अचानक एक दिन में 3 लंड से ठुकी मैं- 2

(Sex Addict Ban Gayi Mai )

सेक्स एडिक्ट बन गयी मैं जब मेरे एक दोस्त ने मुझे चोदा तो … मुझे चूत चुदाई में इतना मजा आया कि मैं हर रोज उस दोस्त से चुदने लगी. एक बार दोस्त के दोस्त से भी चुद गयी मैं.

यह कहानी सुनें.

हाय फ्रेंड्स, मैं आपकी प्यारी फ्रेंड अंकिता फिर से हाजिर हूँ अपनी कहानी लेकर.

मेरी कहानी के पिछले भाग
सीनियर लड़के को चूत देनी पड़ी
में आपने पढ़ा कि

अब आगे मैं सेक्स एडिक्ट बन गयी:

मॉन्टी एक कुत्ते की तरह लार टपका रहा था.
अपनी दोस्ती के कारण वो रुका हुआ था, वरना अब तक मुझे वो ठोक चुका होता.
वो हमें घूरे जा रहा था.

तभी वो बोला, “चेतन और अंकिता, मैं कुछ कहूँ?”
हमने उसकी तरफ देखकर कहा, “हम्म्म्म, बोलो.”

वो बोला, “तुम बुरा न मानो तो क्या मैं अपने लंड की प्यास बुझा सकता हूँ? प्लीज!”
चेतन ने मेरी तरफ देखा.

और मैंने कहा, “क्या मतलब?”
वो बोला, “बस एक बार.”
उसकी शक्ल देखकर मैंने कहा, “ठीक है.”

ये सुनते ही वो तुरंत नंगा हो गया.
चेतन मुझे देखते रह गया.

मैंने कहा, “ठीक है, कोई नहीं.”

फिर चेतन ने मेरे बाल पकड़कर मुझे उठाया और मुझे किस करने लगा.

उसी समय मॉन्टी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया.

मॉन्टी का लंड भी चेतन के जैसा ही था, ज्यादा फर्क नहीं था दोनों के लंड में.

चेतन अकेला होता तो मैं एक आजाद लड़की की तरह चुद जाती.
लेकिन उनके साथ उनका दोस्त मॉन्टी भी था.
तो मुझे दो लंड चोदने वाले थे.

मॉन्टी बोला, “ओए, देख रे, इसके दूध कितने सुंदर हैं. इतने टाइट भी हैं कि बिना चूसे तो मन ही नहीं मानेगा.”
चेतन बोला, “ले, तू भी चूसकर मजा ले ले.”

इतना सुनते ही चेतन ने मुझे लिटा दिया.
चेतन और मॉन्टी मेरे आजू-बाजू लेट गए.

मेरा एक दूध चेतन और दूसरा मॉन्टी के कब्जे में आ गया था.
वो दोनों अपने हाथों से मेरे मम्मे मसलने लगे.

अब उन दोनों का एक-एक हाथ मेरी चूत पर आ गया था.
मैं सिसकारियाँ लेने लगी.

उस समय मैं सातवें आसमान पर थी, मुझे बेहद मजा आ रहा था.

चेतन ने मेरे मम्मों को चूसना शुरू कर दिया था.
एक बार मॉन्टी चूसता और एक बार चेतन.

मॉन्टी तो निप्पलों के पीछे पड़ गया था, वो मेरे निप्पल को काटने लगा था.

मैंने मॉन्टी के बाल पकड़कर उसे रोक दिया और कहा, “क्या अब जान ही ले लोगे? छोड़ दो मॉन्टी, काटने से खून निकल आएगा. मत करो यार!”
वो प्यार से दूध चूसने लगा.

इधर चेतन भी मेरे दूसरे थन पर बच्चे की तरह चूसने में लगा था.

कुछ देर बाद उसने मुझे घुटनों के बल बिठा दिया और मेरे मुँह में लंड घुसा दिया.

तभी चेतन बोला, “एक बार मेरा लंड भी चूस दे.”
वो दोनों अपना-अपना लंड मेरे मुँह के सामने हिलाने लगे.

मैं बारी-बारी से दोनों का लंड चूसने लगी.

कुछ मिनट तक मैं दोनों के लंड चूसती रही.
मेरे मुँह से लंड चूसने की वजह से लार बह रही थी जिसके कारण मेरे बूब्स पूरे गीले हो गए.

