दोस्त की बहन की सेक्सी स्टोरी : समर्पण
प्रिय पाठको, मेरी अन्तर्वासना पर यह पहली सेक्सी स्टोरी है। लिखना तो बहुत पहले चाहता था परंतु समय के अभाव में संभव नहीं हो सका। अब मेरे पास समय है और अपने जीवन की सभी कहानियों को क्रमशः आपके साथ साझा करूँगा।
मैं रसिया बालम, यह नाम मुझे मेरी प्रेमिकाओं ने दिया है और आप लोगों के लिए भी मेरा यही नाम होगा।
मेरी उम्र इस समय 30 वर्ष है। रंग गोरा, 5’9″ लम्बाई और एकदम गठीला शरीर है। मैं उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले के एक छोटे से गांव से हूँ और इस समय एक बड़ी कंपनी में मैनेजर के तौर पर कार्यरत हूँ।
दोस्तो, अब मैं अपने जीवन की पहली सेक्सी स्टोरी पर आता हूँ।
यह उस समय की बात है जब मैं 11वीं में पढ़ता था और मेरी उम्र 18 वर्ष थी।
मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती थी नाम था नीलू… मेरी हमउम्र, रंग गेंहुआ, बदन एकदम कसा हुआ, नशीली आँखें, पतले पतले होंठ, गोल गोल एकदम टाइट चूचे और पतली बलखाती हुई कमर! दोस्तो, उसे देखकर ऐसा लगता कि वो मिल जाए तो उसके लिए सारी दुनिया छोड़ दूँ।
पूरा मोहल्ला उसका दीवाना था। मैं भी उसकी चाहत रखता था परन्तु कभी कोशिश नहीं की क्योंकि उसका भाई मेरा दोस्त था और उसकी मम्मी भी मुझे बहुत प्यार करती थी और मैं भी उसके यहाँ बहुत समय व्यतीत करता था। परंतु उस की किस्मत में तो मेरा ही लंड लिखा था।
दोस्तो, वक़्त की बात है कि उन दिनों नेशनल चैनल पर रविवार रात को 8 बजे से रामायण शुरू हुई और पूरे मोहल्ले में मेरे ही घर पर उन दिनों इन्वर्टर था तो मोहल्ले के सभी लोग मेरे ही यहाँ रामायण देखने आते थे और वो भी अपनी मम्मी के साथ आती थी।
टेलीविजन हॉल में रखा हुआ था, उसी में सबसे पीछे एक सोफ़ा पड़ा हुआ था. उस दिन मैं पीछे सोफे पर बैठा था तभी वो और मोहल्ले की बाकी लड़कियाँ आ गई। आगे जगह न होने के कारण वो सभी सोफे पर बैठ गई और नीलू मेरे बगल में थी।
उसके बदन से बहुत ही मादक खुशबू आ रही थी जो मुझे पागल बना कर रही थी।
मैं खुद को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था परन्तु मेरा लंड उसे सलामी देने के लिए खड़ा हो गया। मैं उसी के बारे सोच रहा था तभी मेरा हाथ उसके हाथ से टकरा गया और मेरा ध्यान भंग हो गया परन्तु उसने अपना हाथ अलग नहीं किया और टीवी देखती रही। मैंने भी अपना हाथ नहीं हटाया और उसकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार करने लगा।
जब दो मिनट तक को हरकत नहीं हुई तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया। उसने हाथ छुड़ाना चाहा परन्तु मेरी तरफ नहीं देखा। मैंने पकड़ मजबूत कर दी, थोड़ी देर उसने कोशिश की, उसके बाद उसने अपना हाथ ढीला छोड़ दिया।
मुझे लगा कि वो मौका देखकर हाथ छुड़ाएगी तो मैंने पकड़ ढीली कर दी परंतु उसने हाथ नहीं छुड़ाया तो मैंने इस बार उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियाँ फंसा दी और उसने भी!
कब एपिसोड खत्म हो गया पता ही नहीं चला। जब वो जाने के लिए खड़ी हुई तो मेरी बाजू को बहुत ज़ोर से नोंच कर गई। अब मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया था, अब मैं मौके की तलाश करने लगा कि कब उसे बांहों में लूं और उसकी कच्ची जवानी को निचोड़ कर पी जाऊं।
परन्तु समय के अभाव में मौका नहीं मिल पा रहा था क्योंकि सुबह स्कूल और उसके बाद तीन तीन कोचिंग!
