भाभी की मदमस्त जवानी और मेरी ठरक-3

(Bhabhi Ki Madmast Jawani Aur Meri Tharak Part-3)

इब्राहिम 2017-02-16 Comments

फ्री सेक्स कहानी का पहला भाग
भाभी की मदमस्त जवानी और मेरी ठरक-1

फ्री सेक्स स्टोरी का दूसरा भाग : भाभी की मदमस्त जवानी और मेरी ठरक-2

दोस्तो, अब तक आपने पढ़ा..
भाभी मेरे साथ गरम होने लगी थीं.. कि तभी उनके लिए आवाज आई और वो उठ गईं।
अब आगे..

उसके बाद भाभी जाने लगीं.. तो मैंने कहा- रूको ना थोड़ी देर..
भाभी ने कहा- नहीं कोई आ जाएगा.. मुझे जाना होगा।

भाभी अपनी गांड हिलाती हुई चली गईं और फिर मैं बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा। मैंने मुठ मारते समय बाथरूम में देखा कि

भाभी की ब्रा-पेंटी पड़े थे। मैंने भाभी की ब्रा को हाथ में लेकर तबियत से मुठ मारी और अपना सारा माल ब्रा में गिरा दिया।

कुछ देर भाभी को याद करता हुआ मैं अपने लंड को सहलाता रहा.. फिर नहा कर बाहर आ गया।

जब मैं रात को घर गया तो पता चला कि भाई एक दिन के लिए बाहर गए हैं। यह जान कर मेरे दिमाग़ में कुछ-कुछ होने लगा।
थोड़ी देर खाना आदि खाने बाद किसी का फोन आया कि हमारे कोई रिश्तेदार की मौत हो गई है, मेरे मामा और मामी उधर चले गए।
मामा ने जाते हुए मुझसे कहा- तुम भाभी का ख्याल रखना.. हम एक-दो दिन बाद आएंगे।

अब तो मुझे पूरा मौका मिल गया था।
मैं भाई के कमरे में सोने चला गया और भाभी भी थोड़ी देर में आ गई। उनके हाथ में दूध का गिलास था। भाभी ने मुझे दूध दिया और

आँख दबाते हुए कहा- लो.. पी लो, ताकत जरूरी है।

मैंने भाभी की आँखों में देखते हुए दूध पी लिया।
फिर मैंने भाभी से कहा- मुझे और दूध पीना है.. लेकिन अबकी बार आपका दूध पीना है।
भाभी शर्मा गईं।

मैंने अपना एक हाथ उनके मम्मों पर रख दिया और एक चूचा दबा दिया।
भाभी ने कहा- आह्ह.. प्लीज़ मत करो.. ये ग़लत है..
मैंने कहा- इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है.. भाभी!

भाभी कुछ नहीं बोलीं तो मैंने जोर-जोर से मम्मों को दबाना शुरू कर दिया। भाभी एकदम से कराह उठीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

इससे मुझे समझ आ गया कि भाभी को मजा आ रहा है.. तो मैं दोनों हाथों से भाभी के मम्मों को दबाने लगा। अब भाभी को भी बहुत

मज़ा आने लगा।

मैंने भाभी से कहा- भाभी अपनी ड्रेस उतार दो ना।
भाभी ने कुर्ती उतार दी, वो अब ब्रा ओर लैगी में थीं। मैंने उत्तेजना में आकर भाभी की ब्रा भी भी उतार दी। ब्रा हटते ही भाभी के दोनों

कड़क चूचे उछल कर सामने आ गए।

मैंने भाभी के चूचों पर हाथ रखा.. वो बहुत ही कड़क और टाइट थे। मैंने अपना मुँह उनके मम्मों पर रख दिया और भाभी के एक चूचे

को चूसने लगा। दूसरे चूचे को अपने एक हाथ से मसलने लगा, साथ ही भाभी की चूत को भी सहलाने लगा।

अब भाभी भी काफी गर्म हो चुकी थीं। वो मेरा लंड पैंट के ऊपर से सहलाने लगीं। मैंने ज़िप खोलकर अपना लंड उनके हाथ में दे दिया।
मेरा लंड लोहे की तरह बिल्कुल सख़्त हो गया था, भाभी बोलीं- ये तो बहुत गर्म है.. और बहुत मोटा भी है।
मैंने पूछा- भाई का इतना बड़ा नहीं है?
वो बोलीं- नहीं.. उसका तो आपके लंड से आधा ही है।

अब हम दोनों एक-दूसरे के आइटम को चूसने चाटने लगे। मैंने भाभी के मम्मों को बहुत चूसा, उनके चूचे एकदम लाल हो गए थे।

मैंने भाभी के होंठों पर किस करना चालू किया। दस मिनट होंठों को किस करने के बाद मैंने भाभी की लैगी निकाल दी।

अब भाभी सिर्फ एक छोटी से पेंटी में थीं। मैंने भाभी कि पेंटी भी उतार दी। अब मैंने उनके पूरे शरीर को चूमते हुए उनकी चूत को

चूमना चालू किया।

जैसे ही मैंने अपने होंठ भाभी की चूत पर रखे.. वो उछल पड़ीं- आउहच.. मैंने भाभी की चूत को चाटना शुरू किया, भाभी भी मेरे सिर के

बाल पकड़ कर खींचने लगीं, वो काफ़ी मस्ती में आ गई।

मैंने उनकी टाँगों को फैला कर पूरी चूत को मुँह में भर लिया। चूत चटने से वो थोड़ी ही देर में अकड़ने लगीं और उन्होंने मेरे मुँह में ही

