मेरी सहेली की जिम कॉर्बेट में दमदार चुदाई- 2
(Office Girl Fucked In Jungle)
ऑफिस गर्ल फक्ड इन जंगल … मेरी सहली ने खुद मुझे बताया कि उसके ऑफिस के लड़के ने कैसे उसे उसके होटल के कमरे में आकर चोद दिया. दोनों ने खूब मजा लिया.
यह कहानी सुनें.
दोस्तो, मैं हिमानी आपको अपनी दमदार चुदाई की कहानी को सुना रही थी.
कहानी के पहले भाग
मेरी सहेली अपने कुलीग से पट गयी
में आपने पढ़ा कि मुझे जिम कॉर्बेट के ट्रिप में एक लड़के रणजीत ने सैट कर लिया था और वह मेरे कमरे में मेरी चूत चाट रहा था.
मैं भी उसके सर पर प्यार से हाथ फेर कर उससे अपनी चूत चटवाने का मजा ले रही थी.
अब आगे ऑफिस गर्ल फक्ड इन जंगल:
मुझे झड़ाने के बाद उसने मेरी चूत चाट कर साफ कर दी और हम दोनों निढाल होकर बातें करते रहे.
करीब बीस मिनट बाद उसने अपने कपड़े निकालने शुरू किए और सारे कपड़े निकाल दिए.
उसका लंड अच्छा लम्बा था और ठीक-ठाक मोटा था.
हालांकि मैं इससे भी बड़े लंड चख चुकी थी तो मुझे लगा कि थोड़ी देर में उसका वीर्य छूट जाएगा.
जबकि ये मेरी सबसे बड़ी भूल थी.
उसने अपना लंड मेरे मुँह की तरफ बढ़ाया.
मैंने नाक मुँह सिकोड़कर साफ मना कर दिया.
मैं किसी भी लड़के का लंड मुँह में नहीं लेती हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि पुरुष लंड सिर्फ चूत के लिए बना है, मुँह के लिए नहीं.
रणजीत समझ गया कि कोई फायदा नहीं है.
उसने अपना लंड मेरे हाथ में दे दिया.
मेरे हाथ छोटे छोटे थे तो मैंने दोनों हाथों से उसके लंड को सहलाना शुरू कर दिया.
वह बिस्तर पर लेट गया.
थोड़ी देर लंड को सहलाया और अब अपना पहला पैंतरा आजमाया जो मैं सभी लड़कों पर आजमाती हूँ.
मेरा यह पैंतरा आज तक कभी फेल नहीं हुआ.
मैं उठकर रणजीत के ऊपर बैठ गई और उसका पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया.
शायद रणजीत भी इसके लिए तैयार नहीं था.
पर मेरी नजर में वह लड़की ही क्या … जो सेक्स में लड़के की चीखें ना निकलवा दे.
उसका लंड चूत में आते ही मैंने अपनी चूत कस ली और धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी ताकि उसके लंड को मेरी चूत की कसावट महसूस हो.
रणजीत हल्के हल्के से आहें भर रहा था.
मैंने ऊपर नीचे करके अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और निरंतर ऊपर नीचे होने लगी.
करीब 5 मिनट मैंने तक लगातार अपनी चूत से उसके लंड को जकड़े रखा.
लेकिन जब मैंने रणजीत की तरफ देखा तो वह आराम से मेरी चूत को एन्जॉय कर रहा था.
यहां तक की उसकी सिसकारियां भी बंद हो चुकी थीं.
रणजीत बोला- हिमानी रुक क्यों गयी, प्लीज करते रहो ना!
एक बार तो मैं भी हैरान हो गयी थी … पर कोई बात नहीं.
मैंने दोबारा अपनी चूत कस ली.
मेरी चूत की कसावट रणजीत के चेहरे पर दिख रही थी.
मैंने फटाफट अपने पूरे वजन से उसके शरीर से ऊपर उठाया और तुरंत रणजीत के लंड पर गिरा दिया.
अब मैंने अपने शरीर के भार से रणजीत के लंड पर धक्के लगाने शुरू किए.
करीब 12-15 मिनट उसके लंड पर धक्के लगाने के बाद भी रणजीत के ऊपर कोई असर नहीं हुआ.
वह ऐसे ही स्माइल करता हुआ लेटा था. यहां मेरी जान निकल गयी थी.
ऐसा पहली बार हुआ था कि कोई लड़का इतनी देर तक मेरे सामने टिक सका था.
