पड़ोसन भाभी की ठरक-2

(Padosan Bhabhi Ki Tharak- Part 2)

मेरी पड़ोसन की चूत चुदाई कहानी के प्रथम भाग
पड़ोसन भाभी की ठरक-1
में अब तक आपने पढ़ा कि कोमल भाभी और मैंने एक दूसरे के लंड चूत का रस चुसाई करके निकाल दिया था.
अब आगे..

इस वक्त हमें सेक्स करने का मौका नहीं मिला था. लेकिन ये तय हो गया था कि वो मेरे लंड को अपनी चुत में लेकर ही रहेंगी.

फिर वो टाईम भी आ गया कि मैंने भाभी को सेक्स का सुख दिया.

यूं ही दिन बीतते गए.. हालांकि जल्दी मौका नहीं मिला. बस 2-3 महीने तक कभी कभार लिफ्ट में मिल जाती तो किस कर देतीं या मेरा लंड दबा देतीं. मैं भी उनके चूतड़ और चुचे दबा देता. किसी को शक भी नहीं होता. कोमल भाभी का टिफिन का बिजनेस भी अच्छा चल रहा था. उनका मेरे घर आना जाना चालू ही था.

घर पे आने का बाद अगर मेरी बीवी सामने ना हो तो नीचे झुक कर भाभी अपने चुचों का दीदार करा देती थीं. भाभी जब भी मेरे घर आतीं तो अन्दर कुछ नहीं पहनती थीं. उनको लगता था कि पता नहीं कब लंड लेने का मौका मिल जाए.

गरमी के दिन थे मेरी बीबी बच्चे लेकर 15 दिन के लिेए छुट्टी बिताने मायके चली गई. जाते वक्त मेरी बीवी ने कोमल भाभी को बोल दिया कि आप सुबह शाम का टिफिन घर पे भेज दिया करो.
भाभी बोलीं- सब लोग गाँव जा रहे हैं तो खाली भैया का ही टिफिन है.. तो कोई दिक्कत नहीं.. मैं सब संभाल लूँगी.

दो तीन दिन तक कोमल भाभी के बच्चे ने टिफिन लाकर दिया. एक दिन सुबह टिफिन आया ही नहीं, तो मैं वैसे ही ऑफिस चला गया. शाम को ऑफिस से आते वक्त उनके घर गया तो पता चला… गाँव में कोई बीमार है तो बच्चे और उसके पति 10-12 दिन के लिए गाँव गए हैं.

मैंने उनको बोला- जाने दो, मैं बाहर से कुछ मंगवा लेता हूँ.
भाभी बोलीं- क्यों, मेरे हाथ का स्वाद अच्छा नहीं लगता क्या?
मैंने तुरंत जवाब दिया- जब चुत का स्वाद अच्छा लगता है.. तो हाथ की क्या पूछ रही हो मेरी जान?
भाभी इठला कर बोलीं- ठीक है आप फ्रेश होकर आ जाओ, मैं आपके लिए मस्त खाना बनाकर रखती हूँ.. और भी कुछ परोसती हूँ.

बिल्डिंग में से बहुत से लोग छुट्टी पे गए थे, तो ज्यादातर फ्लैट बंद थे. मैं आठ बजे कोमल भाभी के घर गया, बेल बजाई तो भाभी ने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी. उन्होंने साड़ी बहुत टाईट पहनी थी और ट्रांसपेरेंट थी. पूरा पल्ला ऊपर लपेट लिया था, कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, ज्यादातर वो ऐसा पल्ला नहीं लेती थीं. हॉल में डिम लाईट लगी थी, तो कुछ ज्यादा दिखाई नहीं दिया.

मैं बैठ गया, वो अन्दर चली गईं. फिर 5 मिनट बाद भाभी ने आवाज लगाई- आ जाइये भाईसाहब खाने के लिए..

मैंने अन्दर जाकर देखा तो मैं दंग रह गया. उनकी साड़ी जो पूरी पारदर्शी थी, उनके बदन से लिपटी थी और उन्होंने साड़ी के नीचे कुछ भी नहीं पहना था. मतलब अपने जिस्म पर ऊपर खाली साड़ी ही लपेटी हुई थी.

