अनाड़ी को मिली कुंवारी
(Anadi Ko Mili Kunvari)
मेरा नाम बिरजू सिंह राजपूत है। मैं उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में रहता हूँ। मेरी उम्र इस समय 24 साल की है।
मैं आप लोगों को अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, बात 5 साल पहले की है।
मैं एक हट्टा-कट्टा लड़का हूँ पर मैं सन्कोची स्वभाव का था, लड़कियाँ अक्सर मुझे छेड़ती रहती थीं और मैं शरमा कर रह जाता था।
मैंने कभी भी किसी लड़की से सेक्स नहीं किया था, मैं सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानता था कि कैसे किया जाता है… क्या होता है?
फ़िर एक दोस्त से मेरी मुलाकात होने के बाद मैं बदल गया, मेरा वो दोस्त लड़कियों को पटाने की कला खूब जानता था, उसने मुझे लड़कियों से मजे लेना सिखाया।
मैं अब लड़कियों से बातें करने में हिचकिचाता नहीं था, मैं भी अब किसी लड़की के साथ सम्भोग करने की जुगाड़ में रहने लगा।
मैं सोचता रहता था कि साली यह चूत दिखने में कैसी होती होगी? सेक्स में कैसा आनन्द आता होगा वगैरह-वगैरह.. मैं ब्लू फिल्में देखने लगा। कभी-कभी ज्यादा जोश आने पर मैंने अपना वीर्य मुठ मार निकाल लेता था पर उसमें वो मजा नहीं आता था जो मैं चाहता था, मैं किसी कुंवारी लड़की की चूत में अपना लण्ड डाल कर देखना चाहता था।
ऊपर वाले ने मेरी सुन ली और मुझे वो मौका मिल गया, जिसका मुझे बहुत दिनों से इन्तजार था।
मैं पढ़ाई करने के लिये अपनी नानी के यहाँ चला गया, वहाँ घर में बहुत से लोग रहते थे। दो मामी थीं, वो दोनों ही बड़ी जबरदस्त माल लगती थीं, पर उनसे मेरा टांका नहीं भिड़ पाया क्योंकि घर के सारे लोग बहुत सख्त थे, नाना-नानी में किसी लड़का-लड़की को ज्यादा बात नहीं करने देते थे।
यूँ ही दिन कट रहे थे, एक दिन एक रिश्तेदार की लड़की भी पढ़ाई करने के लिए नानी के यहाँ आकर रहने लगी।
यही मेरी पहली चाहत थी।
उस लड़की का नाम सोनी था, मुझे पूरा यकीन था बिल्कुल कुंवारी थी, वह बहुत ही खूबसूरत थी। उसकी खूबसूरती के बारे में क्या कहूँ। वो बहुत ही कमसिन थी। उसकी लम्बाई 5′ 2″ थी, बिल्कुल मेरे जितनी थी, गेहुआं रंग था, गाल फ़ूले हुए, होंठ तो बिल्कुल गुलाब की पंखुरियों के जैसे थे। कमर औसतन पतली थी। सीना उठा हुआ।
उसके दूध.. उफ़ क्या गजब के थे.. उफ़.. जब झाडू लगाने के लिये झुकती थी, तो उसका उसके पपीते जैसे दूध मेरे दिल में एक सुरुर सा पैदा कर देते थे..!
