विधवा सहेली की अन्तर्वासना-4
(Vidhwa Saheli ki Antarvasna- Part 4)
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दोस्तो, अभी तक मेरी गर्लफ्रेंड की सहेली की चूत चुदाई कहानी में आपने पढ़ा है कि पहली रात में हम दोनों ने क्या क्या किया हम दोनों ने ही एक दूसरे को पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था।
रात की चुदाई की थकान के कारण हम दोनों ही सुबह देर तक सोते रहे।
सुबह 10 बजे दोनों की ही नींद खुली मैंने उसकी तरफ देखा वो काफी थकी लग रही थी। मगर वो उस वक्त भी काफी हसीन दिख रही थी।
दोस्तो, मैं अपने तजुर्बे से बता रहा हूँ कि जो औरत सुबह उठने पर भी खूबसूरत लगे वो ही हैं असली खूबसूरती।
जैसा कि मैंने आपको पहले बताया था कि हम लोगों को वहाँ शनिवार तक रुकना था मगर फिर बीच में ही हम दोनों ने अपने प्लान को बदला और बुधवार तक के लिए ही वहाँ पर थे।
उसके बाद उसने अपना गाउन लिया और पहन कर बाथरूम चली गई।
फ्रेश होकर हमने ही नाश्ता मंगाया।
मैंने उससे पूछा- कहीं घूमने चलना है क्या? पचमढ़ी बहुत अच्छी जगह है।
मगर उसने मुस्कुराते हुए मना कर दिया।
उस वक्त मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था और वो फोन पर अपने घर बात कर रही थी।
वो कमरे में टहल रही थी उनसे काली रंग की पतली सी गाउन पहन रखी थी। औऱ अंदर कुछ भी नहीं।
पतले कपड़े से अंदर का नंगा बदन देख मेरी हालत खराब होने लगी। मैं उठा और उसे पीछे से अपनी बांहों में ले लिया। वो फ़ोन पर बिना किसी दिक्कत के बात करती जा रही थी औऱ मैं उससे लिपटा हुआ था।
मैंने उसके गाउन को कमर तक उठा लिया औऱ उसके चूत को सहलाने लगा औऱ उसके गले पर चूमने लगा।
कुछ देर में उसने फोन बंद किया और सीधी होकर अपने दोनों हाथ मेरे गले पर फंसाकर बोली- अभी मन नहीं भरा क्या आपका?
“नहीं … तुम चीज़ ही ऐसी हो कि कभी मन नहीं भर सकता।” मैंने दोनों हाथों से उसके चूतड़ को थाम कर अपने से चिपका लिया और उसके होंठ चूमने लगा।
कुछ ही देर में फिर से हम दोनों नंगे बदन थे।
मैंने उसे गोद में लिया और बाथरूम ले गया।
वहां उसने ही शावर चालू किया और हम दोनों उसके नीचे आलिंगन करने लगे। उसका कोमल बदन पानी में भीग कर और भी मस्त हो गया था।
मैंने अपनी 2 उंगली उसकी चूत में डाल दी औऱ जोर जोर से उंगली करने लगा वो भी मेरे लंड को जोर जोर से हिलाने लगी।
वैसे ही खड़े खड़े मैंने लंड चूत में डाल दिया और उसकी गांड पकड़ कर उसे चोदने लगा।
कुछ देर चुदाई के बाद मैं उसे फिर से बिस्तर पर ले आया। वहाँ उसे घोड़ी बना दिया और फिर से उसकी गांड में अपना लंड पेल दिया।
इस बार उसे दर्द नहीं हुआ और वो भी गांड हिला हिला कर चुदने लगी।
कुछ देर बाद मैं अपने घुटनों के बल बैठ गया और वो भी घुटनों पर होकर मेरा लंड चूत में ले लिया।
मैंने उसकी कमर और पीठ को थाम लिया और वो लंड पर सवारी करने लगी। हम दोनों ही चुदाई में माहिर थे इसलिए दोनों को ही उसका पूरा मजा आ रहा था।
हम दोनों की ही वो चुदाई आधे घंटे तक चली और हम दोनों ही संतुष्ट होकर शांत हो गए। हम दोनों फिर तैयार हुए और कार से पचमढ़ी घूमने के लिए निकल पड़े।
जब हम पचमढ़ी में पांडव की गुफा देख रहे थे, तभी मुझे वहाँ मेरा स्कूल का एक दोस्त हरकेश मिला उससे बहुत दिनों के बाद मुलाकात हुई थी वो भी मुझे देखकर काफी खुश हुआ।
मैंने उसे अपने होटल के बारे में बताया जहाँ हम रुके हुए थे।
वही पास में ही वो भी एक होटल में रुका हुआ था।
शाम को मिलने का वादा करके हम दोनों ही निकल गए।
पचमढ़ी घूमने के बाद शाम 6 बजे हम होटल पहुँच गए।
मैं सुमन को होटल में छोड़ कर अपने दोस्त से मिलने चला गया।
जब मैं होटल में गया तो वो बहुत खुश हुआ। हम दोनों के बीच ही जाम का दौर शुरू हो गया।
उसने मुझसे पूछा- तू तो अकेला है फिर वो औरत कौन थी तेरे साथ?
मैंने उसे सुमन के बारे में सब बताया.
