चूत एक पहेली -38
(Chut Ek Paheli-38)
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अब तक आपने पढ़ा..
अर्जुन- ये अपने आप नहीं निकलता.. इसे निकालना पड़ता है.. जैसे मैंने आज निकाला है.. समझी?
निधि- हाँ समझ गई.. तभी भाभी को मज़ा आता है.. वो छुप कर आपसे रस निकलवाने आती हैं मगर उस दिन आप भाभी के ऊपर लेटे हुए हिल रहे थे.. वो कौन सा खेल है?
अर्जुन- वो रस निकालने का दूसरा तरीका है.. जो फुद्दी में गन्ना घुसा कर निकाला जाता है..
निधि- अच्छा… कैसे कैसे.. मुझे बताओ ना.. और ये गन्ना है कहाँ.. कब से बस बोल रहे हो.. दिखाते ही नहीं हो..
अर्जुन- अब समय आ गया है मेरी रानी.. चल अपनी आँख बन्द कर और खोलना मत.. ये भी एक खेल है.. बहुत मज़ा आएगा..
अब आगे..
निधि ने बात मान ली और आँख बन्द करके बैठ गई। बस फिर क्या था अर्जुन ने अपना विकराल लंड बाहर निकाल लिया.. जो बहुत अकड़ा हुआ था और टोपे पर वीर्य की बूंदें चमक रही थीं।
अर्जुन- निधि देखो.. आँख मत खोलना.. मैं गन्ना तेरे मुँह के पास ला रहा हूँ.. बस जीभ से चाट कर मज़ा लेना.. ठीक है ना..
निधि- हाँ ठीक है.. लाओ जल्दी से..
अर्जुन ने लौड़ा निधि के होंठों के करीब कर दिया.. वो अपनी जीभ से टोपी को चाटने लगी। जब वीर्य उसकी जीभ पर लगा तो उसको अजीब सा सवाद मिला और उसने आँखें खोल दीं।
निधि- हे भगवान.. ये क्या है.. छी: छी: अर्जुन तुम मुझे अपनी नूनी चाटने को कह रहे थे..
अर्जुन- हा हा हा.. अरे निधि.. ये नूनी नहीं.. लंड है.. इसमें छी: की क्या बात.. मैंने भी तो तुम्हारी फुद्दी चाटी है ना.. वैसे तुम भी इसे गन्ना समझ कर चूसो.. बहुत मज़ा आएगा..
निधि- नहीं नहीं.. गन्ना तो मीठा होता है मगर इसका सवाद तो अजीब सा है। कुछ समझ नहीं आ रहा..
अर्जुन- अरे तू चूस कर तो देख.. मज़ा आएगा और उसके बाद मैं दोबारा तेरी फुद्दी चाटूँगा। अबकी बार पहले से ज़्यादा मज़ा आएगा तुझे..
निधि ने बेमन से सुपारे को जीभ से चाटना शुरू किया.. धीरे-धीरे उसको मज़ा आने लगा..
अर्जुन- आह्ह.. अब आया ना मज़ा.. ले चूस.. पूरा मुँह में ले.. आह्ह.. चूस..
निधि के छोटे से मुँह में लौड़ा जा नहीं रहा था.. मगर उसने कोशिश करके सुपारा पूरा मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
निधि को अब लौड़े का रस अच्छा लगने लगा था.. वो मज़े से लौड़ा चूस रही थी और अर्जुन की वासना बढ़ती जा रही थी.. वो अब रुकना नहीं चाहता था।
अर्जुन- आह्ह.. चूस मेरी रानी.. आह्ह.. चूस.. आज तेरी फुद्दी का महूरत करूँगा.. इसको इतना चिकना कर दे कि बस तेरी फुद्दी को चीरता हुआ अन्दर गहराई तक आराम से घुस जाए..
निधि की समझ से यह बात कोसों दूर थी.. वो तो बस मज़े लेने में लगी हुई थी। उसको कहा ध्यान था कि अर्जुन की बातों का मतलब क्या है।
निधि- बस.. मेरा मुँह दुखने लगा है.. अब तुम मेरी फुद्दी चाटो ना..
अर्जुन- हाँ क्यों नहीं.. मेरी रानी.. अब तू गर्म हो गई है.. तेरी फुद्दी चटकार तुझे आग की भट्टी बना दूँगा.. उसके बाद चोट करूँगा..
