कॉलेज फ्रेंड का प्यार पाने के लिए चुत चुदवाई- 2

(Desi Girl Love Sex Kahani)

देसी गर्ल लव सेक्स कहानी में मैं एक लड़के से प्यार करती थी. वह मेरा दोस्त था पर मुझे प्यार नहीं करता था. उसे पाने के लिए मैंने अपना बदन उसके हवाले कर दिया.

यह कहानी सुनें.

फ्रेंड्स, मैं चित्रांगदा सक्सेना एक बार फिर से आप सभी का अपनी सेक्स कहानी में स्वागत करती हूँ.
कहानी के पहले भाग
दोस्त के प्यार में सर्वस्व दाव पर लगाया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपने साथ पढ़ने वाले अजय का प्यार पाने के लिए उसकी जॉब वाली जगह पर खुद का इंटरव्यू देने गई थी और उस स्कूल कैंपस में अजय के साथ घूम रही थी.

अब आगे देसी गर्ल लव सेक्स कहानी:

दोस्तो, यह स्कूल कई एकड़ में फैला हुआ है. गंगा नदी के किनारे पर स्थित है.

मैं और अजय नदी के किनारे आ गए.
वहां से अजय ने एक नाव ली, हम दोनों उस पर चढ़ गए.

माझी नाव को नदी के बीच में ले आया जहां बहाव बहुत तेज़ था.

अजय सामने बैठ कर मुझे ही देख रहा था.
अजय ने खादी का कुर्ता और सफेद पाजामा पहन रखा था.

मैंने गौर किया कि धीरे धीरे उसके कुर्ते का सामने से कुछ उभार आ रहा है.
मैं भी सोच सोच कर मस्त होने लगी.

तभी बारिश शुरू हो गई और मेरा सफेद कुर्ता मुझसे चिपकने लगा तो अजय की नजर मेरे हल्के हल्के से उभारों और नुकीले निप्पल पर जा पड़ी.
वे एकदम जाहिर हो रहे थे.

अब मैं शर्माने लगी तो अजय ने अपना कुर्ता उतार दिया और मेरी तरफ बढ़ा दिया.

उसने नीचे बनियान पहनी हुई थी, जो उसकी कमर तक ही आ रही थी.
उसका पजामा भीगने लगा और उसके लिंग का उभार मेरे सामने आने लगा था.

शाम ढलने लगी तो अजय ने कहा- थोड़ा देरी से चलते हैं, ऐसे में कोई देखेगा तो खराब लगेगा.
मैंने हामी भर दी.

तभी कुछ पल बाद अजय अचानक से बोला- चित्रा यार, छह बज रहे हैं. अब चलना चाहिए, मुझे स्कूल बिल्डिंग में जाना होगा. शाम की क्लासेस को चेक करने जाना पड़ता है!

मैं- ठीक है, चलो. पहले तुम ही बोल रहे थे … देर से चलने के लिए!
अजय- कहा तो था, पर अब सोच रहा हूं कि देर करने से ज्यादा देर ना हो जाए. वैसे भी सभी बच्चे अभी मैदान में खेल रहे होंगे तो यह घर चलने का सही समय है.

हम अजय के घर पर आ गए.

अन्दर पहले कमरे में एक बेड आ गया था. पीछे दूसरे कमरे में बिस्तर लगा हुआ था.

अन्दर आते ही अजय ने किसी को कॉल की, दूसरी तरफ से कोई लड़की थी.

लड़की- जी सर बताइए कैसे याद किया?
अजय- मेघना जी, मैं यह कहना चाह रहा था कि क्या आप आज शाम की क्लास चैक कर लेंगी. मैं थोड़ा व्यस्त हूं.

मेघना- जी मैं कर लूंगी, वैसे आप कहां और किसके साथ व्यस्त हैं?
अजय- धन्यवाद मेघना जी. आप भी छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं. मैं बताया तो था आपको!

