गर्लफ्रेंड की चूत में मेरे मोटे लण्ड का तूफ़ान

(Girl-Friend Ki Chut Me Mere Mote Lund Ka Tufan)

दोस्तो, आपको लंड बहादुर का नमस्कार..

मेरा लंड बहुत लम्बा और मोटा है.. चूसने पर और मोटा हो जाता है।

यह कहानी मेरी गर्लफ्रेंड की पहली चुदाई की है, मैं उसे प्यार से ‘जान’ बुलाता था।

एक बार मैं उसे एक्जाम दिलवाने ले अपने किराए के कमरे पर ले गया.. दोनों में प्यार था.. पर कभी शरम के कारण एक-दूसरे को बता

नहीं पाए.. पर जब दोनों अकेले हुए.. तो बातों-बातों में इकरार हो गया।

रात में हम दोनों साथ सोए.. पहले तो मैं दूर ही रहा.. पर धीरे-धीरे मैं उसके करीब हुआ.. तो उसने पूछा- चुम्बन करने से कोई बच्चा तो नहीं होता न?

मैंने कहा- नहीं..

तो उसने चुम्बन करने को कहा।
मैंने उसे चुम्बन किया.. उसके बाद मैं उसे गले लगा कर देर तक चुम्बन करता रहा।

इस गर्म जोशी के चलते मैंने उसे किसी तरह मना कर उससे चूचियाँ दिखाने को बोला.. तो उसने अपनी चूचियाँ दिखाईं.. मैं तो यार

उसकी गोरी-गोरी चूचियाँ देखता ही रह गया।

मैंने उसकी चूचियों को धीरे से दबाया.. वो एकदम से गनगना गई।
उसके बाद हम दोनों चिपक कर सो गए। मैं रात भर उसकी चूचियाँ पकड़ कर सोया रहा।

सुबह-सुबह जब दोनों जागे.. तो मैं तो उसके जगने तक उसको यूं ही पकड़ कर लेटा रहा।

फिर वो जागी.. मैंने उसे चुम्बन किया.. वो बीच-बीच में मुझे देख कर शर्मा रही थी।

मैं फिर रात होने का इंतजार करने लगा, आज मैंने सोच लिया था कि आज इसे पक्का चोदूँगा।

फिर रात को दोनों साथ में सोये.. तो मैंने उसे अपनी कसम दे दी कि आज वो मुझे अपनी चूत में लंड घुसाने दे।

पहले तो वो बोली- दर्द होगा.. बच्चा रह जाएगा।
मैंने उसे किसी तरह मना ही लिया..

फिर वो अपने कपड़े उतारने लगी।
पहले मैंने उसकी चूचियों को खूब चूसा.. फिर फिर वो जब मूड में आ गई.. तो मैं उसे पैरों की तरफ से चूमने लगा।

चूमते-चूमते मैं उसकी पैन्टी तक आ कर उसकी जाँघों को चूमने लगा और पैंटी उतार दी।
वो थोड़ा शरमाई.. फिर मेरे चेहरे को देखने लगी।

मैं अपलक उसकी अनछुई कली सी चूत को देख रहा था.. देखते-देखते मैं उसकी चूत को सहलाने लगा।
फिर उसकी चूत में उंगली करने लगा.. जिससे वो कांप उठी।

धीरे-धीरे मैं उंगली अन्दर घुसेड़ता गया.. क्या कसी हुई चूत थी.. साली उंगली भी नहीं जा रही थी।
उसे थोड़ा-थोड़ा दर्द हो रहा था.. पर वो पूरे मूड में थी।

यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

फिर थोड़ी देर बाद मैंने उंगली थोड़ा अन्दर ले गया जिससे वो मजे लेने लगी।
फिर मैंने अपने लन्ड पर तेल लगाया मेरा लंड थोड़ा ज्यादा ही मोटा है.. जिससे लंड जाने में बहुत ही दर्द हो रहा था।

किसी तरह मैंने लंड का सुपारा उसकी सील पैक चूत में घुसाया.. जिससे वो दर्द से बिलखने लगी।
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया। मैं थोड़ी देर शांत रहा..

