तीन पत्ती गुलाब-16
(Teen Patti Gulab- Part 16)
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प्रिय पाठको और पाठिकाओ! आइए अब लिंग दर्शन और चूसन के इस सोपान की अंतिम आहुति डालते हैं…
आज सुबह-सुबह मधुर ने नया फरमान जारी कर दिया। आज प्रेम आश्रम में हरियाली तीज महोत्सव मनाया जाने वाला है तो हमारी हनी डार्लिंग (मधुर) अपनी सभी सहेलियों के साथ आश्रम में जाने वाली है।
मधुर ने लाल रंग की सांगानेरी प्रिंट की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज पहना है और कलाइयों में लाल रंग की चूड़ियाँ। हाथों में मेहंदी, पैरों पर महावर, मांग में सिन्दूर और होंठों पर गहरी लाल लिपस्टिक लगाई है।
लगभग 8 बजे सभी सहेलियां आश्रम जाने वाली हैं। स्कूल से आज उसने छुट्टी ले रखी है। आज का पूरा दिन आश्रम में बिताने वाली है। मधुर ने बताया कि वहाँ सभी सुहागन स्त्रियाँ हरियाली तीज महोत्सव मनाएंगी जिसमें मेहंदी प्रतियोगिता और गुरूजी के साथ झूला झूलने की प्रतियोगिता होगी। मुझे तो कई बार डर भी लगता है। आजकल इन बाबाओं के दिन खराब चल रहे हैं। किसी दिन साले किसी बाबा ने सच में झूला झुला दिया तो फिर मेरा क्या होगा? हे लिंग देव! कृपा करना।
मधुर के आश्रम कूच करने के बाद गौरी ने मेन गेट बंद कर दिया और रसोई में चाय बनाने चली गई और मैं हाल में सोफे पर बैठा अखबार पढ़ने लगा।
थोड़ी देर में गौरी चाय बनाकर ले आई। जब वह थर्मोस से गिलास में चाय डालने लगी तो मैंने कहा- गौरी, मुझे लगता है यह जिन्दगी तो चाय या कॉफ़ी में बीत जायेगी.
और फिर मैं अपनी बात पर हंसने लगा।
“वो तैसे?” गौरी ने आँखें नचाते हुए पूछा।
“अरे यार! क्या जिन्दगी है? सारे दिन भाग दौड़ और ऑफिस की मगजमारी? किसी के पास मेरे लिए समय ही नहीं है और ना ही कोई परवाह।”
“हम्म”
“जी में आता है मधुर और तुम्हें लेकर किसी हिल स्टेशन पर जाकर बस जाऊं.”
“ना बाबा ना … वहाँ तो बड़ी बालिश होती है.” गौरी ने हंसते हुए कहा।
“तो क्या हुआ रोज बारिश में खूब नहाया करेंगे. तुम्हें बारिश में नहाना अच्छा नहीं लगता है क्या?”
“बचपन के दिनों में जब बालिश होती थी तो मैं मोहल्ले के सभी बच्चों के साथ खूब नहाया कलती थी।” कह कर गौरी हंसने लगी।
“पता है मुझे भी बचपन में बारिश में नंगे होकर नहाने में बड़ा मज़ा आता था और सारे बच्चे कपड़े भीगने के डर से नंगे होकर नहाते थे ताकि घरवाले नाराज़ ना हों।”
गौरी अब खिलखिला कर हंसने लगी।
“अच्छा गौरी तुम भी सारे कपड़े निकाल कर नहाती थी क्या?”
“हट …” गौरी शर्मा गई।
“काश मैं भी उस समय तुम्हें नंगी नहाते देख सकता!”
“हट… ऐसी बातों से मुझे बहुत शल्म आती है।”
“गौरी पता है कई बार मैं क्या सोचता हूँ?”
“त्या?”
“मैं मरने के बाद अगले जन्म में मक्खी, मच्छर या कोक्रोच ही बन जाऊं?”
“आप मलने ती बात त्यों तलते हैं?”
“अरे यार, तुम्हारे लिए तो मैं सौ जन्म भी ले लूं?”
“तैसे? त्यों? मैं समझी नहीं?”
“अरे बड़ा मज़ा आएगा?”
“इसमें मज़े वाली त्या बात है?”
“हाय… तुम क्या जानो?”
“अच्छा आप बताओ?”
“मक्खी या मच्छर बनकर मैं बाथरूम में छिपकर बैठ जाऊंगा और मर्जी आये उसी खूबसूरत लड़की को नहाते समय मज़े ले-ले कर देखता रहूँगा? आह… तुम नहाते समय कितनी खूबसूरत लगती होगी?”
“हट!”
“सच्ची … गौरी मैं सच कहता हूँ तुम बहुत खूबसूरत हो।”
गौरी शरमाकर एक बार फिर से लाजवंती बन गई। अब वह छिपाने की चाहे लाख कोशिश करे पर उसकी झुकी हुई मुंडी और मंद-मंद मुस्कान से साफ़ पता चलता है कि वह इस समय वह रूपगर्विता बनकर अपने आप को बड़ी खुशनशीब समझ रही है।
“अरे गौरी?”
