माँ-बेटियों ने एक-दूसरे के सामने मुझसे चुदवाया-10
(Maa Betiyon Ne Ek Dusri Ke Samne Mujhse Chudvaya-10)
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अब रागिनी की बारी थी। वो तो पेशेवर रंडी थी। मैंने सिर्फ उसे इशारा किया और वो बिंदा के बगल में जमीन पर नंगी लेट गई।
लेकिन मैंने कहा- रागिनी तेरी गाण्ड मारनी है मेरे को।
रागिनी मुस्कुराई और खड़ी हो कर एक टेबल पकड़ कर नीचे झुक गई। मैंने उसकी कई बार गाण्ड मारी थी। इसलिए मेरे लंड को उसके गाण्ड के अन्दर जाने में कोई परेशानी नहीं हुई। तक़रीबन 200 बार उसके गाण्ड में लंड को आगे-पीछे करता रहा। लेकिन वो सिर्फ मुस्कुराती रही। बिंदा और उसकी बेटियाँ मुझे रागिनी की गाण्ड मारते हुए देख रही थीं।
मैंने कहा- देखा बिंदा, इसे कहते हैं गाण्ड मरवाना, देखो इसे दर्द हो रहा है?
रूबी ने कहा- रागिनी दीदी तो रोज़ 10-12 बार गाण्ड मरवाती हैं, तो दर्द क्या होगा?
मैं रागिनी की गाण्ड मारते हुए हंसने लगा, रागिनी ने भी मुस्कुराते हुए रूबी से कहा- आजा, तू भी गाण्ड मरवा के देख ले अंकल से। तुझे भी दर्द नहीं होगा।
रूबी ने कहा- ना बाबा ना। मैं तो सिर्फ चूत चुदवा सकती हूँ आज ! गाण्ड नहीं !
यह सुन कर मेरी तो बांछें खिल गई। मैंने कहा- खोल दे अपने कपड़े, आज तेरी भी चूत की काया पलट कर ही दूँ। क्यों बिंदा क्या कहती हो?
बिंदा ने कहा- जब चुदाई देख कर रीता की चूत पानी छोड़ने लगी है तो रूबी तो उस से बड़ी ही है। उसकी तमन्ना भी पूरी कर ही दीजिये। लेकिन प्यार से। रूबी, अपने कपड़े उतार कर तू भी हमारी बगल में लेट जा।
माँ की अनुमति मिलते ही रूबी ने अपनी कुर्ती और सलवार उतार दिया। अन्दर उसने सिर्फ पैन्टी पहन रखी थी जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी। सीने पर माध्यम आकार के स्तन विकसित हो चुके थे। रूबी पैन्टी पहने हुए ही अपनी माँ के बगल में लेट गई।
बिंदा ने उसकी पैन्टी को सहलाते हुए कहा- क्यों री, तेरी चूत से इतना पानी निकल रहा है?
रागिनी ने अपनी गाण्ड मरवाते हुए कहा- पानी क्यों नहीं निकलेगा मौसी? इतनी चुदाई देखने के बाद तो 100 साल की बुढ़िया की चूत भी पानी छोड़ देगी, यह तो अभी नई और जवान है।
जवाब सुन कर हम सभी को हँसी आ गई। बिंदा ने रूबी की पैन्टी खोल दी और उसकी चिकनी गीली चूत सहलाने लगी।
बिंदा बोली- क्यों री रूबी, यह चूत तूने कब शेव की? दो दिन पहले तक तो बाल थे तेरी चूत पर।
रूबी- उस रात को जब अंकल तुम्हे चोद रहे थे ना, तब तू अंकल से कह रही थी कि मेरी चूत के बाल फँस गए हैं, तभी मैं सजग हो गई थी और मैंने उसी रात को चूत की शेव की थी। मुझे पता था कि क्या पता कब मौका लग जाए चुदाने का?
