ज़ारा की मोहब्बत- 7
(Ladki Ki Gand Ki Kahani: Zaara Ki Mohabbat- 7)
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मैं एक हाथ से उसकी क्लिट और दूसरे से उसकी गांड के छेद को सहलाने लगा.
जब उससे से रहा नहीं गया तो वो ऊपर-नीचे होने लगी!
ज़ारा- आह … जान … जान चोद दो मुझे!
अब मैंने उसे नीचे किया और खुद ऊपर आ गया; शुरू कर दी ताबड़तोड़ चुदायी! कमरे में फच-फच की आवाजें और ज़ारा की आहें गूंजने लगीं!
क्योंकि हम मिशनरी पोजीशन में थे तो मुझे लगा मैं झड़ जाऊंगा इसलिए मैंने एकदम उसकी चूत से लंड निकाला और पीछे जाकर जीभ से उसकी चूत चोदने लगा.
अचानक ज़ारा घूम गई और 69 की पोजीशन में आकर मेरा लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी!
अब मैंने भी दोहरा काम किया! उसकी चूत को जीभ से चोद ही रहा था साथ में उसकी गांड के छेद और उसकी क्लिट को रगड़ने लगा! वो कुछ ही देर में झड़ गयी उसका पानी मेरे चेहरे पर फैल गया!
मैं उठा तो वो चूमने लगी और मेरे चेहरे को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया!
अब मैंने उसे घोड़ी बनाकर उसकी गांड में लंड डाल दिया! वो सिसकारियां लेने लगी!
मैं उसकी जांघों को पकड़ कर झटके देने लगा!
ज़ारा- आह … जान … उह … सी … तेज करो और ते … ज जा … न!
वो अपने हाथ से अपनी क्लिट को रगड़ रही थी और मैं भी दो उंगलियां उसकी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था!
कुछ देर उसकी गांड चोदने के बाद मैं झड़ने वाला था!
ज़ारा- ओ … ह … जान! आ … ह जा … न!
कहते-कहते वो दोबारा झड़ गयी और आखरी के दो-चार झटके मारकर मैं भी उसकी गांड में झड़ गया!
मैंने उसकी गांड से लंड निकाला तो उसने मेरा लंड और अपनी चूत व गांड साफ कीं! इस सब के बाद वो मेरी गोद में आ गयी और मेरे गाल पर चूम लिया!
मैं- ज़ारा तुमसे कुछ पूछना है!
वो एकदम से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी!
ज़ारा- क्या फिर शक कर रहे हो?
मैं- अरे भई ऐसी गलती में कभी दोबारा नहीं कर सकता!
ज़ारा- फिर पूछो क्या पूछना है?
मैं- ये जो तुमने अपने दाहिने पैर में धागा बांधा है ना …
ज़ारा- खूबसूरत लग रहा है ना?
मैं- हां खूबसूरत तो लग रहा है! लेकिन ये क्यों बांधा जाता है? ये बताओ!
वो कुछ सोचने लगी! असल में मैं उसका इम्तिहान ले रहा था कि जो मैंने उसे पढ़ाया है क्या वो सब उसे याद भी है?
ज़ारा- हां पता है!
मैं- तो बताओ?
ज़ारा- खाना खाकर बता दूं?
मैं- तुम्हें पक्का पता है ना?
ज़ारा- हां ना जान!
मैं- ठीक है खाने के बाद! लेकिन बताना पड़ेगा!
ज़ारा- बिल्कुल बता दूंगी!
वो नहाने चली गयी और मैं भी!
जब हम खाना खा चुके तो मैंने वही सवाल उसके सामने दोहरा दिया!
ज़ारा- जान आपने बताया तो था लेकिन!
मैं- लेकिन क्या?
ज़ारा- शायद मैं भूल गयी!
मैं- लेकिन भूलने की सजा तो याद होगी?
ज़ारा- हां मुर्गी बनना पड़ेगा और आप हल्के-हल्के दो डंडे मारोगे!
