चूत एक पहेली -12

पिंकी सेन 2015-10-06 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

पुनीत- तुझे किसने रोका है.. कर दे इसका मुहूरत तू भी..
रॉनी- मुहूरत तो आपने कर दिया.. अब मैं क्या खाक करूँ.. और चूत का हाल तो देखो.. कैसे पानी और खून से भरी पड़ी है.. इसमें कौन लौड़ा पेलेगा..
मुनिया- आह्ह.. आह्ह.. बाबूजी.. मुझ पर रहम करो.. आह्ह.. मेरी फुद्दी में बहुत दर्द है.. मैं अब सह नहीं पाऊँगी.. आह्ह.. मर जाऊँगी..
रॉनी- अरे साली.. कुछ नहीं होगा तुझे.. अभी तो सील टूट गई.. अब क्या होने वाला है तुझे..
पुनीत- तुझे करना है तो कर.. मैं तो चला कमरे में.. पूरा गंदा हो गया हूँ.. जाकर नहाऊँगा..

अब आगे..

पुनीत वहाँ से चला गया.. तो रॉनी ने चादर से मुनिया की चूत को अच्छे से साफ किया। वो कराह रही थी मगर रॉनी पर तो चुदास सवार थी.. उसने मुनिया के पैरों को मोड़ा और लौड़े को चूत पर टिका कर ज़ोर का धक्का मार दिया.. बस आधा लौड़ा घुसते ही मुनिया के चीखें फिर से कमरे में गूँजने लगीं और रॉनी के तगड़े लौड़े ने मुनिया का हाल से बेहाल कर दिया।

रॉनी- उफ्फ.. भाई सही कह रहा था.. तेरी चूत तो बड़ी क़यामत है रे साली..
मुनिया- आह उहह.. नहीं बाबूजी.. आह्ह.. मेरी जान निकल रही है.. आह नहीं.. करो..
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रॉनी दे दनादन लौड़ा पेले जा रहा था और मुनिया चीखे जा रही थी।
कुछ देर बार मुनिया की चूत में दर्द कम हुआ और चूत की चिकनाहट के कारण लौड़ा आसानी से अन्दर-बाहर होने लगा।
मुनिया- आह.. ईससस्स.. नहीं उईईइ.. आह.. मर गई ओह.. बाबूजी आह्ह.. आराम से उफ्फ.. आह्ह.. नहीं ओह.. उउउहह आह ससस्स..

रॉनी का लौड़ा पहले ही बहुत गर्म था अब मुनिया की सीत्कारों से उसकी वासना और बढ़ गई। वो तेज़ी से धक्के देने लगा और कुछ ही देर में उसका ज्वालामुखी चूत नाम की गुफा में फट गया और वो निढाल सा होकर मुनिया के पास में लेट गया।

दोस्तो, बीच में आकर मैं आपका मज़ा किरकिरा नहीं करना चाहती थी.. इसलिए सीन ख़त्म होने के बाद आई हूँ, अब यहाँ कुछ नहीं रहा, मुनिया थक गई है.. इसे आराम लेने दो.. हम दूसरी जगह चलते हैं।

रामू और बबलू अपने कमरे में बैठे चाय पी रहे थे और बातें कर रहे थे।
रामू- अरे बबलू भाई.. अब तो बता दे रात क्या हुआ था.. तू किसके साथ मज़ा ले रहा था?

बबलू- अरे बताता हूँ ना.. सुन तुझे तो पता है.. मैं रात को हॉस्टल के हर कमरे के पास आँख लगा कर देखता हूँ कि कोई हसीना नंगी दिख जाए या कोई दो लड़की मज़े लेती दिख जाएं..
रामू- अरे हाँ.. ये तो पता है.. कल रात क्या हुआ.. वो बता?

बबलू- अरे बता रहा हूँ ना.. कल साली कोई लड़की की चूत ना देख पाया तो परेशान होकर पूजा के कमरे के पास गया.. उसका तो तेरे को पता है ना.. साली पक्की छिनाल है.. सब लड़कियों को उसने ही बिगाड़ा है। मैंने सोचा आज इस हॉस्टल की सबसे हसीन लड़की पायल के साथ वो जरूर कुछ करेगी.. तो उसकी चूत देखने का मौका मिल जाएगा।

रामू- अरे ये बात मेरे दिमाग़ में क्यों नहीं आई.. नहीं तो मैं भी आ जाता.. पायल को नंगा देखने की तलब तो यहाँ सब करते हैं.. वो है ही चाँद का टुकड़ा।

बबलू- हाँ यार.. इसी चक्कर में तो उसके कमरे के पास गया था। मैंने होल से देखा तो कमरे में हल्की रोशनी थी और पायल अकेली बेसुध सोई पड़ी थी, वो साली पूजा वहाँ नहीं थी, मैंने दरवाजे को हल्के से खोलना चाहा.. तो खुल गया।
रामू- अरे बापरे.. तुझे डर नहीं लगा.. वो जाग जाती तो?

