लेडी डॉक्टर ने मेरे लंड की खुजली का इलाज किया- 5
(Patient Dr Porn Kahani)
पेशेंट डॉ पोर्न कहानी अपने पति से सेक्स में नाखुश एक लेडी डॉक्टर की है. मेरे इलाज के दौरान उसने मेरा लंड देख लिया, वो तो मेरे लंड की प्यासी हो गयी.
मित्रो, मैं हर्षद आपको डॉक्टर रेखा के साथ इस गरम सेक्स कहानी का मजा लिख रहा था.
पेशेंट डॉ पोर्न कहानी के पिछले भाग
गर्म चूत वाली ने मेरा लंड चूस कर चुदाई कराई
में अब तक आपने पढ़ा था कि डॉक्टर रेखा मेरे साथ चुद कर झड़ चुकी थी और मैंने भी अपने लंड का जल उसकी चूत में छोड़ दिया था.
अब आगे पेशेंट डॉ पोर्न कहानी:
रस पीने के बाद रेखा ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपने दोनों हाथों से कस लिया.
उसने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर पर डालकर मुझे जकड़ लिया, अपने पैरों से मेरी गांड पर दबाव देने लगी ताकि मेरा लंड चूत की गहराई में फँसा रहे.
मैं अपना सर उसके कंधे पर रखकर लेट गया.
रेखा भी अपनी आंखें बंद करके लेटी थी.
मेरे लंड से अभी भी वीर्य निकल रहा था.
रेखा मेरे लंड से निकलने वाले वीर्य की एक एक बूंद अपनी चूत से निचोड़ रही थी.
हम दोनों थककर ऐसे ही पड़े रहे थे.
अब रेखा ने अपने टांगें की पकड़ ढीली कर दी थी और अपने पैर फैला दिए थे.
मैंने भी अपने पैर फैलाकर उसके पैरों पर रख दिए थे.
दो जिस्म एक जान होकर हम एक दूसरे की बांहों में निढाल होकर पड़े थे.
हमें इस वक्त ना किसी की परवाह थी, ना कोई देखने वाला था. हम अपनी दुनिया में खो से गए थे.
ऐसे ही दस मिनट तक एक दूसरे की बांहों में पड़े रहे.
फिर रेखा ने अपनी बांहों से मुझे आजाद कर दिया. वो मेरी पीठ सहलाकर बोली- उठो हर्षद, मुझे बहुत प्यास लगी है.
मैं उसके ऊपर से उठा तो मेरा लंड उसकी चूत से निकल आया. जैसे ही लंड बाहर आया तो चूत से रेखा का चूतरस और मेरा लंडरस दोनों एक दूसरे में मिश्रित होकर बाहर बहने लगा था.
दोनों एक दूसरे में मिलकर रेखा की चूत से निकलकर गांड के छेद से तकिया को भिगोता हुआ बेडशीट पर बहने लगा था.
रेखा उठकर बैठी तो और ढेर सारा रस बाहर बहने लगा था.
वह तो देखते ही रह गयी- उफ्फ ऊई मां … देखो ना इधर इतना सारा कामरस हर्षद!
मैं उठकर उसके पास गया और देखकर बोला- रेखा तुम तीसरी बार झड़ी हो, तब भी कितना सारा चूतरस निकला है. तुम्हारी बरसों से प्यासी चूत आज तृप्त हो गयी है.
तो रेखा बोली- हां हर्षद, मैं आज पहली बार ये सब अनुभव कर रही हूँ … और ये देखो ना तुम्हारा वीर्य, कितना गाढ़ा है. रमेश का भी इतना गाढ़ा रस नहीं है. सच में यार तुम्हारे इस मोटे लंड से कितना सारा वीर्य निकला है. फिर भी मेरी चूतरस में घुलकर बह रहा है.
मैंने कहा- हां रेखा, मेरा लंड भी बहुत महीनों से प्यासा था इसलिए इतना सारा निकला है.
रेखा बोली- सही है हर्षद.
उसने एक सफेद कपड़ा लेकर अपनी चूत को साफ किया, तकिया और बेडशीट पर फैला हुआ सब कामरस साफ़ कर दिया.
फिर मेरे मुरझाये हुए लंड की तरफ देखकर रेखा बोली- हर्षद मुझे तुम्हारे लंड के अमृत का स्वाद लेना है.
