गदराई लड़की के जवान बदन का चोदन- 4

(First Virgin Fuck Story )

फर्स्ट वर्जिन फक स्टोरी में होटल के कमरे में एक बॉस और उसकी जूनियर के बीच चल रहे रोमांस के बाद का प्रथम मिलन हो रहा है. कुंवारी बुर की पहली चुदाई पढ़ें.

कहानी के तीसरे भाग
प्रथम मिलन की राह पर पहला कदम
में आपने पढ़ा कि

इन रसीली चूचियों को छोड़ने का मन ही नहीं था … न ही शायद नीति का!
धीरे धीरे मैं नीचे सरकता हुआ आ गया और उसके पेट पर किस करने लगा.

अब आगे फर्स्ट वर्जिन फक स्टोरी:

इससे नीति के जिस्म में सुरसुरी होने लगी थी और वह अपने सिर को इधर उधर पटकने लगी थी.
वह मुझे रोकना चाहती थी मगर तब तक मैंने अपनी जीभ उसकी नाभि में घुसा दी और नीति तो जैसे बिना पानी मछली की तरह तड़फने लगी- ह्हहँ … उऊऊ … गुऊंन्न … ओह्ह्ह … हरी … बस करिये … अब … ओह्ह्ह … हरी … बस करिये!

मेरे हाथ उसकी कमर को पकड़े हुए थे.
मैंने अपने हाथ से उसकी शलवार के नाड़े की गांठ को खोल दिया.

अचानक से नीति होश में आई और मेरा हाथ पकड़ लिया.
उसकी आँखों में पहली बार एक मर्द के सामने नग्न होने की शर्म झिझक थी.
उसने मेरी आँखों में देखा जहाँ सिर्फ प्यार ही था, मेरी आँखें विश्वास दिला रही थी कि यही जिंदगी भर का साथ है.

थोड़ी देर तक वह मेरी आँखों में देखती रही फिर उसकी पकड़ ढीली हो गई.
मैंने सलवार निचे खींची तो उसके मांसल चूतड़ों में जाकर अटक गई.

मैं फिर निरीह नज़रों से उसको देखा तो उसके चूतड़ हल्के से उठे और मेरे हाथों ने उसकी शलवार खींच के उसके जिस्म से अलग कर दी.
नीति का यौवन मेरे सामने निर्वस्त्र सिर्फ पैंटी में था.

उसने अपनी आँखों में अपने हाथ रख लिए और समय के बहाव के साथ बहने को तैयार हो गई.

नीति मेरी मन मर्ज़ी का सब कुछ होने दे रही थी, ज्यादा सहयोग तो नहीं पर रोक भी नहीं रही थी.

शायद झिझक थी, शर्म थी, डर था, या उसकी मर्ज़ी नहीं थी, या कुछ और जो मैं समझ नहीं पा रहा था.
पर उसने रोका नहीं और पूरा सहयोग भी नहीं किया.

गहरी सांस लेती नीति का गोरा नग्न बदन मेरी आँखों के सामने सिर्फ एक ब्लैक पैंटी में था जिसमें सिल्वर सितारे बने थे.

नीति को अपने नग्नता का अहसास था, वह करवट ले के टांगें सिकोड़ कर उकड़ू सी लेटी थी.
उसको यह अंदाज़ा भी नहीं था कि एक तरफ तो वह अपना जिस्म छुपा रही थी, वहीं उसकी बेदाग गोरी पीठ और उभरी हुई गांड मेरी आँखों को सुख दे रही थी.

घने काले काले बालों के नीचे सुराहीदार गर्दन, नीचे भरे भरे चौड़े कंधे, फिर चिकनी गोरी गुलाबी सी गुदाज पीठ की ढलान के बीच में छोटा सा गड्ढा, फिर चूतड़ों की चढ़ाई, पुष्ट चूतड़, माँसल सी भरी हुई जांगहें और चूतड़ों को अलग करता चीरा … इतना काफी था मेरे लण्ड में उफान लाने को!

हर अंग … या यह कहो कि पूरा जिस्म सांचे में ढला था.

मैंने भी अपने कपड़ों को जिस्म से अलग किया और जॉकी में उससे जा लिपटा.