बबलू- अरे मैंने तो बस ऐसे ही देखा था.. अब दरवाजा खुल गया तो मैंने हिम्मत करके अन्दर का मुआयना किया कि वो पूजा कहाँ है। जब काफ़ी देर वो नहीं आई.. तो मैं समझ गया वो रंडी किसी दूसरे कमरे में अपनी प्यास बुझाने गई होगी और ये सोच कर मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैं धीरे से बिस्तर के पास गया और वहाँ का नजारा देख कर मेरी हालत पतली हो गई रे.. वो एकदम सीधी सोई थी और सांस के साथ उसके चूचे ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसकी नाईटी भी जाँघों से भी ऊपर तक थी.. उसे कोई होश नहीं था.. उसकी गोरी टाँगें नंगी मेरे सामने थीं.. और मैं उसको देख कर बेहोश सा होने लगा। मेरे लंड महाराज घंटी की तरह हिलने लगे।

रामू- अरे वाह.. ऐसा नजारा देख कर मेरा लंड घंटी क्या घंटा बन जाएगा.. तू आगे बता ना..
बबलू- आगे क्या बताऊँ.. मुझसे रहा नहीं गया.. तो मैंने डरते हुए उसकी जाँघों पर हाथ रख दिया। उफ्फ.. क्या गर्म थी यार.. और ऐसी मुलायम की बस मेरे हाथ काँपने लगे।
कुछ देर तक जाँघ पर हाथ फेरने के बाद मैंने उसके चूचों को छुआ.. बड़े ही लाजवाब थे यार.. मेरा लंड झटके खाने लगा था। थोड़ा डर भी लग रहा था कहीं कोई आ ना जाए..

रामू- भाई ऐसे समय डर तो लगता ही है मगर ऐसे मज़े के आगे सब डर दूर हो जाते हैं..

बबलू- हाँ यार वो साली ऐसी सोई थी जैसे 4 बोतल पीके सोई हो। उसको होश ही नहीं था और मेरी हालत खराब हो रही थी। अब मेरी हिम्मत बढ़ गई.. मैंने आगे से उसकी नाईटी को खोल दिया.. सामने उसका बेदाग जिस्म था। एकदम गोरे जिस्म पर उसकी काली ब्रा और पैन्टी देख कर लौड़े से पानी की बूँदें बाहर आ गईं। उसके बाद तो बस मेरा सर डर निकाल गया.. मैं उसकी चूत की महक लेने लगा। धीरे से उसको छुआ तो 440 वोल्ट का झटका लगा मुझे.. मैंने उसकी कसी हुई चूत पर अपने होंठ रख दिए।
अब साली थोड़ा कसमसाई.. मैं समझा कहीं उठ ना जाए.. तो धीरे से बस उसको सहलाता रहा। अब मेरा लंड काबू में नहीं था.. मैंने उसे बाहर निकाल लिया और पायल की चूत पर हल्के से रगड़ने लगा। कसम से क्या बताऊँ उसकी चूत को छूते ही लौड़े में करंट पैदा हो गया.. जैसे अभी झड़ जाएगा। तभी मुझे बाहर कुछ आवाज़ सुनाई दी.. मैं एकदम से डर गया और जल्दी से कमरे से बाहर निकल आया।

रामू- उफ़फ्फ़ बबलू भाई.. क्या सुना दिया.. मेरा लौड़ा तो सुनकर झटके खा रहा है.. तूने तो उस कमसिन कन्या की चूत को छुआ है.. आह्ह.. क्या मज़ा आया होगा ना.. उसके बाद क्या हुआ.. वो बता ना यार..