एक दो हफ्ते ऐसे ही निकल गए, सिर्फ रविवार को रामायण देखते समय ही उसे छू पाता परन्तु इस दौरान मैंने उसके चूचे जी भर के दबाये और सलवार के ऊपर से चूत को जी भर के सहलाया। मतलब उसकी झिझक और शर्म खत्म कर दी।
दोस्तो, जब किसी चीज़ की चाहत हो तो वो बहुत जल्द ही आपको मौका देती है और मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।
एक दिन मेरी तबीयत खराब हो गई और मम्मी ने मुझे स्कूल नहीं जाने दिया तो मैं धूप में बैठने के लिए छत पर चला गया. मैंने देखा कि वह अपनी छत पर कपड़े सुखा रही थी.
जैसे ही उसने मुझे देखा तो मुझे अपने घर आने का इशारा किया।
मैं खुश हो गया और मम्मी से घूमने की बोल कर उसके घर पहुंच गया।
उस समय उसके घर पर कोई नहीं था, उसके भाई स्कूल गए थे और मम्मी पापा खेत पर थे जो शाम तक ही वापस लौटने थे। इसका मतलब चार पांच घंटे तक हमें कोई भी डर नहीं था।
जैसे ही मैं अंदर गया उसने दरवाजा बंद कर के मुझे बांहों में इस कदर ले लिया कि जैसे मैं उसके शरीर का ही हिस्सा हूँ। उसकी चूचियाँ मेरी छाती में गड़ रही थीं।
मैंने उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर उसके रस भरे और नाज़ुक होठों पर अपने प्यासे और तपते हुए होंठ टिका दिए, उसने मेरे होंठों की प्यास बुझाना शुरू कर दिया और मैंने उसके रसभरे होठों को इस कदर चूसना शुरू किया जैसे हम संतरा की फांक को चूसते हैं।
करीब दस मिनट तक हम आँगन में खड़े होकर एक दूसरे के होंठों का रसपान करते रहे, फिर वो मुझे कमरे में ले गई और मेरे पूरे ज़िस्म को चूमने लगी माथे से लेकर पैरों तक उसने मुझे पूरा चूम डाला।
मुझे ऐसा लग रहा था कि मानो मैं जन्नत में आ गया हूँ। मैंने उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और उसके होंठों को फिर से चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियों को मसलने लगा।
उसे अब पूरी तरह से मज़ा आ रहा था, वो सिसकारियाँ लेने लगी। उसकी आँखें और गाल एकदम लाल हो गये थे।
तभी मैंने उसे कुर्ती उतारने को कहा तो उसने बिना किसी विरोध के कुर्ती उतार दी।
वो नज़ारा देखकर मैं पागल हो गया.
उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी हुई थी और उस ब्रा में उसके चूचे ऐसे लग रहे थे जैसे पहाड़ की चोटियों पर बर्फ की परत हो। मैं पागलों की तरह उन पर टूट पड़ा और उसकी ब्रा को फाड़ कर उसकी चूचियों को चूसने लगा।
वो भी पागल हो उठी और मुझे अपने ऊपर खींच कर चूमने लगी।
मेरा लंड पूरी तरह से बेकाबू हो चुका था और मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने उससे कहा- तुम मुझसे चुदोगी?
उसने मुझे गौर से देखा और कहा- इतना सब तुम्हारे साथ किया है तो चुदने के लिए किसी और को थोड़े बुलाऊंगी? आज से तुम ही मेरे इस शरीर के मालिक हो, जो जी चाहे वो करो!
यह सुन कर मैंने कहा- मैं भी सदा तेरा ही रहूंगा!