मेघना- अच्छा तो आपकी चित्रांगदा आ गयी हैं. फिर हमारे लिए कहां समय होगा आपके पास!

स्पीकर पर यह बातें सुन कर मेरे मन में गुदगुदी होने लगी कि आग दोनों तरफ लगी हुई है.
अब बस सही समय का इंतजार था.

तभी अजय ने आगे वाले कमरे को बंद कर दिया, लाईट बंद करके अन्दर कमरे में आ गया.
अजय- मैं आगे सो जाऊंगा, तुम इसी कमरे में सोना क्योंकि बाथरूम इसी रूम से अटैच है.

मैं- जैसा तुम कहो. वैसे तुम यहीं सो जाओ, मैं नीचे सो जाती हूं.
अजय- नहीं, मैं आगे सोऊंगा. वैसे तुम बहुत बदल गई हो.

मैं- बदल गई हो … बदल गई हो … क्या बदला है? बताओ भी. आने के बाद कभी आकर खबर ली मेरी … कैसे जी रही हूं? तुमको तो सब मजाक लगता है, बोला था तुम्हें कि मैं चाहती हूं तुमको. यह बदलाव भी तुम्हारे लिए किया है अपने आप. किसी ने छुआ नहीं है मुझे आज तक.

यह कहती हुई मैं फफक पड़ी.

अजय ने मुझे बांहों से पकड़ा और मेरी ठुड्डी से मुँह ऊपर किया.
मैं तो बस पिघलने के लिए बेकरार थी. देसी गर्ल लव सेक्स के लिए जैसे मरी जा रही थी.

अजय ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
हम एक दूसरे में समा जाने के लिए आतुर हो उठे, सांसें गर्म हो गईं.

अजय ने अपने हाथ मेरे स्तन पर रखे.
वह मेरे दूध दबाते हुए बोला- ये उठ कैसे गए?

उसके बाद उसने मेरा कुर्ता निकाल फेंका.
मेरे स्तन नंगे उसके सामने थे.

अब मेरा हाथ उसके लिंग पर टकरा गया जो उसके पजामे में तंबू बनाए खड़ा था.

मैंने उसका नाड़ा खोल दिया और पजामा नीचे कर दिया.
उसका लिंग देख कर मेरी तो जैसे सांस ही रुक गई.

लगभग काफी लंबा और चार इंच मोटा … मेरी दोनों हथेलियों में भी नहीं समा रहा था.

मैं तुरंत घुटने के बल हो गई और उसके लिंग को मुँह में ले लिया.
अजय की टीस निकल गई.

अजय- आह चित्रा … यह क्या कर रही हो? कब से इस समय के लिए बेकरार था … आह और करो.
मैं- अब चुपचाप रहो, खुद तो किया नहीं … बस ख्याली पुलाव बनवा लो जनाब से!

अजय का लिंग और सख्त व मोटा हो गया.
उसे चूसते हुए मेरा मुँह दर्द करने लगा.

तभी अजय उठा और उसने कमरे की लाइट बंद कर दी.

पूछने पर बताया कि खिड़की के सामने हॉस्टल है और वहां से कोई देख सकता है कि कमरे में क्या चल रहा है.

फिर अजय मेरे पास आया और मुझे उठा कर बेड पर लिटा दिया.
मेरे स्तनों को सहलाते हुए उसने मेरी नाभि को चूम लिया.

फिर उसने मेरे पजामे का नाड़ा खोला और सलवार भी निकाल दी.

मेरी जांघों पर हाथ से सहलाते हुए वह मेरी योनि के आस-पास अपने हाथ से सहलाने लगा.
यह मेरा पहला अहसास था.
मैं शर्म के मारे एकदम सिमटती जा रही थी.

तभी अजय बोला- चलो, रहने देते हैं.