बबलू- अरे उसके बाद मेरी अन्दर जाने की हालत नहीं थी.. लौड़ा बुरी तरह अकड़ा हुआ झटके खा रहा था.. बस वहाँ से निकल कर सीधा टॉयलेट गया.. लौड़े को ठंडा किया.. तब जाकर सुकून मिला.. मगर वो नजारा आँखों के सामने से हट ही नहीं रहा था। दोबारा हिम्मत करके गया.. तो सामने से पूजा आती दिखाई दी.. तो मैं जल्दी से वापस मुड़ गया और भाग कर कमरे में आ गया।

रामू- अरे बाप रे, वो कहाँ से आ गई.. साली रंडी.. यार ऐसा मौका दोबारा मिले तो मुझे भी बुलाना.. उसकी चूत देखने की बड़ी तमन्ना है मेरी.. दिल करता है साली को उठा के ले जाऊँ।

यहाँ अब बस बातें रह गई हैं.. चलो वापस मुनिया के पास जाते हैं।

दर्द के मारे मुनिया अभी तक सिसक रही थी और रॉनी उसके पास लेटा हुआ उसके मम्मों को मसल रहा था।

मुनिया- आह ईससस्स.. नहीं बाबूजी अब और ताक़त नहीं है.. आह्ह.. काम के बहाने आप मेरे बदन से खेल गये.. अब मेरा क्या होगा.. उउउह उउहह.. मैं क्या करूँगी अब..
रॉनी- अरे अरे.. रोती क्यों है.. कुछ नहीं होगा तुझे.. मैं हूँ ना.. देख चुप हो जा.. अब तेरे साथ जो होना था सो हो गया.. अब तू मज़े करेगी बस.. चल आज की इस ठुकाई के तुझे 2 हज़ार देते हैं.. बस अब खुश चुप हो जा तू..

मुनिया- नहीं बाबूजी पैसे से इज़्ज़त का सौदा मत करो.. मुझे घर जाना है.. बस अब यहाँ नहीं रहना मुझे..
रॉनी- अरे मेरी भोली रानी घर जाने से क्या होगा.. अब यहीं रह.. देख तेरी माँ बहुत गरीब है.. तू यहाँ रह कर पैसे कमा उसका सहारा बन..

रॉनी बहुत देर तक मुनिया को समझाता रहा.. जब जाकर वो मानी।
मुनिया- अच्छा ठीक है बाबूजी.. मगर आप दोनों एक साथ मुझे परेशान नहीं करोगे.. बहुत दुःखता है मुझे..
रॉनी- हा हा हा हा अरे बस.. इतनी सी बात.. चल नहीं करेंगे बस.. अकेला मैं ही करूँगा।
मुनिया- आप ही करेंगे तो बड़े बाबूजी का क्या होगा?
रॉनी- ओये मेरी सोणिए.. क्या बात है बड़ी फिकर है उसकी.. अरे उसके साथ भी मज़े ले लेना यार अकेले में… और सुन ये क्या ‘बाबूजी बाबूजी..’ लगा रखा है.. जानू बोलो.. डार्लिंग बोलो.. अगर ये नहीं तो यार हमारे इतने प्यारे नाम हैं.. वो लिया करो..
मुनिया- ठीक है रॉनी जी.. हा हा हा ये अच्छा है ना..

मुनिया को हँसता देख कर रॉनी को उस पर बड़ा प्यार आया। उसने मुनिया को अपनी बाँहों में भर लिया।

कुछ देर वो दोनों बातें करते रहे.. उसके बाद रॉनी की मदद से मुनिया बाथरूम तक गई.. उसको बहुत दर्द था मगर वो एक बहादुर लड़की थी.. सब दर्द को सह गई और चूत को अच्छी तरह साफ किया। बाद में कमरे को भी ठीक किया तब तक रॉनी जा चुका था।

दोपहर तक सब नॉर्मल हो चुका था। हाँ मुनिया के पैर ठीक से काम नहीं कर रहे थे.. उसको चूत में दर्द था और उसको बुखार भी हो गया था.. तो रॉनी ने उसे कुछ दवा और ट्यूब देकर कहा कि वो कमरे से बाहर ना आए.. बस आराम करे, शाम तक ठीक हो जाएगी।

दोनों भाइयों ने लंच किया और टीवी देखने लगे.. तभी वहाँ सुनील और विवेक आ गए।
विवेक- हाय रॉनी हाय पुनीत.. कैसे हो?
पुनीत- अरे आओ आओ.. तुम्हारा ही इंतजार था और टोनी कहाँ है.. वो नहीं आया क्या?
सुनील- वो बस आता ही होगा.. हम जरा पहले आ गए।
रॉनी- वो साला कहाँ रह गया.. ऐसे तो बड़ा बोलता था एक बार मैं गेम में आ जाऊँ.. तो ऐसा कर दूँगा.. वैसा कर दूँगा.. अब गाण्ड फट गई क्या उसकी?

आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
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