लड्डुओं को दबाने का मज़ा
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम मनीष है और मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ। यहाँ की अधिकतर कहानियाँ मुझे अच्छी लगती हैं। यहाँ की कहानियाँ पढ़ कर मुझे अपनी कहानी लिखने की इच्छा हुई। इसीलिए मैं आज अपनी कहानी के साथ आपके सामने हाजिर हूँ, जो कि एकदम सत्य घटना है और मेरे साथ दो साल पहले घटित हुई।
मेरी कभी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी पर मैं हमेशा से ही लड़की पटाने की सोचता रहता था लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई।
फिर एक दिन मैंने अपने दोस्त की गर्लफ्रेंड स्नेहा (बदला हुआ नाम) से बात की और मजाक में उससे अपने लिए लड़की पटाने को बोला तो उसने ‘हाँ’ कर दिया।
मैं उस बात को भूल गया। तभी कुछ दिनों के बाद अचानक स्नेहा का फोन आया और उसने एक लड़की से मेरी बात कराई। उसका नाम शिल्पा (बदला हुआ नाम) था।
मैंने उससे कहा- क्या वो मुझसे दोस्ती करने को तैयार है?
तो उसने कहा- पहले वो मुझे देखेगी उसके बाद ही कुछ कहेगी।
तो मैंने ‘हाँ’ कह दिया और शाम को एक पार्क में आने को बोल दिया। वहाँ उसने तो मुझे देख लिया क्योंकि स्नेहा ने उसको मेरे बारे में बता दिया था, पर मैं उसको नहीं पहचान पाया।
फिर रात को मेरे पास उसका फोन आया और उसने दोस्ती के लिए ‘हाँ’ बोल दिया, उसके बाद हम रोज बातें करने लगे।
कुछ दिनों के बाद मैंने उससे ‘आई लव यू’ बोल दिया तो उसने भी बदले में एक चुम्मा देकर फोन काट दिया।
मैं उसका जवाब समझ गया।
हम बातें करते रहे, धीरे-धीरे हम सेक्सी बातें भी करने लगे। मैं उसके मम्मों को लड्डू बोलता था और उससे कहता था कि जब भी उससे मिलूँगा तो सबसे पहले उसके लड्डुओं को खाऊँगा, तो वो बहुत हँसती।
फिर एक दिन हमने मिलने का प्रोग्राम बनाया और तय समय पर मैं उससे मिलने पार्क में पहुँच गया।
वहाँ मैंने उसे पहली बार देखा था। तो मैं उसे देखता ही रह गया। क्या मस्त माल थी यार..!
गोरी-चिट्टी, स्लिम फिगर, चाशनी से लबरेज गुलाबी होंठ, निम्बू से थोड़े बड़े मम्मों’, 5′ 3″ की लम्बाई, कजरारी आँखें। काले सूट में वो काफी मस्त लग रही थी।
मिलते ही हमने एक-दूसरे से ‘हाय-हैलो’ किया और फिर पार्क में बैठ कर बातें करने लगे। यह हमारी पहली मुलाकात थी और वैसे तो फोन पर तो बात होती ही थी, पर यहाँ पर शुरुआत कौन करे, मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था।
फिर मैंने हिम्मत करके उसे अपने पास चिपका लिया और उसके कन्धों पर हाथ फेरने लगा तो वो कुछ नहीं बोली और उसने भी अपने हाथ मेरी पीठ पर रख दिए।
फिर मैंने हिम्मत करके उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चूमने लगा। कसम से मैं उस पल को ब्यान नहीं कर सकता।
वो मेरा उसका पहला ‘किस’ था। वो पल बहुत ही हसीन और यादगार पल था जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता।
फिर मैंने ‘किस’ करते हुए उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया।
एक बार तो उसने मेरा हाथ हटा दिया पर मैंने फिर से अपने हाथ रख दिए तो उसे भी मज़ा आने लगा, 10-15 मिनट तक हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर एक दूसरे से अलग हो गए क्योंकि हम एक पार्क में थे, तो इससे ज्यादा वहाँ कुछ कर नहीं सकते थे।
