कॉलेज के सीनियर से पहली चुदाई
(college ke senior se pehli chudayi)
दोस्तो, मैं नेहा गुप्ता आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ जो मेरी आपबीती है। कहानी की शुरुआत करने से पहले मैं बता दूँ कि मेरी उम्र 21 साल है और मेरी फिगर 32-28-34 है।
मैंने अपनी बारहवीं की परीक्षा पिछले साल ही पास की थी और मैंने उसके बाद कॉलेज में दाखिला ले लिया था. कॉलेज में मेरी दोस्ती रजनी से हुई, जो मेरी बहुत अच्छी सहेली है और हमने फिर हॉस्टल भी साथ में ले लिया।
तो बात तब की है जब फ्रेशर्स वेलकम की पार्टी से कुछ दिन पहले मैं और रजनी वॉटरपार्क जाने के बारे में सोच रही थीं। फिर रजनी और मैं रविवार को जाने के लिए तैयार हो गई, लेकिन हमारे पास वहाँ जाने के लिए कॉस्ट्यूम नहीं थी तो हम मार्केट निकल गए।
पास में ही एक मॉल में जाकर मैंने स्वीमिंग कॉस्ट्यूम में एक शॉर्ट्स ओर एक टॉप ले लिया और रजनी ने भी मेरे ही टाइप की कॉस्ट्यूम ले ली।
आपको बताना भूल गयी कि रजनी की फिगर 34-30-34 की है। हम शॉपिंग करने के बाद हॉस्टल में वापस आ गए। अब अगले दिन हम वॉटर पार्क पहुँचे और पानी के अंदर चले गए.
उस दिन हमने कोई मेक-अप नहीं किया था क्योंकि हमें पता था कि पानी के अंदर तो सारा मेक-अप धुल ही जाना है. अभी 11 ही बज रहे थे तो हमने सोचा अभी 2-3 घंटे तो हैं ही अपने पास। तभी मैंने नोटिस किया कि हमारे ही कॉलेज के सीनियर भी वहाँ पर हैं जो काफी देर से हमें घूर रहे थे मगर हमने उनको इग्नोर किया।
उनमें से एक का नाम राहुल और एक का अमित था जो हमें बाद में पता चला। वो दोनों कब से हमें देख रहे थे जो मुझे भी अच्छा लग रहा था।
तभी रजनी स्टोर से वॉलीबॉल ले आयी और हम खेलने लगे. मेरी नज़रें बार-बार उन दोनों की तरफ जा रही थीं क्योंकि कब से वो देखे ही जा रहे थे।
अभी कुछ ही देर हुई होगी कि राहुल और अमित हमारी तरफ आए और पूछने लगे कि उन्हें भी हम लोगों के साथ खेलने को मिल सकता है क्या?
मैं कुछ बोलती उससे पहले रजनी ने बोल दिया- हां क्यों नहीं.
फिर हम खेलने लगे. अमित मेरी तरफ से खेलने लग गया और राहुल रजनी की तरफ से। हम काफी देर तक खेलते रहे. इस बीच अमित ने कितनी बार ही मेरे खेल की तारीफ की। फिर हम बाहर आये और चेंज कर लिया. अब मैंने टाइट फिटिंग जीन्स और टॉप पहन लिया. जबकि रजनी ने प्लाज़ो व कुर्ती डाल ली।
फिर वो दोनों भी आए. हमारे बीच में बातें होने लगीं.
राहुल- तुम दोनों हर रविवार आती हो क्या यहाँ?
मैं- नहीं, बस आज पहली बार ही आए हैं हम दोनों तो।
अमित- तुम दोनों बैठो, मैं कुछ खाने के लिए लेकर आता हूँ।
मैं- नहीं, कोई ज़रूरत नहीं, हमें हॉस्टल जल्दी जाना है।
अमित- हम हैं न, छोड़ देंगे तुम दोनों को।
अब मैं कुछ बोलती उससे पहले वो निकल गया।
हम वहीं बैठ गए. मैं, फिर रजनी और फिर राहुल।
राहुल- रजनी तुम फ्रेशर पार्टी में आ रही हो न?