मन करता था कि बस उसके दूध पकड़ कर चूस ही लूँ और सारे दूध मुँह में लेकर खा जाऊँ। अपना लन्ड उसके मुँह में दे दूँ, पर मन मार कर रह जाता था। उसकी टांगें भरी-भरी थी, जांघें ..उफ़.. बहुत ही माँसल…और भरी हुई थीं। चूंकि वह मेहनत करती थी, सो उसका हर अंग कसा हुआ था।
उसकी कमर, हाय.. जब चलती थी, तो बिल्कुल मोरनी की तरह चलती थी। दोस्तों मैं जो कह रहा हूँ, बिल्कुल सत्य कह रहा हूँ, एक-एक बात सच है।
मेरा और उसका कालेज पास ही पास था, रोज कालेज जाते वक्त उससे चुपके से मजाक करके जरूर जाता था।
उसका किसी भी लड़के के साथ मेल-जोल नहीं था तो वह बिल्कुल गुलाब की कच्ची कली लगती थी। किसे पता था इस कली को फ़ूल मैं ही बनाऊँगा।
क्योंकि उसके पिता की मौत हो चुकी थी तो उसकी मां उस पर बहुत कन्ट्रोल रखती थी। उसकी भरी जवानी देखकर कईयों के दिल मचल जाते थे, पर वह किसी को भी घास नहीं डालती थी, जाने मुझसे कैसे फंस गई, यह मेरा नसीब ही था कि मुझे पहली चूत कुंवारी ही मिल रही थी।
मैं भी कुंवारा था, अब मैं मौके की ताक में रहने लगा, वह भी धीरे से इशारे किया करती थी।
एक दिन घर में हमारे आसपास कोई नहीं था, मैंने मौका पाकर अपने प्यार का इजहार कर दिया और जमानत के तौर पर उसके चिकने गाल पर चुम्मा जड़ दिया।
उफ़… पहली बार किसी लड़की का चुम्मा लिया, तो शरीर में करन्ट सा दौड़ गया।
फ़िर मिलने का वादा कर मैं वहाँ से चला गया।
मुझे तो अब उस दिन का इन्तजार था जब उसका भरा हुआ जिस्म मेरे सामने हो, कोई कपड़ा, कोई पर्दा ना हो।
ऊपर वाले ने मेरी भी सुन ही ली, एक दिन घर के सारे लोग एक विवाह में गए हुए थे, मुझे खास तौर से घर की देखभाल करने को कहा गया था।
मैं मन ही मन खुश हुआ कि आज फ़िर वह अकेले में मिलेगी और मेरा अरमान पूरा होगा। घर में बस मैं और वो और एक मामा की लड़की और थी। मामा की लड़की घर में होने से किसी को शक नहीं था कि कुछ गलत भी हो सकता है।
मैंने सोचा ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता। मैंने टीवी पर एक पिक्चर चला दी और मामा की लड़की को पिक्चर देखने को कहा और खुद अपने अरमानों की महफ़िल सजाने के लिए नीचे चला आया।
नीचे आकर मैं सोनी का इन्तजार करने लगा। जैसे ही वह कालेज से लौट कर आई, मैंने दरवाजे के पीछे दबोच लिया।
मैंने उससे कहा- आज मैं तुमसे कुछ मांग रहा हूँ, ‘ना’ मत करना।
शायद वो भी इसी पल का इन्तजार कर रही थी, उसने कहा- ठीक है, जो माँगना चाहते हो ले लो।
इतना सुनकर मैं तो खुशी के मारे फ़ूला ना समा रहा था, मेरा लन्ड मेरे अन्डरवियर में समा ना रहा था।
मैंने उसे कमरे में चलने का इशारा किया तो उसने कहा- क्या करोगे… कमरे में जाकर.. कोई देख लेगा तो क्या कहेगा..!