बिंदा- अच्छा किया कि तूने चूत की शेव कर ली। नहीं तो तेरे अंकल का लंड इतना मोटा है कि चुदाई में बाल फँस जाते हैं और बहुत दु:खता है। अच्छा, मैं जो मोटा वाला मोमबत्ता खरीद कर लाई थी वो आजकल इसमें डालती हो कि नहीं?
रूबी- क्या माँ, अब तेरी उस मोमबत्ती से काम नहीं चलने वाला। अब तो पतला वाला बैगन भी डाल लेती हूँ।
बिंदा- पूरा घुसा लेती हो?
रूबी- नहीं, आधा डाल कर ही मुठ मार लेती हूँ।
बिंदा- अच्छा ठीक है, आज अपने अंकल का लंड ले कर अपनी प्यास बुझा लो।
मैंने जितना सोचा था उस से भी कहीं अधिक यह परिवार आगे था। मैंने झटपट रागिनी की गाण्ड मारी और अपना माल उसकी गाण्ड में गिराया। अब मेरी वियाग्रा का प्रभाव कम होना शुरू हुआ। मैंने रागिनी के गाण्ड में से अपना लंड निकला और रूबी के बगल में लेट गया। रागिनी भी नंगी ही मेरे बगल में लेट गई।
अब बिंदा, उसकी दो बेटियाँ रूबी और रीना, रागिनी और मैं सभी एक साथ जमीन पर पूरी तरह नंगे पड़े हुए थे। अब मुझे रूबी की चूत का भी सील तोड़ना था।
मैंने रूबी को अपने से सटाया और अपने ऊपर लिटा दिया। उसका होंठ मेरे होंठ के ऊपर थे। मैंने उसके सर को अपनी सर की तरफ दबाया और उसका होंठ का रस चूसने लगा। वो भी मेरे होंठ के रस को चूसने लगी। उसके हाथ मेरे लंड से खेल रहे थे।
मैंने उसे वो सब करने दिया जो उसकी इच्छा हो रही थी। वो मेरे मोटे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल रही थी। उसकी माँ और बहन उसके बगल में लेट कर हम दोनों का तमाशा देख रही थी। थोड़ी देर में मैंने उसके होंठों को अपने होंठ से आजाद किया। उसे जमीन पर पीठ के बल लिटाया और उसकी माध्यम आकार की चूचियों से खेलने लगा। रूबी को काफी मज़ा आ रहा था।
बिंदा- अरे भाई, जल्दी कीजिये न? कब से बेचारी तड़प रही है।
मैंने भी अब देर करना उचित नहीं समझा, मैंने कहा- क्यों री रूबी, डाल दूँ अपना लंड तेरी चूत में?
रूबी- हाँ, डाल दो।
मैंने- रोएगी तो नहीं ना?
रूबी- पहाड़न की बेटी हूँ। रोऊँगी क्यों?
मैंने उसके दोनों टांगों तो मोड़ा और फैला दिया। उसकी एक टांग को उसकी माँ बिंदा ने पकड़ा और दूसरी टांग को रागिनी ने। मैंने अपने लंड को उसकी चूत की छेद के सामने ले गया और घुसाने की कोशिश की, लेकिन रूबी की चूत का छेद छोटा था और मेरा लंड मोटा। फलस्वरूप उसकी चूत पर चिकनाई की वजह से मेरा लंड उसकी चूत में ना घुस कर फिसल गया।
बिंदा यह देख कर हंसी और बोली- अरे भाई संभल कर, पहली बार चूत में लंड घुसवा रही है, रुक जाइये। मैं डलवाती हूँ।
उसने एक हाथ की उँगलियों से अपनी बेटी रूबी की चूत चौड़ी करी और एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर उसकी चूत की छेद पर सैट किया। फिर मेरा लंड को कस कर पकड़ लिया ताकि फिर फिसल न जाये, बोली- हाँ, अब सही है, अब धीरे-धीरे घुसाओ।
मैंने अपना लंड काफी धीरे-धीरे रूबी की चूत में उतारना शुरू किया। उसकी चूत काफी गीली थी। इसलिए बिना ज्यादा कष्ट के उसने अपने चूत में मेरे लंड को घुस जाने दिया। करीब आधा से ज्यादा लंड मैंने उसके चूत में डाल दिया था, लेकिन रूबी को कोई तकलीफ नहीं हो रही थी।
बिंदा को थोडा आश्चर्य हुआ, बोली- क्यों री, पहले ही चुदवा चुकी है क्या किसी से?
