भैया से सील भी नहीं टूटी?

रिक्की जय 2014-01-21 Comments

मैं रिक्की हूँ, मेरी मोबाइल की दुकान है। मैं पहली बार कहानी पोस्ट कर रहा हूँ। मेरी कहानी बिल्कुल सत्य है।

अजय और उनकी बीवी अंजलि मेरे घर के पास रहते हैं, उनका और हमारे परिवार में काफी आना-जाना है। उनके घर कोई काम होता तो हमें अवश्य बुलाते थे। अजय एक फैक्ट्री मैं काम करते थे और उनका ट्रांसफर हमारे शहर से 15 किलोमीटर दूर एक शहर में हो गया था।

एक दिन अंजलि भाभी का फ़ोन आया कि रिक्की को घर भेज देना।

कोई भी काम होता तो दोनों मुझ से ही कह देते थे। मैं भी खुशी से कर देता था। मेरे मन में किसी भी तरह के गलत भाव नहीं थे।

मैं जैसे ही उनके घर पहुँचा तो भाभी ने दरवाजा खोला। उन्होंने नाइटी पहनी हुई थी।

उन्होंने कहा- बैठो आपके भइया नहा रहे हैं।

भाभी- चाय चलेगी?

मैं- हाँ, चल जायेगी।

भाभी जैसे ही चाय लेकर आईं और देने के लिये मेरी ओर झुकीं, तो मेरी निगाह एकदम उनके शानदार चूचों पर पड़ी और मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मैंने सोचा काश मैं इन दुग्ध-कलशों को पी सकता। मैं सोच में डूबा हुआ था।

भाभी ने कहा- रिक्की भइया, चाय !

मैं एकदम से हड़बड़ा गया जैसे मेरी चोरी पकड़ी गई हो।

भाभी ने भी मेरी पैंट के उभार को देख लिया और मुस्कुराते हुए कहा- चाय पीजिये।

मैंने चाय ख़त्म की, तब तक अजय भैया भी आ गए- रिक्की आ गए !

मैं- जी।

अजय- यार आज बाजार से कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना है।

मैं- ठीक है।

हम वहाँ से शहर आ गए, उनकी कार से, मैं रास्ते भर यही सोचता रहा कि काश अंजलि मेरी हो जाए तो !

अंजलि के बारे मैं आपको बता दूँ- गोल चेहरा बड़ी आँखें, उरोजों का नाप 36, भरे हुए चूतड़, दिलकश मुस्कान।

हम सारा सामान खरीदने के बाद घर की ओर चल दिए। रास्ते में बहुत तेज बारिश होने लगी। हम रात को 9 बजे घर पहुँचे। हमने घर पहुँच कर घण्टी बजाई, अंजलि भाभी ने दरवाजा खोला।

मैं तो उन्हें देखता ही रह गया। उन्होंने वी-गले की स्लीव-लैस टाईट नीले रंग का कुरता और काली चूड़ीदार सलवार पहनी हुई थी। उस ड्रेस में वो बहुत ही सुन्दर लग रही थीं।

अंजलि- आ गए आप लोग।

अजय- हाँ, आ गए, हम सारा समान खरीद लाये हैं, कल ट्रांसपोर्ट से आ जाएगा, तुम खाना लगा दो। रिक्की अब तुम खाना खाकर यहीं सो जाना इतनी बारिश में घर कैसे जाओगे? मैं घर फ़ोन लगाकर बोल देता हूँ।

मैं- ठीक है।

हमने खाना खाया और ड्राइंग रूम में बैठ कर बातें करने लगे। थोड़ी देर में अंजलि भाभी भी आ गईं। हम तीनों बातें करने लगे।

अंजलि- आप लोग पहले यह बताओ कि मेरा मोबाइल कौन सा लाए?