मुनिया के दोनों पैर मोड़ कर.. अर्जुन उसके पैरों के बीच बैठ गया.. और उसकी चूत को चाटने लगा। अपनी उंगली पर थूक लगा कर थोड़ा अन्दर घुसने लगा ताकि उसकी चूत थोड़ी खुल जाए।
निधि- आह्ह.. सस्स नहीं.. आह्ह.. क्या कर रहे हो.. दुख़ती है.. आह्ह.. नहीं उफ..
अर्जुन- अभी कहाँ दुख़ती है मेरी जान.. जब ये बम्बू अन्दर जाएगा.. तब दुखेगा.. अभी तो तू बस मज़ा ले..
निधि- आह्ह.. अईह्ह.. चाटो.. मज़ा आ रहा है.. ये क्या आह्ह.. बोल रहे हो.. ये कैसे अन्दर आ जाएगा.. मेरी फुद्दी कितनी छोटी सी है.. आहह सस्स सस्स.. और ये कितना बड़ा है.. ना बाबा ना.. मैं तो मर ही जाऊँगी.. आह्ह.. बस ऐसे ही चाटो..
अर्जुन अब ज़ोर-ज़ोर से चूत को चाटने लगा था.. निधि एकदम गर्म हो गई थी। वो कमर को हिलाने लगी थी।
बस अर्जुन ने मौका देखा और चूत को चाटना बन्द किया.. खुद उसके पैरों के बीच बैठ गया.. लौड़े को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
निधि- आह उहह.. नहीं अर्जुन.. ये ना जा पाएगा.. आह्ह.. नहीं आह्ह..
अर्जुन- अरे डाल कहाँ रहा हूँ.. बस ऊपर रगड़ रहा हूँ.. मैंने कहा था ना इस लौड़े से तेरा पानी निकालूँगा।
निधि- उफ़फ्फ़ आह.. तब ठीक है.. अहह.. करते रहो.. मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. उफ़फ्फ़.. अर्जुन ज़ोर-ज़ोर से रगड़ो.. आह्ह.. मुझे पहले जैसा हो रहा है.. मेरा सूसू आह्ह.. नहीं नहीं.. मेरा रस आ रहा है आह्ह..
अर्जुन ने जल्दी से ढेर सारा थूक लंड पर लगाया.. निधि झड़ने लगी थी। उसका रस बाहर आ रहा था.. यही मौका था.. उसकी चूत एकदम चिकनी थी, अर्जुन ने हाथ से चूत को फ़ैलाया.. और सुपारा सैट करके एक धक्का मारा.. उसकी टोपी अन्दर फँस गई।
निधि तो कामवासना में तड़प रही थी.. उसका पानी अभी रुका भी नहीं था कि अर्जुन का मोटा बम्बू.. उसकी चूत में घुस गया.. वो तड़प उठी..
निधि- आह नहीं.. अर्जुन आह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. नहीं ये ना जाएगा.. आह्ह.. निकालो आह्ह..
अर्जुन- अरे रानी.. अभी तो बस मुँह अन्दर किया है इसका.. अभी से काहे छटपटा रही है.. अब देख.. बस थोड़ा सा सहन कर ले.. फिर हवा में ना उड़ने लगे.. तो कहना मुझे..
अर्जुन ने निधि के निप्पल को मुँह में लिया और कमर को झटका मारा 3″ लौड़ा निधि की सील तोड़ता हुआ अन्दर घुस गया और दिल को दहला दे.. ऐसी चीख निधि के मुँह से निकली..
वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी.. अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करने लगी.. मगर अर्जुन ने उसके दोनों हाथों को मजबूती से जकड़ लिया था।
अर्जुन- अबे कितना चिल्लाएगी.. चुप.. कोई आ जाएगा..
निधि लगातार रोए जा रही थी.. अर्जुन ने उसके होंठों को जकड़ा और एक जोरदार धक्का मारा.. पूरा लौड़ा चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया.. उसकी चूत से खून रिसने लगा।
निधि दर्द के कारण बेहोश हो गई.. मौके का फायदा उठा कर अर्जुन दनादन लौड़ा पेलने लगा.. वो जल्द से जल्द चूत को ढीला करना चाहता था ताकि होश में आने के बाद निधि को ज़्यादा दर्द ना हो और वो आराम से चुदवाए।
मुनिया- हे राम.. आदमी हो या शैतान उस पर ज़रा भी रहम ना आया तुझे?
