रिश्तेदारी में आई लड़की को पटा कर चोदा-2
(Desi Kahani: Rishtedari Me Aai Ladki Ko Pata Kar Choda- Part 2)
देसी कहानी का पिछला भाग : रिश्तेदारी में आई लड़की को पटा कर चोदा-1
अब तक की देसी कहानी में आपने पढ़ा था कि मैंने नेहा को वाइन पिला कर मदमस्त कर दिया था और खुद टॉयलेट के बहाने बाहर आ गया था ताकि वो पास में रखे मेरे मोबाइल में पॉज की हुई ब्लू फिल्म को देख सके.
अब आगे..
बाहर खड़ा मैं आसमान की तरफ मुँह कर के आराम से बोला- आज वो मेरी हो जाएगी.. जिसे मैं बेइन्तहा प्यार करता हूँ.
दो मिनट बाद मैं वापस आया.. और अन्दर न आकर दरवाज़े के बाहर से ही झांक कर ही देखने लगा. जैसा मैंने सोचा था, वैसा ही हुआ. उसने वाइन खत्म कर ली थी और मोबाइल में फिल्म देख रही थी. उस पर नशा सा होने लगा. उसकी आँखें लाल होती जा रही थीं.
उस टाइम उसकी उम्र 18 साल की थी. अब आप ही अंदाजा लगा लो कि वो कैसी होगी. उसके बाल भी ब्राउनिश कलर के थे, जो कि रात में मुझे लाल से लग रहे थे.
अब उसके हाथ कंपकपाने लगे. वो सांस ऊपर नीचे करने लगी. मैंने सोचा अब देर करना सही नहीं होगा, नहीं तो वो सो जाएगी. मैं सीधा अन्दर चला गया. वो एकदम से घबरा गई और मोबाइल नीचे गिर कर बंद हो गया.
उसने “सॉरी..” कहा.
मैंने कहा- कोई बात नहीं आपका ही है चाहे तोड़ भी दो.
उसने कहा- मुझे कुछ कुछ हो रहा है.. मुझे जाना है.
मैंने कहा- रुको, अभी तुम्हारी राह कोई नहीं देख रहा होगा. आराम से चली जाना.
मैंने उठ कर दरवाज़ा बंद कर दिया और उसके पास आकर बैठ गया और उससे कहा- यहाँ देखो.
तो उसने मेरी तरफ देखा. मुझे भी नशा हो गया था. मैंने उससे कहा- मैं तुम्हें चाहता हूँ.. तुम्हें प्यार करना चाहता हूँ. तुम मुझे प्यार करती हो या नहीं.
अब मैं तुम कह कर उसे बुलाने लगा.
उसने लड़खड़ाते हुए बोला- पता..न.. ही..
अब क्या था.. मैंने बिना रुके उसके होंठों पर होंठ रखे और उसके लबों को चूसने लगा. उसके रसीले होंठ अमृत जैसे लग रहे थे. अब शायद वो भी यही चाहती थी. वो भी जवाब में मेरे होंठों को चूसने लगी. मैंने उसके होंठ चूस चूस कर लाल कर दिए, वो मदहोश सी होने लगी.
मैंने अलग होकर एकदम से अपने पैंट और कमीज उतार दी.. और उससे चिपक गया. उसकी गर्दन को ऐसे चूमने लगा जैसे मैं इस काम में एक्सपर्ट हूँ.
ऐसा लग रहा था कि वो गर्म हो रही थी और बोल भी रही थी- नहीं.. न… नहीं..
मैं लगा रहा.
उसने फिर बोला- प्लीज नहीं.. मेरी.. इज़्ज़त.. चल..चली.. जाएगी..
मैंने सुना और उसके चेहरे को दोनों हाथों में पकड़ कर उससे बोला- मैं तुम्हें किसी भी कीमत पर पाने के लिए तैयार हूँ.. तुम कहो तो अभी शादी कर लेते हैं. मैं बिना तुम्हारी अनुमति के कुछ नहीं करूँगा.
फिर मैं खड़ा हो गया.
उसे लगा कि मुझे बुरा लग गया.
उसने कहा- आई एम सॉरी. मुझे नहीं पता था कि तुम मुझे इतना चाहते हो. सच ये है कि मैं भी तुम्हें प्यार करती हूँ. प्लीज मुझे कभी अकेला मत छोड़ना.