मैंने उसे तुरंत अपने ऊपर खींच लिया.
उसने मेरे स्तनों को मुँह में लेकर पीना शुरू कर दिया.
मेरे तन बदन में जैसे बिजली का सा झटका लगा.

क्या आदमी भी औरत के स्तन पीता है!

मैं सोचने लगी, पर अब मेरे बदन में तरंगें उठने लगीं.
मेरा मन कर रहा था कि अजय आज मेरे स्तनों का कतरा कतरा निचोड़ डाले, तभी मुझे शांति मिलेगी.

तभी मेरी नजर अजय के लिंग पर गई.
मैंने उसे पकड़ कर वापस अपने मुँह में ले लिया.

वह जैसे जैसे मेरे स्तनों को निचोड़ रहा था, वैसे वैसे मेरी योनि से रस धार टपक रही थी.

फिर उसने एक निप्पल को दांत में दबा कर खींचना शुरू कर दिया.
मैं अपना हाथ बिस्तर पर पटकने लगी और अजय का लिंग मेरे मुँह से छूट गया.

अब अजय ने मेरा दूसरा स्तन मुँह में लिया और मेरे ऊपर आ गया. वहीं मेरी योनि से पानी निकलने लगा.

अजय को भी इसका अहसास हो गया था क्योंकि उसकी जांघें मेरी चूत के ऊपर थीं और घिस रही थीं.

उसने मेरी आंखों में देखा.
मैं बस आनन्द के समुद्र में डूबी हुई थी.

तब अजय मेरे ऊपर से उठा और नीचे की तरफ सरक गया.
मेरे स्तनों से नीचे आते हुए उसने मेरे पेट को, नाभि को चूमना और चूसना शुरू कर दिया.

मैं बहुत उत्तेजित हो गई और मेरी चूत ने लगातार पानी छोड़ना शुरू कर दिया.
मेरा बदन थोड़ा हवा में उठा और फिर धम से फिर से बेड पर आ गयी.

अजय को समझ में आ गया कि मैं स्खलित हो गई हूं.
वह अब मेरी टांगों को फैला कर बीच में आ बैठा और उसने मेरी चूत पर अपना मुँह लगा दिया.

मैं तो उफ्फ उम्म उम्म करने लगी और वह जीभ से मेरी योनि को चाटने लगा.
अपनी योनि पर मैं मर्द की जुबान का पहला अहसास पाते ही आह्ह उम सी शिस करने लगी.

अब मैं बहुत ही ज्यादा गर्म हो गई थी.
मैंने अजय से कहा- अब जल्दी से करो … मैं और बर्दाश्त नहीं कर पाऊंगी.

अजय ने कहा- ठीक है, पर तेरी चूत झेल नहीं पाएगी.
“तुम आओ तो सही! ऐसा ना हो तुम ही ना झेल पाओ!”
अजय- ऐसा क्या? तैयार रहो. पर कंडोम तो है नहीं!
मैं- किसने कहा कंडोम के लिए! ऐसे ही करो.

फिर अजय मेरे ऊपर आ गया और मेरे स्तनों को मुँह में ले लिया.
मेरी आह निकल गयी.

अब उसने अपने लिंग को मेरी चूत पर रखा.
एकदम गर्म लंड का चूत के मुख पर पहला अहसास पाकर मैं एकदम से चिहुंक उठी.

अजय ने मेरी आंखों में देखा, जैसे पूछ रहा हो कि क्या हुआ?
मैंने सर हिला कर ‘कुछ नहीं’ कहा और उसे आगे बढ़ने की अपनी मौन स्वीकृति दे दी.

उसने थोड़ी देर लंड को चूत पर घिसा और छेद पर लगा दिया.
मैंने कमर उठा कर अन्दर लेना चाहा.

अजय समझ गया और उसने एक जोर का झटका दे दिया.
जिससे उसके लंड का सुपारा अन्दर आ गया और मेरी हालत खराब हो गई.
मुझे ऐसा लगा, जैसे किसी ने मेरी तीन चार हड्डियां एक साथ तोड़ डाली हों.

