शायरा मेरा प्यार- 17
(Shayra Mera Pyar- Part 17)
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शायरा मेरे सामने सिर्फ़ गुलाबी पैंटी में थी. जो आगे से पूरी भीगी हुई थी. भीगी पैंटी देख उसकी चुत की महक लेने को अपने आप ही मेरा सिर उसकी जांघों के बीच झुक गया.
नमस्कार दोस्तो, मैं महेश आपको शायरा के प्रेम और सेक्स कहानी में बता रहा था कि हम दोनों एक दूसरे के होंठों को पूरी शिद्दत से चूमे जा रहे थे.
अब आगे:
मैं शायरा के होंठों को तो चूस रहा था, पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दूँ. मगर शायरा जैसे मेरे मन की बात जान गयी और उसने खुद ही अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी.
कुछ देर मुझे अपनी गर्म गर्म जीभ चुसाने के बाद शायरा अपनी जीभ के साथ साथ मेरी जीभ को भी अपने मुँह में ले गयी और उसे जोरों से चूसने लगी.
मैं शायरा को किस करने में इतना खो गया था कि मेरी आंखें कब बंद हो गयी थीं, मुझे पता भी नहीं चला. इतना मधुर मिलन था हमारे होंठों का कि बस अब क्या बताऊं … ऐसा लग रहा था मानो कितनी ही सदियों के बाद हम मिले हों और बस ये मिलन कभी ख़त्म ना हो.
मैंने न जाने कितनों के साथ चुदाई की, कितनों को मैंने जन्नत दिखाई, पर किसी ने मुझे जन्नत जैसा मज़ा नहीं दिया था. पर आज सिर्फ़ किस करने से मुझे ऐसा आनन्द मिल रहा था, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी.
मैं तो बस शायरा का हालचाल पूछने और उसके साथ पहले के जैसी दोस्ती करने आया था. पर मुझे क्या पता था कि यहां मुझे सिर्फ़ प्यार मिलेगा और प्यार भी ऐसा कि जिसमें मैं इतना खो जाऊंगा कि खुद को ही भूल जाऊंगा.
मुझे तो लग रहा था कि ये किस कभी ख़त्म ही ना हो. इस किस में जो चीज़ हमें अच्छी लगी … वो जल्दी ख़त्म हो गई.
शायरा तो मेरे होंठों को छोड़ने को तैयार भी नहीं थी … पर उसका दिल इतना जोर से धड़क रहा था कि मैं उसकी धड़कनों को साफ सुन पा रहा था.
उसकी सांसें भी इतनी फूल गयी थीं कि उसकी छाती बहुत जोरों से ऊपर नीचे होने लगी थी. मगर फिर भी वो मेरे होंठों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी.
मैं जिस चीज़ के लिए भगवान से दुआ मांग रहा था कि वो ख़त्म ना हो.
उसी चीज़ को मुझे अब खुद ही रोकना पड़ा, क्योंकि शायरा की हालत बहुत खराब हो गयी थी.
मैंने अपने होंठों को बड़ी मुश्किल से शायरा के होंठों से अलग किया.
मेरे होंठ अलग होते ही शायरा ने अपनी आंखें खोल दीं. शायरा की आंखों में देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने शायरा के बदन से उसकी आत्मा अलग कर दी हो.
उसकी आंखें लाल हो गयी थीं जैसे उसके बदन का सारा खून उसकी आंखों में चला गया हो. उसकी धड़कनें इतनी तेज चल रही थीं कि अगर एक सेकेंड भी देर हो जाती … तो कहना मुश्किल था कि क्या हो जाता.
हमारे होंठ अलग होते ही शायरा लंबी लंबी सांसें लेकर कर अपने आपको नॉर्मल करने की कोशिश करने लगी.
मेरी भी हालत शायरा के जैसी ही थी … इसलिए मैं भी अब खुद को नॉर्मल करने लगा.
हम दोनों खुद ही को नॉर्मल करने की कोशिश कर रहे थे. मुझे तो इसकी आदत थी … पर शायरा के लिए ये सब नया था इसलिए उसे नॉर्मल होने में थोड़ा समय लगा.
नॉर्मल होने के बाद शायरा उठकर बैठ गयी थी मगर मैंने उसके हाथ को पकड़ कर फिर से अपने पास खींच लिया.
शायरा का चेहरा मेरी तरफ था, इसलिए मैं उसकी सांसों को अब अपनी सांसों के साथ महसूस कर रहा था.
उत्तेजना के मारे अभी भी शायरा का चेहरा एकदम सुर्ख लाल हो रहा था और आंखें जल रही थी.
शायरा की आंखें, जो प्यार की गर्मी से जल रही थीं, उसे अपने होंठों से ठंडा करने के लिए मैं अब उसकी आंखों पर किस करने लगा.