वो दूसरे शहर का था और सुमन को जानता भी नहीं था इसलिए उसे मैंने सब कुछ सही सही बता दिया।
तो वो बोलने लगा- यार ऐसी कोई और हो तो बता मैं भी तो अकेला ही हूँ।
तो मैंने हंसते हुये बोल दिया- यार तू इसको ही पेल ले।
मगर ये बात मैंने मजाक में कही थी।
फिर दिल में एक खयाल आया कि क्यों न हम तीनों ही आज ग्रुप सेक्स करें। सुमन को तो वैसे ही सेक्स ही चाहिए।
मैंने अपने दोस्त को कहा- देख मैं होटल जाकर सुमन से बात करता हूँ. अगर वो तैयार हुई तो हम तीनों आज मजा लेते हैं।
वो एक बार में ही तैयार हो गया।
उसके बाद मैं होटल आ गया, होटल में सुमन लेटी हुई थी। मैं भी उसके बगल में लेट गया।
शराब की महक सुमन ने भाम्प ली, उसने तुरंत कहा- अरे तुम वहाँ पीने गए थे क्या?
“अरे नहीं वो दोस्त है और ये सब तो होता हैं दोस्ती में! तुम्हें भी पीनी है क्या?”
“कल तो पिलायी थी. अब आज भी इरादा है क्या?”
“क्यों नहीं … अगर तुम कहो तो हरकेश को भी बुला लेते हैं साथ में पीते हैं।”
मगर वो कुछ संकोच में आ गई।
तो मैंने कहा- अरे डरो मत, वो तुम्हें नहीं जानता है। और न ही वो हमारे शहर का है। उससे डरने की कोई बात नहीं।
“वो तो ठीक है पर नशे में तुम दोनों ही मुझ पर टूट पड़े तो?”
“तो क्या हुआ आज ग्रुप सेक्स करने का भी मजा ले लेना।”
“नहीं नहीं … मुझसे न हो पायेगा।”
“ठीक है, तुम्हारा मन नहीं करेगा तो मत करना. बस शराब पीते हैं साथ में।”
“ओके ठीक है।”
मैंने तुरंत ही हरकेश को फोन किया और आने को बोला।
फिर मैंने उस वेटर को फोन किया और 2 बोतल वाइन और खाने का सामान मंगाया।
ठीक 8 बजे हरकेश आ गया।
उस वक्त सुमन बाथरूम में थी और मैंने हरकेश को बता दिया कि सेक्स का कोई फिक्स नहीं है अगर सुमन तैयार हुई तो ही करेगे।
क्योंकि मैं सुमन के मर्ज़ी के बिना ऐसा कुछ नहीं करने वाला था कि उसे बुरा लगे।
सुमन के आते ही हरकेश की आँखें फटी रह गई।
सुमन उस वक्त वही काले गाउन में थी और उस वक्त भी उसने ब्रा नहीं पहनी थी।
उसके निप्पल्स गाउन में ही तने हुए थे।
उसका गाउन उसके घुटने तक ही थी तो उसकी गोरी गोरी टांगें देखकर हरकेश का मन डोल गया।
हम दोनों ही पहले ड्रिंक कर चुके थे तो हल्का नशा हम दोनों में था और सुमन की खूबसूरती हम दोनों का नशा दोगुना कर रही थी।
सच कहूं दोस्तो … सुमन का बदन देख कर किसी का भी मन डोल जाता. 2 दिन से सुमन को चोदने के बाद भी मेरा मन भरा नहीं था।
मैंने सुमन को अपने बगल में बैठाया और सामने कुर्सी पर हरकेश बैठा हुआ था. मैंने वाइन के पेग तैयार किये. सबने एक एक गिलास उठाया और शराब का पहला दौर खत्म किया।
उसके बाद दूसरा और फिर तीसरा दौर पर खत्म हो क्या।
अब सुमन भी नशे में आ चुकी थी।
मैं सच में चाहता था कि सुमन को हम दोनों मिलकर चोदें।
इसलिए मैंने सुमन कर तैयार करना शुरू किया अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रखा हल्के से उसका गाऊन ऊपर उठा दिया।
मगर उसने मेरा हाथ झटका कर गाउन को फिर से नीचे कर दिया. यह सब देखकर हरकेश मुस्कुरा रहा था।
इसके बाद मैंने चौथा पैग बनाया.
मगर सुमन ने अब पीने से मना कर दिया.
इस पर हरकेश ने कहा- नहीं नहीं … यह पैग तो आपको पीना ही पड़ेगा … हमारे खातिर!
और उठ कर वह भी पलंग में आकर सुमन के बगल में बैठ गया।
अब सुमन हम दोनों के बीच में बैठी हुई थी और हरकेश ने उसका गिलास उठाकर अपने हाथों से उसे पिलाना शुरू किया. हरकेश का एक हाथ उसकी गदराई हुई जांघों पर था.
सुमन मुस्कुराते हुए वो पूरा ग्लास खत्म कर दिया. सुमन किसी तरह का विरोध नहीं कर रही थी. इसका फायदा उठाकर मैंने सुमन को गाल पर एक पप्पी ले ली।
यह देख कर हरकेश ने कहा- तुम दोनों यह क्या कर रहे हो मेरे सामने? मेरा भी मन मचल रहा है।
इसके जवाब में सुमन का जवाब सुनकर मैं खुश हो गया।
सुमन ने कहा- आप भी तो मेरे बगल में बैठे हो, आप भी मेरी पप्पी ले सकते हो।
बस दोस्तो … इसी बात का तो हम दोनों को इंतजार था।
और हम दोनों ने उसके गालों को चूमना शुरू कर दिया वो किसी भी प्रकार का विरोध नहीं कर रही थी।
देखते ही देखते हरकेश ने उसके होंठ चूसना शुरू कर दिया।
अब आगे मैंने और हरकेश ने कैसे सुमन की चुदाई की यह जानिए कहानी के अगले भाग में!
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