मैंने कहा- आज घर में कोई नहीं है, आज मैं ‘वो’ सब कुछ करूँगा।
मैं उसे खींच कर उसे कमरे में ले गया और झट से अपनी पैन्ट उतार कर, उससे भी कपड़े उतारने को कहा।
तो वो शरमाने लगी, बोली- मुझे शर्म लग रही है।
मैंने उसे समझाया- मेरी छम्मकछल्लो… आज मैं तुम्हें ऐसा मजा दूँगा कि तुम रोज ही मेरे पास आया करोगी।
वह बोली- कहीं कुछ हो गया तो.. मैं मर जाऊँगी… मेरे घर वाले मुझे काट डालेंगे… नहीं मैं ऐसा नहीं करूँगी।
मैंने सोचा- मुर्गी फंस कर जाल से निकली जा रही है।
मैंने झट से अपना अन्डरवियर भी उतार दिया, अब मैं सिर्फ़ बनियान पहने था, मेरा लन्ड ऐंठा जा रहा था, बिल्कुल केले की तरह सीधा हो गया था।
मैंने अपना लन्ड उसके हाथ में पकड़ा दिया, पहले तो वह पकड़ नहीं रही थी, फ़िर मैंने जबरदस्ती उसका हाथ पकड़ कर अपने लन्ड पर कस दिया।
‘आह…!’ मेरे मुँह से आनन्द की आवाजें आने लगीं। पहली बार किसी लड़की ने मेरा लन्ड हाथ में पकड़ा था। मैंने उसे अपना लन्ड चूसने को कहा।
वह कहने लगी- मैं ऐसा गन्दा काम नहीं करूँगी।
मैंने उसे ताकत लगा कर नीचे जमीन पर बिठा दिया और अपना लन्ड उसके मुँह में दे दिया, लन्ड को आगे-पीछे करने लगा।
मेरे अंडकोष उसकी ठुड्डी से टकरा रहे थे। आनन्द के मारे मेरी आँखें बन्द हो गई थीं। मैं तो जैसे स्वर्ग में विचरण कर रहा था।
मेरे दोस्त ने बताया था कि लड़कियाँ कभी भी अपनी तरफ़ से पहल नहीं करती हैं। करीब 2-3 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा, फ़िर मुझे ध्यान आया कि मैं तो मजे ले रहा हूँ, पर वह नहीं..!
अब तक वो भी पूरे जोश में आ गई थी, बस अब हथौड़ा मारने की देर थी।
मैंने उससे कहा- मैं सेक्स करना नहीं जानता, कहाँ से शुरुआत की जाती है।
वो बोली- मैंने भी कभी नहीं किया।
मैं सोच रहा था, अगर मैं इसे सन्तुष्ट न कर पाया, तो मेरी बेइज्जती हो जाएगी, मैं पहले सम्भोग में ही नाकामी नहीं चाहता था।
फ़िर मुझे अपने दोस्त के टिप्स याद आए, सो मैंने उसी के अनुसार काम करना चालू कर दिया, मैंने उसे पास पड़ी खटिया पर लिटा दिया और उसकी कुर्ती उतार दी, उसके चिकने ठोस दूध समीज मे से झांक रहे थे।
मुझे कुछ-कुछ डर लग रहा था, जिससे मेरा दिल जोर से धड़क रहा था। इतनी जोर से कि वो भी मेरी धड़कन की आवाज सुन रही थी।
मैं तो पूरे जोश में था ही, उसके दूध कस कर दबा दिए, वो चिल्ला पड़ी… ‘अई…आई… दर्द हो रहा है..!
मैंने कहा- थोड़ा रुको, यही दर्द तुम्हें जन्नत की सैर कराएगा।
मैंने उसके गालों, होंठों के बीस-पच्चीस चुम्बन लिए। फ़िर उसकी शमीज भी उतार दी।
उफ़… उसके गोरे चिकने कबूतर के जैसे, पपीते के आकार के मम्मे मेरी नजरों के सामने थे। वो मम्मे जिन्हें मैं झाडू लगाते समय दूर से ही देखा करता था आज वो साक्षात मेरी आँखों के सामने थे। मैं उन्हें खाने के लिये भूखे शेर की तरह झपट पड़ा।
उसका बोबा जितना मेरे मुँह में आ सका उतना लेकर मैं जोरों से चूसने लगा, वो ‘आह…आह’ करने लगी, ‘उम्ह उम्ह’ की आवाजें निकालने लगी।वह अपनी दोनों टांगें जोर से आपस में रगड़ रही थी।
उफ़.. उस कमरे के अन्दर क्या तूफ़ान चल रहा था..!
