- ठीक चल रहा है भैया!
मैं अक्सर घर में टाइट लेगिंग और टीशर्ट पहनती हूँ जिससे मेरे दूध साफ उभरे हुए नजर आती हैं, वो भैया शायद मेरे दूध को ही देख रहे थे.
तभी मुझे मानसी की बात याद आयी कि कोई नया लड़का चाहिए जो मेरी चूत की खुजली शांत करे. मुझे लगा कि ये मेरे भाईसाहब कैसे रहेंगे, वैसे भी सगे थोड़े हैं, पड़ोसी हैं तो अपनी छोटी बहन की चूत की भूख तो मिटा ही सकते हैं.
फिर मैंने उन्हें लाइन देना शुरू कर दिया. वो अक्सर मेरे घर आते रहते थे कुछ काम के बहाने तो मैं उनसे बातें किया करती थी. उनकी कोई गर्लफ्रैंड थी या नहीं, मुझे ये नहीं पता. फिर मैंने उनसे एक दिन पूछा- भैया, आपकी कोई गर्लफ्रैंड है?
तो उन्होंने ‘नहीं’ में जवाब दिया. मैं खुश हो गई कि चलो रास्ता साफ है.
फिर वो भैया जब भी मेरे घर आते, मैं उन्हें प्यारी सी स्माइल दे देती, वो भी हँस देते. मैं मौके ढूंढने लगी उनसे अकेले में बात करने के लिए!
एक दिन मौका मिल ही गया, हमारे घर की रसोई का बल्ब फ्यूज हो गया था, घर में मैं और मम्मी हम दोनों ही थीं तो मम्मी बोली- जा दुकान से बल्ब ले आ! और आते आते तेरे राहुल भैया को बुला के आना, वो बदल देगा.
मैंने बल्ब लिया और राहुल भैया को बुला लाई. फिर हम दोनों ने बल्ब को बदलना शुरू किया. पर भैया बोले – निशा स्टूल छोटी है, मेरे चढ़ने से टूट सकती है, तुम बल्ब बदलो, मैं स्टूल पकड़ता हूँ. मैंने ‘ठीक है!’ कहा और चढ़ गई स्टूल पे और बल्ब बदलने लगी.
इधर भैया मेरी हल्की सी ऊपर उठी टीशर्ट से मेरी अंदर झांकने की कोशिश करने लगे. मैंने भी थोड़ा सा गिरने का नाटक किया तो वे स्टूल के बजाय मेरी कमर को पकड़ के मुझे संभालने लगे. मुझे इससे गुदगुदी हुई तो मैं हंसी.
उन्होंने पूछा- ठीक हो?
मैंने हाँ कहा और बल्ब बदल दी।
फिर वो मेरे साथ मेरे कमरे में आये और अकेले पाकर मेरा हाथ पकड़ लिया. मैंने उनसे अपना हाथ छुड़ाया और कमरे से जाने लगी तो उन्होंने रोक के कहा- निशा, आई लव यू।
मैंने कुछ भी नहीं कहा और कमरे से बाहर निकल कर रसोई में चली गई जहाँ मम्मी चाय बना रहीं थीं।
“भैया के लिए भी चाय ले जा!” मम्मी ने कहा.
मैं उनके लिए चाय लाई और कमरे में बैठकर हम तीनों ने चाय पी. उनकी नजर मुझ पर ही टिकी थी, अच्छा है मुझे मेरे हीरो मिल गया जो रोज घर भी आ सकता है।
यह सोचकर मैं खुश थी और उनके सवाल का जवाब देने के लिए उतावली भी थी. पर वो दो दिन तक दिखे नहीं, शायद जवाब न पाकर या फिर अपनी गलती पर शर्मिन्दा होकर हमारे घर नहीं आ रहे हो!
पर मैंने उन्हें खोना नहीं चाहती थी इसलिए मैं उनके घर गयी, वो अपने रूम में पढ़ाई कर रहे थे, मैं चुपचाप अंदर चली गयी और कुर्सी पर बैठ गयी।
बोली- घर क्यों नहीं आये?
वो बोले- तुमने आने को नहीं कहा था।
मैंने कहा- अब से मत आना.
वो गुस्सा हो गए और मेरा हाथ पकड़कर बोले- तुमसे प्यार करता हूं निशा, तुम करती हो या नहीं?