मगर आंखों की जलन को किस करके ठंडा नहीं किया जा सकता. उसको तो प्यार चाहिए होता है.
इसीलिए शायरा ने अब खुद ही अपने होंठों को मेरे होंठों से जोड़ दिया.
मैं आराम से हर एक सेकेंड का मज़ा लेना चाहता था. मैं उस हर एक पल को जीना चाहता था और शायरा के साथ बिताए हर एक क्षण को यादगार बनाना चाहता था, इसलिए मैं भी शायरा को किस करता गया और शायरा मुझे किस करती गयी.
मैं शायरा के ब्लाउज को भी खोलना चाहता था इसलिए इस बार मैंने सिर्फ़ 2-3 मिनट तक किस किया और अपने होंठों को उससे अलग कर लिया.
शायरा की बड़ी बड़ी आंखें अब मेरी तरफ हैरानी से ऐसे देखने लगीं, जैसे पूछ रही हों कि मैंने इतनी जल्दी क्यों किस तोड़ा.
मेरे पास उसकी आंखों के पूछे हुए सवाल का कोई जवाब तो नहीं था, मगर उसकी आंखों को मैंने विश्वास दिलाया कि उसके प्यार का इंतज़ार मैं ख़त्म कर कर दूंगा.
मैंने धीरे धीरे उसके ब्लाउज के बटन खोलने शुरू कर दिए.
अब जैसे जैसे शायरा के ब्लाउज के बटन खुल रहे थे, वैसे वैसे ही उसके बदन की चमक मेरी आंखों को अपनी ओर खींच रही थी, मानो उसके बदन की चमक ने मेरी आंखों को अपने कब्ज़े में कर लिया था.
इसलिए मैं एक एक कर उसके ब्लाउज के बटन अब खोलता गया और शायरा उन्हें बस खुलते देखती रही.
शायरा के ब्लाउज का आखिरी बटन खुलते ही उसके दोनों कपाट हवा में झूल गए और लाल रंग की ब्रा में कसे उसके दोनों उभार फड़फड़ा कर ऐसे बाहर आ गए … जैसे वो कह रहे हों कि हमें इस ब्रा की कैद से भी बाहर निकालो … हमें पूरा आज़ाद होना है.
जैसे पंछी पिंजरे से बाहर आने को फड़फड़ाता है … वैसे ही ब्रा में कैद शायरा के दोनों उभार भी ब्लाउज और ब्रा की कैद से निकल कर अपनी आज़ादी का पूरा मज़ा लेना चाहते थे.
शायद मैं भी तो यही चाहता था … इसलिए मैंने पहले तो शायरा के ब्लाउज को उसके बदन से अलग किया, फिर ब्रा को भी निकाल दिया. अब ब्रा के अपने बदन से अलग होने का अहसास से शायरा के बदन में एक लहर सी दौड़ गयी और उसने अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैंने भी शायरा को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके गोरे चिकने बदन को देखने लगा. शायरा का गोरा चिकना बदन इतना दूधिया सफेद था कि ऐसा लग रहा था मानो वो हाथ लगाने से ही वो मैला हो जाएगा. उसकी चूचियां तो इतनी टाइट और कसी हुई लग रही थीं जैसे कि उसके हज़्बेंड ने उनको कभी हाथ ही ना लगाया हो.
मैं मन्त्र मुग्ध सा होकर बिना कुछ किए बस शायरा के बदन को ही देख रहा था, मगर मुझे अब कुछ ना करते देख शायरा ने एक बार अपनी आंखें खोल कर देखा और जब मुझे अपने बदन ऐसे घूरते पाया, तो उसने फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं.
शायरा के आंखें खोलने और फिर बंद करने से मेरा भी ध्यान भंग हो गया था. इसलिए मैं अब शायरा के ऊपर आ गया और एक हल्का सा किस शायरा के होंठों पर कर दिया.
शायरा के होंठों पर मैंने बस एक बार ही किस किया, फिर धीरे धीरे किस करते हुए नीचे की तरफ बढ़ गया. उसकी ठुड्डी, गाल, गर्दन और फिर अन्त में उसकी चूचियों के पास आकर मेरे होंठ ठहर गए.
जितने गुलाबी शायरा के होंठ थे, उतने ही गुलाबी उसके निप्पल भी थे और शायद चूत भी? मैं अपनी जीभ की नोक से शायरा के निप्पलों को टच करके देखना चाहता था … मगर शायरा के निप्पल टाइट होकर इतने कड़े हो गए थे कि वो खुद ही ऊपर आकर अब मेरी जीभ को टच करने लगे.
मेरी जीभ के टच से ही शायरा के मुँह से अब सीत्कार निकल गयी थी. इसलिए मैंने पहले तो उसके निप्पल को प्यार से किस किया … फिर जीभ निकालकर उसे चाटने लगा.