फिर हम वहाँ से चले आए और 10-15 दिनों तक हम ऐसे ही मिलते रहे, कभी पार्क में… कभी रेस्टोरेंट में.. पर चूमा-चाटी और कपड़ों के ऊपर से चूत और मम्मों पर हाथ फेरने के अलावा हम कुछ नहीं कर सके थे।
फिर एक दिन मैंने उससे अपने एक दोस्त के कमरे पर आने को बोला तो पहले तो उसने मना कर दिया पर बाद में मेरे जोर देने पर मान गई।
उसके ‘हाँ’ करते ही मैंने अगले ही दिन का प्रोग्राम बना लिया क्योंकि मैं ये मौका नहीं गंवाना चाहता था।
वो ऑटो से पहुँच गई और मैं मोटरसाइिकल से जाकर स्टैंड से उसे दोस्त के रूम पर ले आया। रूम में घुसते ही मैंने रूम को अन्दर से बन्द किया और और उसे बिस्तर पर लिटा कर चूमना शुरू कर दिया क्योंकि मैं बातों में वक्त बर्बाद नहीं करना चाहता था और शायद वो भी यहीं चाहती थी।
तभी उसने भी मुझे कस कर पकड़ लिया और चूमना शुरु कर दिया। फिर मैंने ‘किस’ करते हुए उसके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया तो वो सिसकारने लगी और अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा कर चूमने लगी।
फिर मैंने दूसरे हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। मेरे लण्ड भी अब तक पूरी तरह खड़ा हो गया था और पैन्ट में चुभने लगा था। वो भी धीरे-धीरे गर्म हो रही थी।
फिर मैंने उसे बैठाया और उसका कुर्ता उतार दिया। कुर्ता उतारते ही उसके दोनों लड्डू आज़ाद होने के लिए तड़पते दिखे।
उसके गोरे-गोरे मम्मों को देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उन्हें उसकी ब्रा के ऊपर से काटना शुरू कर दिया। मुझसे सब्र नहीं हो रहा था तो मैंने झटके से उसकी ब्रा के हुक खोलने की कोशिश की तो दो हुक तो खुल गए पर एक हुक टूट गया।
यह देख कर वो हँसने लगी और कहने लगी- थोड़ा आराम से… मैं तो यहीं हूँ और आज पूरी तुम्हारी हूँ।
पर उस वक्त तक तो वो यही समझ रही थी कि मैं आज भी सिर्फ उसके साथ चूमा-चाटी ही करूँगा, पर मेरा तो इरादा ही कुछ और था।
मैंने उसके मम्मों को चूसते हुआ अपना एक हाथ उसकी सलवार में डाल दिया और पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा। कुछ दो-तीन मिनट तक तो मैं ऐसे ही करता रहा। फिर मैंने अपने हाथ उसकी पैन्टी में डाला तो हाथ पर कुछ चिपिचपा सा महसूस हुआ।
वो शायद उसकी चूत का लावा था। मैं उंगली से उसकी चूत को सहलाने लगा।
फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी तो उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे।
क्योंकि उसकी चूत एकदम कुँवारी चूत थी।
फिर मैंने अपना हाथ वहाँ से निकाला और उसको छोड़ कर पहले अपने सारे कपड़े उतारे और फिर उसकी पैन्टी को छोड़ कर सारे कपड़े उतार दिए।
वो तो मेरे लण्ड को देख कर ही घबरा गई और बोली- इससे क्या करोगे?
तो मैंने उसे बता दिया तो वो मना करने लगी- जब उंगली से ही इतना दर्द हो रहा है तो इससे कितना दर्द होगा?
क्योंकि मेरा लण्ड 6.5″ लंबा और 2.5″ मोटा है।
मैंने उस समझाते हुए कहा- तू चिंता मत कर… अगर ज्यादा दर्द हुआ, तो नहीं करूँगा..