पानी छोड़ दिया। मैंने भाभी की चूत का सारा रस पी लिया।
अब वो हाँफते हुए ढीली हो गई थीं।

कुछ पलों में ही भाभी ने मुझे बिस्तर पर सीधा कर दिया और मेरे सारे कपड़े निकाल दिए, वो मुझ पर चढ़ गईं और मुझे किस करने

लगीं।

भाभी मेरा लंड अपने मुँह में ले कर चूसने लगीं और काटने लगीं। कुछ ही पलों में भाभी ने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में गले तक भर

लिया। मेरा लंड एकदम लाल हो गया था और काफ़ी टाइट हो गया था।

मैंने भाभी से कहा- आह्ह.. रूको भाभी मेरा माल निकलने वाला है।
तो भाभी ने इशारे से कहा- कोई बात नहीं.. आ जाओ।

उसके बाद तो जो मेरा पानी छूटा.. इतना अधिक पानी निकला कि भाभी का पूरा मुँह भर गया।

भाभी ने सारा पानी पी कर मेरा लंड चाट कर साफ कर दिया।

उसके बाद वो मेरी बाजू में लेट गईं और बोलीं- बहुत मज़ा आया.. आपके भाई तो कभी मेरी चूत को चाटते ही नहीं हैं। आपने आज मुझे

बहुत अच्छा सुख दिया है।
ऐसे ही हम दोनों थोड़ी देर बातें करते हुए एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे।

कोई दस मिनट में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, मैंने भाभी की चूत को सहलाना चालू कर दिया, अब वो भी गरम हो गई थीं।

इस बार मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और उनकी टाँगों को फैला दिया। भाभी की टांगें फैलते ही उनकी चूत उभर कर मेरे सामने आ गई

और मैंने अपना लंड उनकी लपलपाती चूत पर रख कर एक धक्का लगा दिया।

पहले धक्के में तो लंड फिसल गया। क्योंकि मेरा लंड काफ़ी मोटा तगड़ा था और इस वक्त चूत में जल्दी घुसने के चक्कर में था।

मैंने फिर से अपने लंड को चूत पर रख कर एक ज़ोरदार धक्का मारा.. तो इस बार मेरे लंड का टोपा भाभी की चूत में अन्दर चला

गया।

भाभी लंड के मारे दर्द से सिसकने लगीं ‘आह.. दर्द हो रहा है.. बाहर निकालो..’
मैं थोड़ी देर रुक गया और भाभी के मम्मों को चूसने लगा, भाभी को कुछ राहत मिली।

मैंने फिर से एक और धक्का लगाया तो इस बार मेरा आधा लंड भाभी की चूत में अन्दर घुस गया। भाभी फिर से कराहने लगीं.. उनकी

आँख में से आँसू निकल आए।

अब मैंने धीरे-धीरे लंड को चूत में अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया। कुछ देर के दर्द के बाद भाभी को भी मज़ा आने लगा।

उनके चूतड़ों के हिलने से मुझे समझ आ गया कि भाभी मजा लेने लगी हैं। मैंने एक ओर जोरदार धक्का पेला.. और इस बार मेरा पूरा

लंड भाभी की चूत में जड़ तक समा गया। इससे भाभी की चीख निकल गई.. क्योंकि उनकी बच्चेदानी से मेरा लंड टकरा गया था।

वो कराहते हुए बोलीं- आह्ह.. मार दिया.. ज़रा धीरे करो यार।
मैंने कहा- ओके डार्लिंग।

अब मैं अपना लंड धीरे-धीरे भाभी की चूत में पेलने लगा। भाभी भी साथ दे रही थीं। मैंने भाभी के पैरों को अपनी कमर पर रखवा कर

उन्हें धकापेल चोदने लगा। भाभी भी कुछ ही धक्कों में पागल हो गई थीं। वो मेरे बालों को नोंच रही थीं और मेरी पीठ पर नाखून मार

रही थीं।

लंड के धक्कों के साथ ही भाभी अपने चूतड़ों को भी उछाल रही थीं।
मैंने अब चुदाई की स्पीड बढ़ा दी। भाभी भी ‘आहह.. उम्म्म्.. अहह..’ कर रही थीं।
धकापेल चुदाई चलने लगी थी, अब तक वो झड़ चुकी थीं।

कुछ देर बाद मैंने स्टाइल बदल कर भाभी के दोनों पैर अपने कंधों पर रखे और हचक कर भाभी को चोदने लगा।

मैं काफी देर से लगातार भाभी को चोदे जा रहा था.. अब मेरा पानी भी निकलने वाला था, मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाते हुआ भाभी से

कहा- भाभी मेरा निकलने वाला है।
भाभी ने कहा- अन्दर ही निकाल दो।

थोड़ी ही देर में मैंने अपने लंड का पानी भाभी की चूत में छोड़ दिया।

मुझे तो मानो जन्नत का सुख मिल रहा था। थोड़ी देर भाभी के ऊपर लेटने के बाद मैं नीचे उतर आया।

मैंने भाभी से पूछा- मज़ा आया?
भाभी बोलीं- हाँ बहुत मज़ा आया.. तुम्हारा लंड काफ़ी देर तक चलता है। तुम्हारे भाई तो कुछ ही धक्कों में खत्म हो जाते हैं।

फिर वो नहाने चली गईं।

दोस्तो, मेरी भाभी की चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी, मुझे मेल करें।
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