आनन्द के वशीभूत शायरा के मुँह से अब जोरों से सिसकारीयां फूटना शुरू हो गयी थीं, इसलिए उसका मजा और अधिक बढ़ाने के लिए मैं अपने एक हाथ से उसकी दूसरी चूची को दबाने भी लगा.
सच में शायरा की चूचियां इतनी टाईट और कसी हुई थीं कि उसके पति ने तो क्या … शायद खुद शायरा ने भी कभी उनको हाथ नहीं लगाया था.
मुझे ऐसा लग रहा था मानो शायरा ने बस मेरे ही इंतज़ार में अपनी चूचियों को ब्रा की गिरफ्त में क़ैद करके रखा था कि मैं आऊंगा और उनको आज़ाद करके, जिस वजह से ये चूचियां इस दुनिया में आई हैं … वो असली काम पूरा करूंगा.
शायरा तो प्यार के नशे में मदहोश ही हो गयी थी.
मैं भी उसके इस नशे को कम नहीं होने देना चाहता था. इसलिए मैं कुछ देर तो ऐसे ही उसकी चूचियों को चूसता और मसलता रहा.
फिर मैंने चूची बदली कर ली. मैं अब लेफ्ट बूब को हथेली में भरकर भींचने लगा और राइट बूब को मुँह में लेकर चूसने लगा.
मेरा ना तो शायरा के होंठों पर किस करते हुए छोड़ने का मन था … और ना उसके बूब्स को चूसते हुए छोड़ने का मन हो रहा था.
मगर फिर भी थोड़ी देर शायरा के मम्मों को चूसने के बाद मैं नीचे आ गया और शायरा के पेट पर किस करने लगा.
उसके पेट पर किस करने से शायरा को गुदगुदी होने लगी थी. इसलिए वो अपने सिर को इधर उधर घुमाने लगी. वो मेरे सिर को पकड़ना चाहती थी. मगर तब तक मैंने अपनी जीभ शायरा के नाभि में घुसा दिया. नाभि में जीभ जाते ही शायरा तो जैसे जल बिन मछली की तरह तड़फने लगी … या फिर ये कहें कि गुदगुदी से वो नाचने लगी.
शायरा की साड़ी पहले ही कुछ तो अस्त व्यस्त हो चुकी थी, बाकी को मैंने अब उसकी नाभि के साथ खेलते खेलते खींचकर निकाल दिया.
साड़ी को उतारकर मैंने उसे नीचे फेंक दिया और शायरा के दोनों पैरों के बीच आकर पेटीकोट के ऊपर से ही उसकी चूत पर किस कर दिया.
शायद इतनी देर से चल रही इस चूमाचाटी की वजह से शायरा की चुत ने इतना पानी उगल दिया था कि पैंटी के साथ साथ उसके पेटीकोट पर भी नमी आ गयी थी.
इसलिए उसके पेटीकोट के ऊपर से ही चूत पर किस करने से मेरे होंठों पर चुतरस की नमकीन खरिश जम गयी.
शायरा की चुत पर मैंने पेटीकोट के ऊपर से बस एक दो बार ही किस किया, फिर धीरे से पेटीकोट के नाड़े को मुँह में पकड़ लिया और उसे खींच कर खोल दिया. शायरा अपनी आंखें खोल कर फिर से मेरी तरफ देखने लगी.
ये चूमाचाटी का खेल शुरू हो जाने के बाद से मैंने शायरा से बात की नहीं की थी.
बस बीच बीच में वो मुझे रोकने के लिए कभी कभी आंखें खोलती … पर मेरे प्यार की सेंक से वो वापस प्यार के उसी समंदर में डूब जाती.
इस बार भी उसने एक बार तो मेरी तरफ देखा, मगर मेरे मुँह में अपने पेटीकोट का नाड़ा देखा, तो उसने फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैंने भी शायरा के पेटीकोट को पकड़ कर पूरा नीचे खींच दिया, जिसमें शायरा ने अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर मेरा पूरा साथ दिया. शायरा अब मेरे सामने सिर्फ़ एक गुलाबी रंग की पैंटी में थी. जो कि आगे से पूरी भीगी हुई थी.
शायरा की भीगी हुई पैंटी देखकर उसकी चुत की महक लेने के लिए अपने आप ही मेरा सिर उसकी जांघों के बीच झुक गया.
बहुत मदहोश कर देने वाली महक थी वो!
जिससे शायरा की चुत की महक लेते लेते मैंने अब उसकी गीली पैंटी को एक बार जीभ से चाट भी लिया.
मेरी जीभ के पैंटी के ऊपर से ही चूत को छूने से शायरा के मुँह से गर्म सीत्कार निकल गयी.