थकान के कारण मैंने ऊपर नीचे होना बंद कर दिया था.
मैं अब भी रणजीत के ऊपर थी और रणजीत का लंड मेरी चूत के अन्दर था.
मैंने सोचा कि इस पोजीशन से हटा जाए … लेकिन तभी शायद रणजीत मेरा इरादा समझ गया था.
उसने तुरंत अपना लंड बाहर खींचा और जोरदार झटके के साथ चूत में डाल दिया.
मैं या मेरी चूत इस धक्के के लिए तैयार नहीं थी, फिर भी मैंने अपने आपको संभाला और ताक़त से अपनी चूत कस ली ताकि उसके धक्के की स्पीड कम हो जाए.
वह भी समझ गया था.
उसने प्यार से लंड बाहर निकाला और झटके के साथ अन्दर धकेल दिया.
रणजीत लंड को चूत में प्रविष्ट करवाने से पहले 3-4 सेकंड का ब्रेक लेता था, इस कारण चूत समझ नहीं पाती थी कि कब कसना है.
उसने चूत में दबादब धक्के मारने शुरू किए.
अपनी सारी तरकीबें फेल होती हुई देखकर मैंने उसके ऊपर से हटना बेहतर समझा.
तभी रणजीत ने मेरे दोनों चूतड़ों को पकड़कर अपने ऊपर टांग सा दिया.
वह बोला- प्लीज हिमानी!
मैं जरा पिघल गई.
रणजीत जानता था कि उसे क्या करना है. उसी वक्त उसने ताबड़तोड़ धक्के चूत में मारने शुरू कर दिए.
अब मैं भी समझ गई थी कि चूत कसने का कोई फायदा नहीं है.
मैंने भी चूत को यथास्थिति में छोड़ दिया.
रणजीत का लंड चूत में जाकर फूल जाता था.
मुझे उसके धक्के अपने गर्भाशय पर लगते से महसूस हुए.
हालांकि ऐसे धक्कों से मेरी चूत को कोई ज्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ने वाला था.
मैंने भी अपने चेहरे पर एक स्माइल लगा ली जिस पर रणजीत का रिएक्शन था- ओह ह्हह हिमानी.
उसने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी.
एक बार तो ऐसा लगा कि शायद मैंने मुस्कान देकर गलत कर दिया.
पर अब जो होना था वह हो चुका था.
काफी देर तक ताबड़तोड़ धक्के उसने मेरी चूत में मारे और उसके बाद शायद वह भी थक गया था और मैं भी.
हम दोनों दो मिनट ऐसे ही पड़े रहे.
इसके बाद रणजीत ने मुझे अपने साइड में लिटा दिया और मेरी दोनों टांगें खोलकर चूत से बहने वाला सारा रस चाट लिया.
अब तक मुझे भी होश आ चुका था.
इस दौरान ना ही रणजीत स्खलित हुआ था और ना मैं.
मुझे लगा शायद आज मुक़ाबला बराबरी का है.
अब रणजीत अब मेरे ऊपर आ गया और मुझसे पूछने लगा- हिमानी मजा आ रहा है ना!
मैंने हां में सर हिला दिया.
उसने तुरंत मेरे दोनों होंठ अपने मुँह में ले लिए और हम दोनों चुंबन में लग गए.
इस दौरान रणजीत अपना लंड लेकर मेरी दोनों टांगों के बीचों बीच आ गया.
और पता नहीं कब उसने अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.
जब कोई लड़का किसी लड़की के ऊपर आता है तो लड़की की टांगें स्वतः ही ऊपर की ओर उठ जाती हैं ताकि लंड के लिए जगह बन सके.
मेरी भी दोनों टांगें ऊपर की तरफ उठ गई थीं.
रणजीत ने मेरे होंठों को छोड़ दिया और मेरी आंखों में देखने लगा.
शायद वह मेरे चेहरे के हाव भाव पढ़ना चाहता था.
मैं भी इस खेल की पक्की खिलाड़िन थी; मैंने चेहरे पर कोई भाव नहीं दिखाया.
रणजीत ने अपना लंड बाहर खींचा और तुरंत चूत में धकेल दिया.
इस बार मैं इसके लिए तैयार थी.
वह धीरे धीरे मेरी चूत में झटके लगाने लगा.
मैं भी पूरी तरह से तैयार थी.
