मेरी कमसिन दोस्त- 4

(Desi Suhagrat Kahani)

देसी सुहागरात कहानी में पढ़ें कि कैसे मैंने कॉलेज की एक नाजुक लड़की की बुर की सील अपने घर में अपने बेडरूम में तोड़ी. ये सब कैसे कैसे हुआ?

मैं चंद्रकुमार अपनी देसी सुहागरात कहानी का अगला भाग लेकर पेश हूं।

अभी तक जिन्होंने कहानी के पिछले भाग नहीं पढ़े है उनसे निवेदन है कि कहानी को शुरू से पढ़े तभी आपको मेरी इस कहानी का पूरा मजा मिल पायेगा।

मैं अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ और मैंने अन्तर्वासना पर ढेरों कहानियां पढ़ी मगर ज्यादातर कहानियां बनावटी ही लगी।
आप लोगों को चुदाई का असली मजा देने के लिए ही मैंने अपने जीवन का एक गुप्त राज खोला है।

उम्मीद यही है कि आप लोगों के लंड का पानी जरूर निकल जायेगा।

इस कहानी का पिछला भाग था:
मेरी कमसिन दोस्त- 3

अब आगे की देसी सुहागरात कहानी:

मैंने मोनिका को बहुत गर्म कर दिया था अब उससे रुक पाना मुश्किल होता जा रहा था।
मेरे लंड को हाथ पर पकड़े हुए कुछ घबरा भी गई थी. मगर उसे मुझ पर भरोसा था कि मैं उसे ज्यादा तकलीफ नहीं दूँगा।

अब मैं भी जल्द से जल्द उसे चोद देना चाहता था और उसको शांत कर देना चाहता था.
मगर मैं जानता था कि उसके लिए ये सब आसान नहीं होने वाला।

मैं सोच रहा था कि किस तरह से उसकी चूत की सील तोड़ू क्योंकि चूत का छेद बहुत छोटा था और मेरा लंड काफी मोटा।
अगर मैं जल्दबाजी दिखाता हूँ और जोश में आकर लंड उसकी पुद्दी में पेल देता हूँ तो पुद्दी बुरी तरह फट सकती थी।

मुझे काफी सावधानी बरतने की जरूरत थी।

तब मैं बिस्तर से उठा और सरसों का तेल लेकर आया.
क्योंकि सरसों का तेल काफी चिकना और गाढ़ा होता है और वो एक अच्छा चिकनाई प्रदान करता है।

मैंने पहले उसकी पुद्दी में अच्छी तरह से तेल लगाया, अपनी उंगली से छेद के अंदर तक तेल लगा दिया।

उसके बाद अपने लंड पर काफी सारा तेल लगाया और उसके बाद मैं मोनिका के ऊपर लेट गया।

मैंने मोनिका से अपने पैरों को अच्छे से फैलाने के लिए कहा तो उसने पैर फैला दिए।
उसकी पुद्दी अच्छे से लंड के सामने आ गई।

मैंने एक हाथ से लंड को छेद पर लगाया और अच्छे से मोनिका को जकड़ लिया।
मैंने लंड पर थोड़ा दबाव दिया मगर लंड फिसल कर उसके पेट की तरफ चला गया।

मेरा पहला प्रयास सफल नहीं रहा।

मैंने फिर कोशिश की; मगर लंड कभी पेट की तरफ तो कभी गांड की तरफ फिसल जाता।

फिर मैंने एक हाथ से लंड को थामे रखा और छेद पर लगाये रखा।
इस प्रकार पकड़ कर मैं लंड पर हल्का हल्का दबाव देने लगा।

लंड का सुपारा उसके छेद को फैलाने लगा मुझे सब अच्छे से महसूस हो रहा था।
जैसे ही सुपारा छेद में घुसा, मोनिका अपनी गांड मटकाने लगी।

मैंने उस पर अपने शरीर का वजन डाल दिया ताकि वो निकल न जाये और लंड से हाथ हटा कर नीचे से उसकी पीठ को जकड़ लिया।
अब वो बिल्कुल भी हिल नहीं सकती थी।

अब मैंने जोर देना शुरू किया और लंड फिसलता हुआ एक इंच ही अंदर गया होगा कि लंड पर काफी जोर पड़ने लगा।
लंड अब अंदर नहीं जा रहा था।

मैं समझ गया कि अब इसकी सील टूटेगी।
दो तीन बार मैंने लंड आगे पीछे किया और अचानक ही थोड़ा तेज़ धक्का दिया।

लंड पुद्दी को फाड़ चुका था और आधा लंड अंदर घुस चुका था।

मोनिका बहुत जोर से चिल्लाई- मम्मीईई ईईईई ईईईईई आआआ आहह हहहह नहींईई ईईईई ईईई निकालो आआआआह!

