हमारी घरेलू नौकरानी सीमा
प्रेषक : अभिनय शर्मा
दोस्तो, अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली कहानी है, उम्मीद करता हूँ कि आप इसे पसंद करेंगे।
मेरी उम्र अभी 26 साल है, पर यह घटना मेरे साथ तब घटी जब मैं 18 साल का था। मेरे फ़ाइनल इम्तिहान चल रहे थे और मैं अपनी आदत के अनुसार अपने कमरे में बंद होकर पढ़ता रहता था, दिन भर बाहर नहीं निकलता था खाना खाने के अलावा !
इस कारण मम्मी-पापा भी मुझे डिस्टर्ब नहीं करते थे। तो हुआ यों कि एक सफाई वाली काम करती थी मेरे घर में, जिसका नाम था सीमा, वो मेरी ही उम्र की होगी, सांवली सी थी कोई ख़ास वेश-भूषा भी नहीं थी उसकी जिसके कारण मैं उस पर ध्यान देता, पर थी तो लड़की ! तो उसके रोज़ शाम की झाड़ू लगाने आने का टाइम था शाम के 5 बजे, मेरे कमरे का दरवाज़ा बंद होता था जिसे वो खटखटाती और तब मैं जब तक वो झाड़ू लगाती तब तक ब्रेक ले लेता था, वो झाड़ू लगाने के लिए पंखा बंद कर देती थी और मैं लेटे लेटे यूँ ही उसे देखता रहता था और ऐसा शो करता था कि जैसे उसने पंखा बंद करके कोई गुनाह कर दिया हो !
पर मैं इसी बहाने उसके वक्ष-उभारों को देखता था जो ज्यादा बड़े तो नहीं पर इतने थे कि दबाने पर उँगलियों की पोरों से बाहर न निकलें। पता नहीं उसे यह पता था या नहीं पर वो चुपचाप झाड़ू लगाती और उसके बाद पंखा चालू करके पोंछा लगाने लगाती, तब मैं मोबाइल पर इधर उधर कुछ करने लगता और बीच बीच में उससे बातें करने की भी कुछ न कुछ कोशिश करता रहता।
धीरे धीरे मेरी उससे बातें होने लगी और ज़्यादातर मोबाइल फोन से सम्बन्धित बातें होतीं कि नया फोन सस्ते से सस्ता कितने का आएगा और कैसे रिचार्ज कराते हैं, यही सब।
ऐसे ही करते करते पेपर ख़त्म भी हो गए और पेपर ख़त्म होते ही मैं घूमने के लिए अपने दोस्त के साथ पुणे चल दिया। स्टेशन पर पहुँचा ही था कि मोबाइल पर घंटी बजी और उधर से एक लड़की की आवाज़ आई, मैं उस टाइम पर बड़ा फट्टू टाइप का लड़का था, उसने सीधे बोला कि आप मुझे अच्छे लगते हो।
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि क्या बोलूँ, क्या पूछूँ ! बस मैंने इतना ही कहा- आप हो कौन पहले ये तो बता दो?
पर उसने बताया नहीं।
कई दिन तक ऐसे ही बातें चलती रही, जब तक मैं पुणे में रहा। बात करते करते मुझे शक हुआ कि यह आवाज़ कुछ कुछ तो सीमा से मिलती है और मैंने सोचा कि यार ऐसे तो कुछ नहीं होने वाला तो मैंने उससे सीधा बोला कि तू सीमा बात कर रही है न? रुक जा, मैं तुझे घर लौटकर बताता हूँ, इतने दिन से मुझे तूने परेशान करके रखा है और पूछा कि आखिर तुझे मेरा नंबर कहाँ से मिला?