फिर लंड निकाल कर उसमें और ज्यादा तेल लगाया, अब लौड़ा टिकाया.. इस बार थोड़ा और अन्दर करके एक जोर की ठाप मारी.. तो

आधा अन्दर घुस गया।

फिर मैं उसको ज्यादा दर्द ना हो.. यह देखते हुए उतने लौड़े से ही धक्का लगाने लगा।

जब उसे थोड़ा आराम हुआ.. तो वो फिर शान्त हो गई और मैं धीरे-धीरे लौड़े को और अन्दर घुसाने लगा।

सच यार.. क्या टाइट चूत थी.. बता नहीं सकता।

मैंने बहुत देर तक उसको चोदा.. पर पूरा लंड नहीं घुसा पाया.. क्योंकि एक ही रात में मैं उसको ज्यादा दर्द नहीं दे सकता था।

इस बार मैं तीन चौथाई लण्ड ही घुसा पाया था.. तब भी हम दोनों को खूब मजा आया।

फिर जब दोनों का पानी निकला.. तो उसने मुझसे पूछा- तुम्हारा पूरा घुस गया था?
मैंने बता दिया- नहीं अभी कुछ बाहर ही रहा गया था।

उसने अपने दर्द के बारे में बताया.. फिर दुबारा चुदाई करने देने को बोल कर वो लेट गई.. और मुझसे लिपट कर सो गई..

मैं उसे बाँहों में ले कर चूमता रहा।
मेरी जिन्दगी की प्यास बुझ गई थी, मैं आज बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था।

फिर अगले दिन वो सुबह जागी.. तो उसके चेहरे पर थोड़ा दर्द था।

वो फ्रेश होकर एक्जाम की तैयारी में लग गई, मैं उसे बार-बार देखता जा रहा था।
मेरे लंड में भी जलन और दर्द हो रहा था.. पर दिल में उसकी सील तोड़ चुदाई की एक अलग ही खुशी भी थी।

वो एक्जाम देने चली गई.. मैं उसकी यादों में खोया रहा… फिर फ्रेश होकर खाना खाने चला गया और रूम पर आकर उसका इंतजार

करने लगा।

वो शाम को 4 बजे आई.. आज उसने मेरा जींस पैंट पहना था.. गजब की मस्त माल दिख रही थी।

मैंने उसके आते ही उसे 2-3 चुम्बन किए.. वो शर्मा गई।
उसने बताया कि उसे पूरे दिन दर्द होता रहा.. तो मैंने बताया- हाँ एक-दो बार दर्द होगा.. फिर मजा आने लगेगा।

हम दोनों ने साथ-साथ नाश्ता किया.. फिर हम लोग रात होने का इन्तजार करने लगे और रात होने पर आज मकान-मालिक ने अपने

तरफ से पार्टी दी थी।
हम लोग उस पार्टी में जाना तो नहीं चाहते थे.. पर जाना पड़ा।

हम लोग खाना खा कर अपने कमरे में आ गए.. और अपनी अधूरी प्यास के चलते हम दोनों जल्दी से बिस्तर पर आ गए।

मैं उसके कपड़े उतारने लगा.. उसे भी जल्दी मची थी।

मैंने उसे नंगी कर दिया और चूमने लगा।
उसका गोरा बदन हल्की रोशनी में भी गजब दिख रहा था, उसकी चूत पर जो रेशमी बाल थे.. वो और भी जुल्म ढा रहे थे।

मैंने उसके होंठों से चूमना शुरू किया।

क्या होंठ थे उसके.. गजब.. गुलाब की पंखुरी जैसे.. मैं बहुत देर तक उसके होंठों को चूसता रहा।

फिर मैं नीचे की तरफ हुआ और उसकी चूचियों को चूसने लगा। उसकी चूचियाँ पत्थर के जैसे सख्त हो गई थीं। उसके भूरे-भूरे निप्पलों

में दांत गाड़ने पर वो ‘आह-आह’ करने लगती।
मैं उसकी नाभि को चूमने और चूसने लगा।

दूसरी तरफ मैं उसकी चूत में उंगली भी करने लगा.. जिससे चूत से थोड़ा-थोड़ा पानी भी निकलने लगा था।
वो बोली- जानू उंगली ही करो.. लंड से दर्द होता है।

हम दोनों का प्यार धीरे-धीरे उफान लेने लगा और आज मैंने किसी तरह अपना पूरा मूसल उसकी नन्हीं सी चूत में ठोक ही दिया।
इस तरह हम दोनों का प्यार दर्द के बाद और भी मीठा हो गया था।

कहानी कैसी लगी.. मुझे आपके जवाब का इंतजार रहेगा। आप मुझे इस मेल पर जवाब भेज सकते हैं।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top