हल्की सी पैंटी के अंदर दिखती झांकती गुलाबी गांड का छेद, लण्ड उसकी गांड की गहराई में एडजस्ट सा हो गया.

‘सीसीस ससीसी सर नहीं … अह्ह सस्स्स आहह ऊऊहह उउम्म्म’

उसकी गर्दन के नीचे से एक हाथ डाल के मैं उससे पूरी तरह चिपक सा गया, उसके नग्न जिस्म की गर्मी और मेरे गर्म जिस्म ने एक सिसकारी ली.

तब उसको मैंने पलटा और अब उसकी चूचियां मेरे सामने थी.

नीति की मस्त चूचियों का जोड़ा मेरे सामने था जैसे दो गुलाबी उन्नत पहाड़ आपस में जुड़े हुए सिर ताने खड़े थे.
उनको किसी तरह का सपोर्ट की जरूरत नहीं थी.

उसकी चोटी पर हल्के कत्थई रंग का घेरा था जिनके बीच में किशमिश के जैसे गुलाबी निप्पल जो मुझे बुला रहे थे कि आओ इन कुंवारे अमृत से भरे कलश का अमृत पी लो, मुझे अपना बना लो!

मैंने बरबस उनको अपनी मुट्ठी में दबोच लिया.

“इईई … श्श्शश … अआआ … ह्हह … अअ … आह … आह … उफ्फ़ उफ्फ़!”

नीति की जोर से धड़कते दिल की धड़कन साफ सुन रहा था.
उसकी चूचियों की गर्माहट, गुन्दाज़ मसलता को स्पर्श मुझे और उत्तेजित कर रहा था.

और मैं बेसब्र हो कर उसकी चूचियों बारी बारी से चूसने लगा चूमने लगा और दबाने मसलने लगा साथ ही उसके निप्पलस चुटकियों में भर करे नींबू की तरह हौले हौले निचोड़ने लगा.

मुझे परम आनंद आ रहा था उसकी चूचियों से खेलने में!
नीति की भी वासना उफान में थी, वह मुझसे लिपट सी गई मुझे जकड़ लिया.

जॉकी के अंदर लण्ड ने उसकी चूत में दस्तक दी, मेरा लंड उत्तेजित अवस्था में उसकी जाँघों से सट सा गया.

उसकी कांख से पसीने की मिश्रित सुगंध का नशा मैंने उसको चाट लिया और एक अजीब सा, पसीने का कसैला सा स्वाद में मुँह में घुल गया.
हल्की गुदगुदी हुई नीति को … उसने जिस्म थिरका कर हल्की सिसकारी- उईई … श्श्श्श … आआह … ईईई … श्श्श … आआह!

उसकी चिकनी पीठ को सहलाते हुए मैं उसके चूतड़ तक आया और अपनी हथेली में भर के मसल दिया.

दूसरे हाथ से मैं उसकी पैंटी उतारने लगा जो उसके चूतड़ों पर अटक गई, पर उसका सहयोग था जो मैं पैंटी उसके जिस्म से अलग करने में कामयाब रहा.
साथ ही बर्दाश्त से बाहर अकड़े लण्ड को भी मैंने जॉकी से आज़ाद कर दिया जो पूरा फनफनाया सर उठाये खड़ा था.

अब हम दोनों के पूर्णतया नंगे जिस्म एक दूसरे से लिपटे हुए थे.

मैं उसको सहलाता हुआ उसकी चूचियों को पीने लगा.
नीति के हाथ मेरे सर को अपनी चूचियों में दबाने लगे थे.
वासना का ज्वर उफान में था.

चूची को पीते पीते उसके बदन को सहलाते हुए एक हाथ से उसकी जांघों के जोड़ के पास के उभार को सहलाते हुए बहुत हल्के रेशम से बाल और एक सीधी लकीर जैसे ही मैंने सहलाया, नीति का जिस्म जोर से थिरका, मुँह खोल कर उसने एक गहरी साँस ली और ‘आआ आआह आमाह हाह आआ आईई ईई अअ … उम्म्ह … हाहाहा आआआ’ की कराह फ़ूट पड़ी.

असर यह हुआ कि उसकी आपस में जकड़ी टांगें थोड़ा खुल गई और मेरा हाथ सरसरा कर उसकी चूत की तह तक पहुंच गया.