मेरा तो लंड उठने लगा. लंड को फूलता देखकर भाभी बोलीं- इतनी जल्दी क्या है.. जरा सब्र करो.
भाभी ने खाना परोसा और बोलीं- पहले आप खाना खा लो.
फिर मैंने बोला- कैसे खाऊँ.. आप ही खिला दो.
तो बोलीं- खाना मेरे मुँह से खाओगे या हाथ से खाओगे?
मेरी समझ में नहीं आया… मैंने बोल दिया- मुँह से खाऊंगा.

उसने एक ग्रास उठाया, थोड़ा सा चबाया और बोली- अभी मुँह खोलो अपना!
भाभी ने मेरी गोद में आकर मेरे मुँह में सब डाल दिया.
यह कुछ नया था.. मुझे मजा आ गया. हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को खाना खिलाते रहे.

फिर बोलीं- आपके लिए स्वीट डिश अन्दर रखी है, अगर आपको पसंद तो निकालूँ.

मैंने हां किया, तो भाभी ने साड़ी निकाल दी और पूरी नंगी हो गईं. मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि स्वीट डिश किधर है.

साड़ी निकलने के बाद देखा तो उनकी चुत में कुछ फंसा सा दिख रहा था.

मैंने बोला- ये क्या है?
तो भाभी बोलीं- तुम्हारे लिए स्वीड डिश यानि केला है.

ये छोटा वाला केला था, वो भी छिला हुआ था. मैंने उसे सूंघा तो चुत के पानी की सुगंध आ रही थी. फिर भाभी ने केला अपनी चुत से निकाल कर मेरे मुँह में डाला और हम दोनों ने एक दूसरे के मुँह डाल के उसको चूसते हुए खाया. ये मेरे लिए बहुत उत्तेजित होने वाली बात थी. मेरा लंड अभी बाहर आने के लिए उतावला हो गया था.

फिर हम दोनों किचन से हॉल में आ गए. भाभी तो पूरी नंगी ही थीं.. उन्होंने मेरा लोअर निकाल दिया और टीशर्ट को भी निकाल दिया. मुझे भी नंगा कर दिया. फिर किचन से चाकलेट सॉस लेकर आईं और मेरे लंड के ऊपर लगाकर जोर जोर से लंड चूसने लगीं.

जब तक मेरा वीर्य नहीं निकल गया, तब तक भाभी मेरे लंड को चूसती रहीं और फिर पूरा पानी पी गईं.

थोड़ी देर आराम करने के बाद मैंने चॉकलेट सॉस उनकी चुत पे डाल के चूसने लगा. पांच मिनट में ही भाभी की चुत ने पानी छोड़ दिया.

अब भाभी बोलने लगीं- अभी बस भी करो भाईसाहब.. अब डाल भी दो लंड को मेरी चुत में.. अब मुझसे सहन नहीं हो रहा है… आपके लंड के लिए कितने महीने से मैं तड़प रही हूँ.

मैंने उनको बेड लिटाया और पोजीशन बना कर एकदम जोर से अपने लंड को भाभी की चुत में पेल दिया. भाभी जोर से चिल्लाईं. वो तो अच्छा हुआ कि बिल्डिंग में कोई नहीं था. मैंने तुरंत उनके मुँह पर हाथ रखा और उसके ऊपर चिल्लाया- साली मेरे को मरावाएगी तू…
तो बोलीं- कमीने धीरे नहीं डाल सकता क्या लंड चुत में… मैं कोई रंडी नहीं हूँ. एक तो 6-7 महीने बाद मैं चुदवा रही हूँ.. ऊपर से तेरा मूसल लंड मेरी चूत में एकदम से ठूंस दिया.

मैंने उनसे माफी मांगी, तो बोलीं- मुझे भी माफ कर देना… मैंने आपको गाली दी.
मैंने उनको समझाया- देख, गाली देने में ही तो मजा आता है!
भाभी बोलीं- फिर कमीने रुका क्यों तू भोसड़ी के.. चोद ना जोर से मुझे..