मैंने उससे कहा- मैं हमेशा के लिए तुम्हें अपने दिल में रखूँगा. बोलो, तुम मुझे प्यार करती हो?
उसने कहा- हाँ, बहुत सारा..
उस ख़ुशी में मैंने खड़े हो कर उसकी गांड को अपने दोनों हाथों के पकड़ कर उसे ऊपर उठा दिया. हम उसी पोज़ में खड़े किस करने लगे. उसके बाल मेरे ऊपर गिर गए. एक अजीब सी फीलिंग आई, जो मर्द होने का एहसास करा गई.
अब मैंने उसे बिस्तर में लिटा दिया और खुद भी उसकी साइड में उसकी तरफ लेट गया.
मैंने उससे पूछा- शुरू करें?
उसने कुछ नहीं कहा, बस अपने दांतों से होंठ काटने लगी.
मैं समझ गया.
अब मैं सीधा नीचे की तरफ खिसका; उसका काला कुरता ऊपर की तरफ किया. नज़ारा देखने लायक था.. जैसा मैंने सोचा वो उससे भी कहीं ज्यादा कड़क माल निकली.. इतनी नर्म कि बिल्कुल जैसे गोरी चमड़ी में लाल खून.. आराम से दिख जाए.
मैं उसको होंठों से चुम्बन करने लगा.
उसकी साँसें बढ़ने लगीं.. जिस कारण उसका पेट ऊपर नीचे होने लगा. उसे देखकर तो मैं होश ही खोने लगा. तभी मुझे याद आया कि नाभि को चूसता हूँ तो ये और गर्म हो जाएगी.
मैंने अन्तर्वासना की कई हिंदी में देसी चुदाई की कहानी में ये सब पढ़ा था.
फिर मैं शुरू हो गया. मैं जीभ से उसे कुरेदने लगा. उसका पेट बहुत गर्म लग रहा था. इस हमले से वो उत्तेजित हो गई और मादक सिस्कारियां निकालने लगीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह..ह… हम्म्म..
मैंने बड़े आराम से उसको चूस कर लाल कर दिया. अब मैंने उसकी कमीज को ऊपर कर दिया और निकालने लगा, मैंने उससे कहा- साथ दो मेरा.
उसने साथ दिया.. तो मैंने उसे बैठा दिया. उसका कुरता निकाला और उसे देखते हुए कुर्ते को चूम लिया. उसे फिर शर्म आ गई. उसने सफ़ेद रंग की समीज़ पहनी हुई थी, वो अभी ब्रा नहीं पहनती थी. वो बहुत ही कामुक लग रही थी. एकदम कमसिन थी.
अब मैंने बैठे-बैठे समीज़ के अन्दर ही हाथ कमर पर डाल दिए और होंठों से चिपक गया. मैं समीज़ के अन्दर ही उसकी कमर पर हाथ फेरने लगा, उसे सहलाने लगा. क्या गर्म माल थी?
तभी मैं एकदम से साइड में हुआ और मोबाइल को ऑन करके उसमे रोमांटिक गाने लगा दिए. मैंने सोचा कि यार पहली बार है, कुछ तो रोमांटिक होना चाहिए, ताकि ज़िन्दगी भर याद रहे.
अब मैं ज्यादा नहीं रुक सकता था. मेरा भी लंड तन कर रॉड जैसा हो गया था. मेरा लंड 6 इंच लम्बा और 2. 5 इंच मोटा है.
मैंने आराम से उसकी सलवार उतारी; उसने वाइट पैन्टी पहनी थी. सलवार कमीज को एक साइड में रख कर मैं उसके साथ बैठ गया. इसी के साथ में ही मैंने अपनी बनियान भी उतार दी.
जैसे ही मैंने उसका समीज़ निकालने के लिए अपने हाथ रखे, उसने अपने हाथ मेरे हाथों पर रख दिए.
मुझे लगा ये रोक रही है, पर ये क्या वो खुद ही अपने हाथों से मेरे हाथ पकड़ कर अपनी समीज़ निकाल रही थी.
शायद उसको मुझ पर अपने से ज्यादा भरोसा हो गया था.