तो उसने बताया- जब तुम्हारे पेपर चल रहे थे, मैं काम करने आई थी और तुम्हारे हटते ही मैंने अपने फोन पर मिस कॉल कर लिया था।
मैं मन ही मन खुश हुआ जा रहा था और जानबूझ कर मैंने उसे डरा कर बोल दिया- रुक, घर आने दे, फिर तेरी मम्मी से कहकर खबर लूँगा।
इतना कहने के बाद उसका फोन नहीं आया दुबारा।
मैं मुंबई लौटा तो मम्मी पापा किसी तीर्थ यात्रा पर निकल गए पूरे 15 दिन के लिए। मेरे तो पैर ज़मीन पर ही नहीं पड़ रहे थे क्यूंकि मुझे मालूम था कि ये पूरे 15 दिन पूरे ऐश से भरे होने वाले हैं। बस इंतज़ार था तो केवल सीमा के आने का। पर वो आती कैसे उसको मम्मी 3 दिन में एक बार आने को कह गई थी।
दो दिन निकल गए पर मैंने फोन नहीं किया न उसने फिर तीसरे दिन वो प्रकट हुई और सीधे बिना कुछ बोले घर की सफाई करने लगी। उसने पीले रंग का पटियाला सूट पहन रखा था, शायद वो सजधज कर आई थी, और मैं टीवी देखने का नाटक कर रहा था।
उसने घर की सफाई चालू कर दी पर मेरी गांड फिर से एक बार मुझे धोखा दे रही थी।
धीरे धीरे वो झाड़ू लगाते हुए मेरे सामने आई तो मैंने उसके चूचों की तरफ देखा तो पता चला कि उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी और इधर मेरे निक्कर में तम्बू बना जा रहा था।
उसके पहले मैंने ज़िन्दगी में कभी किसी को ऐसे नहीं देखा था, चोदना तो बहुत दूर की बात है।
मैं देख ही रहा था कि उसने मेरी नज़रों को पकड़ लिया और बोली- नाराज हो मुझसे?
तो मैं बोला- कौन नाराज़ हो सकता है तुमसे?
मेरे इतना कहते ही वो गई और हाथ धोकर आ गई और मेरे सामने खड़ी हो गई। पता नहीं आज वो कुछ ज्यादा ही अच्छी लग रही थी। मैंने उससे बोला- आओ बैठो !
और अपने पास सोफे पर बिठा लिया और वो मेरे साथ साथ टीवी देखने लगी, धीरे से उसने ही बातें शुरू की- अभिनय, मुझे पता है कि हमारा कोई भविष्य नहीं है और मैं यह बात जानती हूँ पर मैं तुम्हे बहुत पसंद करती हूँ और मैं तुम्हें बस दोस्त के जैसे चाहती हूँ !
और न जाने वो क्या क्या बोलती रही पर मेरा ध्यान केवल मेरे लण्ड पर था जो शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था।
इतने में वो बोली- तुम भी तो कुछ बोलो !
तो मैंने सोचा कि आज अगर कुछ न किया तो ज़िन्दगी भर ऐसे ही बैठा रह जायेगा और मैंने सीधे उसके होंठों पे होंठ रख दिए।
उसने तुरंत ही मुझे अलग किया और बोली- यह क्या कर रहे हो?
मैं बोला- सॉरी !
और फिर टीवी देखने लगा, इतने में ही उसने मेरे गालों पर चूमा तो मैंने भी उसके गालों पर चूमा और हम दोनों चिपक कर बैठ गए। धीरे धीरे चूमते चूमते वो भी मेरे होंठों को चूमने लगी और जैसे मैंने फिल्मों में देखा था उसी तरह मैंने भी उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी जिसे उसने चूसना शुरू कर दिया और मेरे हाथ धीरे धीरे उसकी पीठ को सहलाने लगे उसने बहुत ही महीन कॉटन का सूट पहना था और अन्दर ब्रा न होने के कारण बड़ा ही अच्छा महसूस हो रहा था।
धीरे धीरे सहलाते सहलाते मैं और वो दोनों ही सोफे पर लेट गए और मैं उसके ऊपर उसे चूमे ही जा रहा था और वो बराबरी से साथ दे रही थी।
धीरे से मैंने अपना एक हाथ उसके कुरते में डाल दिया वो एकदम से सकपका गई और उसके मुँह से एक धीमी से सीत्कार निकली- आह !
उसके चुच्चे बहुत ही मुलायम थे और निप्पल एकदम कठोर छोटे से। पता नहीं अचानक उसे क्या हुआ कि वो उठ गई और बोली- मुझे जाना है !