तुरंत ही उसके आँखों से आँसू निकल पड़े चेहरा लाल हो गया।
पूरे बदन से पसीना निकलने लगा।

वो बस किसी तरह मुझसे छूटना चाह रही थी मगर हिल भी नहीं पा रही थी।
बस जोर जोर से चिल्लाए जा रही थी।

मुझे उस पर दया आई और मैंने उसे छोड़ना चाहा मगर फिर सोचा अगर ये निकल गई तो दुबारा शायद ही तैयार हो। इसलिए मैंने अपना दबाव बनाए रखा और धीरे धीरे लंड पर दबाव डालने लगा।

तेल के कारण लंड धीरे धीरे फिसलता हुआ चूत की गहराई में उतरता चला गया।
उसकी चीखें तेज़ होती गई मगर मैं उसे अनसुना करते हुए पूरा लंड उसकी छोटी सी पुद्दी में पेल दिया।

पूरा लंड उसकी पुद्दी में समा गया था।

उसे इतना दर्द हो रहा था कि उसकी आवाज भी अच्छे से नहीं निकल पा रही थी।
उसका गला सूख गया था.

मैं लगातार उसके गालों को चूमता जा रहा था.
मगर वो बस चिल्लाए जा रही थी- निकाल लीजिए अंकल … प्लीज निकाल लीजिए। नहीं सहन होता निकाल लीजिए!

उसकी बातों को मैं बस सुनता रहा।

मैं उसकी पुद्दी को खोलने में कामयाब हो गया था बस मुझे उसके दर्द के कम होने का इंतजार करना था।
मैं पुद्दी में लंड डाले चुपचाप लेटा हुआ था।

उसने मुझसे छूटने की हर कोशिश कर ली मगर सफल नहीं हो पाई।
वो बस रोये जा रही थी।

धीरे धीरे उसके रोने की आवाज कम हुई और वो अटक अटक कर रो रही थीं।

तब मैंने आधा लंड बाहर खींचा और एक बार में फिर से पेल दिया।
“ऊईईई ईई मम्मीईई ईई मर गईईई ईईई आआ आआहह हहहहहह!”

लंड पुद्दी में पूरी तरह से जम गया लंड के सुपारे में उसकी बच्चेदानी का स्पर्श साफ साफ महसूस कर पा रहा था।

पुद्दी में लंड इतना टाइट था कि हवा तक नहीं जा सकती थी।

अब मैंने बहुत हल्के हल्के लंड को आगे पीछे करना चालू किया बहुत ही आराम से।

मैं उससे बात भी करने लगा ताकि उसका ध्यान दर्द की तरफ से हट सके- बस मोना … थोड़ा और सह लो बस हो गया!
“हा हहह हहह अंकल …ओह!”

“अब कुछ नहीं होगा. बस सब हो गया।”

“हहह हाहह हहह!”

काफी देर तक मैं बस उसे बातों में उलझाता रहा और धीरे धीरे लंड आगे पीछे करता रहा।

आखिरकार मेरी मेहनत और मोनिका की सहनशक्ति सफल हुई और उसका दर्द कम होता चला गया।

उसकी आवाज में अब एक अलग ही मादक स्वर आ गया।
वो आँखें बंद करते हुए लंड के आगे पीछे होने का मजा लेने लगी।

तब मैंने उससे पूछा- अब अच्छा लगा न?
“हाँ अंकल!”

“मजा आ रहा है?”
“हाँ!”
“अब तेज़ करूं क्या?”
“ज्यादा तेज नहीं!”
“हाँ उतना ही करूंगा जितना सह लो।”

फिर मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ानी शुरू की और उसके ऊपर से अपनी पकड़ को ढीला किया।

अभी भी लंड काफी कस कर अंदर जा रहा था मगर उसकी तकलीफ काफी कम हो गई थी।
मैं अभी भी अपनी पूरी ताकत नहीं लगा रहा था बस लंड को थोड़ा तेज़ गति दे रहा था।

उसकी आहें अब निकलने लगी- आह आआआ आह आऊह आह ओह्ह हहह आआम्मह अंकल आआह!