मैं- फिर इंतजार क्यों कर रही हो?
वो बाहर गयी, मुझे डंडा लाकर दिया कपड़े तो पहने ही नहीं थे!
ज़ारा- जान मैं बिस्तर पर मुर्गी बन जाऊं?
अब मुझे उसके इरादों पर शक हुआ तो मैंने पूछ लिया!
मैं- ज़ारा तुम्हें सच में नहीं पता?
ज़ारा- पता था लेकिन याद नहीं आ रहा!
मैं- क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में?
ज़ारा- यही कि मेरी पिटायी होने वाली है!
मैं- ठीक है बिस्तर पर मुर्गी बन जाओ!
वो बिस्तर पर चढ़ी और मुर्गी बन गयी! अब मैं भी चढ़ा और जैसे ही डंडा उठाया उसने गांड उठा ली और लगी उस भूरे छेद को सिकोड़ने-फैलाने!
ये सब देखकर डंडा हाथ से छुट गया और मैं उसके गोरे-गोरे कूल्हों को चूमने लगा.
तो वो कान छोड़कर घोड़ी बन गयी और अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर कर लिया जिससे उसकी चूत से मेरे होंठ जा टकराए मैंने भी उसकी गुलाबी चूत को होंठों में दबा लिया और लगा चूमा-चाटी करने!
ज़ारा तड़प उठी और आहें भरने लगी!
जब उसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो एकदम उठी मुझे नीचे लिटाया और लंड पर चूत टिकाकर उस पर बैठ गयी!
सीधा पूरा का पूरा अंदर और लटके-झटके शुरू! सच कहूं तो वो चोद रही थी और मैं चुद रहा था.
इतनी तेजी? इतनी कामुकता?
मैंने ज़ारा में कभी नहीं देखी थी!
काफी देर तक उछलकूद करने के बाद ज़ारा- जान मैं आने वाली हूं! ओह … उ … ह!
मैं- मैं भी आ रहा हूं!
ज़ारा- मुझे ऑर्गेज्म किस चाहिए!
मैं- झुक जाओ!
ज़ारा- नहीं झुक सकती जा … न!
इतना कहते-कहते वो भी झड़ गयी और मैं भी! मैंने उसको अपनी ओर खींचा और हम किस करने लगे!
एक पैशनेट किस!
जब हम नॉर्मल हुए तो मैंने उसके कूल्हों पर थपक लगाई- सुनो! मैंने तुमसे कुछ पूछा था?
ज़ारा- अगर मुझे याद नहीं हो तो?
मैं- फिर तो मुझे ही बताना पड़ेगा!
ज़ारा- मतलब मुझे मुर्गी नहीं बनाओगे?
जिस तरह से उसने ये सवाल किया मेरा शक पुख्ता होकर यकीन में बदल गया!
मैं- ज़ारा तुम्हें पता था ना?
ज़ारा- हां जान!
मैं- फिर मुझसे झूठ क्यों बोला?
ज़ारा- क्योंकि मुझे आपके साथ चुदाई करनी थी!
मैं- मतलब ये तुम्हारी प्लानिंग थी!
ज़ारा- और आप पकड़ भी नहीं पाये!
ये कहकर वो हंस पड़ी और मैं भी!
मैं- चलो अब उठो!
ज़ारा- नहीं जान!
मैं- तो अब क्या करना चाह रही हो?
ज़ारा- आपको अपने सवाल का जवाब नहीं चाहिये?
मैं- हां बताओ!
ज़ारा- अगर सही बताया तो मुझे क्या ईनाम मिलेगा?
मैं- शादी के अलावा जो तुम चाहो!
ज़ारा- सोच लो!
मैं- वायदा!
ज़ारा- पुराने वक्त में ये काला धागा शूद्रों की निशानी था और इसमें एक छोटी सी घंटी बांधी जाती थी ताकि उसकी आवाज सुनकर बड़े लोग दूर हट जाएं!