मैं उसकी नंगी चूत को प्यार के साथ उंगलियों से सहलाने लगा .
पूरी तरह से गीली चूत का रस उसको चिकनाई देता हुआ मसलने में मुझे सहयोग दे रहा था.

सांसें तो दोनों की भारी थी, वासना हवस या जिस्म में समा जाने की इच्छा दोनों में जग चुकी थी.

नीति की जांघें खुलती गई, चूत तक मेरा पहुंचना आसान होता गया.
अब आराम से मेरी उंगलियाँ चूत की लकीर की सहला रही थी.

“आआअ ह्हह हरीरी … ये क्या कर दिया मुझे. उफ्फ्फ मत करो न … उफ्फ अह्ह आह्ह”

मैं उसकी आवाज़ को अनसुना करते हुए मैं बड़े आराम से उसकी चूत के होंठ सहला रहा था.

चूत के रस से भीगे अंगूठे से भगान्कुर को सहलाते हुए चूत रस से भीगी मध्यमा उंगली चूत के अंदर डाली.

उसकी सिसकारी निकली- आआ … आह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ही ईईई … ऊओ हन्न्न नही ईईइ!

मैं धीरे धीरे उंगली अंदर बाहर करने लगा.

नीति का जिस्म छटपटा, थिरक रहा था, उतेज़ना से उसके उछलते चूतड़, काम की ज्वाला से उसका बदन अकड़ सा गया- आह्ह आह आह उफ्फ ये ये स्स स उम्म्म्म!

फिर चूतड़ उछाल कर भरभरा के उसकी चूत ने अपना रस फेंक दिया और मेरा पूरा हाथ लिसलिसे से पानी से भीग गया.

बंद आंखों से गहरी साँस लेती नीति ने मेरी बांह पकड़ कर अपने ऊपर झुका लिया और अपनी बांहें मेरी गर्दन में डाल कर मुझे अपने आप से लिपटा लिया.

वह मेरे आक्रमक तरीके से होंठों को चूसने लगी.

एक बार चरम पर पहुंच कर भी सम्भोग का ज्वाला उसकी कम नहीं हुई थी, न ही उसका जिस्म निष्क्रिय हुआ था.

उसके हाथ मेरी पीठ पर आ गए, मेरे जिस्म को सहलाते सहलाते वह मेरे चूतड़ को पकड़ कर दबाने लगी जिससे मेरा लण्ड उसकी चूत की दरार में फिट हो गया.
नीति ने अपने पैर फैला दिए जो संकेत था कि अब देर मत करो, चोद दो मुझे, अपना बना लो. दो जिस्म एक जिस्म हो जाओ. रोंद दो मुझे बस … अब देर मत करो!

अपने चूतड़ गांड उछाल कर उसने लण्ड लेने की कोशिश की- हम्म हरी … आओ ना!

अब दोनों का कुँवारापन खत्म होने को था.
मेरा लण्ड भरपूर खड़ा सख्त था, फर्स्ट वर्जिन फक के लिए तैयार था.

मैंने उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया और उस पर एक तौलिया बिछा कर उसकी चूत में झुक कर चूम लिया.

उसने अपने चूतड़ उछाले और मेरे होंठों ने लपलपाते हुए चूत को भर लिया.

नीति ने थोड़ा झुकते हुए मेरे लण्ड को पकड़ लिया.
मेरी सिसकारी निकली- आआह हह हसस सी सी!

मेरे लण्ड की लम्बाई गोलाई और ठोस लण्ड को महसूस करके उसकी आँखें फ़ैल सी गई, शायद एक डर सा उठने लगा उसके मन में!

फिर अचानक लण्ड छोड़ कर वह टांगों को सिकोड़ने की नाकाम कोशिश करने लगी.

मैं भी उसकी पहली चुदाई का डर समझ रहा था.
डर तो मेरे मन में भी था पर मैं कुछ नियंत्रित था.

अब देर करना मुझे सही नहीं लगा.
मैं एक हाथ से लण्ड को पकड़ के चूत में रगड़ने लगा.
नीति ने डर से अपने टांगों को सिकोड़ सा लिया पर मैंने उसके पैरों को पकड़ कर फैला दिया.

उसकी आँखों में डर साफ़ दिख रहा था.
मैंने हल्के से थपथपा कर उसको विश्वास दिलाया कि जो भी करूँगा, आराम से करूँगा.