रजनी- हां, क्यों नहीं, हम दोनों आएंगे।
अमित कोल्ड ड्रिंक और साथ में चिप्स के चार पैकेट लेकर आया और आकर मेरे साइड में बैठ गया।
“नेहा, ये लो …”
और फिर रजनी और राहुल को भी दिया। हम वहाँ से अब निकले तो राहुल बोला कि तुम दोनों को हम छोड़ देंगे वरना ऑटो पता नहीं कब मिलेगा।
वो दोनों दो बाइक से आए थे.
रजनी आगे बढ़कर राहुल की बाइक पर बैठ गयी तो मैं भी अमित की बाइक पर बैठ गयी और हम सब चल दिए. हमारा हॉस्टल करीब 16 किलोमीटर दूर था वहाँ से, तो हम हाईवे से आ रहे थे.
अमित ने बाइक की स्पीड तेज़ कर दी जिससे मुझे उसके कंधे को पकड़ना पड़ा और जब वह ब्रेक लेता तो मेरी चूची उसकी पीठ से दब जाती और अजीब-सी सिरहन होती शरीर में. यही हाल रजनी का भी था।
कुछ देर बाद हम अपने कॉलोनी के गेट तक पहुँचे जहाँ मैं अमित को बोली- यहीं रोक दो. हम चले जाएंगे.
और फिर मैं उतर गई।
मैं- थैंक्यू अमित, ड्रॉप करने के लिए।
अमित- इसकी क्या ज़रूरत है. ये तो हमारा फ़र्ज़ है कि हम आपको कोई तक़लीफ ना होने दें.
अमित- अगर आपको कोई दिक्कत न हो तो क्या हम दोस्त बन सकते हैं?
मैं- हाँ क्यों नहीं, फिर नम्बर एक्सचेंज कर लेते हैं हम।
तब तक वो लोग भी आ गए, रजनी के आते ही मैं उसके साथ चल दी। अगले दिन छुट्टी थी क्योंकि उसके बाद वाले दिन फ्रेशर पार्टी थी।
तभी अमित की कॉल आई.
मैं- हैलो?
अमित- हैलो नहीं, क्या कर रही हो?
मैं- कुछ नहीं, बस बोर हो रही हूँ।
अमित- मेरे रहते बोर होने की ज़रूरत नहीं. क्या तुम दोनों आज शाम फ्री हो?
मैं- हां बिल्कुल, क्यों क्या बात है?
अमित- अगर तुम दोनों आज मूवी देखने चल सकती हो तो प्लान फाइनल करें?
मैं- ओके हम रेडी हैं, लेकिन कितने बजे?
अमित- शाम 5:30 बजे ताकि तुम लोग हॉस्टल 10 बजे तक पहुँच जाओ।
मैं- ओके, हम तैयार रहेंगे. पिक करने आ जाना।
अमित- ओके, वैसे नेहा तुम पर ब्लैक रंग ज्यादा सूट करेगा।
मैं- अच्छा जी, इतनी जल्दी इतना कुछ जान गए आप … बाय मिलती हूँ शाम को.
मैंने कॉल कट कर दी.
