मैं भी नई नई जवान हुई-1
(Mai Bhi Nai Nai Jawan Hui- Part 1)
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दोस्तो, मेरा नाम पूजा है और मेरी उम्र अभी 25 साल की है। 2 साल पहले मेरी शादी हो चुकी है पर मैं अपनी कहानी आपको तब की बता रही हूँ जब मैं नई नई कालेज में गई थी।
तब मैं बिल्कुल अनछुई थी मतलब तब तक कोई मुझे चोदा नहीं था।
तो चलते हैं आज से 6 साल पहले जब मेरी ये कहानी शुरू होती है।
दोस्तो, सबसे पहले आपको बता दूँ अपने बदन के बारे में … मैं गोरी हूँ फिगर 30-28-32 का था तब। मैं नार्मल सी लड़की थी न मोटी और न पतली … मेरे दूध भी ज्यादा बड़े नहीं थे, छोटे ही थे।
कालेज में मेरी ज्यादा सहेलियां नहीं बनी थी। उस समय बस सपना नाम की ही मेरी अच्छी सहेली थी, हम दोनों ही एक दूसरे से खुल कर हर बात किया करती थी।
वो भी दिखने में काफी सुन्दर थी।
हम दोनों को ही बहुत सारे लड़के लाइन मारा करते थे। मगर सपना ने मुझे साफ़ साफ़ कह दिया था कि यहाँ किसी भी लड़के से दोस्ती मत करना।
वैसे भी इन सब से मुझे बहुत डर लगता था कि घर वालों को पता लगा तो क्या होगा और बदनामी अलग होगी। इसलिए मैं ज्यादा किसी लड़के की तरफ ध्यान नहीं देती थी, बस अपने काम से काम रखती थी।
सपना की उम्र मुझसे 1 साल ज्यादा थी और वो चुदाई का मजा ले चुकी थी। मगर किसी को पता नहीं लगता था।
एक दिन बातों बातों में उसने मुझे बताया कि मैं फ्रेंडबुक में एक लड़के से मिली थी। वहीं से चुदाई तक बात गई और किसी को पता भी नहीं चला।
हम दोनों सहेलियों में अक्सर सेक्स से जुड़ी बातें हुआ करती थी।
एक दिन हम दोनों ऐसे ही बात कर रही थी और उसने मुझे अपनी चुदाई के बारे में बताया। मैं भी नई नई जवान हुई थी, उसकी वो बात हमेशा याद आती थी। अब मुझसे भी रहा नहीं जाता था सच कहूँ तो ऐसा उस उम्र में होता ही है। अब मैं हमेशा उससे सेक्स के विषय पर बात किया करती थी।
वो भी जान चुकी थी शायद मेरी भावनाओं को … तो एक दिन बोली- अगर तुझे भी करना है तो बोल, मैं कुछ करूँ?
मगर मेरे दिल में जो डर था, उसके कारण मैं मना करती रही।
मगर वो एक दिन बोली- क्यों न तू भी फ्रेंडबुक में जा और वहाँ किसी को तलाश कर ले और अपनी इच्छा को पूरा कर ले।
और उसने मुझे भी फ्रेंडबुक में जोड़ लिया, मेरी कुछ अच्छी फोटो भी उसमें लगा दी। बस उसमें मेरा नाम असली नहीं था और न ही मेरा पता।
उसमें मुझे लड़कों के बहुत सन्देश आते थे. मगर कुछ तो पसंद नहीं आते और कुछ को मैं अपने डर के कारण जवाब नहीं दे पाती थी.
बहुत दिनों तक ऐसा ही चलता गया।
फिर एक रात मैं फ्रेंडबुक चला रही थी, तभी एक सन्देश आया. उसके आईडी को ओपन करके देखा तो किसी रवि नाम का आदमी था उम्र 45 साल.
कुछ देर सोचने के बाद मैंने भी पहली बार उसका जवाब दे दिया. इस तरह हम दोनों के बीच बात शुरू हुई.
उन्होंने अपने बारे में बताया और मैंने अपने बारे में. वो दिल्ली के रहने वाले थे.
