मेरे दोस्त ने मेरी जवानी का भोग लगाया

(Desi Virgin Girl Ki Chudai Kahani)

नीता मेहता 2021-12-16 Comments

देसी वर्जिन गर्ल की चुदाई कहानी में पढ़ें कि गाँव की स्कूल टीचर लड़की की दोस्ती अपने अब्बू के दोस्त के बेटे से हो गयी. यह रिश्ता सेक्स तक कैसे पहुंचा?

यह कहानी सुनें.

दोस्तो, मेरा नाम नीता मेहता है।

मेरी पिछली कहानी थी: बुशरा और उसके मकानमालिक पण्डित जी

आज जो कहानी मैं आपके सामने लेकर आई हूँ, वह मेरी सहेली तमन्ना की कहानी है। जिसे यहाँ मैं उसी के शब्दों में लिख रही हूँ।
तो पढ़िये तमन्ना की देसी वर्जिन गर्ल की चुदाई कहानी उसी की जुबानी:

मेरा नाम तमन्ना खान है। मेरी उम्र 25 वर्ष है।
मैं यूपी के प्रयागराज के पास एक गांव में रहती हूं। गांव की सरकारी प्राइमरी स्कूल में टीचर हूं।

मेरे घर में मैं मेरी अम्मी और भाई भाभी हैं।
भाई भाभी लखनऊ में रहते हैं।

मेरे अब्बू सरकारी टीचर थे, वर्ष 2009 में उनका इंतकाल हो गया। यह नौकरी मुझे उनकी जगह ही मिली है।
उनके इंतकाल के बाद जैसे हम पर आफत का पहाड़ टूट पड़ा था, मगर हमारे गांव के लोगों ने हमारी बहुत मदद करी।

हमारे पड़ोसी गजराज सोलंकी हमारे अब्बू के बहुत ही पक्के दोस्त थे।
उनका बेटा राजपाल मेरी क्लास में पढ़ता था, उनकी बड़ी बेटी भी हमारे स्कूल में थी। हम लोग बचपन से पक्के दोस्त थे।

उन्होंने हमारी हर संभव मदद करी। उन्होंने लखनऊ और इलाहाबाद के दफ्तरों में चक्कर काट कर कर मुझे यह नौकरी दिलवाई।

उनका बेटा राजपाल हमारे घर के सभी कामों में हाथ बंटाता था।

बचपन में मैं उसे राजू कहकर चिढ़ाती थी तो बहुत गुस्सा होता था।

अब्बू के इंतकाल के बाद जब मैं उदास थी तो वह मुझे खुश करने की भरसक कोशिश करता था।

मैंने पढ़ाई छोड़ दी थी, उसने जबरदस्ती करके मेरा फॉर्म भरवाया और मुझे कई दिन तक ट्यूशन दी और आगे पढ़ने के लिए प्रेरणा दी।
मुझे वह मन ही मन बहुत अच्छा लगने लगा।

राजपाल प्रयागराज पीसीएस की तैयारी के लिए चला गया।

एक बार ऐसा हुआ कि मुझे अपनी नौकरी के सिलसिले में लखनऊ में एक दफ्तर में जाना था।
सोलंकी अंकल ने उसे फोन करके बोला कि मुझे लखनऊ जाने वाली वोल्वो बस में बैठा दे।

राजपाल ने बस का मेरा टिकट बुक करा दिया था।

मैं सुबह गांव से प्रयागराज पहुंच गई। पहले मैं उसके कमरे में गई।
वहां हमने चाय नाश्ता किया और फिर बस स्टैंड के लिए निकल गए।

कमरे से निकलते समय मैंने उसको होठों पर चूम लिया.
पता नहीं क्यों?

लखनऊ में काम निपटा, बस पकड़ अगले दिन प्रयागराज आ गई।

राजपाल मुझे बस स्टैंड पर लेने आया था.

गांव को जाने वाली बस शाम 6:00 बजे जाती थी तो मैं उसके कमरे पर आ गई।

मैंने उसका अस्त व्यस्त कमरा साफ किया, दिन का खाना बनाया।

खाना खाने के बाद हम लोग गप्पें मारने लगे।

इसी बीच उसने मुझे बांहों में भर के ‘आई लव यू; तमन्ना!’ बोला।
मैंने भी उसे अपने आलिंगन में कसकर बोला- आई लव यू टू राजपाल!

उसके बाद हम दोनों के होंठ आपस में चिपक गए।
किस करते करते हम लोग बिस्तर पर आ गए।

वह मेरी पीठ और नितंब को सहलाने लगा।
मुझे अच्छा लग रहा था.

मगर जब उसने अपने हाथ से मेरे स्तन को दबाया तो मैं उससे दूर हट गई।

राजपाल को लगा कि मैं नाराज हो गई हूं।
मगर मैं नाराज नहीं थी।

उसने पहले मुझे मनाया, फिर बोला कि मैं तुम्हें बचपन से प्यार करता हूं।
मैंने उसे बोला- मैं नाराज नहीं हूं।

उसने मुझे अंदर से देखने की इच्छा जाहिर करी।
मैं शरमा गई.