मैं उसके सामने खड़ा हो गया.
रेखा अपने घुटने के बल बैठकर मेरे सुपारे पर लगे वीर्य के धब्बे अपनी जीभ से चाटने लगी.
उसने पूरा सुपारा चाटकर चिकना बना दिया.
वो बोली- वाह तुम्हारे लंड का अमृत क्या खुशबूदार और टेस्टी है हर्षद!
इतना कहकर उसने मेरा पूरा लंड चाटकर साफ कर दिया.
उसके चाटने से मेरे लंड में फिर से गुदगुदी होने लगी थी.
रेखा अपने दोनों हाथों में मेरा लंड पकड़कर खड़ी हो गयी. वो बोली- हर्षद आज पहली बार मैंने वीर्य पी लिया है. बहुत सुकून मिला है मुझे.
अब वो फ्रिज के पास गयी और पानी की बोतल लेकर पीने लगी.
उसने पानी पीकर बोतल मेरे पास कर दी और बोली- लो हर्षद, तुम भी पानी पी लो.
मैंने पानी पीते हुए घड़ी देखी तो चार बजे थे.
मैं रेखा से बोला- चार बजे हैं रेखा … समय कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला.
रेखा बोली- हां यार हर्षद. बहुत ही मजा आया, लेकिन मेरी जांघों में और चूत में दर्द भी बहुत हो रहा है. मुझे चलने में भी दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- वो तो होगा ही रेखा … पहली बार इतना बड़ा लंड चूत में लिया है. सच पूछो तो मेरे लंड में भी दर्द हो रहा है.
रेखा बोली- मेरे पास गोलियां हैं, हम दोनों ले लेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.
रेखा बोली- तुम आराम करो … मैं चाय बनाकर लाती हूँ.
वो लंगड़ाती हुई जाने लगी.
रेखा अपनी टांगें फैलाकर जा रही थी; उसके कूल्हे ऊपर नीचे हो रहे थे.
मैं बेड पर लेट गया और रेखा के बारे में सोचने लगा.
क्या मस्त मखमल जैसी मुलायम चूत और कसी हुई. उसे चोदना और उसका चिल्लाना. ये सब सोचकर ही मेरा लंड गर्म होने लगा.
मैंने उठकर ए सी बंद किया और सीधा किचन में आ गया.
रेखा अपनी टांगें फैलाकर नीचे ड्रावर से कुछ निकाल रही थी.
उसकी गांड का फूला हुआ छेद और फूली हुई लाल चूत देखकर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा.
मैंने उसके पीछे खड़े होते हुए अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पर रखा.
रेखा एकदम से सिहर उठी और खड़ी हो गयी.
वो अपनी कमर हिलाते हुए बोली- अभी तक दिल नहीं भरा क्या हर्षद?
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके स्तन सहलाते हुए कहा- अभी कहां दिल भरा है … अभी तो शुरुआत है मेरी जान. मुझे तुम्हें ढेर सारी खुशियां देनी हैं रानी.
रेखा झूठा गुस्सा दिखाती हुई अपनी गांड मेरे लंड पर रगड़ती हुई बोली- हटो ना हर्षद … मुझे चाय बनाने दो. अभी हो जाएगी. तब तक सोफे पर बैठो, मैं आती हूँ. बहुत बदमाशी करते हो.
यह कहते हुए उसने अपनी गांड से मेरे लंड पर जोरदार धक्का देकर मुझे दूर कर दिया.
मैं जाकर सोफे पर बैठ गया.
पांच मिनट में ही रेखा ट्रे में से दो कप चाय और खाने के लिए बिस्कुट ले आयी और मेरे सामने ही तिपाई पर रख दिया.
फिर वो अलमारी से दो गोलियां भी लेकर आयी और मेरे पास ही चिपककर बैठ गयी.
हम दोनों बिस्कुट खाने लगे.
बिस्कुट खत्म होने के बाद रेखा ने मुझे एक गोली दी और खुद ने भी एक ले ली.
वो हमने पानी के साथ ले ली और बाद में चाय पीने लगे. हम दोनों साथ में बातें भी करते रहे.
मैंने चाय पीते पीते अपने एक हाथ से रेखा की जांघें अलग करके उसकी चूत देखी तो वो सूज गयी थी और लाल होकर फूल गयी थी.