वह थोड़ी आश्वस्त तो हुई पर उसका डर गया नहीं.
उसने अपने बदन को कड़ा सा कर लिया था.

सही पोजीशन में लण्ड को चूत के मुहाने में रख कर मैं उस पर झुक कर उसके होंठों को चूसने लगा.
कुछ सेकंड्स में नीति भी सब भूल के मेरा साथ देने लगी.

उसी पल मैंने हल्का सा लण्ड का दबाव बढ़ाया, चूत रस से चिकना लण्ड चूत के अंदर थोड़ा सा जाकर फंस गया.
उसकी चूत की पुत्तियां फ़ैल गई.
हल्के दर्द की रेखा नीति के चेहरे पर नज़र आई.

पर मैंने उसके होंठों को चूमना नहीं छोड़ा.
अगले ही पल वह नार्मल सी लगी.

मेरे लंड का दबाव धीरे धीरे बढ़ता गया, लण्ड थोड़ा थोड़ा अंदर जाता गया.
उसकी ‘गुं गुं गुं गुं’ की हल्की कराहट बढ़ने लगी.

फर्स्ट वर्जिन फक में अब समय था एक जोर से प्रहार का!

मैंने का दोनों हाथ से उसके कंधे को पकड़ा और हल्का से चूतड़ पीछे करके एक जोर का झटका मारा और मेरा लण्ड उसके कौमार्य पटल के भेदता हुआ उसकी चूत की गुफा में जा धंसा.

एक झटके में हम दोनों के लिप्स अलग हुए और जोर की आवाज़ आई- अहह्ह ऊई ईईईई अह्ह … स्सीईई ईई अआई ईईई … उई ईईई माँ मररर्रर्र गई आईईईई! नहीं माँ आआ आआआ माँ मर गई … मम्मीई ईईईई रे मर गयी!

वह अपना बदन झटकने लगी, सही कहो तो तड़पने सी लगी.

मैं हैरान था क्योंकि नीति करीब 23 साल की भरपूर बदन की मलिका थी उसका जिस्म भरपूर और पूरा विकसित था.

पर नीति ने अपना निचला होंठ अपने दांतों तले दबाया हुआ था.
उसकी आँखों से आंसू उसके गालों पर बह गए.

देखा जाये तो दर्द तो हर लड़की को होता है किसी को ज्यादा तो किसी को कम … कोई दर्द से चीखती है तो कोई कम … तो कोई दर्द से कराहती है!
पर उस दर्द, उस चीख से, उस कराहट, कसमसाहट से मर्द के अहम् को जो संतोष मिलता है, वह अंदर से गर्व महसूस करता है, वह एक अलग ही फीलिंग देता है.

नीति, मेरा पहला प्यार दर्द से छटपटा रहा था और मैं उसको सहला रहा था.
मैं कभी गाल तो कभी चूची मसलता, तो कभी चूची पीने लगता.
मेरा लण्ड चूत में ही था, मैं बहते खून की गर्माहट लण्ड से महसूस कर रहा था.

मैंने हल्की सी अपने लण्ड को जुम्बिश दी आगे पीछे किया.
निति की एक हल्की कराह सी निकली- हरी … आह मर गई … दर्द हो रहा है … प्लीज रुको … अभी निकाल लो!

पर मैं जानता था कि यह दर्द कुछ पलों का ही है.
मैं हल्के हल्के लण्ड को अंदर बाहर करता रहा, साथ ही चूचियां भी चूसने लगा.

फिर धीरे धीरे उसकी सिसकियाँ कम होती गई.
मेरा लण्ड अभी पूरा अंदर नहीं था.

धीरे धीरे नीति की गांड में थिरकन पैदा होने लगी मेरे लण्ड की गति भी तेज़ होने लगी.

तभी मैंने सुपारे तक अपना लण्ड बाहर खींचा और फिर एक और अंतिम शॉट लण्ड पूरा चूत के अंदर!

‘अह्ह … उईई … ईईई … माआआ … मर गई … आआअ … ऊऊऊ … उह … ओह्ह … उईई … ईईई मा आआ … मर गई …आअ … ऊऊऊ … ओह्ह!’