हम दोनों लेट गए; मैंने उसकी चूचियों को देखा, तो मुँह में पानी आ गया. मैं पहली बार ऐसा माल देख रहा था. क्या कयामत थी यार; उसे ऊपर वाले ने बड़ी फुर्सत में बनाया था
उसके मम्मे बिल्कुल गोल गोल, एक हाथ में पूरे आ जाएं और उसके निप्पल जो लाल भूरे रंग के थे.. जैसे मुझे दावत दे रहे थे कि आओ और हमें लूट लो. उसकी चूचियाँ बिल्कुल सीधी सख्त हो कर खड़ी थीं और निप्पल भी जैसे हार्ड हो गए थे.
बस फिर मैंने अपना मुँह घुमाया और उसकी बायीं चूची पर रखा और उसके निप्पल पर जीभ फिराई. गोल गोल और अंगूर जैसे पूरे निप्पल को मुँह में लेकर ऐसे चूसने लगा जैसे दूध पी रहा होऊं.
दो मिनट तक ऐसे ही लगा रहा, फिर दाईं चूची को भी उतने ही समय तक चूसता रहा, जब तक मेरा मन नहीं भरा.
हार्ड सकिंग की वजह से उसके निप्पल लाल हो गए थे.
नेहा का तो हाल ही बुरा था और वो सिसकारियां ले रही थी और एक जवान लड़की होने का सबूत दे रही थी. मैंने उत्साहित हो कर उसे कहा- ओह मेरी जान, मैं तुम्हें अब कहीं नहीं जाने दूंगा, मैं चाहता हूँ कि हम सारी ज़िन्दगी ऐसे ही एक दूसरे के साथ अकेले इस ज़न्नत में हमेशा के लिए पड़े रहें.
उसने कहा- हाँ.. हाँ.. मैं भी सारी ज़िन्दगी तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ.. आह.. ओह..
मैंने उसको जोर से चूमा तो उसने फिर से बोला- आह.. मुझे कुछ कुछ हो रहा है.. आअह.. आह.. मैं आई आआआ गईई…
वो झड़ चुकी थी. उसका पहला स्खलन था. बाद में वो लम्बी लम्बी आहें भरने लगी.
मैं अब उसकी बांहों को चाटने लगा. उसे अब शर्म आने लगी थी. उसने मुझे अपनी बांहों से पकड़ कर अपने जिस्म से चिपका लिया. अपनी छाती पर मुझे उसकी गर्म कड़क चूचियाँ महसूस हुई.
क्या मस्त पल था वो.
हम दोनों जैसे पति-पत्नी की तरह चिपक कर पड़े थे. पर मेरा लंड कंट्रोल से बाहर हो रहा था. मेरा पानी छूट भी नहीं सकता था क्योंकि मुठ जो मारी हुई थी और वाइन का भी असर था.
मैंने अब उसे अलग किया और कहा- चलो मेरी जान चलते हैं.
उसने पूछा- कहाँ?
मैंने कहा- जन्नत में.
वो खिलखिाकर हंस पड़ी.
मैंने कहा- मेरे खुदा, मेरी फूल सी जान हमेशा ऐसे ही हंसती रहे.
उसने ये सुना और नर्वस हो गई और रोना शुरू ही कर दिया.
मैंने कहा- क्या हुआ मेरी जान, कुछ गलत हो गया क्या?
उसने बोला- कुछ गलत नहीं हुआ. आप मुझे कभी.. कभी भी.. अलग मत करना.. मैं आपके बिना मर जाऊँगी.
उसकी बात सुन के मैं भी थोड़ा नम हो गया, मैंने उससे कहा- नहीं, तुम हमेशा मेरे पास रहोगी. मैं तुम्हें कहीं जाने नहीं दूंगा. चाहे मुझे जान भी क्यों न खोनी पड़े.
उसकी मेरे मुँह पर एकदम से हाथ रखा और कहा- ऐसा दुबारा मत बोलना, आपको मेरी कसम.
अब मैं दिलोजान से उसे प्यार करने लगा था, मैंने कहा- अच्छा बाबा, नहीं बोलूंगा. प्रॉमिस.. अब आगे बढ़ें?
तो उसने हामी भरी.
मैंने उसे फिर लिटाया और उसकी पैन्टी उतारने लगा. उसने शर्म के कारण अपनी आँखें अपने हाथों से छुपा लीं.
मैंने उससे कहा- जान, क्या तुम मुझसे प्यार नहीं करती?
नेहा बोली- करती हूँ, अपनी जान से भी ज्यादा.