4 बजे मैं और रजनी तैयार हो गईं, रजनी ने तो वाइट शॉट्स और वाइट टॉप पहनी थी जिससे उसके बैक से ब्रा की स्ट्रिप दिख रही थी और उसकी टॉप पीछे से स्ट्रिप वाली थी। उसके ऊपर एक लॉन्ग जैकेट टाइप डाली हुई थी एकदम कयामत लग रही थी।
मैंने तो एक मिड्डी जो वन पीस होती है घुटने तक होती है वो, ब्लैक कलर की डाली हुई थी और रेड लिपस्टिक, हल्का काजल, बाल खुले हुए, मैं भी कयामत से कम नहीं लग रही थी।
रजनी- क्या बात है … आज अमित तो तुझे देख कर पागल हो जाएगा।
मैं- अच्छा, तू खुद इतनी हॉट राहुल के लिए बनकर जा रही है तो मुझे तो डर है कहीं सिनेमा हॉल में ही तुझे खा न जाए वो।
रजनी- काश … ऐसा हो पाता. और मेरी तरफ देख कर वह मुस्कराने लगी।
अमित की कॉल आई कि वो दोनों कॉलोनी के बाहर खड़े हैं, हम आ जायें।
मैं और रजनी बाहर निकल आई।
मैं- यार, आज तू तो पटाखा लग रही है।
रजनी- तू भी कौन-सा कम लग रही है … आज अमित तो पागल हो जाएगा।
मैं शरमाती हूँ …
रजनी- इतना भी मत शरमा, आज मज़े लेने ही हैं। फिर हम पहुँच गये, वो दोनों हमारा इंतज़ार कर रहे थे।
अमित- वाह, आज तो एकदम पटाखा लग रही हो।
मैं शरमाती हुई- थैंक यू।
और हम चल पड़े।
मूवी हॉल में पहुंचे, अमित ने पहले से बुक कर रखी थी। सीट दो कोनों में ली गयी थी, दो सीट लास्ट रॉ के एक साइड, दूसरी दूसरे साइड।
अमित- आओ नेहा, हम उस तरफ चलते हैं।
मैं उसके पीछे एकदम लास्ट रॉ के लास्ट सीट पर आ गयी और रजनी व राहुल दूसरी तरफ.
मूवी कुछ ख़ास नहीं थी और मेरा ध्यान तो रजनी व राहुल पर ही था। कुछ देर बाद मैंने देखा अंधेरे में रजनी ने जैकेट खोल दिया था और राहुल उसको बांहों में ले चुका था।
फिर मैंने ध्यान देना ज़रूरी नहीं समझा क्योंकि अमित का भी एक हाथ मेरे कंधे पर था और मैं कुछ बोल नहीं रही थी जिससे उसकी हिम्मत बढ़ी और उसने मुझे कमर से पकड़ लिया।
मैंने उसके हाथ को पकड़ लिया।
अमित- क्या हुआ नेहा?
मै- कुछ नहीं!
अमित- तुम्हें अच्छा नहीं लगा?
मैं- ऐसी बात नहीं है।
मेरे इतना बोलते ही वो फिर से हाथ कमर पर रख कर सहलाने लगा और मुझे अच्छा महसूस हुआ.
अमित- नेहा, जब से तुम्हें देखा है तब से बस तुम्हारे बारे में सोचता हूँ।
अमित मेरी गर्दन पर जीभ फेरने लगा जिससे मैं पागल होने लगी. वह साथ ही मेरे कानों को भी चूसने लगा, मेरे शरीर में अजीब-सी सिरहन होने लगी. उसकी इन सब हरकतों से मैं गर्म होने लगी. मैं अब बस अमित के कंट्रोल में थी.
उसने मुझे अपनी ओर खींच कर मेरे मुलायम होंठों पर अपने होंठ रखे और मैं कुछ भी रोकने की स्थिति में नहीं थी. वह मेरे होंठों को चूसे जा रहा था जिससे मैं खो सी गयी थी और अमित की तरफ खुद ही झुकती चली गयी। अब अमित ने मुझे अपनी तरफ खींच कर गोद में ले लिया मुझे. मैं सामने स्क्रीन पर देख रही थी।
अमित- नेहा एक बात बोलूँ, तू जब से कॉलेज आयी है तब से सिर्फ तुझे ही चाहता हूँ ।
मैं- मुझे पता है इसलिए तो मैं आई हूँ यहाँ।
अमित – उफ्फ … मेरी जान।
यह कहकर वह मेरे बूब्स को मसलने लगा और मैं कसमसाने लगी.