रूबी- नहीं माँ, इस लंड के इतना मोटा बैंगन तो मैं रोज डालती हूँ ना !
मैंने कहा- आप चिंता क्यों करती हो बिंदा जी। अभी टैस्ट कर लेता हूँ।
मैंने कह कर कस के अपने लंड को उसके चूत में पूरा डाल दिया।
रूबी चीख पड़ी- उई अम्ममाआआ मर गईई ई !!
उसकी चूत की झिल्ली फट गई। उसके चूत से हल्का सा खून निकल आया। खून देख कर बिंदा का संतोष हुआ कि रूबी को इस से पहले किसी ने नहीं चोदा था।
मैंने अपना काम तेजी से आरम्भ किया। उस दुबली-पतली रूबी पर मैं पहाड़ की तरह चढ़ उसे चोद रहा था। लेकिन वो अपनी बड़ी बहन से ज्यादा सहनशील थी। उसने तुरंत ही मेरे लंड को अपने चूत में और मेरे भारी भरकम शरीर के धक्के को अपने दुबले शरीर पर सहन कर लिया। फिर मैंने उसकी 10 मिनट तक दमदार चुदाई कि उसकी माँ इस दौरान अपनी बेटी के बदन को सहलाती रही तथा ढांढस बंधाती रही।
10 मिनट के बाद जब मेरे लंड ने माल निकलने का सिगनल दिया तो मैंने झट से लंड को उसके चूत से निकाला और रूबी को उठा कर उसके मुँह में अपना लंड डाल दिया। वो समझ गई कि मेरे लंड से माल निकलने वाला है। वो मेरे लंड को चूसने लगी। मेरे लंड ने माल का फव्वारा छोड़ दिया। रूबी सारा माल बिना किसी लाग लपेट के पी गई और मेरे लंड को चूस-चूस कर साफ़ कर दिया।
अब मैंने फिर एक-एक बार रीना और उसकी माँ बिंदा को चोदा। रात दो बज गए थे। अंत में हम सभी थक गए। सबसे छोटी रीता हमारी चुदाई का खेल देखते-देखते वहीं सो गई। बिंदा की गाण्ड मारने के बाद मैं थक चुका था। हम सभी जमीन पर नंगे ही सो गए।
लेकिन एक घंटे के बाद ही मेरी नींद खुली। मेरा लंड कोई चूस रही थी। मैं लगभग नींद में था। अँधेरे में पता ही नहीं था कि उन चार नंगी औरतों में कौन मेरे लंड को चूस रही थी। मेरा लंड खड़ा हो चुका था। वो कौन थी मुझे पता नहीं था। मैंने नींद में ही और अँधेरे में ही उसकी जम के चुदाई की।
इसी दौरान मेरी पीठ पर भी कोई चढ़ चुकी थी। ज्यों ही मैंने नीचे वाली के चूत में माल निकाला त्यों ही मेरी पीठ पर चढ़ी औरत ने मुझे अपने ऊपर लिटाया और अपनी चूत में मेरे लंड को घुसा कर चोदने का इशारा किया।
फिर मैं उसे भी चोदने लगा। तभी मुझे अहसास हुआ कि मेरी दोनों तरफ से दो और महिला भी मेरे से सट गई हैं और मेरी चुदाई का आनन्द उठा रही हैं, यानि मैं इस वक़्त तीन औरतों के कब्जे में था। कोई मेरे होंठों को चूम रही थी तो कोई मेरे आण्डों को चूस रही थी। कोई मेरे लंड को अपने चूत में डलवा रही थी।
