शादी से पहले पति के सामने चुत चुदाई-4
(Shadi Se Pahle Pati Ke Samne Chut Chudai- Part 4)
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इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा कि मैं अपने होने वाले पति के साथ सेक्स का खेल खेल रही थी कि मेरा पुराना आशिक और चोदू आ गया.
अब आगे:
आशीष बोला- अरे वन्द्या से क्या पूछना है। बालू भाई, तुम यहीं रहोगे इसी रूम में जब मैं वन्द्या को चोदूंगा अभी तब या थोड़ी देर को बाहर जाओगे?
बालू बोला- यहीं रहूंगा।
तब मैं बोली- आप को अच्छा नहीं लगेगा… आप बाहर चले जाते?
पर बालू बोला- नहीं, मैं यहीं रहूंगा!तो आशीष बोला- रहने दो!
उस समय मैंने एक टावेल लपेटा हुआ था तो आशीष ने सीधे मेरे टावेल को पकड़ कर फेंक दिया और मेरे होठों को चूमने चाटने लगा, मुझसे लिपट गया और मेरे ऊपर चढ़ गया, मुझे लिटा दिया.
वो पूरा नंगा था, उसका सीना मेरे सीने से चिपक गया और उसका लन्ड मेरी चूत में रगड़ खा रहा था, मेरे मुंह को खोल कर मेरी जीभ को अपने होठों से चूमते हुए चाटने लगा, उसने मेरी कामवासना को बहुत जगा दिया तीन चार मिनट के अंदर और अब वो उल्टा हो गया जिसको ओरल सेक्स में 69 पोजीशन कहते हैं, उसका लन्ड मेरे मुंह के पास था और आशीष मेरी चूत को फैला कर सीधे चाटने लगा, मुझे बोला- रंडी साली कुतिया, मेरा लन्ड चूस!
तब बालू बोला- जो करना है कर… पर ये रंडी वंडी मत बोल!
तब आशीष बोला- बालू भाई, बीस मिनट तक तो ये अब रंडी ही है, ये जो कर रही है ये छिनाल का काम होता है, इसलिए बुरा लगे तो दूसरे कमरे चले जाओ, मैं अभी गाली भी दूंगा.
तब बालू फिर बोला- मैं यही हूं, करो जो मन पड़े!
इतना सुनते ही आशीष बोला- अब देख वन्द्या, तेरी चूत कैसे साफ करता हूं, तू खुद मेरा लन्ड मुंह में भर लेगी।
और वो पूरी जीभ अपनी मेरे चूत में घुसा कर इतना जोर जोर से चूसने लगा और चाटने लगा कि मैं पागल हो गई और सच में उसके लन्ड को पकड़ लिया और जोर जोर से रगड़ने लगी.
तभी उसने दो उंगलियां जोर से चूत में मेरे घुसा दी, मेरे मुंह से ‘हूं उम्म्ह… अहह… हय… याह… हह’ निकल गया और मैंने आशीष के लन्ड को मुंह में भर लिया क्योंकि मुझसे रहा ही नहीं गया, और वो चूत में जितना उंगली चलाये, उतना मैं आशीष का लन्ड जोर-जोर से चूसूं!
करीब दस मिनट बाद मैंने लन्ड मुंह से निकाला और बोली- आशीष, मर जाऊंगी मैं… मुझसे अब सहन नहीं हो रहा है, नहीं बर्दाश्त हो रहा, जल्दी अपना लन्ड डालो, जमकर चोदो… जो करना है करो, पर मुझे शांत करो।
तब आशीष मेरी चूत को छोड़ कर मेरे बूब्स पर टूट पड़ा और मेरे दोनों बूब्स को एक एक हाथ से पकड़ कर इतनी ताकत से दबाने लगा कि बहुत दर्द हुआ. मेरे बूब्स अभी छोटे साइज के हैं, इसलिए एक हाथ में आ गए. वह बूब्स को जोर-जोर से खींच कर जम के मसलने लगा और बोला- मादरचोदी, बहुत टाइट और जबरदस्त दूध हैं रे वन्द्या तेरे!
इधर आशीष का लन्ड मेरे मुंह में घुसा था जिसे मैं चूस रही थी.
अब आशीष मेरे बूब्स को एक एक करके दोनों को चूसने लगा इतनी गन्दी गन्दी बातें और गालियां मुझे दे रहा था कि मैंने जो कभी सुनी भी नहीं थी, पर मुझे भी वो बहुत अच्छी लग रही थी और एक भी बुरी नहीं लगी।
उसकी गालियां और गंदी बातें मेरे जोश को और बढ़ा रही थी.
यह सब मेरे होने वाले पति बालू सब देख और सुन रहे थे, उनके सामने उनकी होने वाली बीवी के पूरे जिस्म को कोई दूसरा मर्द मसल रहा था और गंदी से गंदी गालियां दे रहा है, और वो सब होने दे रहे थे.
