बेकाबू हवस का अंज़ाम- 6
(Tit For Tat Sex Kahani)
टिट फॉर टैट सेक्स कहानी में पढ़ें कि पति को अपनी पत्नी की बेवफाई का पता चला तो उसने उसका बदला पत्नी के यार की पत्नी को चोद कर लिया.
कहानी के पिछले भाग
पति ने चुदवा दिया अपने दोस्त से
में आपने पढ़ा कि हेमन्त ने अपनी बीवी रूपाली को अपने दोस्त गौरव के साथ सेक्स करने के लिए प्रेरित किया. और एक दिन गौरव को घर बुलाकर रूपाली को उसके हवाले कर दिया.
अब आगे टिट फॉर टैट सेक्स कहानी:
इसके बाद हेमन्त ने कई बार रूपाली से जिद की कि एक बार गौरव को फिर बुलाते हैं.
पर रूपाली ने साफ मना कर दिया- नहीं, बस एक बार मैं बहक गयी तुम्हारे कहने से, अब कभी नहीं।
दूसरी ओर रूपाली और गौरव की प्रेम कहानी बदस्तूर जारी थी।
वे अपने पहले मिलन को अपनी सुहागरात और अपोलो अस्पताल में मुलाक़ात को शादी की तारीख मान कर एक दूसरे को विश करते।
बस यहीं ओवर कॉन्फ़िडेंस में उनसे चूक हो गयी।
गौरव का एक ऐसा ही भेजा बहुत सेक्सी मेसेज हेमन्त ने रूपाली के फोन में देख लिया जिसमें गौरव ने रूपाली से होटल में सेक्स का जिक्र किया था।
हेमन्त का दिमाग घूम गया।
उसने फिर रूपाली की अलमारी की तलाशी ली तो उसमें अनगिनत कार्ड और एक डायरी मिली जिसमें रूपाली ने सब कुछ लिख रखा था, सारे फोन मेसेज लिख रखे थे।
हेमन्त ने उन सबकी फोटो खींची और सारा समान संभाल कर रख लिया।
अब हेमन्त आग बबूला हो रहा था.
उसने गौरव को तुरंत बुलाया और ऑफिस में उसे खूब खरी खोटी सुनाई और कहा कि वह रूपाली को तलाक दे रहा है और मोना को सब कुछ बता देगा।
गौरव ने उसके पैर पकड़ लिये और माफी मांगते हुए कहा कि आगे से अब कोई गलती नहीं होगी।
हेमन्त को भी लगा कि गलती तो उससे भी हुई है, उसने ही तो बढ़ावा दिया था।
पर चोरी छिपे जो कुछ रूपाली और गौरव ने किया वे उसे स्वीकार्य नहीं था।
गौरव ने हेमन्त के ऑफिस से बाहर आते ही सारा माजरा रूपाली को बताया।
पहले तो रूपाली बहुत घबराई, फिर बोली- मैं संभाल लूँगी।
रात को हेमन्त ने बेड पर रूपाली से जब सब कुछ पूछा तो रूपाली ने आँखों में आँसू लाकर हेमन्त से लिपट कर माफ़ी मांगी और कहा कि वह आत्महत्या करके अपने को खत्म करना चाहती है।
पर रूपाली ने हेमन्त से कहा कि सही बात तो यह है कि उसे गौरव ने भड़काया और हेमन्त ने भी गौरव को ज्यादा ही शह दी और रूपाली को भी सेक्स के लिए भड़काया।
अब हेमन्त ने भी बात को खत्म करना चाहा पर यह वादा लिया रूपाली से कि अब ये सब बंद!
रूपाली ने हेमन्त से चिपटते हुए वादा किया और फिर जमकर सेक्स किया।
उसे मालूम था कि सिर्फ सेक्स ही हेमन्त का दर्द भुलाएगा।
अब रूपाली ने गौरव से दूरी बना ली।
पर हवस चीज़ ऐसी है कि हावी हो ही जाती है।
थोड़े अंतराल के बाद रूपाली और गौरव फिर चालू हो गए पर बहुत संभलकर!
अब हेमन्त को हवा भी नहीं लग रही थी।
रूपाली कभी गौरव का नाम भी सुनना पसंद नहीं करती थी हेमन्त के मुंह से!
हेमन्त को भी लगने लगा कि अब रूपाली के दिमाग से गौरव हट गया है।
गौरव ने भी हेमन्त से दूरी बना ली थी।
अब कभी गौरव गुरुग्राम आता भी तो हेमन्त से नहीं मिलता।
असलियत यह थी कि गौरव और रूपाली फिर तड़प रहे थे मिलने को!