मैंने कहा- आप मेरे भैया हो!
वो बोले- मैं तुम्हें चाहता हूँ.
पर मैं बोली- मैं आपसे कितनी छोटी हूँ।
वो बोले- कुछ नहीं होता है, तुम बताओ?
मैंने भी हाँ में सिर हिला दिया और उठकर जाने लगी तो उन्होंने मुझे पकड़ लिया और चूमने लगे, मैंने भी उन्हें किस कर दिया।
फिर मैं घर वापस आ गयी खुश होकर और अपनी उनके साथ चुदाई की सपने देखने लगी. फिर हम एक दूसरे को रोज देखकर लाइन मारने लगे. फिर एक दिन शाम को जब मैं कॉलेज से घर आई तो मेरे घर में ताला लगा हुआ था, बगल वाली आंटी ने चाबी देते हुए बताया कि मेरे मम्मी पापा और भाई तीनों नानी के घर गए हैं मेरी मामी को देखने! उनकी तबियत ठीक नहीं थी.
तो फिर मैं राहुल भैया को बुलाने गयी उनके घर और कहा- आज घर पे कोई नहीं है, आ जाओ मिलने।
वो मेरे साथ ही आ गए, मैंने घर के बाहर और पीछे के दरवाजे बंद किये और वो और मैं दोनों मेरे कमरे में एकदूसरे के साथ थे, उन्होंने मुझे गोद में उठा कर चूमना चालू कर दिया और बोले- कब से तुम्हे पाने के लिए मर रहा हूँ निशा! आज मिली हो तुम!
और मुझे बेड पर पटक दिया.
आज लग रहा था कि मेरी सारी हसरत आज पूरी होगी. वो मेरे ऊपर चढ़कर मेरे दूध को मसलने लगे और मेरे गुलाबी कमसिन होंठों को काटने लगे. उन्होंने मेरी टॉप को निकाल फेंका और मेरी लेगिंग्स को एक ही झटके में उतार दिया. मैं मेरे हीरो के सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी अपनी आंखों को मूँदे!
वो मेरी चूत को पेंटी के ऊपर से ही चाटने लगे जो गीली हो चुकी थी फिर मेरी पेंटी को भी निकाल दिया. मैं उनके सामने सिर्फ मेरी प्रिंटेड ब्रा में थी और अपनी दोनों हाथों से अपना चेहरा छिपा रही थी. फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी निकल दिया और अपने कपड़े निकलने लगे.
मैं उनका लंड देखने को मर रही थी. जैसे ही उन्होंने अपनी चड्डी निकाली, उसका लंबा सा लंड मेरे आंखों के सामने था, मैं उसे एकटक देखे जा रही थी. वो कितना बड़ा था, आज तो बहुत मज़ा आने वाला था.
वो मेरे चूत को चाटने लगे, मुझे अलग ही नशा चढ़ने लगा, वो फिर अपनी उंगली को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे, मैं सिसकारियां लेने लगी.
फिर उन्होंने बालों में लगाने वाला तेल को अपने लंड में और मेरी चूत में लगाया और अपना लंड मेरी चूत पे सेट करके जोर से धक्का दिया.
“मम्मी..ई.ईई..ई … ई..ई…ई”
मेरी जान निकल गई, उनका लौड़ा मेरी आधी चूत में लसलसा कर अंदर चला गया था और मेरी आँखों से आँसू की धार बहने लगी.
मैं चुद गई आज! और मेरी चूत फट गई थी उसके लौड़े से।
मैंने कहा- इसे बाहर निकालो, बहुत दर्द कर रहा है!
पर वो माना नहीं और जोर जोर से चोदता रहा. मेरे मुँह से बस एक ही बात निकल रही थी- दर्द हो रहा है … दर्द हो रहा है।
पर वो कहाँ सुनने वाला था, वो जम के शॉट लगाता रहा और आपकी निशा की प्यारी चूत का भोसड़ा बन गया चुद चुद के।
मम्मी पापा रात को दस बजे आये. तब तक वो भैया 3 बार चोद चुके थे. मेरी जान निकल गयी थी दर्द के मारे! पर वो चोदते रहे लगातार तीन-तीन बार!
आगे और हमने बहुत चुदाई की. लिखती रहूंगी. पसंद आई या नहीं मेरी कहानी? मुझे मेल करियेगा!
धन्यवाद.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments