अपनी बाबू की सील तोड़ी

(Apni Babu Ki Seal Todi)

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अमित तिवारी है, उम्र 23 साल है, मैं दिखने एक आम इन्सान हूँ। मेरा जिस्म भी कुछ खास नहीं औसत ही है।

मैं कई सालों से अन्तर्वासना का नित्य कहानियाँ पढ़ता रहा हूँ। कई बार मुझे भी लगा कि मैं भी अपनी कहानी पोस्ट करूँ, मगर सामाजिक कार्य होने के कारण कभी वक्त ही नहीं मिला।

मैं आप सभी को बता दूँ कि मैं एक शादीशुदा व्यक्ति हूँ मगर मेरा गौना होना अभी बाकी है।

मेरी बीवी वाराणसी के एक हॉस्टल में पढ़ती है मगर हम दोनों के बीच में मात्र और मात्र फोन पर ही बातें होती थीं।

हम कभी-कभी मिलते भी थे मगर परिवार के लोग साथ में होने के कारण कभी एक-दूसरे के करीब नहीं आ सके, ज्यादातर हम एक-दूसरे से पांच वर्षों से फ़ोन पर ही अपने हाले-दिल सुनाते थे।

बात उन दिनों की है जब मैं एक राजनैतिक पार्टी की मीटिंग में दिल्ली जाने वाला था। उस समय वह पार्टी भ्रष्टाचार पर लड़ रही थी। मैं सूरत से कार्यो को देखता था।
25 नवम्बर को मैं दिल्ली पहुँच गया, वहाँ से मुझे जंतर-मंतर जाना था।

26 नवम्बर तक मैंने अपने सारे काम निपटा लिए क्योंकि 28 तारीख को मेरी शादी की सालगिरह थी और मैं अपनी बीवी को एक तोहफा देना चाहता था, उसके साथ समय भी व्यतीत करना चाहता था।

सब एकदम सही हो रहा था और ठीक सुबह छः बजे मैं वाराणसी पहुँच गया। वहाँ पहुँच कर मैंने अपनी दिव्या को फ़ोन किया।

दिव्या बहुत आश्चर्य से बोली- आप कहाँ हैं.. मैं कल से आपको फ़ोन कर रही हूँ। आप का फ़ोन बंद आ रहा है।

मैंने दिव्या को बोला- जल्दी अपने हॉस्टल से बाहर आओ मैं तुम्हें लेने आया हूँ।

दिव्या ने बोला- आप झूठ बोल रहे हैं?

मैंने बोला- तुरंत अपने गेट पर आओ, मेरे फ़ोन की बैटरी लो है।

दिव्या जल्दी से गेट पर पहुँची और मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया।
फिर मैंने दिव्या से कहा- तुम अपना दूसरा फ़ोन दे जाओ.. मैं घर जाकर आता हूँ.. तब तक तुम तैयार हो जाओ.. हम बाहर घूमने जाने वाले हैं।

दिव्या तैयार होने चली गई और मैं वहाँ से अपनी साली के घर चला गया।

मैं तैयार हो कर दिव्या को लेने आया। दिव्या ने आज मेरी दी हुई नेट की साड़ी पहनी हुई थी जिस पर कढ़ाई की बहुत ही सुन्दर कारीगरी की गई थी।

दोस्तों क्या बताऊँ.. दिव्या क्या लग रही थी।
वो आ कर कार में बैठ गई, मैंने उसे चूमना शुरू किया।
मैं तो उसे देख कर जैसे पागल हो गया था।

आप किसी को प्यार करते हैं और आप उसे काफी दूर हों तो ऐसा होना स्वाभाविक बात है।

फिर मैंने उस समय अपने आप पर काबू किया और हम दोनों खाना खाने जेएचवी मॉल चले गए।

वहाँ खाना खा कर हमने साथ में पिक्चर देखी और इस सबमें काफी समय बीत गया था रात हो गई थी।
अब हमने सोचा रात में कहाँ जाएं, तो मैंने अपने साढू को फ़ोन किया और सब बात बता दी।

उन्होंने हमें अपने घर रुकने का आग्रह किया।

मैं आप को बता दूँ मेरे साढू मिर्जापुर के एक दबंग शख्सियत हैं।

फिर हम उनके घर की तरफ चले गए वहाँ पहुँच कर हमने हाथ-मुँह धोए और सोने के लिए बोला।

उन्होंने हम दोनों के लिए एक ही कमरा रखा था शायद वो हमारी बात समझ गए थे।

दिव्या और मैं दोनों बिस्तर पर पहली बार मिले जैसे लगा आज की रात नींद ही नहीं आने वाली है।

मैं दिव्या को चूमने लगा, धीरे-धीरे मैंने दिव्या की साड़ी उठा कर पहली बार दिव्या की चूत को छुआ।

दिव्या ने अपनी आँखें बंद कर लीं और मैं और पागल होता चला गया।

मैंने दिव्या के गहने उतारने शुरू कर दिए।

दिव्या ने मुझे देखा और मुस्कुरा दी।

मुझे समझ में आ गया कि दिव्या क्या सोच रही थी।

मैंने तुरंत ही दिव्या की साड़ी ऊपर करके उसकी बुर को रगड़ना शुरू कर दिया।

थोड़ी देर में उसकी बुर से पानी निकलने लगा।
एक बार तो दिल किया कि चाट लूँ, मगर पता नहीं क्यों मैं अपने मैं ही व्यस्त हुआ और दिव्या के कपड़े खोलने लगा।

अब हम दोनों एकदम नंगे थे। मैंने दिव्या की चूची चूसनी शुरू कर दी।

पहले वो मुझे इतना साथ नहीं दे रही थी मगर मैं लगा हुआ था।

अब मैंने जैसे ही दिव्या की बुर पर अपना लंड रखा, दिव्या एक बार फिर से गीली हो चुकी थी।

मैंने अपना लंड धीरे-धीरे अन्दर डालना शुरू किया, दिव्या की आँखों में आंसू आने लगे।

मैं थोड़ा धीरे हो गया फिर मैंने थोड़ा रुक कर दिव्या से खेलना शुरू कर दिया।

दिव्या को चूमना, काटना, उसकी चूची को दबाना आदि करने लगा।

फिर दिव्या ने कहा- अब मुझे अच्छा लग रहा है।

फिर मैंने पहले धीरे-धीरे हिलना शुरू किया।

अब दिव्या कराहती हुई आवाज निकाल रही थी मगर मैं तो दिव्या के बुर में लंड धकेलने में व्यस्त था।

मुझे तो बस जल्दी पानी निकालना था ताकि मेरा मन शांत हो।

मैं जितना तेज चोदने लगा दिव्या और तेज आवाज निकालने लगी।

मुझे ये हिलाते समय अच्छा लगा, मुझे कुछ भी नहीं दिख रहा था बस चोदे जा रहा था उसकी गोल चूची को दबाए जा रहा था, उसकी पप्पी ले रहा था और अपनी चोदने की रफ़्तार को भी तेज कर रहा था।

अब मुझे लगा मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने दिव्या को बोला- बाबू मेरा निकलने वाला है।

दिव्या ने मना कर दिया, बोला- अभी मेरा मासिक आया था.. बच्चा रह जाएगा।

मगर उस समय मुझे कुछ दिमाग में सूझ ही नहीं रहा था और मैंने करते-करते पूरा रस दिव्या की बुर में ही छोड़ दिया।

दिव्या ने मुझे कस कर अपनी बाहों में भर लिया।

कुछ देर बाद मैंने दिव्या की पप्पी लेनी शुरू कर दीं। हम दोनों एकदम तृप्त हो गए थे।

बाकी की बातें आपको बाद में बताऊँगा कि आगे हमने क्या-क्या किया।

आपके विचारों का स्वागत है।

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