उसके दूध चूसने के बाद मेरी जीभ उसके नंगे बदन पर दौड़ लगाने लगी। पहले उसका पेट उसकी, गर्दन सब कुछ मैंने कुछ ही मिनट के अन्दर जाने कितनी बार चूम डाला।
वो लगातार आँखें बन्द करके ‘उम्ह्…उम्ह’ कर रही थी। मेरा हाथ सरकता हुआ उसकी सलवार के अन्दर होता हुआ उसकी चड्डी में मुख्य गुफ़ा को तलाशने लगा।
वो गुलाबी छेद मिलते ही मेरी उंगली उसमें घुस कर गहराई का अन्दाजा लगाने लगी।
क्या चिकनी थी… उसकी चूत..!
मुझसे रहा न गया मैंने झटका देकर सलवार को नाड़े से आजाद कर दिया। हालांकि उसने इसका विरोध भी किया, लेकिन जब तन में आग लगी हो, तो सारी रुकावटें फ़ना हो जाती हैं।
मैं रोमांचित हो रहा था, जो चीज सपनों में फिल्मों में देखी थी, वो आज मेरे सामने आने वाली है। मैंने उसकी टांगें ऊपर उठा कर उसकी चिकनी माँसल जांघों को सलवार की कैद से आजाद कर दिया।
हाय.. वो कुआं जिसमें मेरा लण्ड गोते लगाने वाला था.. अब बस एक ही परदे के अन्दर रह गया था।
उसने लाल रंग की चड्डी पहन रखी थी।
मैं उसके ऊपर लेट गया, मेरा लन्ड उसकी चड्डी के अन्दर के कुएँ में घुसने की चेष्टा करने लगा।
मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था पर मैं इस अनमोल घड़ी का पूरा आनन्द लेना चाहता था तो हर काम धीरे-धीरे कर रहा था।
वो जोर से कसमसाने लगी और बोली- अब और क्या करोगे अपना सामान मेरी चूत में डालते क्यों नहीं..!
मारे जोश के हम दोनों के चेहरे लाल हो गए थे, मेरी जीभ ने एक बार फ़िर से उसके कसे हुए बदन पर दौड़ लगाई।
मैंने उससे कहा- सब मैं ही करता रहूँगा कि तुम भी कुछ करोगी।
उसने मेरी बात सुन मेरे बदन पर 10-15 ‘पुच्ची’ जड़ दीं, फ़िर लेट गई।
मैंने उससे कहा- और कुछ नहीं आता क्या..!
मैं समझ गया कि यग कुछ नहीं करेगी, मैंने ही आगे की रासलीला चालू कर दी। मेरा हाथ उसकी चूत को मसल कर, सहला कर, उंगलियों से उसकी गहराई का अन्दाजा लगा रहा था।
फ़िर मैंने उसकी मैंने टाँगें ऊपर उठाईं और चूत के ऊपर से पर्दा हटा दिया। अब उसके बदन के ऊपर एक कपड़े के नाम पर एक धागा भी नहीं था।
उफ़.. मेरा मन मस्ती से डोलने लगा।
जिन्दगी में पहली बार चूत के दर्शन पाकर मैं तो धन्य हो गया, ऐसा लग रहा था कि दो झिल्लीदार सन्तरे की फाँकें आपस में चिपका दी गई हों या डबलरोटी के दो टुकड़े काट कर चिपका दिए हों।
मैं भी अपने बचे-खुचे कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया। मैंने अपना लन्ड हाथों से सहलाया और फ़िर उसकी चूत पर फ़िराया जो जोश के मारे टेड़ा हुआ जा रहा था।
वो जोर से कहने लगी- डालते क्यों नहीं..अन्दर..!
