रीना की चुदाई की हवस-2
पिंकी सेन
रीना झड़ कर शान्त हो जाती है और नंगी ही बाथरूम में चली जाती है। कुछ देर बाद उसकी माँ घर आ जाती है और रीना के रूम को नॉक करती है।
रीना- क्या है माँ?
राधा- बेटी खाना क्यों नहीं खाया अब तक, आजा जल्दी से… तेरे पापा भी आ गए हैं !
रीना- बस पाँच मिनट में आई माँ !
पंद्रह मिनट बाद सब खाने की टेबल पर बैठे थे। जीतेंद्र रीना को घूर रहे थे और रीना उनसे नजरें चुरा रही थी।
जीतेंद्र- ऐसे नजरें चुराने से कुछ नहीं होगा, आख़िर तुम चाहती क्या हो ! क्यों पढ़ाई में ध्यान नहीं है तुम्हारा !
राधा- अब बस भी करो, खाना तो खाने दो बेचारी को, रात को देर तक पढ़ाई करती है अब पता नहीं फिर भी क्यों नम्बर कम आते हैं !
रीना मन ही मन हँस रही थी ‘ओह मेरी भोली माँ.. रात को सेक्स स्टोरी पढ़ती हूँ बड़े-बड़े लंड देखती हूँ… अपनी बुर को रगड़ती हूँ… पढ़ाई में क्या रखा है.. हाँ ! और पापा आप पूछते हो मैं चाहती क्या हूँ ! तो पापा प्लीज़ कोई तगड़ा सा मोटा सा लंड ला दो, जिससे मेरी बुर को शांति मिले !’
जीतेंद्र- अब ऐसे क्या चुप बैठी रहेगी ! जवाब तो दे?
पापा की आवाज़ सुनकर रीना का ध्यान टूटा और वो बोली- सॉरी पापा, आगे से ध्यान रखूँगी और ज़्यादा मेहनत करूँगी !
इसके बाद वहाँ कुछ खास नहीं हुआ, रीना अपने कमरे में चली गई और मोबाइल पर गेम खेलने लगी, गेम खेलते-खेलते उसको नींद आ गई और वो सो गई।
जीतेंद्र ने राधा से पूछा- वहाँ क्या पता चला?
तब राधा ने बात को टाल दिया क्योंकि वो जानती थी कि यह बाबा वाली वाली बात उनको समझ नहीं आएगी।
शाम को पाँच बजे घण्टी बजी तो राधा ने दरवाजा खोला, रीना की सहेली गीता आई थी, उसी की उमर की है और उसकी बेस्ट-फ्रेंड है।
रीना- हाय.. क्या मौके पर आई है.. आ तुझे एक चीज़ दिखाती हूँ !
गीता- क्या है यार?
रीना- यह देख आज मैंने एक स्टोरी पढ़ी है, बड़ी मस्त है यार और इसकी राइटर कोई पिंकी है जो मेल का रिप्लाई भी देती है। बड़ा अच्छा लिखती है।
मेरी तो बुर रिसने लगी, आ तू भी पढ़ ले मज़ा आएगा !
गीता- यार, एक बात बता तू.. कितनी स्टोरी पढ़ती है, वीडियो देखती है.. बुर को रगड़ करके ठंडा करती है। किसी को बॉय-फ्रेण्ड बना ले.. क्यूँ तड़पती रहती है !
रीना- चल हट… ये आज कल के लड़कों में कहाँ दम है ! मैं तो अपनी बुर का मुहूर्त किसी तगड़े लौड़े से करवाउंगी, जिस दिन वो मेरे सामने आएगा मैं अपने आप उसको पकड़ लूँगी !
गीता- यार अब तगड़ा लौड़ा कहाँ से आएगा और तूने कौन सा लड़कों का देखा है, जो तुझे बड़ा पता है कि उनका तगड़ा नहीं है !