अजय- अंजलि, तुम अपना मोबाइल रिक्की की दुकान से ले लेना। रिक्की ने कहा है कि ये होलसेल रेट में दे देगा। अंजलि, जब घर में दुकान हो तो बाहर से क्यों लेना।

अंजलि- रिक्की भैया मुझे ऐसा मोबाइल देना जिसकी बैटरी ज्यादा लम्बी चले।

मैं- अंजलि भाभी आप चिंता मत करो ऐसा मोबाइल दूँगा कि आप थक जायेंगीं, मोबाइल नहीं थकेगा।

अजय- चलो भाई सोते हैं, बहुत थक गए हैं। अंजलि, रिक्की के सोने की व्यवस्था करो।

अंजलि बोली- चलो रिक्की भैया सोने के लिए ऊपर चलना है।

उनके बेडरूम के सामने वाले रूम में मेरी सोने की व्यवस्था कर दी।

मैंने अंजलि भाभी से कहा- मुझे लोअर दे दो।

भाभी ने मुझे लुंगी लाकर दी और बोलीं- भैया, लोअर नहीं है।

मैंने कहा- कोई बात नहीं।

अजय भैया और अंजलि भाभी अपने बेडरूम में चले गए। मैं अपने रूम में चेंज करके लुंगी पहन कर बेड पर लेट गया। मेरी आँखों से नींद कोसों दूर थी। मुझे तो अंजलि भाभी के मम्मे और चूतड़ दिख रहे थे।

मैं सोच रहा था कि अजय भैया कितने किस्मत वाले हैं कि उनको अंजलि भाभी जैसी बीवी मिली। फिर मैं एकदम से उठा और रूम के बाहर वरांडे में आ गया।

मेरी निगाह अजय भैया के बेडरूम की खिड़की पर गई। खिड़की खुली थी जो कि उनके बेड के बिल्कुल सामने थी। मैं खिड़की के पास गया कि क्या हो रहा है पता लगाया जाए। अन्दर लाल रंग का नाईट-बल्ब जल रहा था। अन्दर का नजारा देख कर मैं तो एकदम आश्चर्य-चकित रह गया।

मैंने देखा कि अंजलि भाभी ब्रा और पेंटी में थीं और अजय भैया के ऊपर चढ़ रही थीं।

मैं जैसे ही खिड़की के पास गया तो अन्दर की आवाजें सुनाई भी देने लगीं।

अंजलि भाभी अजय भैया से कह रही थीं- अजय उठो, कई दिन हो गए, आओ कुछ मस्ती करें। देखो, मौसम भी बहुत रोमांटिक है, बारिश हो रही है।

अजय- अंजलि सो जाओ। मैं बहुत थक गया हूँ।

अंजलि भाभी ने बहुत कोशिश की पर अजय भैया नहीं उठे। अंजलि भाभी एकदम गुस्से से उठती हुईं बड़बड़ाने लगीं। उन्होंने नाईट गाउन पहना और बाहर आने के लिए गेट खोला। उससे पहले मैं अपने रूम के बाहर टहलने लगा।

अंजलि भाभी बाहर आईं और मुझे देखकर बोलीं- अरे रिक्की भैया, आप अभी तक जाग रहे हो?

मैं- भाभी मुझे नींद नहीं आ रही थी।

इतने में भाभी मेरे नजदीक आने लगी अन्दर का सीन देखकर मेरा लन्ड तो पहले से पूरे शवाब पर था। भाभी को देखकर मेरी गांड फटने लगी, बेटा अब तो गए काम से।

इतने में भाभी मेरे और पास आ गईं और उनकी नजर मेरी लुंगी के उभार पर पड़ी।

अंजलि- मुझे भी नींद नहीं आ रही।

मेरे बिल्कुल नजदीक खड़ी हो गईं और बोलीं- रिक्की भैया ये लुंगी में क्या है?