“तो फिर शर्मा क्यों रही हो, मुझसे किसी शर्म अब.. अपने हाथ हटाओ..”
मेरे कहने पर वो मान गई और मुझे उसकी पैन्टी उतारते हुए प्यार से देखने लगी.
जैसे ही मैंने उसकी पैन्टी उतारी तो देखा कि उसकी चूत.. आह क्या गज़ब की नक्काशी थी. उसे सिर्फ चूत कहना भी गलत होगा. वो जन्नत थी.. उसकी चूत पर हल्के हल्के से रेशमी बाल थे. चूत से उसका पानी रिस रहा था. उसकी पैंटी भी गीली हो गई थी. मैंने उसकी पैंटी को साइड में रखा. उसकी चूत को अपना रुमाल निकालकर उसे साफ़ किया और उसे ऊपर से चूम लिया. इससे नेहा की “आह..” निकल गई.
पहली बार में चूत को चूसना थोड़ा मुश्किल होता है. इसलिए मैं भी थोड़ा झिझक रहा था. अब मैं उसकी गोरी जांघों को चाटने लगा. फिर मैं बिस्तर से नीचे उतर कर बैठ गया और उसकी टांगों को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया. मैंने उसकी टांगें फैला दीं.. जिससे मुझे उसकी चूत बिल्कुल सामने दिखने लगी.
क्या कसी हुई गुफा थी. मैंने उससे पूछा- कभी उंगली की है इसमें?
उसने कहा- मैंने अभी तक कुछ नहीं किया है.
“अच्छा, कभी किसी लड़के से दोस्ती की है?”
“नहीं..”
“अच्छा, तुम इतनी खूबसूरत हो, तुम पर कौन नहीं मर मिटेगा.”
“हुऊन.. थे दो लड़के, जो मुझसे दोस्ती करना चाहते थे. मेरे स्कूल में क्लासमेट्स, पर मैंने मना कर दिया था.”
“अच्छा जी, वो क्यों?”
“उनकी पहले से ही गर्लफ्रेंड थीं.”
“चलो, कुछ भी है, अब तो तुम मेरी हो, मेरी रहोगी.”
यह कह कर हम दोनों हंस पड़े.
मैंने उत्तेज़ना में उसकी चूत के छेद को ऊपर से चाट लिया.
उसने कहा- ये क्या कर रहे हो आप?
मैंने कहा- कुछ नहीं जान, मजा ले रहा हूँ, दे भी रहा हूँ.
उसने कहा- छी, गन्दा होता है ऐसा करना.
मैंने कहा- ऐसा करते हैं, इससे बहुत मजा आता है, मैंने पढ़ा है और फिल्मों में भी देखा है और तुम भी तो फिल्म देख रही थी न, मुझे पता है.. कभी देखी है?”
उसने कहा- नहीं कभी नहीं देखा, पर अपनी सहेलियों से इस बारे में सुना है.
“अच्छा क्या सुना है?”
“हट, कुछ नहीं सुना है.. पागल..”
“अच्छा जी, अब मैं पागल हो गया. हम्म, बताओ जान, क्या सुना है.. बताओ न प्लीज, आई लव यू जान, बताओ न..”
नेहा- यही कि फिल्म में लड़का और लड़की ‘वो’ करते हैं.
“क्या करते हैं? जान बोलो भी, शर्माओ मत..”
“वो करते हैं..”
“क्या?”
“मुझे नहीं पता..”
“जान उसे चुदाई कहते हैं.”
“अच्छा जी..”
“बोलो, क्या कहते हैं?”
“चुदाई.”
“ये हुई न बात..”
इन सेक्सी बातों से वो फिर गर्म होती जा रही थी, उसकी चूत भी पानी छोड़ रही थी; मैंने उसकी चूत पर अपनी नाक रख दी, उसकी महक मुझे पागल कर रही थी. मैंने न चाहते हुए भी अपना मुँह उसकी चूत पर रखा, अपनी जीभ निकाली और बाहर से ही उसकी चूत की दीवारों को रगड़ने लगा और साफ़ करने लगा. फिर अपनी जीभ को ऊपर नीचे करके गोल गोल छेद के चारों तरफ घुमाने लगा.
मेरी इस हरकत से उसे गुदगुदी हुई और वह उछल कर बैठ गई. मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- गुदगुदी हो रही है.