मेरे नाक से भी लंड का रस बहने लगा था.

चेतन ने मॉन्टी को अलग किया और वो मेरे पेट पर दोनों तरफ टाँगें डालकर बैठ गया.
इधर मेरी चूत गीली हो चुकी थी.

चेतन ने मेरे मम्मों के बीच में अपने फौलादी लंड को रखा और हाथों से मम्मे दबाकर मेरी बूब-फकिंग करने लगा.
उसका लंड मेरे मुँह तक आ रहा था तो मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल रखी थी.

चेतन का लंड मेरी जीभ की नोक से टच होता और मैं उसी पल जल्दी से अपनी जीभ लंड के टोपे पर फिराकर चेतन को मजा दे देती.
ऊपर मेरे चूचों के साथ चेतन लगा था और नीचे मेरी चूत पर मॉन्टी आ गया था.
वो मेरी चूत पर जीभ फिराने लगा.

अब मुझे कुलबुली-सी होने लगी.

थोड़ी देर बाद चेतन बोला, “मॉन्टी, तू अंकिता का मुँह चोद, मैं इसकी चूत मारता हूँ.”

मॉन्टी ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरा सर पकड़कर आगे से लंड डालकर मेरा मुँह चोदने लगा.

दूसरी ओर चेतन ने मेरी चूत पर लंड लगाया और एक ही धक्के में पूरा लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया.

करीब दस मिनट तक मॉन्टी का लंड चूसने के बाद उसने खड़े होकर अपना पानी मेरे चेहरे पर और बूब्स पर निकाल दिया.

चेतन ने मुझे तौलिया दिया और बाथरूम में जाकर नहाकर आने को कहा.
मैंने मना कर दिया.

चेतन ने मुझे उठा लिया और अंदर बने बाथरूम में आया.

उसने मॉन्टी को आवाज लगाकर कहा, “मैं इसको नहलाकर लाता हूँ.”

चेतन ने शावर ऑन किया और मुझे बाथरूम की दीवार से झुकाकर टिका दिया.
मैं दीवार पकड़कर घोड़ी बनी थी.

उसने देर न करते हुए लंड चूत के अंदर पेल दिया.
थोड़ी देर इसी पोजीशन में चोदा और फिर मुझे कहा, “अंकिता, नीचे तू फर्श पर लेट जा.”
मैं लेट गई.

उसने मेरा एक पैर ऊपर किया और लंड चूत पर रखकर मुझे किस किया.
हमारे ऊपर पानी गिर रहा था क्योंकि शावर चालू था.
मैं जन्नत का मजा ले रही थी.

मैं उसे चूम-चूमकर मजा देने लगी.
अब वो मेरे दूध को मसलते हुए मुझे चोद रहा था.

कोई दस मिनट तक ऐसे ही चुदाई करके हम दोनों ही झड़ गए.

फिर उसने मुझे नहलाया.
चूत में साबुन लगाकर मुझे साफ किया.

थोड़ी देर मैं लेटी रही और मॉन्टी मुझे चोदने के लिए बेताब हो रहा था.

मॉन्टी मेरे ऊपर आकर जबरदस्त किस करने लगा और एक हाथ से मेरी चूत में उंगली और दूसरे हाथ से मेरे बूब्स को मसल रहा था.

फिर वो मेरी चूत को चाटने लगा.
मेरी चूत को ऐसे चाट रहा था जैसे कभी नहीं मिलेगी उसे.

उसने मेरी योनि पर अपने होंठ रख दिए और अपनी गर्म हवा मेरी योनि पर छोड़ने लगा.
मुझे ऐसा आनंद पहले कभी नहीं आया था.

वो बार-बार साँस भरता और मेरी योनि पर रखे उसके होंठ वो गर्म हवा मेरी योनि की फाँकों पर छोड़ देता.

मेरी आँखें बंद होने लगीं.
मेरी चुदी हुई योनि की वो ऐसी सिकाई करेगा, मैंने ख्यालों में भी नहीं सोचा था.

वो मेरे ऊपर था और मैं नीचे पड़ी थी.
मेरी एक टाँग नीचे थी और दूसरी टाँग उठाते हुए मॉन्टी ने एक हाथ से अपना लिंग मेरी योनि के मुँह पर रखा और मेरे ऊपर लेट गया.