तो वो मान गई, फिर मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू किया और उसके हाथ में अपना लण्ड दे दिया और उसे हिलाने के लिए बोला, तो वो धीरे-धीरे हिलाने लगी।
फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी गीली चूत में डाल दी। पहले तो उसे थोड़ा दर्द हुआ पर जब मैंने ऊँगली को थोड़ी देर अन्दर-बाहर किया तो धीरे-धीरे उसे भी मज़ा आने लगा और वो मज़े में मेरा लण्ड जोर से हिलाने लगी।
फिर मैंने अपनी दूसरी उंगली भी उसके अन्दर डाल दी पर इस बार मज़े के कारण उसे पता ही नहीं चला, वो भी जोर से मेरे लण्ड को हिलाने लगी।
अचानक मेरा छूटने को आया तो मैंने लण्ड उसके हाथ से निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया। और उसके मुँह में ही छूट गया।
उसे उसका स्वाद अजीब सा लगा इसीलिए उसने उसे पूरा थूक दिया।
अब वो पूरी तरह गर्म हो चुकी थी तो मैंने देर न करते हुए उसे सीधा लिटा कर उसकी टाँगें चौड़ी की और लण्ड को उसकी चूत पर रख कर धक्का लगाया तो लण्ड फिसल गया।
मैंने 2-3 बार कोशिश की पर लण्ड अन्दर तक गया ही नहीं तो मैं तेल की शीशी लाया और तेल से अपने लण्ड को पूरी तरह मलने के बाद उसकी चूत पर भी देर सारा तेल लगा दिया।
फिर उसकी गाण्ड के नीचे दो तकिए लगाए और अपना लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रखा और उसे चूमने लगा, मैं उसका ध्यान बंटाने के लिए उससे बातें करने लगा और फिर अचानक मैंने एक जोर का और गहरा धक्का लगाया तो लण्ड थोड़ा अन्दर सरक गया।
वो चीखने लगी।
पर मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया, जिससे उसकी चीख दब गई पर उसकी शायद उसे दर्द काफी हो रहा था।
वो मुझे धकेलने की कोशिश कर थी, मैंने उसे कस कर पकड़ा हुआ था, कुछ देर तक मैं ऐसे ही पकड़े रहा।
फिर जब उसे दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने उसके होंठ छोड़े तो वो मुझसे छोड़ने के लिए कहने लगी। पर मैंने उसे चूमते हुए उसे बातों में लगाते हुए अचानक जोर का झटका मारा तो मेरा आधे से ज्यादा लण्ड अन्दर जा चुका था और वो रोने लगी।
उसके होंठ मेरे होंठों से दबे हुए थे तो उसकी आवाज़ बाहर नहीं जा सकती थी।
मैंने उस समय उसके रोने की परवाह न करते हुए एक और झटका मारा तो लण्ड पूरा अन्दर था। उसकी आँखों से आँसुओं की धारा बहने लगी।
वो मेरी पीठ पर मुक्के मारने लगी, पर मैंने बिना हिले-डुले उसे कस के पकड़ कर उसके ऊपर लेटा रहा।
करीब 5 मिनट के बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने हल्के-हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए पर दर्द के कारण उसे ज्यादा मज़ा नहीं आ रहा था।
जब थोड़ी देर बाद जब उसका दर्द और कम हुआ तो उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी अपनी गाण्ड उचका कर मेरा साथ देने लगी।
मैं मज़े से धक्के लगाता रहा और कभी उसके मम्मों को, तो कभी उसके होंठ चूमता रहा। चूँकि मैं थोड़ी देर पहले ही झड़ा था इसीलिए अब जल्दी तो झड़ने से रहा।
करीब दस मिनट तक धक्के लगाने के बाद उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और अकड़ने लगी, शायद वो झड़ने वाली थी। उसके गर्म लावा से मेरा भी झड़ने का लम्हा आ गया था तो मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी।
अचानक वो अजीब सी आवाज़ निकालते हुए झड़ गई और मैं भी कुछ देर बाद उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके ही ऊपर लेट गया, थोड़ी देर तक ऐसे ही लेटे रहे।
उस समय ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने जान निकाल ली हो।
फिर 5 मिनट बाद हम उठे, बाथरूम गए, एक-दूसरे को साफ़ किया और फिर चादर बदली जो कि उसके खून और वीर्य से लाल थी।
उसको देख कर वो मुझे हल्के से मारने लगी- तुम बहुत गंदे हो।
यह मेरा भी पहली बार था तो मेरा भी लण्ड थोड़ा छिल गया था और उसकी भी चूत की सील टूट गई थी।
अभी हमारे पास एक घंटा था तो मैंने उससे थोड़ी देर लेटने को बोला और उसे दर्द की गोली दी जिससे उसका दर्द कम हो जायगा और उसे चलने में आसानी रहेगी। उसने वो गोली ले ली फिर मुझे से चिपक कर लेट गई।
यह थी मेरा पहली चुदाई की कहानी।
कैसी लगी जरूर बताना, मैं आपको बाद में बताऊँगा कि कैसे मैंने बाद में उसकी गाण्ड भी मारी।
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