एक बार हेमन्त को किसी ने बताया कि आज तो गौरव आया हुआ है।
उस दिन रूपाली की किटी पार्टी थी किसी माल में!
हेमन्त को पता नहीं कैसे शक हुआ और वह किटी पार्टी के खत्म होने के समय उस माल में पहुँच गया.
तो उसे रूपाली अपनी सहेलियों के साथ बाहर आती दिखाई दी।
रूपाली ने उसे नहीं देखा, पर हेमन्त ने उसकी एक सहेली को यह कहते सुना कि आज पार्टी बहुत बढ़िया थी और रूपाली खत्म होने पर आई।
हेमन्त ने घर पर मेड को फोन करके पूछा- मैडम कहाँ हैं?
तो वह बोली- वे तो दोपहर को ही चली गयी थीं।
हेमन्त तुरंत घर पहुंचा तो रूपाली गाड़ी से उतर ही रही थी।
उसके हाथ में एक लगेज बैग था।
हेमन्त ने हँसते हुए उससे पूछा- कहीं बाहर से आ रही हो?
तो रूपाली सकपका गयी और बोली- नहीं कपड़े ड्राई क्लीनिंग को देने थे तो बैग में रख कर ले गयी थी, पर दे नहीं पायी।
हेमन्त ने बैग उसके हाथ से ले लिया और लिफ्ट तक पहुँचकर रूपाली से बोला- मेरी गाड़ी में मेरा बैग रह गया है, प्लीज़ ले आओ, मुझे टॉयलेट जाना है।
अपना बैग रूपाली वापिस ले जाने लगी तो हेमन्त बोला- इसे मैं ले जाता हूँ, तुम मेरा बैग ले आओ।
रूपाली मजबूर थी, वह वापिस चली गयी।
हेमन्त ने लिफ्ट में चढ़ते ही बैग चेक किया तो उसमें ऊपर ही एक झीनी सेक्सी टूपीस नाइट ड्रेस थी और एक छोटा सा गिफ्ट था।
वह समझ गया कि रूपाली कहीं होटल में गौरव के साथ बिस्तर गर्म करके आ रही है।
इससे वह गुस्से में उबाल गया; पर चुप रहा।
अगले दिन वह बिना किसी को बताए रूपाली की अलमारी से मिले सारे सबूतों को लेकर आगरा चला गया।
उसने वहाँ एक होटल लिया और गौरव की पत्नी मोना को फोन किया।
मोना उसके फोन पर चौंकीं क्योंकि गौरव ने बड़ी होशियारी से उसे भी हेमन्त की बदनीयती की कहानियाँ सुना रखी थीं।
हेमन्त ने मोना को कहा कि अगर वह उस पर विश्वास कर सकती है तो वह उससे कुछ बात करना चाहता है।
मोना को हेमन्त पर विश्वास सा हुआ और वे हेमन्त के कहे अनुसार बिना गौरव को बताए, हेमन्त से मिलने होटल आ गयी।
होटल में हेमन्त ने उसे बिना छिपाये सारी बात और सारे सबूत दिखाये।
मोना फूट फूट कर रोने लगी और बोली- मैं आज ही गौरव को उसके किए की सज़ा दूँगी।
हेमन्त ने उसे प्यार से समझाया- अब मामला सिर से ऊपर हो गया है। रूपाली और गौरव दोनों बेशर्मी पर उतारू हैं। इन्हें सजा देनी होगी।
मोना ने प्रश्नवाचक निगाहों से हेमन्त को देखा।
हेमन्त ने उससे कहा- जो मैं कहने जा रहा हूँ, वह तुम्हें खराब लगेगा, पर दस मिनट चाय पीते समय सोचना, फिर जो अच्छा लगे करना; मैं तुम्हारे साथ हूँ।
मोना कुछ समझी नहीं।
हेमन्त ने उसका हाथ अपने हाथ में हौले से लिया और कहा- जैसे धोखा रूपाली और गौरव ने हमें दिया, उसकी सजा उन्हें तब ही मिलेगी जब हम दोनों भी ऐसा ही धोखा उन्हें दें।
मोना सुन कर बिफर उठी, बोली- मैं एसी नहीं हूँ, मैं गौरव को नंगा कर दूँगी।
हेमन्त बोला- क्या मैं ऐसा रूपाली के साथ नहीं कर सकता था! पर इससे होगा क्या, दोनों फिर कसमें खा लेंगे और हमें बच्चों की खातिर उन्हें फिर अपनाना पड़ेगा। कुछ दिनों बाद वे फिर बेहयाई करेंगे और ये ज़िंदगी भर चलता रहेगा।
मोना सोचती रही।
हेमन्त सही कह रहा था।
वह उठकर जाने लगी।
हेमन्त ने फिर उससे कहा- मोना एक बार फिर सोच लो। हम अकेले ज़िंदगी भर घुलते रहें तो इससे अच्छा है कि हम ऐसा कर गुजरें कि वे दोनों भी घायल हों।
मोना ठिठकी और फिर पलटी और सीधे हेमन्त की बाहों में आ गिरी।
हेमन्त ने उसे आलिंगन में बांध लिया और उसका चेहरा ऊपर करके उसे चूम लिया।
मोना भी कस के चिपट गयी हेमन्त से और दोनों के होंठ मिल गए।
दोनों एक दूसे से ऐसे कस कर चिपटे हुए थे मानो कब के बिछड़े प्रेमी प्रेमिका हों।
हेमन्त ने मोना को बेड पर आने को कहा।
मोना के आँसू रूक नहीं रहे थे।
हेमन्त उसे वाशरूम ले गया और उसने मोना से कहा- मुंह धो लो।
मोना मुस्कुराई और बोली- सिर्फ मुंह ही क्यों धोएँ, चलो साथ नहायेंगे।
हेमन्त मुस्कुरा दिया।
उसने अपने और मोना के कपड़े धीरे धीरे उतारे।
मोना शर्मायी पर वह भी अब अपना मन बना चुकी थी हेमन्त के साथ इस आग में खेलने का!