उसका लिंग मेरी योनि में अंदर प्रवेश करने लगा और वो मुझे बुरी तरह चूसने-काटने लगा.

मेरी हालत उससे भी बदतर थी.
मैं खुद ही उसको पकड़कर अपने अंदर समा लेना चाह रही थी.

उसने मेरी योनि में लिंग का घर्षण करना शुरू कर दिया.
मैं उससे लिपट गई.

वो मुझे चोदने लगा.
और मैं जैसे उसे खाने वाली थी आज! “आह्ह्ह … उम्म्म … ” मेरे सीत्कार के साथ मैं पूरी की पूरी हिलने लगी.

“ओह … आह्ह … ” करते हुए वो मुझे चोदता जा रहा था.

काम-क्रीड़ा का इतना सुख पहली बार भोग रही थी मैं.
मेरी योनि “पच्च … पच्च … ” की आवाज करने लगी थी.

मॉन्टी यूँ ही मेरी चूत को पेलता रहा और कुछ ही देर में हम दोनों का पानी निकल गया.

फिर मैं बाथरूम गई और अपने आप को ठीक किया, कपड़े पहने.

मैं काफ़ी थक चुकी थी.
मेरी चूत में जलन-सी हो रही थी.

मैंने उन दोनों को बताया तो उन्होंने कहा, “हम मेडिकल से दवाई दिलवा देते हैं.”
चेतन ने मुझे घर छोड़ा और वो चला गया.

फिर रात को मॉन्टी का फोन आया और उसने कहा, “अंकिता, मेरा मन नहीं भरा है. मैं और चोद सकता हूँ.”
उससे ज्यादा मैं चुदासी थी.

मैंने कहा, “हाँ, क्यों नहीं?”
तो उसने कहा, “कल कॉलेज की छुट्टी है. परसों कॉलेज जल्दी खत्म करके मेरे रूम पर ही आ जाना.”
मैंने उससे कहा, “ठीक है.”

उस दिन कॉलेज से सीधे मॉन्टी मुझे उसके रूम पर ले आया.

चेतन को मालूम था ये सब … अब कोई शर्माने या छुपाने वाली बात नहीं थी.

मेरा मन हो या उन दोनों का, जो चोदे मुझे.

उस दिन चेतन कुछ काम से जल्दी चला गया था, तो मॉन्टी ही मेरी लेने वाला था.

मैं सेक्स के लिए रेडी थी. मैं तो बहुत ही उत्तेजित थी.

मॉन्टी भी मुझे चोदने के लिए लार टपका रहा था.
उसने एक गोली खाई और मुझे खड़े-खड़े ही किस करने लगा.

वह मुझे जंगलियों की तरह किस कर रहा था, मैं भी उसका साथ दे रही थी.

मेरे होंठों को वो काट रहा था.
उसका लंड तन चुका था.

वो ऊपर से ही मुझे बिना कपड़ों को उतारे चोदने की कोशिश कर रहा था.

उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और मुझसे बोला कि मैं उसका लंड चूसूँ.

मैं उसके लंड को चूसने लगी.

कुछ देर चूसने के बाद वो मुझे बोला, “मेरी अंकिता, लेट जाओ.”

उसने मेरे हाथों को मेरे दुपट्टे से बाँध दिया और बोला, “अंकिता, आज मैं तुम्हारी चूत को फाड़ूँगा.”

मेरे हाथों को बाँधकर मेरी सलवार का नाड़ा खोला और मेरी जाँघों को चूमते हुए धीरे-धीरे मेरी पैंटी को ऊपर से ही चूमते हुए मेरे मम्मों को दबाने लगा.

मैं मजा ले रही थी.

मेरी कमीज़ को उसने ऊपर किया, फिर मेरी कमीज़ को पूरा नहीं उतारा बल्कि मेरा मुँह उसी से ढक दिया.
मेरी ब्रा को खोलकर मेरे निप्पल को काटने लगा, जोर-जोर से दबाने लगा.

वो तेज-तेज मेरे दूध को पी रहा था.
लगता था कि आज मेरा पूरा रस ही पी जाएगा.

मॉन्टी ने एक चूची को चूस लिया, फिर दूसरी को मुँह में भरकर चूसने लगा.