और अपने कपड़े सही करने लगी और जैसे ही वह जाने को हुई, मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा- कल आओगी?
जिसका जवाब उसने कुछ नहीं दिया और मुस्कुराकर भाग गई !!
अगले दिन मैं बड़ी ही बेसब्री से 5 बजने का इंतज़ार करने लगा और जब आप कभी किसी का आने का इंतज़ार करो तो साला टाइम काटने से भी नहीं कटता और यही हाल मेरा भी था, बार बार घड़ी की ओर देखे जा रहा था। मैं आज पूरी तैयारी करके बैठा था जैसे कि कंडोम, क्रीम तेल और न जाने क्या क्या।
फिर से वो प्रकट हुई, आज तो मैं उसको पहचान ही नहीं पा रहा था उसने एक हल्का सा कुरता और नीचे एक स्कर्ट पहना था, कुरता सफ़ेद था और अन्दर उसने समीज़ भी पहन रखी थी केवल कन्धों पर उसकी स्किन का रंग पता चल रहा था, कुल मिलकर वो अच्छी दिख रही थी। जैसे ही वो आई और मैंने दरवाज़ा बंद किया और उसको दरवाज़ा पर ही टिकाकर चूमने लगा और बिना देर किये सीधे उसके कुरते में हाथ डाल दिया और उसका बाएँ तरफ का चूचा मैंने पकड़ लिया। उसने बस आह की सिसकारी निकाली, मुझे जंगलियों की तरह चूसने लगी और अपने एक पैर उठा कर मेरी कमर पर लपेटने से लगी।
अब मैं उसके दोनों चून्चों को बारी बारी से जोरों से मसलने लगा था क्यूंकि पहली बार था, अब शायद उसे थोड़ा सा दर्द होने लगा था तो वो बोली तो कुछ नहीं पर उस तरीके से चूमना बंद कर दिया था उसने।
फिर मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गया और इधर उधर की बातें करने लगा, उसकी आँखों में अजब सा ही नशा था उस समय और मैं भी कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था, बल्कि मैं तो उसे हर तरह से भोगना चाहता था क्योंकि मेरा पहली बार था। मैंने मम्मी पापा के जाने के बाद पिन्ट बियर का करेट फ़्रिज़ में पहले से ही लगा दिया था। मुझे बियर पीने का शौक काफ़ी पहले से ही हो गया था।
मैंने एक उसके लिए और एक अपने लिए बियर खोली और धीरे धीरे पीने लगे। मेरे बिस्तर पर तकिये का सहारा लेकर और मैं उसके बालों से उसके होंठों से खेल रहा था। एक बियर खत्म करते ही उसकी आँखों में नशा दिखने लगा था। धीरे से मैं उसे फिर से बाहों में भरने लगा था और चूमना चूसना चालू हो गया था हमारे बीच।
फिर हम एक दूसरे की ओर करवट लेकर लेट गए और मैंने फिर से उसके कुरते में हाथ डाल दिया और उसने फिर से आहें भरनी शुरू कर दिया। मैंने उससे धीरे से पूछा- कैसा लग रहा है?
तो वो बोली- करते रहो !
और उसने आँखें बंद कर ली थीं।
धीरे से मैंने उसका कुरता ऊपर किया तो उसकी चूचियाँ देखते ही मेरे लंड का बहुत ही बुरा हाल हो गया, मैंने मेरे लंड को उसी हालत में तड़पता छोड़कर सीधे उसके चूचों पर मुँह लगा दिया पर अबकि बार उसकी सिसकारी बहुत ही मादक थी, मेरे मुँह लगाते ही उसने मेरे सर को पकड़ कर कसके अपने उरोजों पर दबा दिया। मैं तो जैसे जानत में ही सैर कर रहा था। अदल बदल कर मैंने उसके दोनों चूचों को चाटा, चूसा और वो बड़ी ही बुरी तरह से विचलित हुई जा रही थी पता नहीं क्यूँ !