मैंने कहा- चूत चाटने का मजा तो ऐसे ही आएगा.
मैंने उसे फिर लेटाया. अब मुझे कोई झिझक नहीं रही थी. मैं फिर बैठ गया. मैंने उसकी चूत को अपनी दोनों उंगलियों से खोला, वो थोड़ी सी खुली. अन्दर से बिल्कुल लाल पड़ी थी, मेरे लंड को आने का न्यौता दे रही थी.
मेरा सर घूम गया और लगा कि अभी लंड डाल दूँ और चूत फाड़ दूँ. फिर मैंने सोचा कि नहीं ये अभी कच्ची कली है, ऐसे किया तो ये मुझे प्यार नहीं करेगी और ये कौन सा कहीं जा रही है. सारी रात यही रहेगी.
मुझे उसकी सील बंद दिखाई दी.. यानि कि हम दोनों अनाड़ी थे. पर धन्यवाद अन्तर्वासना का जो मुझे सेक्स का ज्ञान दिया.
मैंने अब जीभ को सीधा उसकी कमसिन चूत में डाल दिया. उसका रस चूसते हुए ऐसा लग रहा था, जैसे अमृत पी रहा हूँ.
वो अब दोबारा गर्म होती जा रही थी “आह.. आह.. ह..ह.. हा.. आह… हा..मेरे जानू.. अह्हा..”
वो सीत्कार करती रही.
मैंने सोचा अब वार कर देना चाहिए. मैंने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी. वो कसमसा गई और मुझे रोकने लगी. पर मैंने उसे संभाल लिया. उसकी चूत बहुत टाइट थी.
मैं उंगली को चूत में अन्दर बाहर करता रहा.. ताकि अपने लंड के लिए जगह बना लूँ. फिर मैं एकदम से खड़ा हो गया.
उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- मेरे कपड़े नहीं उतारोगी?
तो वो उठ कर मेरे पास आई और मेरी अंडरवियर निकालने लगी. लोहा बन चुका मेरा लंड उसके सामने तन कर खड़ा था. उसने शरमा के मुँह दूसरी तरफ कर लिया.
मैंने कहा- शर्माओ मत जान, ये तुम्हारा ही है, देखो इधर तुम्हें बुला रहा है.
फिर उसने देखा.
“पकड़ो इसे.. अब पकड़ो भी.. शरमाओ मत..”
उसने अपना कोमल सा हाथ मेरे लंड पर रखा.. जिससे मेरा लंड और टाइट हो गया.
फिर उसने बोला- आपका ये बहुत बड़ा है.
“क्या बड़ा है?”
“ये..”
“इसका भी तो नाम है.”
“ये.. आपका नुन्नू.”
मेरी एकदम हंसी छूट गई.
उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- इसे नुन्नू नहीं.. लंड बोलते हैं मेरी जान. चलो कोई बात नहीं, तुम्हें आराम से सब पता चल जाएगा. अब हिलाओ इसे.
अब उसने मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसे हिलाने लगी. मैंने कहा- ऊपर नीचे करो न.
तो वो करने लगी. सच में क्या मस्त अनुभव था.
मैंने कहा- चूसो न प्लीज.
उसने कहा- नहीं, मुझे गन्दा लगता है.
मैंने कहा- जान प्लीज, नहीं तो मेरा लंड बुरा मान जाएगा.
उसने कहा- नहीं, ये मुझसे नहीं होगा जी…
मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया. आखिर मेरी जान थी वो.
वो मेरे लंड को थोड़ी तेजी से ऊपर नीचे करने लगी, जिससे मुझे मजा आ रहा था. फिर मैंने उसे रोक दिया और कहा- तुम्हारी रानी को भी तो मजा देना है.
उसने कहा- ये अन्दर नहीं जाएगा. बहुत दर्द होगा मुझे.
मैंने उसे समझाया- नहीं मेरी रानी, कुछ ज्यादा नहीं होगा, हाँ ये सच है कि लड़की को पहली बार में दर्द होता है, पर मुझे भी तो देखो, मेरा भी तो पहली बार है और मुझे भी तो दर्द होगा. प्यार में दर्द होगा, तभी तो मजा आएगा मेरी राजकुमारी.. अपने इस राजकुमार को अपना बना लो.. मैं तुम्हें तकलीफ नहीं दूंगा.