नीति एक बार फिर मुझे धकलने लगी.
पर मैं रुका नहीं … लण्ड को एक बार फिर बाहर निकला और फिर एक उतनी ही तेज़ी से चूत के अंदर कर दिया.

‘नहीं अह्ह्ह … सस्स्स स्सआ हहह ऊहह म्म्मआ आअ … उउउई … आह … आह … आहह..ओफफ्फ!’

नीति की तड़प पर धयान ना देते हुए हुए एक के बाद एक शॉट लगाते हुए मैं तेजी से लण्ड को चूत के अंदर बाहर करने लगा.
दस बारह धक्कों में ही उसकी गांड में थिरकन बढ़ने लगी, हाथों का कसाव मेरे जिस्म में बढ़ गया.

उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
उस पानी ने लण्ड का आवागमन चूत में थोड़ा सरल बना दिया.
अब उस चिकनाई से लण्ड अब सुगमता से चूत में प्रवेश कर रहा था और बाहर आ रहा था.

चूत ने लण्ड के लिए जगह बनानी शुरू कर दी, शायद दर्द भी कम हो गया था.

नीति को अब मज़ा आने लगा था तो उसकी गांड भी मेरे लण्ड के रिदम में उछलने लगी- आअह्ह आआह … आअहहा हह उऊउ … आअहह!
उसके हाथ मेरी पीठ को दबाने लगे थे.

हर बार जब लण्ड अंदर जाता तो वह चूतड़ भी उछाल के पूरा लण्ड चूत में लील लेती.

और इन लम्हों का हम दोनों मज़ा ले रहे थे, एक रिदम के साथ लण्ड और चूत का मिलन हो रहा था.

पट पट पट पट पट की आवाज़ हो रही थी.

शायद नीति का स्खलन हो चुका था क्योंकि उसके पैर फ़ैल चुके थे अब लण्ड खुल के चूत के अंदर बाहर हो हो रहा था.
उसकी चूत ने भी लण्ड को जकड़ के रखा था. चूत का द्वार फैलता और बंद हो रहा था.

मैंने दोनों हाथ बिस्तर में टिका के थोड़ा ऊपर उठ के लण्ड को चूत में अंदर बाहर करना शुरू किया.
हर धक्के में मैंने नीति को मज़ा देना था और लेना था.

चूत के अंदर तक लण्ड को डाल कर मैं हर धक्के में नीति को कराहने को मज़बूर कर रहा था.
नीति अपनी गांड उछाल कर मुझे आनंद के गोते लगवा रही थी.

काफी देर ये रति क्रिया चल रही थी और अब हम दोनों ही अंतिम पड़ाव में थे जहाँ नीति का बदन दूसरे परमानन्द लेने के लिए कड़ा होने लगा था.
मेरे धक्कों में तेज़ी आ गई थी.
चूत की दीवाल मेरे लण्ड को जोर से जकड़ रही थी जैसे लण्ड को छोड़ने के मूड में ना हो!

तभी नीति ने एक तेज़ सिसकी ली- हिस्स … आह ह्ह्ह्ह ईई ईईए … ईईईई … आह्ह्ह … .ईस्स्स्स … ह्ह्ह्ह!
उसके बदन ने एक उछाल भरी और वह मुझे जकड़ते हुए बेजान ही गिर गई.
नीति की पकड़ इतनी तेज़ थी कि मेरे धक्कों में कमी आ गई.

मैं भी नज़दीक ही था और एक या दो शॉट में ही मेरे लण्ड ने भी लावा उगल दिया.

चूत के अंदर से होती रस की फुहार और मेरे लावे वीर्य का संगम हो रहा था जो अकल्पनीय आनंद था.

रह गया सिर्फ उखड़ी हुई सांसों का शोर … जो धीरे धीरे कम होता गया.
पसीने में तरबतर दो नग्न जिस्म एक दूसरे को बाहों में समेटे एक दूसरे में सामने में लगे थे.

नीति की चूचियां मेरे सीने से लगी अपनी धड़कन को सुना रही थी
उसे बांहों में भरे हुए मैं पलटा और हम दोनों नींद की आगोश में चले गए.

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धन्यवाद.
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फर्स्ट वर्जिन फक स्टोरी का अगला भाग: गदराई लड़की के जवान बदन का चोदन- 5

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