उस रात हम दोनों ने करीब 2 घंटे बात की और फिर मैं सो गई.
अगले दिन कालेज में मैंने सपना को ये बात बताई।
उसने कहा- अरे ये तो अच्छा है. तू उस अंकल को ही पटा ले क्योंकि वो यहाँ के रहने वाले भी नहीं हैं और वो ये सब बात गुप्त भी रखेंगे, तेरे को मजा भी बहुत देंगे क्योंकि वो काफी अनुभव वाले भी होंगे!
उसकी बात में तो दम था, मेरे मन में अब तो उनके प्रति वासना जाग गई थी. मेरी नई नई जवानी को लंड की बहुत जरूरत महसूस होती थी, मैं भी वासना में अन्धी हो चुकी थी.
उस रात मैं 9 बजे से उनके सन्देश का इन्तजार करने लगी मगर उनका सन्देश नहीं आ रहा था. मुझे तो जैसे वासना ने बहका दिया था, मेरी आँखों से नींद गायब हो चुकी थी.
तभी करीब 11 बजे उनका सन्देश आया. मैंने तुरंत ही उसका जवाब दिया और हम दोनों की बात शुरू हो गई।
उस रात जैसे वो भी मुझसे सेक्स की बात करना चाहते थे.
उन्होंने ही शुरुआत की, मेरा फिगर पूछा और मेरी कुछ फोटो मांगी. मेरी फोटो देखकर तो वो भी गर्म हो गए,
उस रात हम दोनों ने ही खुल कर सेक्स की बात की. सुबह के 4 बजे तक हम दोनों ने बात की. और ये सब अब तो रोज का काम हो गया.
ऐसे ही 2 महीने बीत गए। अब वो मुझसे मिलना चाहते थे। मैं भी तो यही चाह रही थी मगर उनसे कहाँ मिलूं, ये समझ नहीं आ रहा था.
इसके लिए मैंने फिर सपना का सहारा लिया.
उसने ही बताया कि किसी अच्छे से होटल में तुम दोनों मिल लो और तुझे घर से लाने की जिम्मेदारी भी मेरी।
कुछ ही दिनों में सपना के भाई की शादी थी. उसने कहा कि मौका अच्छा है, उनको बुला ले. तू शादी के बहाने मेरे घर आ जाना और यहाँ से ही उनसे मिलने भी चली जाना.
यह प्लान मुझे पसंद आया मैं ये सब बात अपने दोस्त रवि को बता दी.
वो भी तैयार हो गए और फिर हम दोनों का मिलना तय हुआ 22 दिसम्बर।
अब तो मुझे बस मिलने की जल्दी थी मेरी जवानी को अब मुझे सम्भालना मुश्किल हो रहा था। दिन रात बस मैं सोचती रहती कि क्या होगा क्या नहीं?
और ऐसे करते करते 20 दिसम्बर का दिन आया. उस दिन मुझे सपना के यहाँ जाना था. मैंने अपने सभी जगह के बाल साफ़ किये और बिल्कुल तैयार होकर घर में थी.
सपना मेरे घर आई, मम्मी पापा से इजाजत ली और मुझे अपने साथ अपने घर ले गई.
वो पहले से चुदाई कर चुकी थी इसलिए उसने और अच्छे से मुझे सब बात समझाया. 2 दिन मैं उसी के साथ थी.
और 22 दिसम्बर को शाम को उनकी ट्रेन आई, मैं और सपना रेलवे स्टेशन गई।
वहाँ उनसे पहली मुलाकात हुई, वो काफी लम्बे चौड़े कद के थे.
सपना ने हम दोनों को ऑटो में बैठाया और अपने घर चली गई।
हम दोनों एक होटल पहुंचे, वहाँ उन्होंने एक शानदार रूम लिया और हम दोनों रूम में चले गए।
काफी शानदार कमरा था वो, मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मेरी सुहागरात होने जा रही है।
मेरे मन में बहुत सारा डर और कई सवाल घूम रहे थे कि जैसे क्या मैं सही कर रही हूँ? एक अजनबी के साथ ऐसे मिलना क्या सही है? ये मेरे पापा के उम्र के हैं क्या इनके साथ सोना मेरे लिए अच्छा है या नहीं?