मेरे इतना कहने पर वो मानी. फिर मैंने वैसलीन की डिब्बी उठाई. ठण्ड का समय था तो हाथ पैर न फटें इसलिए वैसलीन की डिबिया वहाँ लगाने के लिए रखी हुई थी. मैंने उसमें से वैसलीन निकाली और पूरे लंड पर लगा दी. मैंने सोचा- नेहा और उसकी टाइट चूत को रिफ्रेश कर दूँ.
मैं बिस्तर पर जाकर लेट गया और उसके जिस्म को अपने जिस्म से चिपकाते हुए उसे किस करने लगा. दो मिनट बाद, वहां से हट कर उसकी चूत को चूसकर गर्म करने लगा. उसकी आहें फिर शुरू हो गई थीं.
अब मैंने मुँह हटाकर, उसकी चूत में वैसलीन लगानी शुरू की. उंगली से वैसलीन को अन्दर तक भर दिया, ताकि उसकी सील आराम से टूट जाए. अब मैंने अपने लंड को हिलाया और उसकी चूत पर थपकियाँ देने लगा. फिर उसकी रेशमी से भूरे झांटों में लंड का सुपारा रगड़ने लगा. उसकी “आह.. आह..” सीधा मेरे कानों में आ रही थी.
फिर मैं अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर ही रगड़ने लगा.. और उसकी क्लिटोरिस पर भी. वो तड़फ़ने लगी और चूत को लंड की तरफ उठा रही थी, पर मैं रगड़ते हुए लंड को फिर पीछे कर लेता.
वो तड़फ कर कह रही थी- जान करो न, प्लीज, चाहे आप मेरी जान ले लो पर मेरी “इसमें..” अपने लंड को डाल दो, फिर आप जो कहोगे, मैं वही करूंगी.
“तेरी किस में डालूं अपने लंड को?” मैंने मजा लेते हुए कहा.
“मेरी मुनिया सी चूत में.” आखिर उसने बोल ही दिया.
मैंने कहा- पर मेरा मुन्ना तो नाराज़ है न. इसको अपने होंठों से चूस कर खुश कर दो.
मुझे पता था कि अब वो जरूर चूसेगी, चाहे उस पर वैसलीन ही क्यों न लगी हो. इसलिए मैंने पहले उस पर जोर नहीं दिया था.
वो एकदम से खड़ी हुई और मेरे लाल हुए लंड को देखा. फिर उसने पहले उस पर होंठ रखे, पहले होंठों से चूसने लगी, फिर थोड़ा सा अन्दर लिया. उसकी जीभ लगते ही मेरे लंड को झटका सा लगा और मेरे पूरे बॉडी में करंट सा दौड़ गया.
मुख मैथुन का भी क्या सुख था यारों. परी सी गुड़िया मेरा लंड चूस रही थी. मैं तो सातवें आसमान पर था.
कहीं मैं पहले ही न झड़ जाऊं इसलिए मैंने उसे कहा- बस मेरी राजकुमारी, मेरा मुन्ना खुश हो गया.
फिर उसने कहा- अब आप प्लीज जल्दी से अपने मुन्ने को मेरी चूत में दे दो. मैं इसके बिना कब से मरी जा रही हूँ.
मैंने कहा- ठीक है मेरी राजकुमारी जी, पर आपको दर्द होगा.
नेहा बोली- होता है होने दो, आप इसे फाड़ डालो, ये बहुत दुःख देती है मुझे. आप भी कहते हो कि प्यार में पहले दर्द तो होता ही है और बाद में मजा आता है.
मैंने कहा- जैसा आप चाहें, राजकुमारी जी.. ये गुलाम आपका हुआ.
मैं उठा और नेहा को अच्छे से बिस्तर पर चित्त लेटाया, ताकि उसे दर्द भी कम हो और लंड डालते वक़्त वो हिल भी न सके; फिर मैंने उसकी दोनों टांगें अलग-अलग की और उसके दोनों बांहों को पकड़ कर अपने दोनों हाथों से दबा लिया और अपने लंड को उसकी चूत से बार बार टच कर रहा था, ताकि वो उतावली हो जाए.
इस देसी कहानी के आगे भाग में नेहा की चूत की सील तोड़ चुदाई का मंजर पेश करूँगा.
कहानी जारी रहेगी.
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कहानी का पिछला भाग : रिश्तेदारी में आई लड़की को पटा कर चोदा-3
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