हब मैंने रेखा को बताया तो उसने मेरे लंड पर हाथ रखकर कहा- सब इसकी करतूत है. ये तो होना ही था हर्षद. बहुत प्यासी थी ना मैं!
मैं उसकी चूत सहला रहा था और रेखा मेरा लंड सहला रही थी.
साथ में हम दोनों चाय भी पी रहे थे.
रेखा बोली- मैं आज का ये सुनहरा दिन जिंदगी भर नहीं भूल सकती. बहुत ही ज्यादा खुशियां दीं तुमने, मैं ये सब पहली बार अनुभव कर रही थी. तुम एक शादीशुदा मर्द जैसे और एक अनुभवी खिलाड़ी जैसे मुझे कितनी देर तक चोदते रहे थे. मुझे यकीन नहीं हो रहा था हर्षद.
मैंने उसकी चूत सहलाते हुए कहा- रेखा, और भी खुशियां देनी हैं तुम्हें … मैं हमेशा तुम्हारे चेहरे पर खुशियां देखना चाहता हूँ.
हमारी चाय खत्म हो गयी थी तो हमने कप तिपाई पर रख दिए.
मेरा लंड तनाव में आ गया था और रेखा अपने हाथों से उसे मसल रही थी.
मैं उठकर खड़ा हो गया तो रेखा भी उठकर खड़ी हो गयी. मेरा लंड उसके हाथ में ही था.
उधर एक बिना हाथ वाली कुर्सी थी. मैं उस पर बैठ गया और रेखा को अपनी जांघों पर बिठा लिया.
रेखा ने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे पर रख दिए.
मेरा लंड का सुपारा रेखा की नाभि को चूम रहा था.
रेखा को गुदगुदी होने लगी तो वो आगे झुककर मेरे होंठों को चूमने लगी.
मैं अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को सहलाने लगा और उसकी गांड के छेद पर उंगलियां फेरने लगा.
इससे रेखा सिहर उठी.
मैंने अपने एक हाथ से लंड पकड़कर उसकी चूत के मुँह पर सुपारा रख दिया और दूसरे हाथ से उसे मेरी ओर खींच लिया.
इससे मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत में घुस गया.
रेखा सीत्कारने लगी- आह स्स स्स हुं हुं हाय हर्षद आहिस्ता करो ना!
मैं रुककर उसके स्तन बारी बारी से चूसने लगा.
रेखा अपने दोनों हाथों से मेरा सर सहलाने लगी और मेरा सर अपने स्तनों पर दबाने लगी.
दूध चूसते चूसते मैं उसके निपल्स को अपनी दांतों से कुरेदने लगा और हल्का हल्का सा काट भी देता तो रेखा सिहर उठती थी.
मैं उसके पूरे स्तन पर हर जगह काट रहा था तो रेखा कामुक होने लगी थी.
अपने दोनों हाथों से मैं उसकी गांड को सहला रहा था और साथ में उसकी गांड के छेद पर अपनी उंगली गोल घुमाकर छेद को रगड़ रहा था.
जैसे ही उसकी गांड में उंगली लगती तो रेखा चिहुंक उठती और अपनी गांड आगे पीछे हिलाने लगती.
वो मेरा लंड अपनी चूत में ले रही थी.
हम दोनों को बहुत ही मजा आ रहा था.
रेखा मदहोश होकर अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी.
उसने मेरा आधा लंड अपनी चूत में लिया था.
रेखा बोली- हर्षद बहुत मजा आ रहा है.
मैंने कहा- अभी और मजा आएगा रानी.
अब मैं भी उसकी गांड को सहलाकर गांड की छेद पर उंगली दबाने लगा तो रेखा और तेज गति से अपनी गांड हिलाकर लंड लेने लगी.
उसने मेरा दो इंच लंड चूत में ले लिया था.
रेखा कसमसाकर बोली- हर्षद अब बेडरूम में चलो, मुझसे और सहा नहीं जा सकता.
मैंने कहा- ठीक है. तुम मुझे कसके पकड़कर रखना … हम ऐसे ही बेडरूम में जाएंगे.
रेखा बोली- ऐसे कैसे जा सकते हैं? क्या तुम मुझे ऐसी हालत में ले जाओगे?