मैं – अमित, कोई देख लेगा …
अमित- कोई नहीं देख रहा, वो देख रजनी और राहुल कितने मज़े कर रहे हैं।
मैंने उनकी तरफ देखा तो रजनी और राहुल एक दूसरे को चूम रहे थे और रजनी के हाथों में राहुल का लण्ड था। इसी बीच अमित ने मेरी चूत पर पेंटी के ऊपर ही सहलाना शुरू कर दिया और मैं भी मदहोश हो गयी।
फिर अमित ने मुझे सीधा किया और मेरे होंठों को चूसने लगा. इस बार मैं भी उसका पूरा साथ दे रही थी. वो अपने हाथों को नीचे लाकर मेरी गांड को दबाए जा रहा था जो मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रहा था। मैं भी उसे चूमे जा रही थी.
तभी अमित ने मुझे अलग किया और अपनी पैंट खोल कर लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरी तरफ इशारा किया. मैं समझ गई वो क्या चाहता है और मैं उसके लण्ड को चूसने लगी जो 7 इंच लम्बा था। मैं उसको पूरा मुँह में ले कर चूस रही थी. तभी अमित ने मुझे सीट पर लेटा कर मेरी पैंटी निकाल दी और चूत को अपने जीभ से चाटने और छेड़ने लगा।
मेरे मुंह कामुक सिसकारियाँ निकलने लगी थीं- आह … अमित … उम्म … और चूसो … उम्म … बेबी अह्ह …
मैं अपने चरम पर थी. फिर से मुझे वैसे ही गोद में ले लिया. उसके लण्ड का स्पर्श मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था।
अमित- नेहा, आज रात मेरे फ्लैट पर चलो न … तुम्हें जन्नत की फीलिंग दिलवाऊंगा।
मैं- रजनी भी न है साथ में!
अमित- उसे राहुल अपने फ्लैट पर ले जाएगा।
मैं उससे अलग हो गई और अपने कपड़े ठीक करने लगी. तभी सिनेमा हॉल की लाइट जल गई. मैंने फोन में देखा रजनी का मैसेज स्क्रीन पर दिखाई दे रहा था.
रजनी- नेहा, आज बहुत मन कर रहा है राहुल के साथ. तो मैं जा रही हूँ।
मैं- अच्छा मेरी बन्नो, जा ले मज़े उसके लन्ड के और अच्छे से जाना।
रजनी- तू भी ले ले मज़े आज अमित के।
तभी अमित ने मुझसे चलने के लिए कहा और हम बाहर आ गए।
अमित- राहुल और रजनी तो गए।
मैं -हाँ।
अमित- तो हम भी चलते हैं …
मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कराई और उसकी बाइक पर बैठ गई। अमित पूरी स्पीड से बाइक चलाने लगा और जल्दी ही हम एक अपार्टमेंट में जा पहुंचे. उसने बाइक रोकी और हम अंदर घुस गए.
अमित- आओ चलो, सेकेण्ड फ्लोर पर मेरा फ्लैट है।
मैं उसके पीछे चल दी. हम जैसे ही फ्लैट में दाख़िल हुए अमित ने गेट लॉक कर दिया और मुझे गोद में उठा लिया.
मैं- अमित क्या कर रहे हो?
बेडरूम में लाकर अमित ने मुझे पटक दिया और मेरे ऊपर आकर चढ़ गया. अमित अब मेरे होंठों को अपने होंठों में भरकर दमदार तरीके से चूमने लगा जिससे मैं भी उसकी दीवानी होने लगी और उसके होंठों को हल्का सा काट लिया मैंने.
वह मुस्कराया और अपने कपड़े निकाल कर मेरे ऊपर आ गया. उसने अपने होंठों को मेरी गर्दन पर रखा और मेरी एक चूची को दबा दिया जिससे मैं और ज्यादा मदहोश होने लगी.