मैंने भी उनकी गाली का मजा लिया और चालू हो गया- ले कुतिया साली लंड खा छिनाल!
“हां चोद मादरचोद.. अपनी इस रंडी की चुत फाड़ डाल… आह.. आ जोर जोर.. से चुदाई कर आह.. आह.. और जोर से…”

बस कुछ ही मिनट में भाभी शांत हो गईं और बोलीं- पहली बार मेरा पानी निकला… चुदते समय…
मैं समझ गया कि भाभी का आदमी इनकी चूत के पानी निकलने से पहले ही झड़ जाता होगा.

अभी मेरा पानी निकलना बाकी था… मैंने उनको घोड़ी बनने के लिए कहा… और पीछे से चोदने लगा… और 20 मिनट बाद मेरा होने आया था..
मैंने उनकी चूचियां मसलते हुए पूछा- मेरी रंडी.. बता पानी कहां निकालूँ… चुत में या बाहर.
तो बोलीं- मेरे मुँह में डाल दो.
मैंने लंड का पानी भाभी के मुँह में डाला और शांत हो गया.

फिर हम दोनों चिपक कर सो गए. रात को 3 बजे नींद से जागा, भाभी को उठाया और मेरे घर चला आया.

दूसरे दिन ऑफिस से भाभी को फोन किया कि रात को कल जैसा खाना रेडी रखना… आज मेरे घर पे खाएंगे.
तो बोलीं- नहीं, आप मेरे घर पर ही आ जाओ.

शाम को ऑफिस से घर आने के बाद फ्रेश होकर भाभी के घर खाना खाने चला गया. मेरे आने के बाद वो फ्रेश होने चली गईं और नहा कर बिना कुछ पहने ही मेरे सामने आ गईं. भाभी ने मुझसे कपड़े उतारने को बोला. मैंने झट से कपड़े उतार दिए. भाभी मेरी गोद में आकर बैठ गईं.

अब हम दोनों ने खाना खाया. हम खाना खाने चेयर पे बैठे थे. बीच में ही उसको हिचकी आई.. तो बोलीं- मुझे पानी चाहिए, आप अपना नल चालू करो ना..

मैं कुछ नहीं समझा… तो उन्होंने नीचे बैठकर मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और बोलीं- मेरे मुँह थोड़ा मूत दो ना… मेरी हिचकी बंद हो जाएगी.

फिर मैंने उनके मुँह में मूता.. तो बोलीं- भाईसाहब, आपके वीर्य से आपका मूत तो बहुत ही अच्छा है.. इसको वेस्ट मत करना… ये बहुत काम की चीज है. हां आज जिंदगी में मैंने अपने पति का मूत नहीं पिया… लेकिन आपका पिया.. आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं.

फिर हम दोनों ने खाना खाया और नंगे ही टीवी देखने लगे. थोड़ी देर बाद भाभी मेरा लंड चूसने लगीं.. चुदास बढ़ गई तो हम दोनों 69 में आकर एक दूसरे का आइटम चूसने लगे. भाभी की चुत चुसने के पहले मैं फ्रिज से बर्फ लेके आया था.. मैं बर्फ उनकी चुत में डालके चूसने लगा. इससे भाभी एकदम हिल गईं.. और जोर जोर से मेरे मुँह पे चुत दबाने लगीं. उन्होंने मेरा लंड मुँह से निकाल दिया था.. उनको चुत में बर्फ की ठंडक सहन नहीं हो रही थी.

में सीधा होकर उनकी चुत चूसने लगा. वो लगातार मेरा मुँह चुत पर दबा रही थी और मोन कर रही थीं. फिर उनका पानी निकल गया और वे शांत हो गईं.

इसके 5 मिनट बाद मैंने 2 बर्फ के पीस उनकी चुत में फिर से डाल दिए.
वो मुझे गाली देने लगीं- बहन का लौड़ा साला, क्या कर रहा है? मेरी जान लेगा क्या?
नीचे उनकी चुत में बर्फ थी, लेकिन वो पसीने से लथपथ थीं.