ये प्रकरण सुबह होने तक चलता रहा। जब थोड़ा-थोड़ा उजाला हुआ तो मैंने देखा कि मुझसे बिंदा, रीना और रूबी लिपटी हुई हैं। मेरा लंड इस वक़्त बिंदा की भोसड़ी में था। बगल में रागिनी बेसुध सोई पड़ी थी। मैंने अभी भी इन तीनों के साथ चुदाई करना चालू रखा। सुबह के नौ बज चुके थे और तीनो माँ-बेटियाँ मुझे अभी तक नहीं छोड़ रही थीं।
ठीक नौ बजे सबसे छोटी रीता जग गई। उस वक़्त रूबी मुझसे चुदवा रही थी और बिंदा मेरी पीठ पर चढ़ी हुई थी। उधर रीना अपनी माँ की चूत चूस रही थी। जब मैंने रूबी के चूत में माल निकाला तो कुछ भी नहीं निकला सिर्फ एक बूंद पानी की तरह निकला। इस में भी मुझे घोर कष्ट हुआ। मजाक है क्या एक रात में 24-25 बार माल निकालना?
उसके बाद तो मैं उन सबको अपने आप से हटाया और नंगा ही किसी तरह आँगन में जा चारपाई पर गिर पड़ा। शायद तब उन तीनों को समय और अपनी परिस्थिति का ज्ञान हुआ। वे तीनों कपड़े पहन बाहर आईं।
रागिनी को भी जगाया। हमारी आज की बस छूट चुकी थी। रागिनी बेहद अफ़सोस कर रही थी। लेकिन मुझे नंगा चारपाई पर पड़ा देख उसे काफी आश्चर्य हुआ? उसने बिंदा से पूछा- मौसी, इन्हें क्या हुआ?
बिंदा- रात भर हम लोगों ने इससे चुदवाया। अभी अभी इस को हमने छोड़ा।
रागिनी- माई गाड, इतना तो बेचारा एक महीने में भी नहीं चोदता होगा और तुम पहाड़नियों माँ-बेटियों ने एक ही रात में इसका भुरता बना दिया। हा हा हा हा… खैर… इस चारपाई को पकड़ो और इसे अन्दर ले चलो। कोई आ गया तो मुसीबत हो जाएगी।
उन चारों ने मेरी चारपाई को पकड़ा और मुझे अन्दर ले गई। मैं दिन भर नंगा ही पड़ा रहा। शाम को मेरी नींद खुली तो मैंने खाना खाया।
हालांकि हमें अगले दिन ही लौट जाना था लेकिन उन माँ बेटियों ने हमें जबरदस्ती 10 दिन और रोक लिया और वो तीनों माँ-बेटी और रागिनी हर रात को पूरी रात मेरा सामूहिक देह शोषण करती थीं। जब बिंदा और रूबी का मन पूरी तरह तृप्त हो गया तब उसने मुझे रीना के साथ शहर वापस आने की अनुमति दी।
रीना तो पहले से ही रंडी बन चुकी थी। शहर आते ही उसने रंडियों में काफी ऊँचा स्थान बना लिया। छः महीने में ही उसने कार और फ़्लैट खरीद कर बिंदा, रूबी और रीता को भी शहर बुला लिया। बिंदा और रूबी भी इस धंधे में कूद पड़ी।
मुझे आश्चर्य हुआ कि बिंदा की डिमांड भी मार्केट में अच्छी खासी हो गई। अब ये तीनों इस धंधे में काफी कमा रही हैं।
हाँ, सबसे छोटी रीता को इस दलदल से दूर रखा है और उसे शहर से दूर बोर्डिंग स्कूल में पढ़़ाया जा रहा है।
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