और उसके हाथ चूम लिए।
उस वक्त इसके बाद शायद जन्नत की भी तमन्ना नहीं थी।
मैंने उसे सलवार उतारने को कहा तो वो बोली- पहले तुम अपने सारे कपड़े उतारो।
मैंने कहा- मेरे कपड़े भी तुम उतारोगी।
उसने पहले मेरे कपड़े उतारे अंडरवियर को छोड़ के और उसके बाद अपने… वो बिस्तर नंगी लेटी हुई ऐसी लग रही थी जैसे कोई कयामत हो। गुलाबी होंठ जो चूसने के बाद एकदम लाल हो गए थे, सीधे तने हुए दोनों चूचे, पतली कमर, चिकना पेट और उस पर कुँए जैसी गहरी नाभि, चूत के ऊपर कोमल कोमल सुनहरी झांटें, पतली पतली लंबी टांगें और उन टांगों के बीच में वो जादुयी छेद हम जिसे चूत ‘जन्नत का द्वार’ कहते हैं।
मेरा लंड अब मेरे काबू से बाहर था, अब मैंने उसे अपने अंडरवियर से आज़ाद कर दिया। जैसे ही नीलू ने मेरा 6 इंच लंबा लण्ड देखा तो वो बोली- जानू, मैं तो इससे मर जाऊँगी, बहुत दर्द होगा। मैंने उसे बांहों में लेकर समझाया कि रानी सब लड़कियाँ, औरतें ऐसे ही लंड से चुदती हैं और सिर्फ 1 सेकेंड के लिए दर्द होता है फिर उसके बाद मज़ा ही मज़ा आता है।
वो मान तो गई लेकिन वादा लिया कि अगर ज्यादा दर्द हुआ तो नहीं करोगे।
हम दोनों की यह पहली चुदाई थी, बस इतना फर्क था कि मैंने बहुत सारी ब्लू फिल्म देख रखी थी। मैंने ब्लू फिल्मों की तरह उसे चुदने के लिए तैयार करना शुरू किया।
मैं उसकी बगल मैं लेट गया और अपना लंड उसके हाथ में दे दिया और मैंने उसे किस करना शुरू किया, चूचियाँ सहलाना शुरू किया। धीरे धीरे नीचे की तरफ आने लगा, उसके पेट नाभि से होते हुए उसकी चूत को सहलाना शुरू किया।
उसे भी धीरे धीरे खुमारी छाने लगी और उसने अपने पैर चौड़ा के चूत को आज़ाद कर दिया।
क्या चूत थी… सच कहूँ तो ऐसी चूत मुझे आज तक नहीं मिली। एकदम गुलाबी रंग, चूत के दोनों ओर पतले पतले होंठ और बीच में छोटा सा छेद!
मैंने भी उसकी चूत को बड़े प्यार से सहलाना शुरू किया, कभी उंगली को छेद में डाल कर अंदर बाहर करता!
वो सिसकारियाँ ले रही थी, वो कभी मुझे जानू कहती, कभी राजा कहती, कभी सैयाँ कहती, कभी आह आह ऊह ऊह की आवाज़ आती।
अब वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी, उसने मुझे कहा- राजा, अब मुझ पर अपनी मुहर लगा दो, मुझ में समा कर अपना बना लो, अब मुझे चोद दो।
वो पागल सी हो रही थी। मैंने भी गर्म लोहे पर हथौड़ा मारने का फैसला किया।
मैंने उसे सीधा लिटा कर उसकी चूत और अपने लंड पर तेल लगाया, फिर उसके ऊपर झुक कर लंड को चूत पर घिसने लगा. इससे वो और ज्यादा गर्म होने लगी, वो बोली- मेरे पिया, अब अपना लंड डाल दो, अब सहन नहीं हो रहा है।
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उसकी बात सुन कर मैंने लंड उसकी चूत पर सेट किया और अंदर धक्का दिया, लण्ड का टोपा चूत में घुस गया। वो तुंरत सतर्क हो गई तो मैंने भी सब्र से काम लिया और पूछा कि दर्द तो नहीं हो रहा है?