अमित ने मेरे भी कपड़े निकाल दिये थे और हम 69 की पॉजीशन में आ गए. अमित का बड़ा लण्ड अब मेरे सामने था, जिसे मैं अपने मुंह मे लेकर चूसे जा रही थी और वो भी मेरी चूत को ऐसे चूसने में लगा हुआ था कि खा ही जाएगा। उसकी चुसाई से आनंदित होकर मैं उसके मुंह में जल्दी ही झड़ गई और उस रस को वो साथ-साथ पी भी गया. फिर उसने मुझे सीधा कर दिया.
अमित- नेहा, तुम्हारा जिस्म बहुत मस्त है यार … मैं आज पूरी रात तुम्हें चोदना चाहता हूँ।
मैं- मैं तो तुम्हारी ही हूँ जान … आज पूरी रात के लिए.
अब उसने मेरी चूची को मुंह में ले लिया और हल्के से काटने लगा. मुझे हल्के दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा था. इसलिए मैं भी मस्ती में आकर उसके लंड को सहलाने लगी.
अमित- नेहा, अब घोड़ी बन जा, अब रहा नहीं जाता.
मैं घोड़ी बन गई और अमित ने पीछे से मेरी गांड को पकड़ कर मारा जिससे मैं और ज्यादा उत्तेजित हो गई. अब वह अपने लण्ड को मेरी गांड और चूत की जगह रगड़ने लगा. मैं तो जैसे उसका लंड लेने के लिए मरी जा रही थी अब.
मैं- अमित अब बर्दाश्त नहीं हो रहा … प्लीज़, डाल दो न!
अमित- क्या डाल दूँ मेरी जान?
मैं- अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दो.
मेरे इतना बोलते ही उसने एक धक्का मारा जिससे उसका लण्ड मेरी चूत को चीरते हुए अंदर चला गया.
मैं- अमित निकालो … बहुत दर्द हो रहा है!
अमित कुछ देर के लिए रुका और मेरा दर्द कम होने लगा. मैं अपनी चूत को थोड़ा एडजस्ट करने के बाद सहज हो गई. अमित भी समझ गया कि अब मैं उसका लंड फिर से लेने के लिए तैयार हूँ और उसने फिर से लंड को चूत के मुख पर रखकर एक धक्का मार दिया.
अबकी बार उसका धक्का काफी ज़ोरदार था जिससे लंड पूरा मेरी चूत में समा गया और मुझे मज़ा आने लगा. अब अमित ने मेरी ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी और पूरे कमरे में कामुक सिसकारियाँ गूंजने लगीं. हम दोनों ही चुदाई का मज़ा लेने लगे थे.
अमित- चल सीधी हो जा मेरी जान.
मुझे अमित ने सीधा किया और चूत में फिर से लंड को पेल दिया. साथ ही साथ वह मेरे बूब्स को भी मसल रहा था. उसकी इस मस्त चुदाई से मैं जल्दी ही आनंद में मस्त हो गई और अपने चरम पर पहुंच गई.
मैं- आह … अमित!
मेरे मुंह से कामुक आवाज़ निकली और उस आवाज़ के साथ मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
अमित के धक्के अब पहले से ज्यादा तेज़ हो गए थे और मेरी कामुक चीखें पूरे कमरे में गूंज उठीं.
मैं- अह्ह … अमित अह्ह!
फिर उसने अचानक से मेरी चूची को मुंह में ले लिया और झटके मारते हुए उसका माल मेरी चूत में गिरने लगा.
अमित- अह्ह … नेहा, बहुत टाइट माल हो तुम मज़ा आ गया … उम्म …
उसने मुझे चूमा और हल्के से मेरी चूची को मसल दिया. फिर हम वैसे ही सो गए.
सुबह में फिर से एक बार मस्ती भरी चुदाई हुई और मैं फिर हॉस्टल में वापस चली गई.
दोस्तो, यह मेरी पहली बार चुदाई की कहानी थी. अगर कोई ग़लती हुई हो तो माफी चाहूंगी। अपना सुझाव आप मुझे ईमेल कर सकते हैं.
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