मैं तो सच में चुदासी थी, मुझे कुछ होश नहीं था, आज एक बार फिर मेरे जिस्म को मेरे होने वाले पति बालू ने मसला और मेरे जिस्म के प्यास को इतना जगाया कि अब उसका पूरा फायदा दूसरे मर्द आशीष ने उठा लिया.
आशीष मेरे बूब्स को इतना जोर से चूसने लगा कि मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं अपने होने वाले पति बालू को देख नहीं पा रही थी क्योंकि मेरे मुंह में आशीष का लन्ड था.
तभी आशीष बोला- क्या बालू भाई? अपने लंड को हाथ से मत रगड़ो, आ जाओ… ये सच में साली छिनाल है। बहुत मस्त माल है वन्द्या! देखो इसे इस हालत में देख कर तुम्हारा लंड एक बार झड़ने के बाद बीस मिनट के अंदर खड़ा हो गया है.
आशीष बोला- आओ बालू, मैं इसके मुंह से अपना लन्ड तुम्हारे लिए निकाल ले रहा हूं, बालू भाई तुम डालो अपना लन्ड और जबरदस्त चुसवाओ वन्द्या से! अपन दोनों दोस्त हैं या भाई समझो, ये वन्द्या आज नहीं तो कल… ये रंडी बनेगी ही! लिख लो मेरी बात! ये वन्द्या जितनी गर्म है, जितनी सेक्सी है, इसकी प्यास कभी एक या दो मर्द नहीं बुझा पायेंगे, ना ये संतुष्ट हो पायेगी। इसलिए झिझक छोड़ो और अपन दोनों मिल कर इसकी आज की प्यास बुझाते हैं।
यह कह कर आशीष ने अपना लन्ड मेरे मुंह से निकाल कर उठ कर मेरे पैरों तरफ बैठ गया.
अब बालू मुझे दिखा, वो अपना लन्ड हाथ में लिये हिला रहा था, बालू बोला- सच बोल रहा है आशीष तू! क्या मस्त माल है ये वन्द्या… तेरा लौड़ा कैसे मस्त चूस रही थी, मैं देख कर ही पागल हो रहा था, पहले थोड़ा बुरा लगा जब तूने इसको पहले चोरी से चोद दिया और फिर जब अभी दोबारा इसकी चूत चाटना शुरू किया.
पर जब मैंने वन्द्या को देखा कि ये कैसे मस्त सेक्सी सेक्सी चेहरे के इम्परेशन दे रही थी और जबरदस्त चूत तुमसे चटवा रही थी, इसे मस्त चुदासी देख कर मेरा लौड़ा भी सख्त हो गया। और ये कुतोया एकदम से मुंह में भर कर तेरा लन्ड पागलों की तरह चाटने लगी… सच बोलूं आशीष, मुझे उतना मजा तब भी नहीं आया मुझे जब अभी थोड़ी देर पहले इस वन्द्या की चूत मैंने चाटी और इसने मेरा लन्ड चूस कर लंड रस पिया था।
मुझे जितना मज़ा तुम दोनों का ओरल सेक्स, यानि चूत चटाई और लंड चुसाई देख कर आया, पहले कभी नहीं आया. और जब वन्द्या तेरा लौड़ा मुंह में लेकर चूसने लगी, चाटने लगी और तू आशीष इसकी चूत चाटने लगा, और फिर इसके बूब्स दबाकर चूसना शुरू किया… ये सब देखकर मैं पागल हो गया था और बहुत एक्साइटेड हुआ, वन्द्या को करने से ज्यादा देखने में मजा आया.
मैं भी बालू की बात सुनकर खुश हुई कि मस्त मर्द है ओपेन माइंड का, ऐसा ही पति होना चाहिए।
बालू आशीष को बोला- यार आशीष, अब देर मत कर भाई, जमकर चोदो तुम, मुझे भी वन्द्या को चुदते मस्त देखना है!
तब बालू और आशीष ने हाथ मिलाया और आशीष ने बालू को थैंक्स बोला, फिर कहा- तू मस्त है भाई! अब देख कैसे तेरी होने वाली बीवी को आज चोदता हूं।
तभी बालू बोले- यार आशीष, तेरा लन्ड मेरे लन्ड से तीन गुना बड़ा है. कैसे किया इतना बड़ा अपना लन्ड? कुछ दवाएं लेता है क्या?
आशीष बोला- नहीं, कोई दवाई नहीं लेता, बस जैतून के तेल से मालिश करता हूं लन्ड की हर रोज!
बालू बोला- कल से मैं भी करूंगा।
यह बात बिल्कुल सच है कि मेरे होने वाले पति से दो गुना, तीन गुना ज्यादा बड़ा है आशीष का लन्ड!
अब आशीष मेरे ऊपर तरफ आने लगा और बालू मेरे सामने खड़ा हो गया, आशीष ने मेरी दोनों टांगों को पकड़ लिया और बोला- क्या सेक्सी गीली रसीली चूत है तेरी वन्द्या! चल फैला टांगें अपनी! मैंने अपनी जांघें खोल कर फैला ली और कमर से ऊपर उठा दिए अपने पैर, तो आशीष ने पहली बार मेरी गान्ड के छेद पर अपना मुंह रख दिया और मेरे गांड में अपनी जीभ डाल दी.