मैंने कहा- हां रेखा. मैं लंड तुम्हारी चूत में पेलकर ही ले जाऊंगा.
रेखा ने मेरे होंठों को चूसते हुए कहा- ठीक है … मुझे भी बहुत मजा आएगा हर्षद!
मैंने अपने दोनों हाथ जांघों से नीचे डालकर उसकी गांड को कसके पकड़ा और रेखा को लेकर खड़ा हो गया.
रेखा ने मुझे कसकर पकड़ लिया था. उसके स्तन मेरे सीने पर रगड़ने लगे थे. रेखा ने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया था.
मैंने रेखा की मांसल गांड को कसके पकड़ा था, जिससे उसकी दोनों के बीच की दरार बढ़ गयी थी. मेरी उंगलियां उसकी गांड के छेद को टटोल रही थीं.
इससे रेखा सिहरने लगी थी. उसे अजीब सा अनुभव मिल रहा था.
मैं उसे लेकर बेडरूम की तरफ चलने लगा.
रेखा के शरीर का पूरा दबाव मेरे हाथों पर और लंड पर था. इसी वजह से चलते समय रेखा का शरीर ऊपर नीचे हो रहा था.
मेरा पूरा लंड उसकी चूत में आ जा रहा था. लंड चूत की गहराई में जाकर रेखा के गर्भाशय को दस्तक दे रहा था.
रेखा मदहोश हो रही थी. वो मेरी गर्दन को चूमकर अपने दांतों से काटने लगी थी.
मैं भी चलते समय रेखा को अपने हाथों से ऊपर नीचे झुला रहा था.
रेखा के मुँह से गर्म सिसकारियां निकल रही थीं. उसकी गर्म सांसें मेरी गर्दन और गाल पर मुझे महसूस हो रही थीं.
अब रेखा खुद अपनी गांड हिलाने लगी थी. उसकी चूत बहुत गर्म हो चुकी थी.
बेडरूम में जाते ही रेखा जोर जोर से चिल्लाकर अपनी गांड जोर से ऊपर नीचे करने लगी, मेरी पीठ पर अपनी उंगलियां गड़ाने लगी. उसके नाखून मेरे पीठ को नौच रहे थे.
मैंने उसकी गांड के छेद में अपनी उंगली डाल दी तो रेखा सह ना सकी और झड़ने लगी थी.
मैं वैसे ही उन्हें पकड़ कर बेड के पास खड़ा रहा. उसका चूतरस बाहर आने लगा था.
मैंने ऐसे ही नीचे झुककर रेखा को बेड पर लिटाया और अपने दोनों हाथों से उसके स्तन सहलाने लगा.
फिर उसके ऊपर झुककर उसके होंठों को चूमने लगा.
रेखा ने मेरी कमर पर कसी अपनी टांगों की पकड़ ढीली कर दी थी. इससे मुझे सुगमता हुई और मैं अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा.
मेरा पूरा लंड चूतरस से लबालब हुआ था.
दस मिनट तक मैं आहिस्ता आहिस्ता रेखा की चूत चोदता रहा.
बाद में मैंने अपनी गति बढ़ाकर पूरी ताकत से धक्के देना चालू कर दिए.
इसी के साथ उसके मम्मों को मैं जोर जोर से मसलने लगा.
रेखा मादक आवाजें निकालकर सीत्कारने लगी- ऊंई मां उफ्फ ऊं ऊं हुं हुं हाय हा हां इस्स स्स मर गई … कितना अन्दर पेल रहे हो हर्षद … आंह.
मैं भी उसकी इन मादक आवाजों से जोश में आ गया और जोर जोर से रेखा की चूत का भोसड़ा बनाने लगा.
पूरा बेड हिल रहा था और पूरे बेडरूम में मादक आवाजें गूंजने लगी थीं.
बहुत ही कामवासना से भरा माहौल बन गया था.
ऐसे ही बीस मिनट की धुंआधार चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.
दोस्तो, डॉक्टर रेखा की चूत की फिर से चुदाई हो गई थी.
अब आगे इस पेशेंट डॉ पोर्न कहानी के अंतिम भाग में आपको एक विशेष मजा मिलेगा.
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पेशेंट डॉ पोर्न कहानी का अगला भाग: लेडी डॉक्टर ने मेरे लंड की खुजली का इलाज किया- 6
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