मगर अगले ही पल मेरी वासना मेरे ऊपर हावी हो जाती और चूत में अज़ीब सी हलचल होने लगती. यही सब मेरे दिल और दिमाग में चल रहा था।
उन्होंने मुझे रूम में लाकर दरवाजा बंद कर दिया और अपना और मेरा समान आलमारी में रख कर मेरे पास आये और अपने दोनों हाथ मेरे कंधे में रख कर मेरी आँखों में देखते हुए बोले- पूजा मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि तुम मेरे पास हो. मैंने कभी नहीं सोचा था कि तुम जैसी लड़की कभी मुझे मिलने आएगी।
उन्होंने बिल्कुल जल्दबाजी नहीं दिखाई, मुझे कहा- क्यों न हम दोनों आज कहीं घूमने चलें?
मैंने भी हाँ कह दी और हम दोनों ही तैयार होकर चल दिए।
सारा दिन हम दोनों मार्केट में घूमे, कुछ शौपिंग की, रेस्टोरेंट में खाना खाया और शाम को 7 बजे वापस होटल आ गए।
मुझे तो बस यही डर लग रहा था कि कोई हम दोनों को साथ में देख न ले.
मगर किस्मत मेरे साथ थी।
होटल में पहुंच कर वो बोले- पूजा, जाओ वो कपड़े पहन कर दिखाओ जो तुम्हारे लिए लिए हैं.
मैं बाथरूम में गई और अपने सारे कपड़े निकाल दिए और उनके दिलाये नये कपड़े पहन लिए।
लाल रंग की चड्डी, लाल ब्रा और लाल रंग की छोटी सी फ्राक … फ्राक तो इतनी ही थी कि किसी तरह मेरी जांघों को ढक रही थी। जालीदार होने के कारण मेरा गोरा बदन उसमें से झलक रहा था
जैसे ही मैं रूम में गई तो देखा कि अंकल ने वहाँ बीयर की 2 बोतलें मंगा के रखी हैं.
मुझे कुछ अज़ीब लगा तो पूछा- ये क्या है?
उन्होंने कहा- आज की रात हम दोनों के नाम रहेगी. आज तुम कुछ मना मत करना प्लीज।
मैं थोड़ी मुस्कुराती हुई बोली- ओके।
उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया, अपने बगल में बैठा लिया, पूछा- पूजा सच सच बताओ … आज तक तुमने कभी सेक्स किया है?
“नहीं, आज तक नहीं किया है … आज जो होगा पहली बार ही होगा।”
वो थोड़ा मुस्कुराते हुए बोले- चलो पहले कुछ बीयर हो जाये।
और उन्होंने 2 ग्लास में बीयर डाली।
मैं पहली बात इसका सेवन कर रही थी इसलिए उसका स्वाद कुछ अज़ीब सा लगा मगर उन्होंने मुझे अपने हाथ से पूरा ग्लास पिला दिया.
इसी तरह से धीरे धीरे हम दोनों ने पूरी बीयर पी ली.
मुझे तो बहुत अज़ीब लग रहा था मगर मजा भी आ रहा था, डर का नामोनिशान नहीं था मेरे अन्दर … ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं खुल सी गई हूँ।
तभी उन्होंने अपना एक हाथ मेरी गोरी जांघों में रखा और कहा- पूजा जानती हो तुम्हें मैंने बीयर क्यों पिलाई क्योंकि तुम खुल कर मेरा साथ दो, बोलो दोगी ना मेरा साथ?
“हां क्यों नहीं…”
“तुम इतनी मस्त माल हो कि तुम्हें चोदने के लिए मैं कहीं भी जा सकता था। जितना खुश तुम मुझे करोगी, उससे कहीं ज्यादा मजा मैं तुम्हें दूँगा जान!”