अर्जुन- अरे तू लौड़ा सहलाती रह.. अभी तो मज़ा आ रहा था और कैसा रहम.. उसको चोद कर मैंने कोई गुनाह नहीं किया.. बल्कि मज़ा लेने लायक बना दिया.. समझी..
मुनिया- अच्छा अच्छा.. बड़ा आया लायक बनाने वाला.. चल आगे बता..
अर्जुन- साली निधि की चुदाई बताते हुए लौड़ा कैसे झटके खा रहा है.. तू कर ना.. मज़ा आ रहा है..
मुनिया दोबारा लौड़े को सहलाने लगी और अर्जुन उसको आगे की कहानी सुनने लगा।
निधि को अब होश आने लगा था.. उसकी चूत दर्द से फटी जा रही थी और अर्जुन उसको चोदे जा रहा था।
निधि- आह न..नहीं.. एयेए अर्जुन.. मैं मर जाऊँगी.. आह्ह..
अर्जुन- अरे बस.. थोड़ी देर रुक.. आह्ह.. उहह.. मेरा वीर्य निकलने ही वाला है.. उहह उहह.. तेरी फुद्दी अब मेरा पूरा लौड़ा निगल गई है.. अब कैसा दर्द.. आह्ह.. उहह..
निधि को उत्तेजना का पता भी नहीं चल रहा था.. वो तो बस दर्द से कराह रही थी। इधर अर्जुन के लौड़े ने उसकी चूत को पानी से भर दिया और सुकून की लंबी सांस ली।
मुनिया- हाय रे बेचारी निधि.. कितना दुखा होगा उसको..
अर्जुन- उसकी छोड़.. आह्ह.. तू ज़ोर से कर.. आह्ह.. मेरा रस आने वाला है.. आह्ह.. मुँह में लेके चूस आह्ह..
अर्जुन ने ज़बरदस्ती अपना लौड़ा मुनिया के मुँह में ठूँस दिया और झटके देने लगा। कुछ ही देर में उसका रस निकल गया.. जिसे मुनिया पूरा गटक गई और मज़े से उसके लौड़े को जीभ से चाट कर साफ कर दिया।
अर्जुन- आह्ह.. मज़ा आ गया मुनिया.. बस ऐसे ही तू मेरे साथ रहना.. देखना तुम्हें ऐसा मज़ा दूँगा कि तू जिंदगी भर मुझे भूल नहीं पाएगी..
मुनिया- हाँ देखे तेरे मज़े.. खुद तो मेरे मुँह को पानी से भर दिया.. मेरी चूत का हाल पूछा कि उसको क्या चाहिए.. वो अभी कैसी है..
अर्जुन- अरे जानता हूँ रानी.. तू निधि की बात सुनकर गर्म हो गई है.. अब पहले ही मान जाती तो तेरी फुद्दी को लौड़े से ठंडा कर देता.. ला अब चाट कर ही पानी निकाल देता हूँ।
मुनिया- हाँ ये सही रहेगा.. वैसे भी चूत बहुत गर्म है.. जल्दी पानी निकल जाएगा.. उफ़फ्फ़ गीली तो पहले से हो गई..
मुनिया ने कपड़े निकाले तो अर्जुन ने जल्दी से चूत को चाटना शुरू किया जैसे बस वो उसका भूखा हो।
कुछ देर में ही मुनिया झड़ गई.. क्योंकि वो बहुत ज़्यादा उत्तेजित थी।
अर्जुन- वाह.. मज़ा आ गया तेरा रस तो कमाल का है, अब इतना सब हो ही गया तो एक बार कर लेते हैं ना..
मुनिया- अरे नहीं नहीं.. माई जाग गई तो शक करेगी.. अच्छा तूने आगे नहीं बताया कि निधि का क्या हुआ.. उसको खून निकल आया.. तो वो घर कैसे गई.. सब बताओ ना जल्दी से..
अर्जुन- अच्छा.. अब तेरी माई को शक नहीं होगा.. ये सब बताने में समय कितना लगेगा.. अभी लंबी कहानी है।
मुनिया- जल्दी-जल्दी बता दे ना.. मुझे पूरी बात जाननी है?
दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
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