और मोना का जिस्म किसी मायने में रूपाली से कम नहीं था।
उसने अपने को बहुत मैंटेन किया हुआ था।
हेमन्त ने उसे चिपटाते हुए चूमना शुरू किया। टिट फॉर टैट सेक्स शुरू हो गया.
मम्मों से होते हुए वे सीधा मोना की चूत पर पहुंचा।
उसे बहुत अच्छा लगा यह देख कर मोना ने अपनी चूत को बिल्कुल चमका रखा था।
होटल का बाथरूम काफी बड़ा और आधुनिक था।
हेमन्त ने बाथटब पहले से ही भरा रखा था।
दोनों बाथ टब में उतर गए।
हेमन्त नीचे लेटा, मोना उसके ऊपर आ गयी। हेमन्त ने उसके मम्मे पकड़ लिए। मोना के हाथ में हेमन्त का लंड था।
दोनों चूमते चाटते हुए मछली की तरह एक दूसरे पर फिसल रहे थे।
अब बात बर्दाश्त से बाहर हो रही थी।
मोना कसमसा कर हेमन्त के ऊपर पलट कर लेट गयी और उसका लंड अपनी चूत में ले लिया।
बाथटब में पानी ठंडा था पर जिस्म की आग भड़की हुई थी।
हेमन्त ने मोना को उठाया और गोदी में उठा लिया और बेड पर ले गया।
मोना ने एक तौलिया ले लिया और बेड के पास उतार कर अपने को सुखाया और हेमन्त से चिपट गयी।
हेमन्त ने उसे धीरे से बेड पर लिटाया और फिर उसकी टांगों को चौड़ा कर अपनी जीभ घुसा दी।
मोना कसमसा गयी।
उसने हेमन्त के बाल पकड़कर उसे ऊपर खींचा और हेमन्त को अपने ऊपर कर लिया।
हेमन्त ने मोना के मांसल मम्मे दबोचते हुए उसकी चूत के ऊपर अपना तना हुआ लंड टिका दिया।
मोना कसमसा रही थी।
उसने अपनी टांगें फैलाते हुए हेमन्त के लंड को न्यौता दिया अपने अंदर आने का!
हेमन्त ने बिना कोई समय गँवाए घुसेड़ दिया अपना मूसल अपनी बीवी के आशिक की बीवी की चूत में!
दोनों गुत्थम गुत्था हो गए।
हेमन्त पूरे जोश से मोना की चुदाई कर रहा था.
मोना भी पूरे दम लगाकर नीचे से उचक-उचक कर चुदाई का मजा ले रही थी।
हेमंत ने मोना को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में घुस गया और हाथ आगे बढ़ा कर मोना के मांसल मम्मे दबोच लिए।
मोना भी उसका साथ देते हुए बार बार गर्दन घूमा कर उसे चूम लेती।
अब बारी मोना की थी।
उसने हेमन्त को नीचे लिटाया और अपने लहराते बालों को जूड़ी बना कर बांधते हुए हेमन्त के ऊपर बैठ गयी और लगी उछल उछल कर उसे चोदने!