इसी बीच उसने मेरी कुर्ती और समीज दोनों उतार दी।

अपनी टीशर्ट उतार कर उसने मुझे आलिंगन में ले लिया और किस करने लगा।

किस करते करते उसने मेरी ब्रा के कप को नीचे खींच के स्तनों को बाहर निकाल लिया और निप्पल को उंगलियों से दबाने लगा।

मैं उत्तेजित होने लगी, मुझे अच्छा लग रहा था इसलिए उसे रोक नहीं पाई।

फिर वो मेरे निप्पल को मुंह में लेकर चूसने लगा।

कसम से वो मंजर इतना प्यारा था कि मैं सुधबुध खो बैठी।

इसी बीच उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार और पैंटी एक साथ घुटनों तक उतार दी और मेरी योनि को उंगली से सहलाने लगा।

मैंने घबराहट की वजह से उसे धक्का देकर अपने ऊपर से हटा दिया और बिस्तर से उतरकर अपनी सलवार बांधने लगी।

राजपाल मेरे पीठ से चिपक गया और मुझे मनाने लगा।
उसने मुझे दिलासा दी कि हम लोग लिमिट नहीं क्रॉस करेंगे।

और वह मुझे पूरी तरह नग्न अवस्था में बिस्तर पर ले आया, उसने अपना पजामा और अंडरवियर भी उतार दी।
मैंने देखा कि उसका लिंग उत्तेजित हो गया था।

वह अपने लिंग को मेरी योनि के भगशिष्न पर रगड़ने लगा।

मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो गई थी कि मेरी योनि गीली हो गई।
मैंने राजपाल के होठों से अपने होंठ चिपका लिये और उसे जबरदस्त किस करने लगी।

इसी बीच उसने मेरे पैर फैलाकर अपने लिंग को मेरी योनि की सीध में लाकर जोरदार धक्का दिया।
मेरी योनि की हाइमन को राजपाल के लिंग ने भेद दिया था।

दर्द की वजह से मैं उसे हटाना चाह रही थी मगर उस पोजीशन में उसे हटा ना पाई।

मेरी चीख घुट के रह गई क्योंकि मेरे होठों को उसके होठों ने सील कर रखा था।

राजपाल ने एक झटका और दिया और अपना लिंग मेरी योनि और अंदर तक डाल दिया.

इस बार तो मेरी आंखों में आंसू तक आ गए।

उसने मेरे होठों को छोड़ कर मेरे मुंह को हाथ से बंद कर दिया और मेरे निप्पल को चूसने लगा।

मेरे तड़पने के बावजूद उसने अपने लिंग को पीछे नहीं हटाया और जोर दे देकर और ताकत से झटके देता रहा।

मुझे उसका लिंग तिल तिल कर के अंदर जाता हुआ महसूस हो रहा था।

मैं बिलख रही थी मगर उसका जोर जारी था।

फिर उसने थोड़ा सा लिंग बाहर निकाल कर पूरी ताकत से झटका दिया।
उसका लिंग काफी हद तक अंदर प्रवेश कर गया था।
मेरी चीख घुट कर रह गई क्योंकि उसने मेरा मुंह अपने हाथ से बंद कर रखा था।

मैं गुस्से से उस पर चिल्लाने लगी।
उसने इतनी जोर से झटका मारा था कि सिराहने लगा तकिया भी नीचे गिर गया।

थोड़ी देर रुकने के बाद उसने मेरे योनि में लिंग को धीरे-धीरे अंदर बाहर करना चालू किया।

मुझे अच्छा तो लग रहा था मगर मेरी पीड़ा पूरी तरह खत्म नहीं हुई थी।

बीच-बीच में राजपाल झटका मारकर लिंग को और अंदर डाल देता था तो मुझे फिर से दर्द होने लगता था।

धीरे-धीरे करके उसने अपना पूरा लिंग मेरी योनि में डाल दिया।

अब वो मुझे होठों पर किस करते हुए अपने लिंग को मेरी योनि में अंदर बाहर कर रहा था।
मेरी योनि का दर्द कुछ कम भी हो गया और मैं उत्तेजना से सिसकारियां लेने लगी।

कुछ ही मिनटों बाद ऐसा लगा जैसे मेरी योनि की दीवारों से पानी छूटने लगा, मेरे स्तनों में अजीब सी तरंगें उठने लगी।
मेरा पूरा बदन कांपने लगा.

दरअसल मेरा स्खलन हो रहा था.
मैंने राजपाल को कसकर जकड़ लिया।

इसी बीच वो भी जोर जोर से सांस लेते हुए कांपने लगा।

मैं उसके गर्म गर्म वीर्य की बूंदों को अपनी योनि में गिरते हुए महसूस कर पा रही थी।

मुझे उस पर प्यार जैसी फीलिंग आ रही थी।
स्खलन के बाद काफी देर मेरे ऊपर निढाल सा लेटा रहा, फिर धीरे से उठकर बाथरूम चला गया।
लौटकर उसने कपड़े पहने और मुझसे माफ़ी मांगने लगा।

मैं उस समय उसको कुछ नहीं बोली।

मैंने कपड़े पहने और चूंकि गांव जाने वाली बस का समय हो गया था।
हम लोग बस स्टैंड आ गए।

बस में बैठ के मैं गांव आ गई।

जाते समय भी उसने मुझे सॉरी बोला।
राजपाल के मन में अपराधबोध बैठ गया था।

अगली बार जब वो गांव आया तो मुझसे नजर चुरा रहा था।

मैंने एक दिन उसको फोन पर मैसेज करके बोल दिया कि जो कुछ हुआ, उसके लिए खुद को दोष न दो। मेरी रजामंदी न होती, तो वो हो नहीं पाता।
अन्त में मैंने ‘आई लव यू’ लिखा।

उसका भी रिप्लाई आ गया।

अब सब कुछ सही चल रहा है।

एक दिन मैंने मौका देखकर हिम्मत करके उसको रात में घर बुला लिया और रात से सुबह तक हम दोनों ने कई बार सेक्स किया।

उसकी कहानी अगली बार लिखूँगी।

पाठको, आपको मेरी देसी वर्जिन गर्ल की चुदाई कहानी कैसी लगी? यदि तमन्ना से कुछ पूछना या जानना हो, कहानी का फीडबैक देने के लिए मेल करें
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