वो पूरी तरह से नशे में थे और मैं भी। वो मेरी जांघों को सहलाते हुए मेरे पास आ गए। मेरी भी बुर में चुदाई का कीड़ा काटने लगा. मुझे खड़ा करके उन्होंने अपनी बांहों में ले लिया और अपने होंठ मेरे कापते होंठों पे रख दिए.
पहली बार किसी मर्द का चुम्बन पाकर मेरा बदन एकदम से काम्पने लगा। मेरे होंठ भी अपने आप उनका साथ देने लगे।
उन्होंने अपना एक हाथ मेरे कूल्हों पर लगा कर मुझे अपने से चिपका लिया। मेरी चूत पर उनका फड़फड़ाता लंड गुदगुदी करने लगा।
फिर उन्होंने मुझे ऐसे ही खड़े कर के एक झटके में मेरी फ्राक उतार फेंकी। मैं अब बस लाल रंग की ब्रा चड्डी में उनके सामने खड़ी थी।
मेरा गोरा बदन देख उनके मुँह से आअह निकल गई- वाअह … पूजा … तू तो मलाई है जान! इतना प्यारा बदन कहाँ छुपाया हुआ था? तेरे इस बदन की तो दुनिया दीवानी होगी. मगर मिली मुझे हो. मैं कितना किस्मत वाला हूँ।
अपनी इतनी तारीफ सुन मेरी तो बांछें खिल गई, मुझे अपने आप पर घमण्ड सा होने लगा, पहली बार मैं किसी मर्द से अपनी ऐसी तारीफ सुन रही थी।
वो मुझे ऊपर से नीचे तक घूरे जा रहे थे।
उन्होंने मेरी पीठ सहलाते हुए कहा- जानती हो, आज तक मैंने 10 से भी ज्यादा लड़कियों की चुदाई की है. मगर तुम उन सब से अलग हो तुमको तो जितना भी चोदे मन नहीं भर सकता।
रवि अंकल मुझे ऐसे ही खड़ी कर के मेरी जवानी की तारीफ किये जा रहे थे और मैं उनके इस तरह तारीफ करने से काफी अच्छा महसूस कर रही थी।
ऐसे ही बात करते करते उन्होंने मेरी ब्रा की क्लिप पीछे से खोल दी और धीरे से मेरी ब्रा मेरे जिस्म से अलग कर दी, मेरे दोनों दूध उछल कर उनके सामने आ गए।
उनको देख वो बोले- वाआह पूजा … आज तो लगता है तू मेरी जान ले लेगी. कितने प्यारे दूध है तेरे!
और सही में उनका कहना सही भी था, मेरे दूध ज्यादा बड़े तो नहीं थे मगर बेहद खूबसूरत थे, मेरे गोरे गोरे दूध और गुलाबी निप्पल किसी को भी पागल बना सकते थे।
वो अपने दोनों हाथों से दूध को सहलाने लगे मेरी तो आआ आअह्ह निकल गई। उनके सख्त कड़े हाथ मेरे मुलायम गोरे दूध पे बहुत तेज़ मजा दे रहे थे। उनके ऐसा करने से मेरे दोनों गुप्तांगों मतलब चूत और गांड के छेद में अज़ीब सी सनसनी फैल गई।
कुछ देर तक सहलाने के बाद उन्होंने झुक कर एक निप्पल को मुँह में भर लिया, मेरे जिस्म में तो बिजली कौंध गई. इतना सुखद अहसास पहली बार मुझे मिल रहा था।
मेरे दोनों निप्पल तन के खड़े हो चुके थे. सर्दी का मौसम था मगर मेरा जिस्म किसी आग की भट्टी की तरह गर्म था।
मेरी चूत ने भी पानी छोड़ना शुरु कर दिया था।
उनके चुम्बन करने से साफ़ तौर पर उनके अनुभव का पता चलता था। वो किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं कर रहे थे. खुद भी पूरा मजा ले रहे थे और मुझे भी उतना ही मजा दे रहे थे।
कहानी जारी है.
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कहानी का अगला भाग: मैं भी नई नई जवान हुई-2
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