मैं- कुछ नहीं भाभी।

अंजलि- जरा देखूँ तो।

उन्होंने अपने हाथ से मेरा लौड़ा पकड़ लिया।

अंजलि- इस मोबाइल की बैटरी में दम है।

मैं मुस्कुराने लगा।

मैं- चलो, अभी आप देख लेना भाभी।

मैंने इतने में अपने होंठ उनके गुलाबी होंठों पर रख दिए और किस करने लगा।

वो भी मस्त होकर किस करने लगीं। उनकी जीभ मेरे मुँह में, मेरी जीभ उनके मुँह में।

फिर एकदम से अलग होकर बोलीं- सब यहीं करोगे?

मैंने उन्हें गोदी में उठाया और बेडरूम में ले जाकर बेड पर लेटा दिया और उनकी नाईटी निकाल दी। अब वो मेरे पास ब्रा और पेंटी में थीं।

मैंने कहा- भाभी यू आर सो स्वीट।

अंजलि भाभी ने कहा- भाभी नहीं, सिर्फ अंजलि कहो।

मैंने कहा- ओके।

मैंने उनकी ब्रा निकाल दी। मैंने दूध के दोनों कलशों को दोनों हाथ से पकड़ लिए और मुँह में लगाकर चूसने लगा।

अंजलि के मुँह से ‘आह..आहा’ की आवाजें निकलने लगीं। मैं जोर-जोर से उसके दोनों मम्मों को दबा रहा था।

मैंने कहा- अंजलि मैंने सपने में नहीं सोचा था कि तुम मुझे इतनी जल्दी मिल जाओगी।

अंजलि बोली- जनाब हमने तो आपको सुबह ही पकड़ लिया था कि आप हम में बहुत रूचि दिखा रहे हो।

मैंने कहा- अजय भैया नहीं करते?

वो बोली- तुमने अभी कुछ देर पहले खिड़की से देखा न। उन्होंने मुझे आज तक संतुष्ट नहीं किया इसलिए मैंने तुम पर जाल डाला। मैंने सुबह तुम्हारा लण्ड पेंट में देखा, तब से मेरी नियत बिगड़ गई थी। इसलिए तो मैंने बेडरूम की खिड़की खुली रखी थी, मैंने तुम्हें देख लिया था। इसलिए तो में बाहर निकल कर आई।

इतने में मैंने पैंटी उतार दी। मैं उसकी चिकनी चूत देख कर पागल हो गया और मैंने अपना मुँह उसकी चिकनी चूत पर रख दिया और जीभ से चूत चोदने लगा। वो मछली की तरह तड़पने लगी। उसने अपने हाथ से मेरा अंडरवियर उतार दिया।

मेरा 8′ लम्बा लण्ड देखकर वो बोली- रिक्की इतना बड़ा लण्ड में नहीं ले पाऊँगी।

मैंने कहा- अजय भैया का कितना बड़ा है?

वो बोली- चार इंच का है।

मैंने कहा- डरो नहीं आराम से चला जाएगा, इसे मुँह में लेकर चूसो।

वो बोली- मैंने आज तक नहीं लिया।

मैंने कहा- आज चूसो तो एक बार !

मैंने जबरदस्ती उसके मुँह में अपना लण्ड दे दिया। फिर वो बड़े आराम से चूसने लग गई। मैं अंजलि की चिकनी चूत चूस रहा था।

उसके काम रस की पिचकारी चली और मेरा मुँह पूरा भर गया। मैं उसका पूरा रस पी गया। उधर वो सटासट मेरा लण्ड मुँह से चूसे जा रही थी। मेरे लण्ड ने भी जवाब दे दिया। सारा माल उसके मुँह में छोड़ दिया।

वो सारा माल गटक गई और बोली- बहुत ही बढ़िया टेस्ट है।

फिर से वो मेरा लण्ड चूसने लगी, 15 मिनट बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।

अंजलि बोली- रिक्की अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। जल्दी अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दो।

मैंने उसे लिटाया और उसकी दोनों टाँगें चौड़ी की और बीच में बैठ गया, लण्ड उसकी चूत में टिकाया और सुपारा अन्दर किया।