फिर मेरे दिमाग ने एक और करवट ली और मैंने उसके एक हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया, वो एकदम से बोल पड़ी- यह क्या है?
मैं बोला- कुछ नहीं, तुम्हारा मुन्ना है यह।
इस पर वो बोली- यह इतना कठोर कैसे हो गया?
तो मैंने उसे सब समझाया कि क्या होता है लड़कों के साथ।
फिर मैंने उसे बोला- कि धीरे धीरे इसे सहलाओ !
तो वो वैसा ही करने लगी और बियर भी अपना पूरा काम करने लगी थी।
इतने में मैंने उसके और अपने ऊपर के कपड़े उतार दिए थे, पहली बार किसी लड़की को निर्वस्त्र देखकर मेरा लौड़ा तो फुंकारें ही मारे जा रहा था, मैं कपड़े उतार कर सीधा खड़ा हो गया और उसको बैठा कर लंड उसको मुंह में लेने के लिए बोला तो उसने थोड़ी आनाकानी दिखाई पर मेरे मनाने पर उसने ले लिया। मेरा तो दिमाग जैसे दो मिनट के लिए सुन्न ही हो गया था, लगा कि जैसे किसी ने भभकते हुए लावे पर पानी डाल दिया हो… गज़ब का एहसास हुआ मुझे !
और फिर धीरे धीरे मैंने उसके मुँह में अपना लंड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया। उसे बार बार थोड़ी उबकाई सी आ रही थी तो मैंने अपना लंड निकाल लिया।
मैं और वो फिर से एक दूसरे की ओर करवट लेकर लेट गए। मैंने लेटते ही अपना हाथ उसकी स्कर्ट में डाल दिया और उसकी पेंटी के अन्दर हाथ डालते ही मुझे बहुत ही गीला गीला एहसास हुआ, मेरे ऐसा करते ही उसने अपनी जांघें सिकोड़ लीं और बोली- वहाँ से हाथ हटाओ !
मैं बोला- प्लीज़, देखने तो दो कैसा होता है वहाँ ! तुमने भी तो मेरा देखा ना !
इस पर वो थोड़ी सामान्य हुई और मैंने वहाँ उसकी चूत को सहलाना चालू कर दिया, और वो बड़ी ही बुरी तरह मचलने लगी। मुझे ब्लू फिल्में देखने का आज बहुत लाभ मिल रहा था। वो तो मचले ही जा रही थी, धीरे से मैंने उसकी पेंटी उतार दी और स्कर्ट को ऊपर करके अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी मेरी इस करनी से उसे फिर एक झटका सा लगा और उसने मेरे सर को फिर से पकड़ कर दबा दिया और मेरे हिलने की कोशिश को उसने विफल कर दिया और थोड़े थोड़े हिलोरे लेती हुई वो शांत हुई, शायद वो झड़ चुकी थी। जैसे ही वो शांत हुई मैंने फिर से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। थोड़ा नमकीन सा स्वाद था पर पता नहीं मुझे कुछ भी अजीब सा महसूस नहीं हो रहा था बल्कि कुछ अलग ही आनन्द की अनुभूति हो रही थी। चाटने से फिर एक बार उसकी सिसकारियाँ शुरू हो गईं और उसके हाथ मेरे बालों पर चलने लगे।
थोड़ी ही देर में मैंने अपनी अवस्था बदल दी और मैंने अपने लंड उसके मुँह की तरफ कर दिया यानि 69 अवस्था में आ गया और उसने भी बिना सोचे समझे मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया, मैं उसकी चूत में मेरी जीभ जितनी अन्दर जा सकती थी, डालनी शुरू कर दी। पर इतने में ही मेरे सब्र का बाँध टूट गया और मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने तुरंत ही वहाँ से हट कर बाथरूम की ओर दौड़ लगा दी, शायद पहली बार एक लड़की के साथ होने के कारण जल्दी हो गया, पर इसके मुझे फायदा ही हुआ…
सफाई करके मैं लौटा तो देखा कि उसने चादर ओढ़ रखी है, उसने मुझसे पूछा- क्या हुआ था जो अचानक चले गए?
तो मैं बोला- शू शू करना गया था !
