मामी सास और उनकी बेटी के साथ सेक्स सम्बन्ध- 2
(Jija Sali Porn Story)
जीजा साली पोर्न स्टोरी मेरी बीवी की ममेरी बहन की पहली चुदाई की है. एक बार मैं उनके घर गया तो मुझे लगा कि वो मेरे ऊपर फ़िदा है. मैंने उसकी चूत कैसी मारी?
नमस्ते साथियो,
कहानी के पहले भाग
मामी सास पर मेरा दिल आ गया
में अब तक आपने देखा कि मेरी शादी के बाद मैं प्रीति के मामा के घर गया। वहाँ उसकी मामी मुग्धा अब मेरे बांहों में आ गई थी।
उसने बड़े मजे से मेरा लंड चूस कर अपनी चूत में डलवाया.
अब आगे जीजा साली पोर्न स्टोरी:
अगले दिन मैं अंगिका के साथ बाज़ार जाने के बहाने से निकल लिया।
वह मुझे एक आधे बने हुए मकान में ले गई जो थोड़ा बाहर था आबादी वाले एरिया से।
वहां आदमी तो क्या जानवर भी नहीं थे.
हम दोनों अंदर जाने लगे।
तभी मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा- तुम्हें डर नहीं लगता ऐसी जगह पर?
उसने न में सिर हिलाया.
हम एक जगह पर बैठ गए. उसका हाथ मैंने अभी भी पकड़ रखा था।
अंगिका- सच बताइयेगा जीजू … क्या मैं आपको अच्छी नहीं लगती?
मैं- लगती हो … क्यों?
अंगिका- तो कल क्यों कहा कि कोई और भी है?
मैं- क्योंकि है।
कहते हुए मैंने अपना हाथ उसके कुर्ते के भीतर डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा।
अंगिका चिढ़ते हुए- कौन है जो आपको मुझसे भी ज्यादा अच्छी लगी?
मैं- बताता हूँ! पहले ये बताओ कि तुम्हें खुद से ज्यादा अच्छा कौन लगता है? अब किसी हीरोइन का नाम मत लेना।
कुछ देर सोचने के बाद अंगिका- हाँ, मेरी माँ खूबसूरत है।
मैं- तो समझो कि वही है।
अंगिका- मतलब?
मुझे घूरते हुए बोली.
तब तक मेरा हाथ उसके बूब्स पर चला गया था और मैं दबा रहा था।
मैंने कहा- देखो, मैं और तुम्हारी माँ एक दूसरे को पहले दिन से ही चाहते हैं।
और मैंने उसे वो वीडियो दिखाया जो मैंने मुग्धा के साथ बनाया था।
मैं- तुम्हें ये रिश्ता मानना होगा. तभी मैं तुम्हारे साथ हूँ।
अंगिका- मैं समझ रही हूं. तभी आपका हाथ इतना चल रहा है वरना सबसे पहले इसे ही हटा देती!
मैं- मतलब तुम्हें कोई ऐतराज नहीं है।
अंगिका- नहीं, पर आज की रात मेरी होनी चाहिए।
मैं- ठीक है. आज रात को तुम्हारी माँ के साथ तुम्हें भी चोद दूँगा। पर इसके बारे में तुम अपनी मां से कभी कोई सवाल नहीं करोगी।
इतना कह कर मैं उसे एक कोने में ले गया और उसके बूब्स दबाने लगा।
उसने भी मेरा लंड अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया।
फिर हमने एक लंबा किस किया।
उसके बाद मैंने उसे सारी प्लानिंग बता दी कि वह कैसे आयेगी और क्या करेगी।
फिर हम घर आ गए।
रात में मुग्धा ने सभी को दवा दे दिया पर अंगिका ने दूध पिया ही नहीं और सोने का नाटक करने लगी।
फिर मैं मुग्धा के पास पहुंचा और हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे.
हमने सारे कपड़े निकाल दिये। हम दोनों सिर्फ चड्डी में थे.
तभी मैं उसके बूब्स पीते हुए अपने हाथों को पीछे ले गया।
धीरे से मैंने अंगिका को कॉल कर दिया और प्लान के मुताबिक वो कमरे में आ गई।
उसे देख कर मुग्धा का रंग ही उड़ गया और वो मुझे हटाने लगी।
लेकिन मैं अनजान बना रहा था.
उसने मुझे जोर से धकेला।
मैं भी डरने का नाटक करने लगा.
अंगिका अपनी मां पर चिल्लाने लगी।
तभी मैंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा- जो मुग्धा को चाहिए … वो मैं उसे दे रहा हूँ. तो तुम्हें क्या तकलीफ है?
अंगिका- कहना क्या चाहते हैं आप? और आपको शर्म नहीं आती अपने से बड़ी उम्र की औरत के साथ!
मैं- मुझसे कम उम्र की लड़कियां बात भी कहाँ करती हैं?