रीना- हा हा हा एक बात बताऊँ.. हँसना मत, मैंने कई लौड़े देखे है अपने स्कूल के बाथरूम में बॉयज-टॉयलेट के ठीक पीछे गर्ल्स-टॉयलेट है, मैंने एक बाथरूम में छेद किया हुआ है, बहुत छोटा है.. ऐसे नज़र नहीं आता है। मैंने उसमे रुई डाली हुई है, जब मैं जाती हूँ कोई न कोई तो वहाँ आता ही है। मैं छुप कर उनके लौड़े देखती हूँ और मेरे घर के स्टोर रूम के पीछे गली में सब मूतने आते हैं, वहाँ खिड़की से छुप कर भी बहुत लौड़े देखे हैं मुझे बहुत मज़ा आता है यार !
गीता- ओह माँ.. तू कितनी बेशर्म है.. यार चल हट.. ला दिखा मुझे भी कैसी स्टोरी है ये !
दोनों कहानी पढ़ने में मग्न हो गईं और दोनों ही गर्म हो गईं मगर राधा ने आकर उनकी मस्ती करने को मिट्टी में मिला दिया।
उन दोनों के दिल में था कि आज नंगी होकर मस्ती करेंगे, पर ऐसा कुछ ना हो पाया।
दूसरे दिन राधा वापस विमला से मिली और कुछ जरूरी बातें उनसे पूछी।
राधा- मगर जवान लड़की को इस तरह अकेले वहाँ छोड़ देना ठीक नहीं लगता.. आपका कैसे मन किया वहाँ शारदा को अकेली रखने का !
विमला- अरे अब इतना भरोसा तो करना ही पड़ता है बहन… शारदा की जिंदगी का सवाल था !
राधा- मगर मेरे वो नहीं मानेंगे, अब कभी उनका बाहर जाना हुआ तभी यह हो पाएगा।
राधा वहाँ से आ जाती है और उसी शाम जीतेंद्र को किसी काम के सिलसिले में चार दिन के लिए शहर से बाहर जाना था, तो वो जाने की तैयारी कर रहे थे और रात को नौ बजे के करीब वो निकल गए। राधा को ये मौका अच्छा लगा, तो उसने रीना से बात की।
राधा- रीना बेटी, एक बात सुनो.. तुम मेरी एक ही बेटी हो और अगर तुम ऐसे ही रहोगी तो कैसे चलेगा, एक बाबा जी हैं जो तुमको ठीक कर सकते हैं। अगर तुम कहो तो कल हम उनके पास चलें !
रीना- कैसा बाबा और क्या करेगा वो ! मुझे नहीं जाना इन बाबा-आबा के पास !
राधा- अरे वो तेरे दिमाग़ की नसें खोल देगा.. तू पढ़ाई में तेज़ हो जाएगी बेटी.. तेरी लाइफ बन जाएगी !
रीना- अच्छा… आप कहती हो तो ठीक है, कब जाना है और कहाँ !
राधा- बेटी पहले पूरी बात सुन ले, यहाँ से एक गाँव जाना हैं, वहाँ तुमको तीन दिन बाबा के पास रहना है, वो तेरे दिमाग़ के साथ-साथ तेरे बदन की भी मालिश करेंगे ताकि सारी नसें खुल जायें और तू अच्छी हो जाए !
रीना- मॉम छी:छी:… आप पागल हो गई हो क्या ! यह क्या बोल रही हो वो मेरे जिस्म की मालिश छी:छी:… सोच कर ही घिन आ रही है और तीन दिन तक मैं उसके पास रहूँ ! ना बाबा ना, कहीं कुछ हो गया तो आप भी ना !
राधा- अरे तेरी सहेली शारदा भी वहाँ रह कर आई है, उसको कुछ हुआ क्या ! अब देख उसका दिमाग़ कैसे तेज हो गया है !
रीना- ओह माँ… तभी शारदा के नंबर अच्छे आने लगे हैं.. अब समझी बात को और बड़ी खुश-खुश भी रहती है.. ठीक है माँ, कल चलेंगे !
राधा- अच्छा अब सो जा, रात बहुत हो गई है !
कहानी जारी रहेगी।
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