मैं उनकी चुत को जोर जोर से चूस रहा था. मुझे मालूम था कि अब क्या होने वाला है. मैंने उनको उठाया और नीचे जमीन पे डाल कर चुत चूसने लगा. जैसे ही लगा कि उनका होने वाला है, रुक गया… और दो पल बाद फिर से चुत चूसने लगा.. ऐसा मैंने कई बार किया.

इस वजह से भाभी जंगली बिल्ली जैसी हो गईं… मेरे बाल नोचने लगीं. मेरे अंग का जो भी भाग उनके हाथ में आ रहा था, उसके ऊपर नाखून मारने लगीं.. और जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आहहह आहहह.. मार डाल इस रंडी को… आह.. क्या कर रहे हो.. मेरी जान निकालोगे क्या?

भाभी ने मेरा मुँह चुत पे दबा के रखा हुआ था. मुझे सांस लेने भी तकलीफ हो रही थी लेकिन उन्होंने मुँह को और तेज दबाया, जोर से पानी का फव्वारा दे मारा और झड़ गईं. लेकिन झड़ते वक्त भाभी ने पेशाब भी कर दी.. और मुझे भी अपना मूत पीने पे मजबूर कर दिया. मैं हट नहीं सका क्योंकि उन्होंने अपनी चुत पर मेरा सर अपने हाथों से दबाया हुआ था.

दो-तीन मिनट तक भाभी झड़ते हुए काँपती रहीं और रुक रुक कर पेशाब करती रहीं. फिर भाभी शांत होकर निढाल होकर पड़ी रहीं. आधे घंटे तक भाभी वैसी ही पड़ी रहीं. उनकी आँख से पानी आ रहा था.
मैंने कारण पूछा- क्या हुआ… कुछ तकलीफ हुई क्या?
भाभी बोलीं- यार इस तरह का सेक्स मैंने जिंदगी में पहली बार किया है… ये खुशी के आंसू है प्रकाश… मैं ऐसी कभी नहीं झड़ी थी… ये पहली बार हुआ है.

फिर हम लोग एक घंटे तक बातें करते रहे. भाभी मेरे लंड से खेल रही थीं…लंड तैयार था… मैंने भाभी को नीचे लिटाया और बोला- आप चुदने के लिए तैयार हैं?
तो बोलीं- कभी कभी जल्दी से भी डाल दिया करो, मुझे चीखने का मजा लेना अच्छा लगता है.

मैंने फिर दो आईस-क्यूब उनकी चुत के अन्दर डाल दिए… और लंड चुत में डाल के चुदाई करने लगा.
भाभी एकदम से सिहर उठीं और गाली देने लगीं- उई माँ मादरचोद क्या कर रहा है…
तो मैं बोला- भैन की लौड़ी रंडी.. चुप बैठ… मैं अपनी रंडी की चुत मार रहा हूँ.

भाभी की चुत की गर्मी की वजह से आईस क्यूब पिघल चुका था. अब वो गांड उठा उठा के चुदा रही थीं. थोड़ी देर बाद बोलीं- अब रुको आप… मैं ऊपर आती हूँ.

उन्होंने मुझे नीचे लिटाया और मेरे लंड पर बैठ कर चुत मारने लगीं. दो मिनट में ही वो झड़ गईं.. और शांत हो गईं. मैंने अब उन्हें घोड़ी बनने के लिए बोला.. और पीछे से चुत मारने लगा… इन 15 मिनट में वो 3 बार झड़ चुकी थीं. भाभी बोलीं- प्लीज़ जल्दी करो ना… मैं थक चुकी हूँ.

तो मैंने अपना पिस्टन जोर जोर से मारना शुरू किया… और पूरा पानी उनकी चुत में डालके ही उसके ऊपर पड़ा रहा.

इसके बाद हम दोनों नंगे ही सो गए. आधी रात को मैं अपनी फ्लैट में आ गया.

ये सब जब तब मेरे और उसके घर वालों के आने तक ही हुआ. उसके बाद तो जब कभी मौका मिलता तो हम लोग सेक्स कर लेते हैं.

दोस्तो, ये थी मेरी कहानी… आपको ये कहानी कैसे लगी, कृपया अपना अभिप्राय भेजें.
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