आशीष बोला- यार अभी तक ध्यान ही नहीं दिया कि इसकी गांड कितनी मस्त है। वन्द्या बोल तेरी गांड में डालूं अपना लन्ड?
फिर बोला- कुतिया तू ऐसा कर कि अपने होने वाले पति बालू से गांड की सील तुड़वा ले!
मुझे बात बिल्कुल सही लगी कि कुछ तो होने वाले पति से अब करवा लूं। नहीं तो पता चला कि उसमें भी पहली बार आशीष ने अपना लन्ड डाल दिया.
तो मैं तुरंत बोली- ठीक है!
और बालू को बोली- आप आ जाओ!
बालू बोला- बहुत चुदक्कड़ हो!
मैं बोली- आज जवाब दे ही दूं आपकी बात का!
मैं बोली- तुम आज मेरा पति नहीं हो, होने वाले हो…
सच बताऊं कि सब मर्दों की नजर ने मिल कर बिगाड़ दिया मुझे! कैसे? जानते हो… घर में करीब से करीब रिश्तेदार, घर के बगल से पड़ोसी, स्कूल, टयूशन टीचर, भाई के दोस्त, पापा के दोस्त सब को बस एक ही चीज चाहिए कि कैसे भी वन्द्या के साथ सो जाऊं और उन्हें मैं अपनी चूत चोदने को दे दूं! बहुत लोग तो यही चाहते हैं कि थोड़ा ही सही बूब्स दबाने और चूसने को दे दूं, कुछ नहीं तो उनका लन्ड चूस लूं और वो भी नहीं तो अपनी गांड ही में उनका लन्ड डलवा लूं।
आज कल तो कोई ना रिश्ता मानते… ना उम्र की कोई लिहाज करते!
मम्मी कसम सच बोल रही हूं… साठ पैंसठ साल के बुड्ढे भी, मेरे सगे रिश्तेदार भी दूसरों की तो बात ही क्या करना… सब मेरे साथ सोना और सेक्स करना चाहतें हैं!
ऐसे में कैसे बचाऊं खुद को बताओ बालू?
जब मैं समझदार हुई, मेरे घर में मेरी मम्मी के कारण घर में यही सब चलते देखा, मम्मी के कई लोगों से शारीरिक संबंध थे जो मम्मी के लिए आते थे. जब मैं जवान होने लगी थी, तभी से उनकी निगाहें मेरी तरफ गंदी हवस भरी होने लगी थी.
पापा के स्कूल टाइम के सबसे अच्छे करीबी दोस्त कमलेश अंकल ने मुझे की सेक्सी कहानियों की एक बुक दी और बोले- इसे अकेले में पढ़ना, कोई ना देखे!
और फिर गंदी गंदी सेक्स करते की फोटो वाली मैगजीन दिये. वो मेरे स्कूल में टीचर भी थे. बुक में लिखी कहानियों को मैंने पचास साठ बार पढ़ा, उसके बाद कभी मेरा पढाई में मन नहीं लगा और जब घर में कोई ना हो तो वो मैगजीन की फोटो देखती तो मुझे बहुत कुछ होने लगा था और फिर मेरा बहुत मन करता था कि कोई आके चोद दे।
जब कोई मर्द घर आता तो मम्मी मुझे कुछ खरीदने या खेलने के बहाने से बाहर भेज देती थी, अब मैं बड़ी हो गई थी तब भी बाहर भेज देती थी, पर मुझे बड़ी बेचैनी होने लगी जब से वो कहानियों की किताब पढ़ी… मुझे लगने लगा कि मैं घर पर ही रहूं और देखूँ कि मम्मी और अंकल क्या करते हैं, कैसे करते हैं.
पर मैं उनको नहीं देख पाती थी।
इसलिए जब पापा छुट्टी पर मुंबई से आते तब जब भी मम्मी पापा अंदर होते तो दरवाजे के होल से चुदाई करते देखती थी। मम्मी पापा की चुदाई देख कर मैं खुद को सम्भाल नहीं पाती थी। मैं मम्मी के कमरे में चारपाई के नीचे चुपके से घुस जाया करती थी. एक बार जब पापा के दोस्त धनंजय चाचा और दूसरे बार जब कमलेश अंकल आये थे, तब मैं चारपाई के नीचे थी इसलिए देख कुछ नहीं पायी थी पर बातें, आवाज सब सुनी. उसी समय से मेरा मन भी अपने अंदर घुसवाने करने लगा था.
मेरी चुदाई की नंगी कहानी जारी रहेगी. मेरी स्टोरी में सब कुछ सच है. मेरी नंगी चुदाई स्टोरी आपको कैसी लगी? आप मुझे मेरी मेल आईडी पर मेल करके बता सकते हैं।
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