ऑफिस की लड़की की पहली चूत चुदाई
(Office Ki Ladki Ki Pahli Chut Chudai)
हैलो दोस्तो, मैं आपका दोस्त विक्रम अपनी जिन्दगी से जुड़ा एक नया अनुभव ले कर एक बार फिर हाजिर हूँ।
इससे पहले मैंने अपनी जिंदगी की दो सच्ची घटनाएँ आपसे शेयर की हैं, नसरीन की चुदाई और चाची की चुदाई।
सच तो यह है कि आज तक मैं 21 लड़कियों के साथ सम्भोग कर चुका हूँ।
हालाँकि मेरी उम्र बहुत ज्यादा नहीं है, अभी मैंने बस 27वां बसन्त पूरा किया है पर पता नहीं कामदेव की क्या रहमत है कि मेरी जिंदगी में ढेर सारा प्यार लुटाने को लड़कियां बस आ जाती हैं।
और अभी भी वही सब आपसे शेयर कर रहा हूँ, जो मेरे साथ हुआ।
मैं इस समय आईडिया में सीनियर इंजीनियर हूँ। व्यक्तित्व भी बहुत रेंचो टाइप का नहीं है। बस आम आदमी की तरह ही हूँ।
झूठ अगर न बोलूं तो लंड 7 इंच का लगभग 2.5 इंच मोटा ही है, पर लड़कियों की आग बुझाने के मुझे बस तरीके पता हैं।
चलिए अपनी आपबीती पर ले चलता हूँ। मेरी गर्लफ्रेंड से जल्दी ही मेरा ब्रेकअप हुआ था और उसकी टेंशन मिटाने के लिए मैं चाहता था कि मेरी कोई और सेटिंग हो जाए।
ऑफिस में मेरी पहचान एक बहुत अच्छे कर्मचारी की थी।
हमारे ऑफिस में एक कविता नाम की लड़की थी। वो मेरे से कई बार मदद ले चुकी थी, पर मैंने आज तक उसे सम्भोग के नजरिए से नहीं देखा था।
ब्रेकअप होने के बाद मेरा नजरिया उसे देखने में बदला मैंने गौर किया कि काम करते वक़्त वो मुझे बीच-बीच में देखती और मुस्कुराती है, लंच टाइम में अक्सर वो खाना ऑफर करती है।
धीरे-धीरे हमारी नजदीकियाँ बढ़ने लगी, शायद वो भी यही चाहती थी।
मैंने एक दिन उसे मूवी के लिए ऑफर किया, वो मान गई।
मैं उसे मूवी दिखाने ले गया, पर मूवी देखते वक़्त मेरा ध्यान मूवी से ज्यादा उसके फिगर पर था।
क्या गजब फिगर था यारों.. शायद 34-28-36 रहा होगा।
उस दिन गहरे लाल रंग का टॉप और काली मिनी-स्कर्ट पहनी हुई थी।
अँधेरा होने के कुछ देर बाद उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख लिया। मैंने अपने हाथों से उसके सिल्की बालों को सहलाना शुरू कर दिया।
बहुत ही कामुक नजरों से उसने मेरी ओर देखा और प्यार से मेरे कान में चुम्बन करते हुए बोली- आई लव यू जान.. मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ।
मुझे तो जैसे भरोसा ही न हुआ, मैं बस उसके होंठों पर झुक कर उसके प्यार का जवाब देने लगा।
अधरों का रसपान भी बहुत ही मस्त था.. बस बखान ही नहीं कर सकता।
मैं उसके नाजुक से गुलाबी होंठ.. रसमलाई की तरह बस चूसता रहा।
पंद्रह मिनट तक उसकी आँखें इस प्यारे से अहसास से बंद थीं। शायद यह उसका पहला अहसास रहा होगा।
मैं खुद पर कण्ट्रोल न कर सका और अपना एक हाथ उसके चूची पर ले गया।
उसने हल्का सा प्रतिरोध किया, पर प्यार के उस तूफान के सामने यह बहुत कमजोर था।
मेरा एक हाथ उसके दाहिनी चूची पर था… हय.. एकदम पत्थर की तरह सख्त..!
मैंने उस मुसम्मी को मुलायम करना शुरू कर दिया। मैं जोर-जोर से दबाने लगा।
उसने प्यार से कहा- जानू सिर्फ तुम्हारी हूँ.. प्यार से..करो न .. बहुत दर्द हो रहा है…!
पर मैं कहाँ रुकने वाला था। उसकी बातों को अनसुना करके फिर उसके होंठों को अपने होठों में लेकर अब की बार टॉप से अन्दर हाथ डाल कर दबाना शुरू कर दिया।
गजब का अहसास था यार..!