अजय मेरे स्तनों को चूसने और चूमने में लगा हुआ था जिससे मुझे थोड़ा आराम मिल रहा था.

जब उसका लंड थोड़ी देर तक अन्दर रह कर एड्जस्ट हो गया तो मैंने कमर हिलानी शुरू कर दी.
अजय को इशारा मिल गया.

उसने स्तनों को छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह में दबा लिया और जोरदार झटका मार दिया.

उसका लगभग छह इंच लंड मेरी चूत में पेवस्त हो गया था.
मैंने चिल्लाना चाहा, मगर मेरे मुँह से बस इतना ही निकल पाया- उइ मम्मी मर गयी … आह बाहर निकालो मुझे नहीं लेना अन्दर!

पर अजय कहां छोड़ने वाला था- बहुत टाईट है तुम्हारी, कभी उंगली भी नहीं डाली क्या इसके अन्दर?
मैं- नहीं, तुम्हारे लिए संजो कर रखी थी.

मैंने अजय की कमर को लपेट लिया और चिपक गयी.
अब अजय आश्वस्त हो गया कि मैं अब नहीं चीखूंगी, तो उसने धीरे से मेरे होंठों को आजाद कर दिया और झटके देने लगा.
मैं भी मादक आवाजें निकाल कर उसका जोश बढ़ा रही थी.

‘हाय मर गयी, उम्म सिइ आह … ह्म्म ह्म ह्म्म और जोर से!’
इस बीच मैं वापस झड़ गई पर अजय अभी भी लगा हुआ था.

मेरी चूत से खून बाहर आने लगा था.
अजय ने खून देखा और प्यार भरी नजरों से मुझे निहारने लगा.

मैंने भी समझते हुए मुँह से किस का इशारा किया.

उसने दर्द के कारण मेरी आंखों में आए आंसुओं को पौंछ डाला और लगातार धक्के मारता रहा.

फिर उसने मेरी एक टांग को अपने कंधे पर फंसा लिया और जोरदार तरीके से चोदने लगा.
उसका लंड मुझे पहले से ज्यादा कड़ा महसूस होने लगा.

हर धक्के पर वह कहने लगा- मैं तुझे बहुत प्यार करना चाहता हूं. यह इस तरह से नहीं होना था.
मैं- तो कर लो प्यार … जब तक हूं मैं तुम्हारे पास!

अजय- तुम्हारे नीचे के बाल कहां गए?
मैं- तुम्हारे लिए इस पल के लिए तैयार होकर आई थी.

अजय- वाउ सो स्वीट … चिट्स आइ लव यू.
(अजय लाड़ में मुझे चिट्स बुलाता था)

इतना कहते कहते उसने आंखों ही आंखों में इशारा करते हुए पूछा- कहां निकालूं?
मैंने इशारे से कह दिया कि अन्दर ही खाली कर दो.

अगले पांच झटकों में अजय ने मेरी चूत में अपने वीर्य से बाढ़ ला दी.
हम दोनों साथ में ही स्खलित हुए.
यह मेरा तीसरा स्खलन था और अजय का पहला.

मेरी यह पहली चुदाई थी, जो काफी देर तक चली थी और मैं पूरी तरह से तृप्त हो गई थी.

अजय भी मुझसे तृप्त हो गया था.

फिर अजय थकान के चलते मुझ पर ही निढाल हो गया.
मैं भी उसकी बांहों में सो गई.

करीब घंटा भर बाद हमारी नींद टूटी.
मैंने महसूस किया कि अजय का लंड अभी भी मेरे अन्दर था और सख्त था.

मैंने अपनी कमर चलानी शुरू कर दी जिससे अजय भी उठ गया.