क्योंकि शायद ये वो, प्यार हो रहा था … जो शायरा को कभी उसके हज़्बेंड से नहीं मिला था.
शायरा की पैंटी को मैंने बस एक बार चाटकर देखा, फिर सीधा अपना हाथ ही उसकी पैंटी में घुसा दिया. मगर जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में घुसाया, शायरा ने तुरन्त अपनी जांघों को भींच लिया. अन्दर पूरा चिपचिपा था, ये शायद शायरा की चुत का रस था. जो कि अन्दर पूरा फैला हुआ था.
मैंने उस चिकनाई को ही अपनी उंगलियों पर लगा लिया और हाथ को बाहर निकाल कर उंगलियों को चाटने लगा.
बिल्कुल खारा, कसैला और चिकनाहट भरा स्वाद था उसकी चुत के रस का.
शायरा की पैंटी से हाथ निकालने से वो कुछ रिलैक्स हो गयी थी, इसलिए उसने फिर से अपनी आंखें खोलकर मेरी ओर देखा, मगर जब उसने मुझे इस तरह अपनी चुतरस से सनी उंगलियों को चाटते देखा, तो वो शर्मा गयी और फिर से अपनी आंखें बन्द कर लीं.
अपनी उंगलियों पर लगे शायरा के चुतरस को चाटने के बाद मैंने दोनों हाथों से उसकी पैंटी को पकड़ लिया और धीरे धीरे उसे नीचे खींचने लगा.
मगर शायरा ने तभी बीच में ही पैंटी को पकड़ लिया.
इस बार शायरा ने मुझे पहली बार कुछ करने से मना किया था, इसलिए मैं शायरा की तरफ देखने लगा.
वो ‘ना ..’ में गर्दन हिला रही थी.
मैंने भी अब जबरदस्ती नहीं की. बल्कि शायरा के उस हाथ पर ही किस करने लगा, जिस हाथ से उसने पैंटी को पकड़ा हुआ था.
एक बार, दो बार और जब मैं लगातार उसके हाथ को ही चूमता रहा तो शायद मेरे प्यार की तपिश से उसका हाथ भी जल उठा.
जिससे शायरा के हाथ की पकड़ ढीली पड़ गयी और उसके हाथ से पैंटी छूट गयी.
शायरा के पैंटी को छोड़ते ही मैंने उसे झटके से निकालकर अलग कर दिया.
शायरा का बदन अब खुल कर अपनी आज़ादी का मज़ा ले रहा था. मगर शायरा की चुत की मुझे बस एक ही झलक दिखी थी कि शायरा ने तुरन्त अब अपने पैरों को मोड़कर अपनी चूत को छिपा लिया.
शायरा आंखें बन्द करके अब ये इंतजार कर रही थी कि मैं आगे क्या करने वाला हूँ.
मगर उस समय तो मैं बस शायरा की उस नन्ही सी परी को देखने के लिए मरा जा रहा था.
क्योंकि अब जितनी देर मुझे शायरा की परी को देखने में लग रही थी, उतनी ही तेजी से मेरी धड़कनें बढ़ती जा रही थीं.
शायरा ने पैरों को मोड़कर अपनी चुत को तो छुपा लिया था … मगर मैंने उसके पैरों पर ही किस करना शुरू कर दिया.
साथ ही उसके पैरों पर किस करते हुए मैं धीरे धीरे ऊपर की ओर भी बढ़ने लगा.
शायरा ने पहले तो अपने बदन को कड़ा करके मेरे किस से बचने का प्रयास किया, मगर जब मैं उसके घुटनों को चूमते हुए ऊपर उसकी जांघों की तरफ बढ़ने लगा, तो उसने अपने आप ही पैरों को सीधा कर लिया.
शायरा ने बस अपने पैरों को तो सीधा ही किया था, जांघों के बीच उसने अपनी चुत को अभी भी छिपाया हुआ था. मगर अब जैसे जैसे मैं ऊपर की ओर बढ़ रहा था, वैसे वैसे उसके पैर भी एक दूसरे से अलग होने लगे.
शायरा की चूत अब मेरे सामने थी, जिसको देखकर कुछ पल के लिए तो मेरी धड़कनें मानो जैसे अब थम ही गयी थीं. क्योंकि शायरा की चुत देखने में ही इतनी तंग लग रही थी कि मानो बस एक लाईन भर में ही उसने अपना सारा अनमोल खजाना छुपा रखा हो.
शायरा की चुत देख कर मेरे लंड में अचानक से तेज रफ्तार से खून बहने लगा था.
इस सेक्स कहानी के अगले भाग में लंड चुत के प्रेम और सेक्स कहानी को रसीले अंदाज में लिखूंगा. आप मुझे मेल करना न भूलें.
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कहानी जारी है.
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