“हओ?”
“ये तुम्हारे मुंहासे तो बढ़ते ही जा रहे हैं?”
“हओ… मेली तिस्मत खलाब है। पता है आजतल इन मुंहासों ती चिंता में मुझे लात को नींद ही नहीं आती.” गौरी की शक्ल रोने जैसी हो गयी थी।
“हाँ… यार यह बात तो सच है। अगर चेहरा खराब हो गया तो बड़ी परेशानी होगी। अब देखो ना गुप्ताजी की लड़की का कितनी मुश्किल के बाद अब जाकर रिश्ता हुआ है और वो भी 40-45 साल का बुढ़ऊ के साथ।” मैंने जानकार गौरी को थोड़ा और डराया।
“हे भगवान्…” गौरी ने आह सी भरी।
मुझे लगा गौरी अब सुबकने लगेगी।
“अच्छा गौरी?”
“हओ?”
“तुमने वो बाकी चीजों का जुगाड़ किया या नहीं?”
“गुलाब ती पत्तियाँ, शहद, दूध ओल हल्दी ही मिली.”
“और बाकी चीजें?”
“किच्च… नहीं मिली?”
“ओह…?” मैंने एक लम्बी सांस छोड़ते हुए कहा।
“गौरी ये लेप वाला भी झमेले का काम है। एक काम तो हो सकता है पर …” मैंने अपनी बात जानबूझ कर अधूरी छोड़ दी।
“पल… त्या?” गौरी ने कातर दृष्टि से मेरी ओर ताका।
“तुम से नहीं हो पायेगा.”
“आप बताओ… प्लीज?”
“शरमाओगी तो नहीं?”
“किच्च?”
“ओ.के. … चलो एक काम करो वो शहद, कच्चा दूध और गुलाब की पत्तियाँ आदि जो भी मिला वो सब एक कटोरी में डाल कर लाओ फिर कुछ करते हैं।”
मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा था। लगता है अब मंजिल बस दो कदम दूर रह गई है। सच कहूं तो इस समय मेरी हालत यह थी कि जैसे मुझे कैरूँ का खजाना ही मिलने जा रहा है और अब उत्तेजना और रोमांच में मुझे इस खजाने को कैसे संभालना है? कुछ सूझ ही नहीं रहा था। एक बात की मुझे और हैरानी हो रही थी? अभी तक मेरा पप्पू बिलकुल अटेंशन की मुद्रा में सलाम बजा रहा था पर अचानक वह कुछ ढीला सा पड़ गया था। कहीं आज भी उसकी मनसा धोखा देने की तो नहीं है?
हे लिंग देव! गच्छामी तव शरणम्!!!
थोड़ी देर में गौरी दो कटोरियों में शहद और कच्चा दूध और एक प्लेट में गुलाब और नीम की पत्तियाँ डालकर ले आई।
“गौरी बाथरूम में चलते हैं यहाँ सोफे पर शहद वगेरह गिर गया तो गंदा हो जाएगा और फिर मधुर तुम्हें डांटेगी.”
“हओ” गौरी ने मरियल सी आवाज में कहा।
गौरी अपनी मुंडी झुकाए मेरे पीछे पीछे ऐसे चल रही थी जैसे जिबह होने के समय कोई जानवर चलता है।
और फिर हम दोनों बेडरूम में बने बाथरूम में आ गए। मैंने बाथरूम की लाइट जला दी और पंखा और एग्जॉस्ट फैन भी चला दिया। गौरी ने दोनों कटोरियाँ और प्लेट वाशिंग मशीन पर रख दी।
“गौरी! देखो तुम मेरी प्यारी शिष्या हो। मैं यह सब केवल तुम्हारे हित के लिए ही कर रहा हूँ। मेरे मन में किंचित मात्र भी यह भावना नहीं है कि मैं तुम्हारा कोई नाजायज फायदा उठा रहा हूँ और ना ही मेरी मनसा और नियत में कोई खोट है। मैं तुम्हारे साथ कोई भी छल-कपट या फरेब जैसा कुछ नहीं कर रहा हूँ और ना ही कोई शोषण कर रहा हूँ। मैं जो भी कुछ कर रहा हूँ सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी बेहतरी और भलाई के लिए कर रहा हूँ। और हाँ… एक और बात है.”
“त्या?”
