बहन का लौड़ा -35
(Bahan Ka Lauda-35)
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अब तक आपने पढ़ा..
ममता- आह.. आईईइ.. राजा जी.. आह गाण्ड में दर्द हो रहा है आई.. उंगली से ये हाल है.. लौड़ा जाएगा तो मैं.. आह्ह.. मर ही जाऊँगी..
राधे- कुछ नहीं होगा मेरी रानी.. उहह.. उहह.. आह्ह.. तेरी चूत तो जलवा है ही.. गाण्ड भी मक्खन है.. इसको तो मैं बड़े प्यार से मारूँगा आह्ह..राधे 15 मिनट तक ममता की चुदाई करता रहा.. अब उसकी उत्तेजना चरम पर थी.. किसी भी वक़्त लंड महाराज ‘परसाद’ छोड़ सकते थे और ममता की चूत तो बेहाल हो गई थी.. उसके बाँध में भी दरार पड़ गई थी.. कभी टूट सकता था।
राधे- आह्ह.. आह.. साली आह्ह.. आज तेरी चूत को आह फाड़ दूँगा आह्ह..
ममता- आईईइ ससस्स.. ककककक.. आह फाड़ दो.. आह्ह.. ज़ोर से आह आज आई.. मेरी कोख को आ भर दो आई.. तेज़ी से चोदो राजा आह गईइ..दोनों के कामरस का मिलाप हो गया या यूं कहो.. जिंदगी से जिंदगी के जन्म की नींव रख दी गई थी।
अब दोनों ही थक कर चूर हो गए थे और एक-दूसरे को देख कर बस मुस्कुरा रहे थे।
अब आगे..
राधे धीरे से ममता के मम्मों को सहलाता है।
ममता- क्या बात है मेरे राजा जी.. मेरी चूत का भुर्ता बना कर भी आपका मन नहीं भरा क्या?
राधे- अरे नहीं ममता रानी.. वो बात नहीं है.. मेरे लौड़े को भी आराम करने दो.. मैं तो बस देख रहा हूँ कि तुम्हारे पति ने कभी इन मम्मों को दबाया या मसला नहीं.. क्या कितने कड़क हैं।
ममता- शुरू में थोड़ा दबाता था.. अब तो महीनों बीत गए.. उसने इनको छुआ भी नहीं..
राधे- तभी इतने कड़क हैं.. अच्छा बच्चा होने के बाद तो तुम मुझे भूल जाओगी ना..
ममता- नहीं मेरे राजा… मैंने तो अपने मन में तुम्हें अपना देवता मान लिया है.. आप जब चाहो.. आवाज़ देना.. मैं हाजिर हो जाऊँगी।
राधे- नहीं ममता.. मैं मीरा से बहुत प्यार करता हूँ.. उसकी वजह से ही तुम्हें चोद रहा हूँ.. बच्चा ठहर जाने के बाद तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा.. मैं मीरा का सच्चा पति बन कर रहूँगा।
ममता- ठीक है राजा.. मगर बड़े साहेब जी के रहते आप क्या सारी जिंदगी लड़की बने रहोगे.. और उन्होंने आपकी शादी किसी से करवा दी तो?
राधे- इतना आगे तक मत जा.. ऐसा कुछ नहीं होगा और हाँ पापा के आने के बाद बड़ी सावधानी से कम करना कहीं उनको पता ना लग जाए..!
ममता- आप चिंता ना करो.. मैं सब संम्भाल लूँगी।
राधे ने ममता को अपने सीने से चिपका लिया और बस दोनों वैसे ही सोए रहे।
उधर नीरज बातों के दौरान रोमा को सहला रहा था और उसको चुदाई के लिए मना भी रहा था- जान.. तुम सेक्स से मना क्यों कर रही हो.. कभी ना कभी तो सेक्स करना ही होगा।
रोमा- हाँ पता है.. मगर वो कभी जब आएगा.. तब देखूँगी.. अब आप कब से मेरे मम्मों को सहला रहे हो.. देखो नीचे गीला हो रहा है..
नीरज- हा हा हा खुल कर बोलो ना.. चूत गीली हो रही है.. अभी तुम्हें ठंडा कर देता हूँ और हाँ अब देखो मेरे हाथों का कमाल..
रोमा- कैसा कमाल.. क्या दिखाओगे?
नीरज- मेरी जान.. तुमने कभी अपनी चूत में फिंगरिंग की है क्या?
रोमा- नहीं.. कभी नहीं की.. क्यों?
नीरज- आज तुम्हें मैं सिखाता हूँ.. बड़ा मज़ा आता है.. तुम बस कुछ बोलना मत और आराम से मज़ा लेना..
रोमा- ठीक है मेरे प्यारे जानू.. जब आपके सामने नंगी हो गई.. तो चूत में उंगली क्या चीज है.. करो।
नीरज- ऐसे नहीं जान.. पहले तुम्हें थोड़ा गर्म करूँगा.. उसके बाद उंगली का कमाल दिखाऊँगा।
इतना कहकर नीरज अपने होंठों से रोमा के मम्मों को चूसने लगा और धीरे-धीरे नीचे आने लगा।
रोमा- आह्ह.. मेरे जानू.. आह्ह.. तुम्हारा ये स्टाइल बहुत अच्छा है.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है..