कहते हुए मैं उसके गालों को सहलाने लगा।
वो भी थोड़ी शांत हुई- अब तुम ही मुझे समय कहा देती हो?
मैंने मुग्धा को चुप रहने का इशारा किया।
और अंगिका को दीवार से सटा कर उसे किस करने लगा.
मेरा एक हाथ उसकी बूब्स पर था और दूसरा उसकी चूत पे!
जब मुझे लगा कि वो गर्म हो रही है तो मैंने उसे कसकर बांहों में दबा लिया।
उसने कहा- अजीब सा फील हो रहा है. ये क्यों?
मैंने कहा- तुम्हारी दीदी को भी हुआ था, उस दिन उसकी सील तोड़ी थी आज तुम्हारी तोड़ दूंगा।
मुग्धा के चेहरे पर नाराजगी साफ दिख रही थी.
पर वो चुप थी.
वहीं मैं खुश था कि आज नई चूत मिलने वाली है।
मैंने एक ही झटके में उसकी नाइटी निकाल दी.
अंदर उसने कुछ नहीं पहना था.
यही प्लान था हमारा।
मैंने अपनी बांहों में उसे उठाया और बिस्तर पे ले आया.
मैंने अपनी चड्डी भी उतार दी।
फिर अपना लंड उसको मुँह में लेने को कहा।
अब वो मेरे लंड को अपने हाथों से सहला रही थी और उसे पी रही थी।
मैं जोर-जोर से उसके सर को दबा रहा था अपने लंड पे- हां ऐसे ही आह … कमऑन … सक इट बेबी आह … ऐसे ही … पियो इसे हाँ … मेरी जान … और पियो।
अब मैं बिल्कुल दूसरी ही दुनिया में था.
फिर उसे लिटाते हुए उसकी गुलाबी चूत को चूसने लगा,
तभी वो बोली- जीजू आज कितना तड़पाओगे आह,!
अंगिका मेरे सर को दबा भी रही थी।
कुछ देर बाद मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ने लगा.
वो मछली की तरह तड़प रही थी- जीजू और मत तड़पाइये … अब डाल दीजिए।
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर सेट कर दिया- चुप कर साली … तड़पा तो मैं हूँ!
कहते हुए मैंने अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया।
वो जोर से चीखी.
तभी मैं अपने होंठ उसके होंठ पर रख चूसने लगा।
वो अपने दर्द को दबा रही थी कि तभी मैंने अपना आधा लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे अब!
तभी मैं बोला- कुतिया … इतना तो तेरी मां को रोज़ पेलता हूँ। साली छिनार पहले आती तो तुझे ही चोदता!
वो दबी जुबान से बोली- जीजू, अब आ गई है आपकी कुतिया … चोद लीजिए आह … मार दिया आपने!
मैंने एक बार जोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी झिल्ली को फाड़ते हुए अंदर गया।
मैं समझ गया कि इसकी झिल्ली फट चुकी है.
उसका ध्यान उधर न जाये, इसलिये मैं उसे बातों में उलझाने लगा- ले मेरी जान … आह! और ले!
मैं ये कहते हुए चोद रहा था- रंडी साली, मेरी प्यास बुझा सकेगी।
अंगिका- हाँ जीजू आह … ये रंडी हर रोज़ आपकी … आह … प्यास बुझायेगी।
अब उसे भी मज़ा आ रहा था।
मैं- मादरचोद, तुझे तो अपनी रखैल बना के रखूंगा हमेशा!
मैं लगातार उसे चोद रहा था कि तभी उसने मुझे कस कर पकड़ लिया।
अंगिका- जीजू … ये कुतिया अब से आपकी है … रंडी की तरह ही … आह … रहेगी।
फिर मुझे लगा कि अब मैं भी खाली होने वाला हूं तो मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी- अंगिका … आह मेरी जान अंगिका!
कहते हुए मैं उसकी चूत में ही खाली हो गया।
थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए.
उसने खून में सने हुए लंड को देखा- अरे जीजू, आपका तो खून निकल रहा है।
मैं- साली छिनार … मेरा नहीं … तेरी चूत से निकला है।
फिर उसने अपनी नाइटी पहनी और ‘बाय जीजू’ कहती हुयी चली गयी।
उसकी चाल पूरी तरह बदल गई थी वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।
इधर जीजा साली पोर्न देख मुग्धा का गुस्सा सातवें आसमान पर था।
मुग्धा गुस्से से लाल हो गई थी, उसने अपने कपड़े पहन लिए थे और मुझे बाहर जाने को कहा।
मैं उसे समझाने लगा लेकिन वो मेरी बात सुनने को तैयार नहीं थी।
मुग्धा- तुमने आज जानबूझकर ये दरवाज़ा खुला छोड़ा था न ताकि मेरे घर में सबको पता चल जाय!