धीमी गति से चोदते हुए मुझे कुछ मिनट ही हुए थे कि उसने मुझे जोर से जकड़ लिया।
मैं समझ गया कि ये झड़ने वाली है और वो मुझसे चिपक कर झड़ गई।
मगर मैं उसी रफ्तार से उसकी चुदाई करता रहा।

मैं जानबूझकर उसे धीमे चोद रहा था क्योंकि अभी उसका पहली बार था और उनकी पुद्दी अच्छे से खुली नहीं थी।

15 मिनट तक उसे वैसे ही चोदता रहा और फिर मैंने भी अपना पूरा माल उसके अंदर ही गिरा दिया।

मैं चुपचाप उसके ऊपर ही लेटा रहा।
वो बहुत थकी हुई लग रही थी।
लंड अभी भी उसके अंदर ही था।

काफी देर बाद लंड ढीला होकर खुद ही बाहर निकल गया।

फिर मैं उठा और कपड़े से उसकी पुद्दी को साफ किया उसकी पुद्दी का खून चादर पर गिरा हुआ था।

कुछ समय बाद हम दोनों बाथरूम गए।
और वापस आकर एक दूसरे से लिपट कर सो गए।

क्योंकि उस रात मैं उसकी और चुदाई नहीं करना चाहता था।

अभी वो मेरे साथ कुछ दिन रुकने वाली थी मैं कल से उसका असली मजा लेने वाला था।
इसलिए मैंने उसे दुबारा नहीं बोला।

सुबह हम दोनों 9 बजे सो कर उठे उसकी पुद्दी सूज गई थी और थोड़ा दर्द भी था।
बारी बारी से हम दोनों फ्रेश हुए चाय पी और बैठ कर बाते करने लगे।

उस दिन से हम दोनों की ही जिंदगी में एक बड़ा बदलाव आ गया था अब पुरानी दोस्ती एक नए रिश्ते में बदल चुकी थी।

उस वक्त उसने वही शमीज और लेगी पहन रखी थी।
उसका गोरा बदन अब ज्यादा ही दमक रहा था।

दिन के 12 बज चुके थे और उसे शमीज में देख देख कर मेरा मन फिर से उसकी चुदाई को आतुर होने लगा।
अब उसकी निगाहें भी पहले की तरह नहीं थी।
वो बहुत ही मादक तरीके से मुझे देख रही थी।

मैंने होटल में खाने का ऑर्डर दिया और कुछ ही समय में खाना आ गया।
इससे पहले कि हम दोनों खाना खाये उससे पहले सोचा कि पहले नहा लें, फिर आराम से खाना खाते हैं।

पहले मोनिका नहाने की तैयारी करने लगी उसने अपनी चड्डी और शमीज ली और बाथरूम की तरफ जाने लगी।
मैंने उसे आवाज दी और अपने पास बुलाया.

और जैसे ही वो मेरे पास आई मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया।
“अरे अंकल ये क्या कर रहे?”
“कुछ नहीं … बस आज दोनों साथ में नहाएंगे।”

“नहीं नहीं … मुझे शर्म आएगी।”
“अब कैसी शर्म … अब शर्म छोड़ दो।”

उसको लेकर मैं बाथरूम चला गया।
और कुछ पल में ही हम दोनों नंगे हो गए।

मैंने सोचा कि क्यों न उसकी पुद्दी के बालों को साफ कर दिया जाए।
मैंने क्रीम निकाली और उसके पुद्दी के ऊपर लगा दी कुछ ही पलों में उसकी पुद्दी बिल्कुल साफ हो गई।

मैं उसकी पुद्दी पर अपने होंठ लगा कर चूमते हुए बोला- वाह … अब तो ये और खूबसूरत दिखने लगी।

सच में उसकी पुद्दी अब और भी ज्यादा गोरी दिखने लगी थी।

इसी तरह हम दोनों आपस में लिपट कर झरने के नीचे नहाते रहे।
एक दूसरे के बदन पर शेम्पू लगाया. मेरा लंड पूरी तरह फ़नफना रहा था।

मैंने मोनिका को अपने से लिपटाया और उसका एक पैर उठा कर लंड उनकी पुद्दी में डाल दिया।
वो बस सहम कर रह गई।