वो बोली- रिक्की धीरे।

मैंने लण्ड निकाल लिया और उसकी चूत चूसने लगा।

अंजलि ने कहा- रिक्की, रात भर चूसने के लिए है। एक बार लण्ड तो डाल दो, बहुत तड़प रही हूँ।

मैंने कहा- ठीक है।

लण्ड को फिर से चूत के मुँह पर रखा और एक जोर से धक्का दिया तो वो चीखी- मार डाला रे जालिम !!!! बहुत दर्द हो रहा है। फ़ाड़ के रख दी रे !

मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। वाकयी में उसकी चूत बहुत कसी थी। फिर मैंने लण्ड थोड़ा निकाला और पूरी ताकत से धक्का दिया। लण्ड चूत को खोलता हुआ पूरा बच्चेदानी तक पहुँच गया। मुझे तो लगा कि जैसे भाभी की सील भी नहीं टूटी थी।

अंजलि की आँखों से आँसू निकल आये, वो निकालने को कहने लगी पर मैंने पूरा लण्ड अन्दर ही रहने दिया, मैं होंठ छोड़कर उसके मम्मे चुभलाने लगा और हाथों से दबा भी रहा था।

उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो अंजलि की आवाज़ निकली, वो बोली- तुमने तो मेरी जान निकाल दी थी।

मैंने कहा- अजय भैया से सील भी नहीं टूटी?

अंजलि बोली- उस हिजड़े का तो सही से लण्ड भी खड़ा नहीं होता है।

फिर मैं लण्ड से चूत में दनादन धक्के पे धक्के मारने लगा। अंजलि भी अब मेरा साथ देने लगी और नीचे से चूतड़ उठा-उठा कर मेरे लण्ड का अपनी चूत में स्वागत कर रही थी।

हमारी लड़ाई 20 मिनट चली। उसकी चूत से 4-5 बार कामरस निकला होगा। जब उसका गर्म गर्म कामरस निकलता तो लण्ड को इतना सुकून मिलता है दोस्तों, मैं बयान नहीं कर सकता ! जिसको यह सुख मिलता वो ही जान सकता है, कितना आनन्द आता है।

अंजलि बोलने लगी- बस करो रिक्की, मेरा तो हो गया। थोड़ी देर बाद कर फ़िर लेना। अब तो मैं तुम्हारी हो गई हूँ सदा के लिए।

मैंने धक्के लगाने के गति कम कर दी और अंजलि से बोला- अंजलि देखो अभी तुम्हारी चूत की पकड़ अभी तक ढीली नहीं हुई है। जब चूत की पकड़ ढीली होगी और तुम्हारी चूत जो पानी छोड़ेगी, तब तुम्हें जीवन का सबसे अधिक आनन्द आएगा।

मैं फिर लण्ड उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा और धक्के पर धक्के लगाने लगा।

वो आनन्द के समुद्र में गोते लगाने लगी, उसकी चूत की पकड़ लण्ड से ढीली होने लगी। मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में निकाल दिया। जैसे ही मैंने लण्ड उसकी चूत से बाहर खींचा तो फक की आवाज़ के साथ निकल गया।

अंजलि उठी और उसने अपनी चूत देखी तो बोली- रिक्की क्या हाल कर दिया मेरी बेचारी चूत का।

उसकी चूत पूरी सूज गई थी और खून भी निकल रहा था।

मुझे किस करते हुए कहा- थैंक्स, तुमने मुझे आज कली से फूल बना दिया।

फिर ज़रा मजाक में बोली- रिक्की तुम्हारा मोबाइल शानदार है।

उस रात हमने तीन बार चुदाई की। अंजलि को नए-नए आसन से चोदा और उसकी माँ बनने की अभिलाषा की कहानी अगली बार लिखूँगा।

मेल पर अपने विचार जरूर लिखें।

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