मैं- नहीं मेरी जान, तुम गलत सोच रही हो।
मुग्धा- चुप रहो. मैं सब समझ रही हूं. तुमने अंगिका के साथ मेरे सामने ही … ये सब तुमने पहले से ही सोच रखा था।
मैं- ऐसा नहीं है। मुझे अपनी बात तो कहने दो पहले!
मुग्धा- तुमने यही सोचा न कि कुछ नहीं बोलूंगी क्योंकि तुमसे प्यार करती हूं और तुम मेरा फायदा उठा सकते हो। मैं तुम्हें अंगिका के सामने क्या दिखाना चाहती थी और तुम उसे बिस्तर पे ले गए।
मैं- नहीं मुग्धा, ऐसा नहीं है. उसे दवा तुम्ही ने दी थी. मुझे कैसे मालूम कि वो जग जाएगी? और तुम्हें भी मैं पसंद आया था न कि अंगिका को!
मुग्धा अब थोड़ी शांत हुई, फिर सोचकर बोली- पर अब कैसे हो सकता है कि वो भी और मैं भी तुम्हारे साथ?
अब मेरे भी जान में जान आई कि चलो ये ज्यादा न ही सोचे तो अच्छा है।
वरना कहीं इसने जान लिया कि ये सब अंगिका और मेरी प्लानिंग है तो बवाल हो जाएगा।
मैं- सब हो सकता है मेरी जान … किसी को पता नहीं चलेगा। तुम अब भी वैसे ही साथ दो मेरा!
मुग्धा- पर अंगिका?
मैं- उसे मैं संभाल लूंगा।
कहते हुए मैंने उसके गालों को पकड़ लिया और कहा- अब तो नाराज़ मत हो।
उसने हंस कर मुझे किस किया।
मैंने कहा- तो एक बार हो जाय फिर?
मुग्धा- धत … बदमाश हर समय मौका ढूंढते हो बस!
कहते हुए उसने मेरे सीने पर मारा।
मैं उसे अपनी बांहों में लेकर प्यार करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।
थोड़ी ही देर में वो गर्म होने लगी.
मैंने पहले उसे बिस्तर पे लिटाया और कहा कि कपड़े निकाले।
उसने हम दोनों के कपड़े निकाल दिए. अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए थे।
तभी वो बोली- अब शांत क्यों हो? मुझे जल्दी से ठण्डी करो.
तो मैंने कहा- अब मैं कुछ नहीं करूंगा, तुम्ही करो. तुमने मेरे पर भरोसा नहीं किया और मुझे गलत मान लिया।
वो मुझे किस करने लगी और बोली- नाराज़ मत हो मेरे शोना … मैं ही तुम्हें प्यार करूंगी।
फिर वो मेरे लन्ड पर बैठ गई और उछलने लगी।
उसकी चूत में मेरा लन्ड घुस गया था और वो अपने बूब्स को दबा कर चुद रही थी।
थोड़ी देर सवारी करने के बाद वो मेरे सीने पर आई लव यू बोलते हुए गिर गई।
उसकी अगली सुबह जब मामा अपने काम पर चले गए तो मैं और अंगिका ड्राइंग रूम में थे।
हम दोनों एक दूसरे के साथ खेल रहे थे।
मैं उसके बूब्स दबा रहा था और उसे चूम रहा था।
वैसे ही वो भी अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाती, तो कभी मेरे होंठों पे फिरा देती।
ये सब मुग्धा देख रही थी और उसे अच्छा नहीं लग रहा था।
तभी उसने अंगिका को नहाने के लिए बोला.
मुग्धा अपनी बेटी अंगिका को मेरे पास से हटाना चाहती थी।
पर अंगिका ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया.
मुग्धा समझ गई कि ये सब अंगिका मेरे बल पर ही कर रही है।
वो बहुत नाराज़ होते हुए जाने लगी वहां से!
तभी मैंने उसे बुलाया और अपने पास बैठने को कहा।
मैं दोनों के बीच में बैठा था और उनके हाथों को पकड़ कर सहला रहा था।
मैंने अंगिका की तरफ देखते हुए कहा- ये कौन है मेरी?
अंगिका- आपकी सास है।
मैं- नहीं, ये मेरी पत्नी है।
फिर मैंने वही सवाल मुग्धा से भी किया अंगिका के लिए।
मुग्धा- साली है।
मैं- नहीं, ये मेरी पत्नी है।
दोनों चौंकते हुए एक साथ बोली- क्या मतलब?
मैं- देखो न … तो मैं मुग्धा को छोड़ सकता हूं और न ही तुम्हें। बस एक बात दोनों समझ लो … न तो कोई पहली है और न ही कोई दूसरी!
अंगिका- फिर क्या मतलब है इसका?
इसके बाद क्या हुआ वो अगले बार बताऊंगा।
अपनी राय जरूर दीजिएगा।
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