बीच-बीच में वो मेरे निप्पलों को जोर-जोर से पिंच करता और मेरे गले के इर्द-गिर्द दाँतों से काटता.

मेरी चूत के दाने को उसने मुँह में भर लिया, अपने होंठों में चूत के दाने को दबाकर खींचने लगा और काटने लगा.

मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरे बदन में आग लगती जा रही थी.

तभी मैं एकदम से अकड़ गई और चिल्ला दी, “आह आह … उफ् फक मी आह!”

उसने मुझे लिटा दिया और मेरी बुर पर अपने औजार को घिसने लगा.
तब उसने अपने लंड को मेरी चूत के मुँह पे सटा दिया और एक झटके के साथ उसे अंदर डाल दिया.

फिर धीरे से अपना लंड मेरी चूत से निकाला और फिर झटके से डाल दिया.

भूखे शेर की तरह मेरी चूत के अंदर-बाहर अपना लंड पेल रहा था जिससे मेरी चूत होठ की तरह बार-बार खुल और बंद हो रही थी.

मेरे मुख से निकल रहा था, “और तेज-तेज से, “उउ उऊ ऊऊ … ऊँ अह ह्ह्ह सीस सी.. हाह हा.. ओ हो हो … उंह उंहूँ.. हूँ.. हमम्म अह ह्हह.. अई … अई … अई.. आऊ … आ ऊह ममम अहह ह … सी सी सी.. हा हा … अई … अई … इस्स्स स्स्स् … उहह्ह … ओह्ह्ह!”

वह मेरी चिकनी चूचियों को मुसम्मी की तरह मसल रहा था.
मैं कराह रही थी.

अजीब-सा नशा मुझे चढ़ रहा था.

इसी बीच मैं झड़ गई लेकिन मॉन्टी रुकने का नाम नहीं ले रहा था.

फिर डॉगी स्टाइल में मुझे चोदा 10 मिनट!
और फिर गोदी में बैठाकर मुझे 5-7 मिनट तक जबरदस्त चोदा.

मेरी चूचियाँ उसकी छाती से रगड़ खा रही थीं और कुछ देर में मैं लंड पर बैठी हुई अपनी कमर हिलाने लगी.

वो मेरे हिलते कबूतर पकड़कर दबाने लगा तो मैं एकदम बेकाबू-सी होने लगी.

उस पर गोली का असर था.
पर मैं दूसरी बार झड़ने वाली थी.
मैं अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर मैं अपनी चुदाई करवा रही थी.

करीब 15 मिनट के बाद मैंने मॉन्टी को जोर से अपनी बाहों में पकड़कर कस लिया और वो तुरंत समझ गया कि मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया है.
लेकिन वो अभी भी धक्के लगा रहा था और उसका लंड हर एक धक्के से मेरी चूत के पूरे अंदर तक जा रहा था.

उसने मेरी टाँगें अपने कंधों पर फँसाईं और दनादन चुदाई करे जा रहा था.

मेरा बदन दोहरा हो गया और मैं कराहने लगी, “आहह आऊ … धीरे-धीरे दर्द हो रहा है … आहह मर गई आइइइ आहह!”

कोई 15 मिनट चोदने के बाद उसने लंड बाहर खींचा और मेरे मम्मों के बीच में फँसाकर घिसने लगा.
थोड़ी देर बाद मैंने मुँह खोल दिया और उन्होंने लंड मेरे मुँह में पेल दिया.

इसी तरह हर पोजीशन में वो लगातार मुझे 5 मिनट तक चोदने के बाद उसने अपना पानी मेरे बूब्स पर निकाल दिया.

हम दोनों हाँफ रहे थे.
मुझे चुदाई का एक अलग ही मजा मिला.

और फिर करीब एक घंटे बाद फिर मॉन्टी ने मेरी अच्छी तरह से चूत ली.

दोस्तो, इसी तरह से मैं सेक्स एडिक्ट बन गयी और चेतन और मॉन्टी से चुदाई करवाती रही.
कॉलेज खत्म होने को था.

फिर बाकी अगली कहानी में बताऊँगी.

दोस्तो, आपको ये सेक्स एडिक्ट कहानी कैसी लगी, मुझे बताएँ.
[email protected]

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