और फिर से मैंने एक बियर और निकाली और एक उसको भी दी। मैंने उससे कन्फर्म किया कि जल्दी तो नहीं है, घर वाले ढूंढते हुए इधर तो नहीं आ जायेंगे?
तो इस पर वो बोली- मेरे घर में भी कोई नहीं है, मैं जब चाहूँ, तब घर जा सकती हूँ।
इतना सुनते ही मैं और भी खुश और सुकून से हो गया कि अब तो दीवाल पोत देंगे और लिखे देंगे क्रान्ति !
बियर पीने के साथ ही साथ फिर से चूमना-चाटना चालू हो गया था पर शायद बियर पीने के कारण उसकी मूत्र नाली भर गई थी तो वो भी मूत्र विसर्जन करने गई बीच में।
इसी बीच मैंने बाकी का सामान फिर से ठिकाने पर लगा लिया। जैसे ही वो लौट कर आई, मैंने उसे फिर से चूसा जी भर उसके चूचों का मर्दन किया और फिर से 69 में आकर उसकी चूत गीली की और अपना लंड भी गीला करवाया।
फ़िर मैं करवट लेकर उसकी तरफ मुँह करके लेटा और बाद में उसके ऊपर आ गया।
धीरे से मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर घिसा तो उसे और भी अच्छा लगा पर शायद डर के मारे उसका चेहरा अजीब सा हो रहा था। मैंने फिर से चूमना शुरू कर दिया और वो भी मुझे बराबर से चूमने लगी। मैंने चूमते चूमते ही उसकी योनि के छेद में लण्ड डालने की कोशिश की पर अन्दर जाने का नाम ही नहीं ले रहा था तो मैंने फिर से उसकी चूत की ओर देखा और अपने थूक से उसे फिर से गीला किया, अपने लंड को भी थोड़ा और गीला किया और फिर से कोशिश की और शायद मेरे लंड को थोड़ा सा रास्ता मिला।
मैं लंड को उतना ही फंसा कर फिर से उसे चूमने लगा और धीरे धीरे अन्दर करने की कोशिश करने लगा।
चूत उसकी बहुत ही कसी हुई थी।
मैंने सोचा कि जैसा ब्लू फिल्म में होता है, वैसा ही करते हैं और एक झटके में पूरा अन्दर कर दिया और उसकी बड़ी हो जोर से चीख निकल गई, वो रोने लगी, आंसुओं की धारा बह रही थी और पूरी चादर पर खून ही खून जो उसकी जांघों से बहता हुआ नीचे बह रहा था।
थोड़ी देर उसी स्थिति में लेटे रहने के बाद जब उसका रोना बंद हुआ तो मैंने फिर से उसे चूमना शुरू किया और उसने भी फिर से साथ देना शुरू कर दिया था। मैंने अपने लण्ड को भी थोड़ा थोड़ा अन्दर बाहर करना शुरू किया और अब उसे भी कुछ अच्छा लगने लगा था। अब उसकी सिसकारियाँ भी चालू हो गईं थी- आह… आह… ह्म्म्म… ह्म्म्म…
बहुत ही मादक हो गई थी उसकी आँखें जो वैसे भी अधखुली थीं !
अब तो बहुत ही ज़ोरों से मैं उसकी चुदाई कर रहा था, फिर मैं उसे उठा कर बाथरूम ले गया और वहाँ उसे खड़ा करके एक टांग उसकी अपनी कमर में लपेट के अपना लंड उसकी चूत में फिर से डालकर अन्दर बाहर करने लगा। उस अवस्था में बहुत ही आनन्द का एहसास हुआ जिसका वर्णन करना बहुत मुश्किल है।
मैं साथ ही साथ उसके चून्चों को भी रौंद रहा था कि इतने में वो फिर से एक बार झड़ गई। अब मैं फिर से झड़ने के बहुत ही करीब था और जैसे ही उसने मेरे कानों में चूसा और गरम सांसें छोड़ी तो मैं उसकी चूत में ही ढेर हो गया और हम हाँफते हुए वापस बिस्तर पर आकर ढेर हो गए।
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