नीरज अब रोमा की चूत चाटने लगा। अपनी जीभ की नोक अन्दर घुसेड़ने लगा.. जिससे चूत गीली हो गई और कामरस भी चूत से टपक रहा था.. तो चूत एकदम गीली हो गई थी।
रोमा- आह्ह.. आई.. जानू ज़ोर से करो.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है..
नीरज ने अपनी उंगली चूत की फाँक पर रख दी और धीरे-धीरे सहलाने लगा.. जिससे रोमा की उत्तेजना और बढ़ गई और वो सिसकने लगी।
रोमा- आह्ह.. ससस्स क्या कर रहे हो.. उफ़..गुदगुदी हो रही है आह्ह..
नीरज कुछ नहीं बोला और उंगली को चूत में हल्का सा घुसा दिया।
रोमा- आआ आह्ह.. दर्द होता है.. उई क्या कर रहे हो आप..
नीरज- चुप रहो मेरी जान उंगली से तेरी चूत को चोद रहा हूँ.. शुरू में थोड़ा दर्द होगा.. बाद में बहुत मज़ा आएगा।
रोमा- आह्ह.. ठीक है ओह.. मगर आराम से आह्ह..
नीरज धीरे से बोला- साली आज तक इस चूत में उंगली भी नहीं डाली.. तभी चुदने में डर रही है.. मगर आज तेरी चूत का उद्घाटन लौड़े से ही करूँगा.. चाहे प्यार से या ज़बरदस्ती..
नीरज अब उंगली को थोड़ा अन्दर-बाहर करने लगा और चूत के दाने को मसलने लगा.. जिससे रोमा के जिस्म का तापमान बढ़ गया.. वो आसमानों की सैर पर निकल गई.. उसकी आँखें बन्द और मुँह खुल गया..
रोमा- आह.. नीरज आह्ह.. ससस्स.. सच्ची इतना मज़ा लाइफ में कभी नहीं आया आह्ह.. अब दर्द कम है.. थोड़ा और अन्दर करो ना.. आह.. मज़ा आ रहा है..
नीरज- नहीं जान.. अब लौड़े को चूत पर रगड़ कर और मज़ा दूँगा.. तू बस आराम से मज़े ले..
नीरज ने रोमा के पैरों को मोड़ दिया और लौड़े को चूत पर रगड़ने लगा। सुपाड़े को थोड़ा-थोड़ा अन्दर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा।
रोमा- आह्ह.. नीरज उह.. क्या कर रहे हो आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. लौड़ा अन्दर मत डालना आह्ह..
नीरज- अन्दर कहा डाल रहा हूँ जान.. बस टच कर रहा हूँ।
रोमा- आई.. जानू.. उंगली डालो ना.. मज़ा आ रहा था.. जब उंगली अन्दर-बाहर हो रही थी..
नीरज- नहीं.. उंगली में दर्द हो गया.. तुम कहो तो बस थोड़ा सा लौड़ा घुसा दूँ.. जैसे उंगली डाला था..
रोमा वासना के भंवर में फँस गई थी.. अब बस हर हाल में उसको मज़ा लेना था। वो नादानी में ‘हाँ’ कह गई और नीरज अपने मकसद में कामयाब हो गया..
नीरज ने दोनों हाथों से चूत को फैलाया और लौड़े पर अच्छे से थूक लगा कर चूत में सुपाड़ा फँसा दिया और हल्का झटका मारा।
रोमा- आआआ एयाया.. ये क्या आह्ह.. कर दिया.. पूरा घुसा दिया आह्ह..
रोमा हिल ना पाए.. इसलिए नीरज उसके ऊपर चढ़ गया.. उसके हाथ पकड़ लिए और उसके निप्पल चूसने लगा।
नीरज- पूरा कहाँ जान.. बस सुपाड़ा चूत में घुसाया है।
रोमा- तो इतना दर्द क्यों हो रहा है.. आह्ह.. मुझे आह्ह.. प्लीज़ निकाल लो ना..
नीरज- ठीक है निकाल लेता हूँ.. मगर बस एक बार ‘हाँ’ कह दो.. मैं लौड़े को थोड़ा झटका मारना चाहता हूँ.. उसके बाद निकाल लूँगा।
रोमा- आह्ह.. बहुत दर्द होगा ना मुझे.. आह्ह.. मगर आप को नाराज़ नहीं करूँगी.. आह्ह.. मार लो..
नीरज ने कमर पर दबाव बनाया और ज़ोर से झटका मारा.. आधा लंड चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया और झटके के साथ ही उसने रोमा के होंठ अपने होंठों में दबा लिए।
रोमा इतनी ज़ोर से चीखी.. मगर उसकी आवाज़ मुँह में ही दफ़न हो गई..
दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
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