मैं शर्माती हुई सी अपने आप को ढकती हुए उठने लगी तो अजय का लंड जो फिर से सलामी दे रहा था, मुझे दिखाई दिया.

अजय ने लाईट ऑन कर दी.
पूरी चादर हमारी प्रेमवासना की गवाही दे रही थी. वह मेरे खून और पानी व अजय के वीर्य से सनी हुई थी.

यह देख मैंने आंखें झुका लीं.

मुझसे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था और मैं चल भी नहीं पा रही थी.
खड़ी होने से मेरी चूत से खून और वीर्य मेरी जांघों से होता हुआ रिसने लगा.

अजय ने तौलिया लिया और नहाने जाने लगा.
उसका लंड अभी भी खड़ा था.

मैं- यह ऐसा ही रहता है क्या?
अजय- इसे भी अपने लिए साथ की ज़रूरत है, तो आज जब साथी मिला है तो उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहता है.

मैं- मना किसने किया है, अब तो समय ही समय है … पर तुमको काम था उसका क्या?
अजय- हां यार, बस नहा कर जा ही रहा हूं.

मैं- मैं भी नहा लेती हूं तुम्हारे बाद!
अजय- नहीं, तुम खाने के बाद नहाना … सोने से पहले.

मैं- नहीं, मैं भी नहाऊंगी.
अजय- ठीक है, तो अभी बस पानी डाल लेना … फिर आकर साबुन लगा कर नहाना.

मैं- ठीक है, पर ऐसा क्यों?
अजय- सरप्राइज़ है.

मैं चुप हो गई.
अजय नहा कर आ गया और मुझे गोदी में उठा कर बाथरूम में ले गया.

मैंने कपड़े उतारे तो देख कर दंग रह गयी.
मेरा एक स्तन और उसका निप्पल थोड़ा बड़ा हो गया था … यह शायद अजय के चूसने के कारण हुआ था.

फिर मैंने अपनी चूत का मुआयना किया, वह फट गयी थी और सूज गयी थी, छेद बड़ा हो गया था.
मेरी चूत दिखने में बड़ी अजीब सी लग रही थी, फांकें अलग अलग हो गयी थीं.

अजय अन्दर से देख रहा था और मुस्कुरा रहा था.
मैं बाथरूम का दरवाजा बंद करना भूल गयी थी, फिर पर्दा भी मुझे किससे करना था.

मैंने शिकायत भरे अंदाज में कहा- देखो तुमने क्या हाल कर दिया इसका?
अजय- तो क्या जिंदगी भर वैसी ही रखना चाहती थी क्या? अब कली से फूल बन गयी हो तो इसका मजा लो और मुझे भी दो!

मैं- खुद नहीं ले सकते हो क्या तुम मजा … हर बार मुझे ही कहना होगा क्या?
अजय- अगर तुम्हें कोई प्रोब्लम नहीं है, तब तो बढ़िया है. अब बस देखती रहो तुम … अब जल्दी करो, हम डिनर छोटे बच्चों के साथ करेंगे, जिससे तुम उन बच्चों से मिल सको, जिन्हें तुम्हें पढ़ाना है. फिर मुझे काम से सिटी जाना है. तुम घर वापस आकर नहा कर रेडी रहना … सरप्राइज़ के लिए. मुझे एक से दो घंटे लग सकते हैं.

मैं- सरप्राइज़ तो मेरे पास भी है.
अजय- क्या सरप्राइज़?

मैं- आओगे तो देख लेना.
अजय- ओके.

अब यह सरप्राइज क्या था और अजय ने मेरे साथ क्या क्या किया, यह सब मैं आपको अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगी.
तब तक आप इस देसी गर्ल लव सेक्स कहानी पर ओने विचार मुझे मेल में जरूर लिखें.
[email protected]

देसी गर्ल लव सेक्स कहानी का अगला भाग: कॉलेज फ्रेंड का प्यार पाने के लिए चुत चुदवाई- 3

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