हम दोनों हॉल के सारे लोगों से बेपरवाह होकर अपने में खोए थे। मैं बहुत उत्तेजित हो गया था।
मैंने टॉप से हाथ निकाल कर उसकी मखमली जाँघों को सहलाना शुरू कर दिया। वो मेरी शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरे सीने को सहला रही थी।
मैं सहलाते हुए उसकी जांघों से उसकी चूत की तरफ बढ़ गया। मस्त एहसास था मक्खन जैसी उसकी चूत ने कामरस छोड़ दिया था।
मैंने उससे पूछा- जान मूवी मैं तुम को फिर दिखा दूंगा.. अभी मेरे घर चलोगी..?
उसने प्यार से मेरे होंठों पर सहमति भरा चुम्बन दिया।
मैं समझ गया कि उसकी ‘हाँ’ है।
हम लोग मूवी छोड़ कर मेरे घर के लिए निकल आए।
घर आते ही मैंने खुल कर उसे अपनी बाँहों में समेटा और लाज शर्म को एक किनारे रख जवानी की आग में जलने के लिए साथ कदम बढ़ा दिए।
मैंने पीछे से उसे पकड़ कर अपनी स्टडी टेबल पर उल्टा किया और उसकी स्कर्ट को ऊपर कर पैन्टी को नीचे कर दिया।
उसके कूल्हे माशा-अल्लाह.. गोरे और भरे हुए थे।
मेरा लण्ड तन्नाया हुआ था।
अपनी जीन्स और अंडरवियर खींच कर नीचे की और लंड को उसकी गांड से सटाया।
उसने कहा- जान क्या जल्दी है..? अभी मुझे प्यार करना है.. फिर सम्भोग.. !
और उसने पलट कर मुझे बिस्तर पर गिरा दिया। मेरे पैरों को चूमते हुए वो मेरे आँडों को चूमने लगी। फिर लण्ड पर जीभ फेरती हुई मेरे सुपारे को मुँह में भर लिया।
क्या लंड चुसाई की..! यार मैं झड़ते-झड़ते रह गया।
मैंने जोश मैं उसे नीचे पटका और उसके टॉप को उतार फेंका। काली ब्रा मैं आधी उभरी हुई चूची अलग ही आग लगा रही थीं।
मैंने ब्रा को नीचे सरका कर उसकी मुस्म्मियों को चूसने लग गया। उन रस भरे काम-फलों को हल्के से दांतों से काटते हुए घमण्ड से उठे हुए अंगूरों को चूसने में क्या मस्त मजा था यारों.. मजा आ गया।
मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत का हौले-हौले मर्दन कर रहा था। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।
उसने मेरे लण्ड को हाथ से पकड़ते हुए चूत पर सटाने की कोशिश की। मैंने लंड महाराज के मन की बात समझते हुए उसे चूत के मुहाने पर सैट किया और जोर का झटका मारा…
पर चूत चिकनी और बहुत कसी थी। लंड फिसल गया, उसे उसने पता नहीं, दर्द या गुस्से से मेरे पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए।
मैंने प्यार से पूछा- जान कभी सम्भोग किया है..?
तो उसने होंठ काटते हुए कहा- धत्त..!
मैंने कहा- जान एक बार फिर से मेरे लंड को चूसो और गीला करो।
उसने पाँच मिनट तक फिर लंड चूसा। मैंने उसकी चूत को चूसते हुए उसकी चूत में फिर से चिंगारी भड़काई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब फिर से दुबारा कोशिश की लौड़े से मेहनत और निशाना लगाया और दोनों सफल.. लंड चूत के 2.5 इंच तक अन्दर..!
उसके मुँह से हल्की सी चीख निकली और आँखों से आंसू..
मुझे उसके दर्द से तकलीफ हुई, पर मैं जानता था कि यह तो बस आने वाले आनन्द की शुरूआत है।
उसको सहारा देते हुए मैंने उसकी चूची को मुँह में भरा और उसे भी आनन्द के सागर में गोते लगवाने के लिए हल्के-हल्के धक्के देना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा।
फिर तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसके चूतड़ों का नीचे से धक्के पर धक्के का साथ मिलने लगा।
फिर उसने मेरे लंड को अपने काम-रस से नहला दिया। मैं भी पसीने से तरबतर बस कगार पर था।
फिर एक प्यारी सी बात हुई उसने कहा- जान मैंने कभी देखा नहीं कि लड़कों का कैसा निकलता है..! तुम अन्दर मत करना.. मुझे दिखाओ।
मैंने झड़ने से ठीक पहले लंड को चूत से निकाला और उसे हथेली आगे करने को कहा, पर जब मेरे लंड से ‘आग’ निकली तो वो उसके चेहरे व चूचियों को भिगाती हुई.. कुछ बूंद ही उसकी हथेलियों में आईं..!
उसे देख कर वो छोटी बच्ची सी किलकारी लेने लगी और मुस्कुराने लगी..!
कैसी लगी आपको मेरी आपबीती..!
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