धीरे धीरे मैंने अपनी रफ्तार तेज की और अब उसे भी ज्यादा तकलीफ नहीं हो रही थी।
वो भी बस मजे ले रही थी।

काफी देर तक मैंने उसे चोदा.
और जब हम दोनों का ही पानी निकल गया तो नहा कर बाहर आ गए।

फिर हम दोनों ने खाना खाया और उसके बाद शुरू हुई मोनिका की असली चुदाई।

मैंने उसे बेडरूम में ले जाकर नंगी बिस्तर पर लेटा दिया।
मैं फ़्रिज से रात का बचा हुआ केक से क्रीम लाकर उसकी पुद्दी और निप्पल पर लगा दिया।
और बारी बारी से क्रीम चाटते हुए उसकी पुद्दी और निप्पलों को चूसता रहा।

जब वो अच्छी तरह से गर्म हो गई तो इस बार मैंने उसे अपने ऊपर लिटा लिया.

अब वो भी मेरे बदन को चूमते हुए मेरे लंड तक पहुँची और बिना शरमाये ही मेरे लंड को मुख में भर लिया।

उसे इसका अनुभव नहीं था मगर फिर भी वो मुझे पूरा मजा दे रही थी।
आज पहली बार किसी लड़की ने मेरा लंड चूसा था।
मेरी पत्नी से तो मैं ऐसी कभी उम्मीद भी नहीं कर सकता था।

मोनिका ने मेरी सेक्स लाइफ को एक नई ऊर्जा दे दी थी।

उसके बाद मैंने मोनिका को घोड़ी बना दिया और अपनी पूरी रफ्तार से उसकी चुदाई की।
अब वो पूरी तरह से इस खेल का मजा ले रही थी।

जितने दिन वो मेरे घर पर रही हम दोनों बस चुदाई ही करते रहे।
जल्द ही मैंने उसकी गांड भी खोल दी और अब वो गांड और पुद्दी दोनों जगह से पूरा मजा लेती और देती।

मेरा एक मकान जो कि पहले किराए से चलता था, उसमें मैंने सारी व्यवस्था कर दी और जब भी हम लोग चुदाई करते तो उसी मकान में ही करते।

हम दोनों का ये राज उसकी एक सहेली के अलावा किसी को नहीं पता. उसकी सहेली ही हम दोनों की मदद किया करती है।

दोस्तो, आज 2020 आ गया और हम दोनों को मिले 5 साल पूरे हो गए हैं।
आज भी हम दोनों का रिश्ता यू ही चल रहा है.
बस फर्क इतना आया है कि मोनिका अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर चुकी है और यहीं इंदौर में एक कंपनी में जॉब करती है।

पहले जो कमसिन सी लड़की समीज पहना करती थी वो आज 36 साइज का ब्रा पहन रही है। उसकी कमर 26 से 32 हो गई है और उसकी गांड 34 से 38 की हो चुकी है।

उसकी प्यारी सी छोटी सी पुद्दी अब अच्छी खासी बुर बन गई है।

वो एक कमसिन लड़की से एक गदराई हुई लड़की बन चुकी है। जो लड़की 5 साल पहले 45 किलो की थी आज 67 किलो की गदराई जवानी बन चुकी है

जितना मैंने उसे 5 सालो में चोदा है, उतना तो मैंने शादी के बाद से अपनी पत्नी को भी नहीं चोदा होगा।

मेरी चुदाई से 3 बार वो प्रेग्नेंट हुई मगर दवाई का सहारा लेकर सब कुछ ठीक कर लिया।

उसने मुझे अपना सब कुछ दिया और मैंने भी उसके लिए कभी कुछ कमी नहीं रखी।
हम दोनों ही एक दूसरे को बहुत ज्यादा प्यार करते हैं।
हमारा प्यार हमेशा दुनिया से छुपा रहा और उम्मीद है कि आगे भी छुपा रहेगा।

दोस्तो, आपको मेरी जिंदगी का ये राज कैसा लगा? आप देसी सुहागरात कहानी के कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
क्योंकि मैं अपनी ईमेल आईडी नहीं बता सकता।
मैं कमेंट बॉक्स में आप लोगों की प्रतिक्रिया पढ़ लूंगा।

देसी सुहागरात कहानी को पोस्ट करने के लिए कोमल जी का दिल से धन्यवाद करता हूँ।
[email protected]

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