धीरे-धीरे वक्त बीतता चला गया और महाभारत के आसपास इसमें से घंटी निकाल दी गयी सिर्फ काला धागा बच गया!
वक्त के साथ-साथ वो भी खत्म हो गया और अब ये वापस आया है फैशन बनकर!
मैं- वाह यार! तुमने तो बिल्कुल सही बताया!
ज़ारा- अब मेरा ईनाम?
मैं- बताओ क्या चाहिये?
ज़ारा- पहले एक किस दो!
हम किस करने लगे कभी वो अपनी जीभ मेरे मुंह में डाले और कभी मैं! मैं उसकी पीठ सहला रहा था! उसने मेरे हाथ पकड़कर अपने कूल्हों पर रख लिये तो मैं कूल्हों को सहलाने लगा! इस सब में उसकी चूत में मुर्झाया पड़ा मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा!
उसे महसूस कर ज़ारा ने चुम्मा-चाटी और तेज कर दी!
अब मुझसे रहा नहीं गया मैंने उसे नीचे किया और उसकी चूत में झटके देने लगा. वो उंगली से अपनी क्लिट को रगड़ने लगी और तेज-तेज आहें भरने लगी!
लंड सटासट अंदर-बाहर हो रहा था.
अचानक वो बोली- आह! जान! सुनो … जा … न!
मैं- हां बोलो!
ज़ारा- उ … ह मेरी गांड … जान!
मैंने लंड निकाला तो वो एकदम से घोड़ी बन गयी!
अब मैंने उसके कूल्हे फैलाये और लंड उसकी गांड के छेद पर टिकाया! इससे पहले कि मैं कुछ करता ज़ारा ने एकदम पीछे की तरफ झटका दिया और आधा लंड अपनी गांड में ले लिया!
अब एक झटका मैंने दिया और बचा हुआ आधा भी उसकी गांड में उतार दिया और उसके कूल्हों पर हाथ रख कर गांड चोदने लगा!
अचानक उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत पर लगा दिया! मैंने भी उसका इरादा भांपकर उसकी चूत में उंगलीबाजी शुरू कर दी!
ये दोहरा हमला ज़ारा सहन नहीं कर पायी! उसके घुटने कांपने लगे तो वो धीरे-धीरे नीचे होने लगी मैं भी उसके साथ-साथ नीचे होने लगा और वो झड़ गयी!
अब तक वो छाती के बल लेट चुकी थी और मैं उसके ऊपर पड़ा उसकी गांड में धक्कापेल कर रहा था!
लगभग दस मिनट और चोदने के बाद में उसकी गांड में झड़ गया और उसके ऊपर ही ढेर हो गया!
जब लंड मुर्झाकर बाहर आया तो मैंने उसे उठाया और नैपकिन दिये! उसने मेरा लंड साफ किया और बाथरूम में चली गयी! वहां से अपनी चूत और गांड धोकर सीधी रसोई में चली गयी!
चाय बना लायी! हमने चाय पी!
वो बर्तन रखकर वापस आयी और मेरे गाल पर चूमकर बोली- जान!
मैं- हूं?
ज़ारा- मेरा ईनाम?
मैं- अभी दिया तो था!
ज़ारा- कब?
मैं- ये चूत और गांड की चुदायी.
ज़ारा- मैंने कब बोला था चुदने को?
मैं- मतलब किस और वो … ठीक समझ गया! सब समझ गया!
ज़ारा- क्या समझ गये?
मैं- आजकल बड़ा दिमाग लगा रही हो चुदने के लिये!
ये सुनकर ज़ारा हंसने लगी और हंसते-हंसते बोली- लगाना पड़ता है! अगर आपके भरोसे बैठी रही तो आप इन छुट्टियों को ऐसे ही बर्बाद कर दोगे!
मैं- हां तुम तो आबाद कर रही हो?
दोस्तों, आपको ये घटना कैसी लग रही है मुझे जरूर बतायें!
मेरी मेल आई डी है- [email protected].
आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!
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