वो मुस्करा कर बोली- तुम्हारे लिए तो मैं शूली भी चढ़ जाऊं… ये सिर्फ लण्ड है।
मैंने उसे एक प्यारी सी किस दी और लंड को 2 इंच अंदर डाल कर चुदाई का शुभारम्भ किया।
उसे भी मज़ा आ रहा था।
5 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उसका शील भंग करने का मन बना लिया। मैं पूरी तरह उसके ऊपर आ गया और उसके शरीर को अपनी पूर्ण गिरफ्त में ले लिया और उसे होंठों पर किस करने लगा।
परन्तु वो आने वाले हमले से अनजान थी। मैंने सही समय देखकर एक ज़ोरदार झटका दिया और पूरा का पूरा लौड़ा उसकी चूत में समां गया।
वो छटपटाने लगी, उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। वो चीखना चाहती थी परन्तु उसके होंठ मेरे होंठों में कैद थे। मुझे अपने ऊपर से धकेलना चाहती थी परन्तु मैं उसके हाथों को जकड़े हुए था। उसकी स्थिति उस पंछी की तरह थी जिसके पंख काट कर पैरों को भी बांध दिया हो, न तो वो उड़ सकता है और न ही चल सकता है।
मेरे लंड पर उसका गर्म गर्म खून उस पर मेरी मुहर लगा चुका था।
5 मिनट बाद मैंने उसके होंठों को आज़ाद किया तो वो रोते हुए बोली- तुम बहुत ही गंदे हो, तुम्हें मुझे बता कर करना चाहिए था।
मैंने कहा- ये जो दर्द है न मेरी छमकछल्लो, ये हमारी मुहब्बत की ज़िन्दगी भर गवाही देगा।
यह सुन कर वो मुझसे लिपट गई और कहा- आज से मैं तुम्हारी दासी बन गई हूँ, जितना दर्द देना है दे लो।
यह सुन कर मैंने चुदाई शुरू कर दी। वो दर्द से आह करती रही और मैं उसकी चूत की गहराई को नापता गया।
कुछ समय बाद उसका दर्द बंद हो गया और उसे भी मज़ा आना शुरू हो गया और बड़बड़ाने लगी- मेरे राजा… मुझे चोद दे… मेरी चूत को फाड़ दे…. मैं बहुत दिन से तड़प रही हूँ तेरे लण्ड के लिए! इसे मेरी चूत में ही सेट कर दे… आंह.. अआह…. आअह्ह…. मेरे सैंया मुझे ऐसा चोद कि मैं मर जाऊँ।
मेरा लंड उसकी चूत में फंस कर चल रहा था। मैंने झटकों की स्पीड बढ़ा दी, उसके मुँह से बहुत ही मादक आवाजें आ रही थी ‘आअह्ह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊह्ह… उईइमा मर गई… मज़्ज़ा आ रहा है… आअह्ह… आअह्ह… ऊह्ह…और ज़ोर से मेरे सनम.. आअह…’
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मैं भी पूरे जोश में था, लण्ड को पूरा निकालता और पूरी ताक़त से झटका देता… वो हर झटके पर कराहने लगती।
कसम से वह मेरे गांव की सबसे खूबसूरत लड़की थी परन्तु चुदते हुए वो खुद से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी। इतनी सुंदर कि मैं ये सोचने लगा कि इसे ज़िन्दगी भर चोदता ही रहूँ।
वो मेरे हर प्रहार को बड़ी हिम्मत से सहन कर रही थी, मैं उसे जानबूझ कर दर्द दे रहा था, कभी उसके चूचियों को मसलता, कभी चूचियों को दांत से काट लेता लेकिन वो सब सहन करती हुई सिर्फ चुदाई में डूबी हुई थी।
काफी लम्बी ज़बरदस्त चुदाई के बाद वो बोली- राजा, मुझे कुछ हो रहा है, शरीर अकड़ सा रहा है।
मैंने कहा- रानी, अब तुम लड़की से औरत बन गई हो, ये चुदाई का प्रसाद है।
यह सुन कर वो शर्मा कर मुझसे लिपट गई और अकड़ने लगी, उसकी पकड़ टाइट होने लगी।
मैं समझ गया कि उसका पानी निकल रहा है। मैंने भी खुद को ढीला छोड़कर स्पीड बढ़ा दी, 30-35 झटकों के बाद मेरा भी पानी निकलने वाला था। मैंने उससे कहा कि मेरा पानी निकलेगा बाहर निकाल लूँ तो उसने मना कर दिया, उसने कहा- यह मेरी पहली चुदाई है और तुम्हारा सब कुछ मेरे अंदर ही जायेगा। ये मेरे लिए प्रसाद ही तो है।
मैंने कहा- तुम गर्भवती हो जाओगी।
उसने कहा- कोई बात नहीं, मैं तुम्हारा नाम नहीं लूंगी।
मेरा हौंसला बुलन्द हो गया और अपना पूरा लावा उसकी चूत में भर दिया और उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया।
वो मेरे बालों में उंगलियाँ करने लगी।
10 मिनट बाद हम अलग हुए तो उसकी हालत देखकर मुझे अपनी हैवानियत पर गुस्सा आने लगा, उसके कन्धों और पीठ पर दांत और नाखून के निशान थे, पूरी छाती पर दांतों के निशान थे, चूत सूज कर मोटी हो गई थी, जांघों पर खून और वीर्य बह रहा था लेकिन उसका मेरे लिए पूर्ण समर्पण था।
लेकिन मैं यह तय नहीं कर पा रहा था कि ये मेरी मर्दानगी थी या हैवानियत…
यह आप ही बताओ।
दोस्तो, मेरी सेक्सी स्टोरी पसन्द आई या नहीं… ज़रूर बताना।
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