हेमन्त भी उसका साथ देते हुए नीचे से उछल रहा था।
थोड़ी देर के धकापेल के बाद दोनों का एक साथ हो गया।
मोना हेमन्त की बाहों में निढाल होकर पड़ गयी।
थोड़ी देर के बाद दोनों को होश आया।
मुस्कुराते हुए दोनों वाशरूम में घुस गए और फ्रेश होकर अपने अपने कपड़े पहन लिए।
अब बात थी प्लानिंग को अमली जमा पहनाने की।
आपस में बात करके हेमन्त ने गौरव को फोन किया और उसे होटल बुलाया।
गौरव भी परेशान था।
उसका घर लॉक था और मोना का फोन बंद था।
गौरव झटपट आ गया।
मोना वाशरूम में छुप गयी उस समय!
हेमन्त ने गौरव को बैठाकर उससे कहा- रूपाली को विडियो कॉल करे!
गौरव चौंका और बोला- क्यों, अब तो मेरी कोई बात भी नहीं होती।
हेमन्त बोला- मुझसे ज्यादा होशियार बनने की कोशिश नहीं करो। तुम्हारी आज भी तीन बार बार बात हुई है। मैंने अपने घर में स्पाइ कैम लगाया है, जिससे रूपाली की हर हरकत मेरी निगाह में है।
गौरव सकपका गया।
उसने रूपाली को विडियो कॉल करी।
रूपाली ने तुरंत फोन उठा लिया और गौरव से पूछा- मोना का कुछ पता चला क्या? हेमन्त भी मेरा फोन नहीं उठा रहा है, ऑफिस में भी नहीं है।
तब हेमन्त ने मोना को आवाज देकर बुलाया और अपने पास बिठाते हुए फोन लिया और रूपाली से कहा- तुम दोनों को शर्म आनी चाहिए।
रूपाली घबरा कर बोली- हेमन्त, मैं तुम्हें सब सच बता दूँगी, मुझे एक मौका दो।
हेमन्त बोला- अब तुम दोनों को मौका दे रहा हूँ। तुम मेरा घर छोड़ कर हमेशा के लिए चली जाओ और मोना मेरे साथ रहेगी। मोना अब गौरव के साथ भी नहीं रहेगी। हमने आज वह सब किया है जो तुम और गौरव लगातार इतने सालों से हमसे छिपाकर कर रहे हो।
मोना भी बोली- अब मुझे नफरत हो रही है गौरव और रूपाली तुमसे! इतने अच्छे पति हेमन्त को तुमने धोखा दिया जबकि वे तुम्हें हर तरह से सपोर्ट कर रहे थे। ठीक है उन्होंने गलत चीज को बढ़ावा दिया पर तुम्हें कोई धोखा नहीं दिया। अब मुझे खुशी होगी हेमन्त का दोस्त बनकर, उससे अपना जिस्म साझा करके!
रूपाली फोन पर खूब रोयी, खूब कसमें खाईं।
हेमन्त बोला- मैं रात तक पहुंचुंगा। तुम अपना सामान पैक कर लेना। कल तुम चाहे अजमेर जाना या गौरव के पास, जहां तुम्हारा मन करे चली जाना।
ऐसे ही मोना ने गौरव से कह दिया- अपना सामान मेरे घर से निकालो और जहां मन हो वहाँ जिसके साथ रहना चाहो, उसके साथ रहो।
हेमन्त वापिस आ गया।
असल में उसने और मोना ने यह तय किया था कि वे तो अपनी दोस्ती निभाएंगे पर साफ सुथरी, शारीरिक सम्बन्धों की खातिर नहीं।
ज़िंदगी काटनी तो अपने पार्टनर के साथ ही है, पर हफ्ता दस दिन इन्हें रुलाएंगे, कान पकड़वाएंगे और फिर ज़िंदगी भर जूते की नोक पर रखेंगे।
जैसा तय हुआ था, मोना ने दो तीन-दिन तो गौरव को घर में घुसने ही नहीं दिया और फिर उससे एक माफीनामा लिखवाया कि अब कभी उसने रूपाली की ओर कदम भी बढ़ाया, फोन भी किया तो मोना उसे हमेशा के लिए छोड़ देगी।
यही बात उधर हेमन्त ने रूपाली के साथ की।
पहले तो उसे पंद्रह दिनों के लिए जबर्दस्ती अजमेर भेज दिया।
फिर वहाँ से रूपाली के ज्यादा रोने गाने पर शर्त पर वापिस आने दिया कि वह अपनी ये सब हरकतें छोड़ देगी और गौरव से कभी कोई बात नहीं करेगी। और अगर ऐसा नहीं हुआ तो हेमन्त उसे अपनी ज़िंदगी और संपत्ति से बेदखल कर देगा।
यह सब हेमन्त ने एक वकील से राय करके रूपाली से लिखवा भी लिया।
तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी कहानी ‘बेकाबू हवस का अंजाम’?
लिखिएगा मुझे मेरी मेल आई डी पर!
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