“देखो गुरु और डॉक्टर के सामने कोई शर्म नहीं की जाती। इस समय तुम मेरे लिए केवल एक मरीज हो और मेरा फ़र्ज़ है कि मैं अपनी प्रिय शिष्या की हर संभव सहायता करूँ ताकि तुम्हें इन मुंहासों से छुटकारा मिल जाए। अब तुम्हें भी अपने इस मर्ज़ (मुंहासों की बीमारी) के लिए कुछ त्याग और तपस्या तो करनी ही होगी। अपने भले के लिए और मर्ज़ को ठीक करने के लिए कई बार ना चाहते हुए भी शर्म छोड़कर कड़वी दवा पीनी पड़ती है। और तुम तो जानती हो कुछ पाने के लिए कुछ त्याग भी करना पड़ता है। तुम समझ रही हो ना?”
“हओ” गौरी ने मिमियाते हुए कहा।
मैं गौरी की मन:स्थिति अच्छी तरह समझ रहा था। इस समय वह एक दोराहे पर खड़ी थी। एक तरफ उसकी नारी सुलभ लज्जा एवं उसके संस्कार और दूसरी तरफ उसके चहरे के खराब हो जाने का भय। वह अंतिम फैसला लेने में कुछ हिचकिचा सी रही थी।
एक पल के लिए मेरे मन में यह ख्याल जरूर आया कि मैं कहीं इस मासूम का शोषण तो नहीं कर रहा? कहीं इसके साथ यह ज्यादाती तो नहीं है? पर दूसरे ही पल मेरा यह ख्याल जेहन से गायब हो गया। अब मेरा जाल इतना पुख्ता था कि अब किसी भी प्रकार से उसमें से निकल पाना गौरी के मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था।
“गौरी अगर अब भी तुम्हें लगता है कि यह तुमसे नहीं हो पायेगा तो कोई बात नहीं … तुम्हारी मर्ज़ी!” मैंने अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा था अब वो चिर-प्रतीक्षित लम्हा आने वाला था जिसका इंतज़ार मैं पिछले एक महीने से कर रहा था।
“थीत है आप बताओ त्या तरना है?”
“गौरी कुछ भी करने से पहले तुम्हें मुझे एक वचन देना होगा?”
“त्या?”
“तुम्हें अब शर्म बिलकुल नहीं करनी है और जैसा मैं कहूं तुम्हें करना है.”
“हओ… थीत है।”
“सबसे पहले तो तुम हाथ जोड़कर भगवान जी से या मातारानी से यह प्रार्थना करो कि इस दवाई से तुम्हारे मुंहासे जल्दी से जल्दी ख़त्म हो जाएँ।”
गौरी ने मेरे कहे मुताबिक़ हाथ जोड़कर प्रार्थना की। मैंने भी हाथ जोड़कर प्रार्थना करने का सफल अभिनय किया। एक बात आपको बता दूं ज्यादातर हम भारतीय लोग धर्मभीरु होते हैं और किसी बात पर अगर धर्म या भगवान् का मुलम्मा (चासनी) चढ़ा दिया जाए तो सब कुछ आसानी से किया और करवाया जा सकता है।
प्यारे पाठको और पाठिकाओ! आपके दिलों की धड़कनें भी अब बढ़ गयी हैं ना? आप सोच रहे होंगे कि यार प्रेम क्यों अपना बेहूदा ज्ञान बखार कर हमारे लंडों और चूतों को तड़फा रहे हो? जाल में फंसी इस कबूतरी को अब हलाल कर दो। ठोक दो साली को।
चलो आपकी राय सिर माथे पर, आज मैं आपकी बात मान लेता हूँ…
“गौरी मुझे भी थोड़ी शर्म तो आ रही है पर अपनी प्रिय शिष्या की परेशानी के लिए मुझे अपनी शर्म पर काबू करना ही होगा।” मेरे ऐसा कहने पर गौरी ने मेरी ओर देखा।
उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। इतने खुशनुमा मौसम में भी उसके माथे और कनपटी पर हल्की हल्की पसीने की बूँदें झलकने लगी थी।
“देखो, मैं अपना निक्कर उतारता हूँ। तुम्हें मेरे लिंग को पकड़कर बस थोड़ी देर हिलाना है और उसके बाद उसमें से वीर्य निकलने लगेगा। तुम्हें थोड़ी जल्दी करनी होगी, वीर्य नीचे नहीं गिरना चाहिए तुरंत कटोरी में डाल लेना। वीर्य ताज़ा हो तो जल्दी असर करता है। समझ रही हो ना?”
गौरी ने अपनी मुंडी झुकाए हुए सुस्त आवाज में ‘हओ’ कहा।
मैंने अपने बरमूडा (निक्कर) का नाड़ा खोल दिया। पप्पू महाराज जो अब तक सुस्त पड़ा था अब थोड़ा कसमसाने लगा है। अभी तो इसकी लम्बाई केवल 3-4 इंच ही लग रही है। पूर्ण उत्तेजित अवस्था में तो यह लगभग 7 इंच के आस पास हो जाता है। हे लिंग देव तेरा शुक्र है अभी इस पर अभी पूरा जलाल नहीं आया है वरना गौरी इसे देख कर डर ही जाती और हो सकता है अपना इरादा ही बदल लेती।
कहानी जारी रहेगी.
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