वो अपनी कमर ऊपर उठा-उठा कर संकेत दे रही थी कि अब और इन्तजार नहीं कर सकती।
मैंने उसकी मंशा समझ अपना लन्ड उसकी मखमली चूत में पेल दिया, वह दर्द के मारे ‘आंह…आंह’ करने लगी।
मेरी तो आन्न्द की वजह से आँखें ही नहीं खुल रही थीं, मेरा लन्ड उसकी चूत में बराबर आगे-पीछे जा रहा था। जाने मैं ये सब कलायें कैसे और कब सीख गया..!
कमरे के अन्दर ‘ऊह…आह’ की आवाजें निकल रही थीं। मेरा तो बदन ऐसे तप रहा था, जैसे बुखार आ गया हो। मेरे लन्ड में तो जैसे गुदगुदी हो रही थी, मैं बता नहीं सकता, उस वक़्त मुझे क्या महसूस हो रहा था..!
सारी दुनिया का मजा इसी काम है जैसे ऐसा लग रहा था, मन कर रहा था कि पूरा लन्ड घूसेड़ दूँ। उसकी चूत काफ़ी टाईट थी क्योंकि मेरा औसत मोटाई का लन्ड उसकी चूत में फ़िट हो रहा था और मुझे ताकत लगानी पड़ रही थी।
मैंने जो सोचा था वो नहीं हुआ, मेरा वीर्य 5 मिनट के बाद ही निकल गया। जैसे ही मेरा वीर्य निकला, मुझे लगा कि सारा वीर्य इसमें ही निकाल दूँ और यह वीर्य निकलता ही रहे।
‘उफ़… ओह… ओह..!’ मेरे मुँह से निकल रहा था।
मैंने पूरी ताकत लगा दी और जितना हो सका अपना लन्ड उसकी चूत में धकेल दिया।
‘ऊऊऊह…!’ वो चिल्लाने लगी- क्या कर रहे हो… दर्द हो रहा है..!
लेकिन मैं यह साफ़ महसूस कर रहा था कि वो अभी भी प्यासी है इसलिए मैं अपनी इज्जत बचाने को अभी लन्ड को हांक रहा था, पर वीर्य निकल जाने के कारण मैं ज्यादा देर तक नहीं टिक सका।
उसे पता नहीं चला, मैं दोबारा से तैयार होने के इरादे से उसके बिल्कुल नंगे बदन पर फ़िर से अपनी जीभ से सफ़ाई करने लगा।
कुछ ही मिनट के बाद जैसे ही मुझे लगा कि मेरा टैंक फ़िर से भर गया है, मैंने फ़िर से अपना लन्ड उसकी चूत की गहराइयों में धकेल दिया। फ़िर से मैं अपनी मथनी लेकर उसकी चूत रूपी घड़े की दही को मथ रहा था।
हमारे बदन पसीने से नहा रहे थे।
इस बार मेरे लन्ड ने मुझे निराश नहीं किया, उसकी प्यास बुझ गई, उसकी चूत में से पानी के जैसा कुछ निकल रहा था। उसने मुझे दूर हटाना चाहा, लेकिन मैं अब कहाँ मानने वाला था, जब तक मैं ठंडा नहीं हो जाता, 5 मिनट तक मेरे लन्ड की जोर जबरदस्ती चलती रही।
आखिर में मेरा वीर्य निकल गया। काफ़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही नंगे चिपटे लेटे रहे, फ़िर कपड़े पहन लिए।
चारपाई पर खून देख कर वह रोने लगी कि अब मेरे पेट में कुछ हो जाएगा, मैं मर जाऊँगी।
मैंने उसे समझाया और अनवान्टेड-72 लेने सीधा बाजार चला गया। मैंने अखबार में पढ़ा था कि इससे गर्भ नहीं रुकता है।
इस तरह मैंने पहली बार सेक्स का मजा चखकर देखा और वो मजा आया जो जन्नत में भी नहीं मिल सकता।
दोस्तो, यह थी मेरी पहली सुहागरात.. बोले तो सुहागदिन..!
कहानी कैसी लगी प्लीज मुझे बताना जरूर..!
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