असली खेल तो अब शुरू होने वाला था.
इस बार उसने जैसे ही अपना लंड बाहर खींचा और मुझसे पूछने लगा- हिमानी मजा तो आ रहा है न!
मैं सजग हो गई.
पर रणजीत ने मुझे बातों में लगा लिया.
मैंने सोचा कि ये जब अन्दर पेलेगा तब इसे बताऊंगी.
लेकिन उसने बात करते हुए ही अचानक से जोरदार झटके के साथ अपना लंड मेरी चूत की गहराई में प्रविष्ट करवा दिया.
मैं उसके इस कदम से एकदम से अकबका गई और बिल्कुल भी अंदाज नहीं लगा सकी थी.
उसके इस प्रहार से मेरी चूत ने ढेर सारा रस छोड़ दिया.
इस तरह से मेरा पूरा शरीर जन्नत की सैर कर आया था.
तभी रणजीत ने दोबारा से धक्के लगाने शुरू कर दिए.
हालांकि इस बार चूत रस से इस कदर भीग चुकी थी कि धक्के चूत में बड़े आराम से लग रहे थे.
मेरी पूरी चूत रस से भीग चुकी थी.
जब रणजीत को अपने लौड़े को अन्दर बाहर करने में मजा नहीं आया तब उसने पास पड़ा रूमाल उठाकर उससे मेरी चूत को साफ कर दिया और दोबारा से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया.
इस बार रणजीत लंड को चूत से बाहर तक निकालता और 10-12 सेकंड तक लंड को बाहर रखता, फिर एक तेज झटके के साथ लौड़े को मेरी चूत में डाल देता.
वह मेरे चेहरे की तरफ देख रहा था शायद वह अंदाज लगा लेता था कि अब मैं तैयार नहीं हूँ.
उसी वक्त वह अपने लंड को मेरी चूत में पेल देता.
कुछ विलम्ब के साथ लंड को चूत में डालने का तरीका उसका बिल्कुल नया था और आज तक कोई ऐसा लंड मैंने अपनी ज़िन्दगी में नहीं झेला था.
थोड़ी थोड़ी देर में वह प्रचंड झटका मारता रहा.
अब तो मेरी भी हल्की हल्की चीखें निकलने लगी थीं.
मैं समझ नहीं पा रही थी कि कब उसका झटका चूत को चीर जाएगा.
अब तो मेरे चेहरे के हाव भाव भी बदलते जा रहे थे.
उसके हर झटके पर मेरी चीख निकल रही थी.
अपनी इस पोजीशन में वह बड़े आराम से धक्के लगा रहा था और साला थकने का तो नाम ही नहीं ले रहा था.
फिर मैंने अपना पैंतरा आजमाया.
मैंने कहा- रणजीत मुझे बाथरूम जाना है … प्लीज छोड़ो मुझे.
रणजीत बोला- ओहह्ह हिमानी … प्लीज थोड़ी देर में चली जाना!
मैंने कहा- नहीं, मुझे अभी जाना है.
रणजीत बोला- तो यहीं कर दो.
मैंने कहा- नहीं यहां नहीं … मुझे बाथरूम जाने दो.
मेरे चेहरे पर थोड़ा गुस्सा आ गया था.
अब शायद रणजीत भी थोड़ा गुस्सा हो गया.
उसने कहा- बस एक मिनट और …
इतना कह कर उसने अपना लंड बाहर निकाला और पूरी ताक़त से चूत में धकेल दिया.
मैं तो इस झटके के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी.
उसने इस बार बिना रुके ताबड़तोड़ धक्के चूत में जड़ने शुरू कर दिए.
मेरी तो हिम्मत ही जवाब दे रही थी.
करीब एक मिनट बाद रणजीत रुका और उसने कहा- ठीक है हिमानी, हो आओ बाथरूम!
उसके पीछे हटते ही सबसे पहले मैंने अपनी चूत को देखने की नाकाम कोशिश की, फिर रणजीत के लंड को देखा.
रणजीत का लंड ज्यों का त्यों खड़ा था.
वह बिना एक भी बार स्खलित हुए ऐसे कैसे खड़ा रह सकता था, ये मेरे लिए अनोखा लंड था.
मैंने भी तुरंत बेड से उठते ही बाथरूम की राह पकड़ ली.
बाथरूम में जाकर सोचने लगी आखिर ये लड़का है या कुछ और!
मैं अच्छे से जानती थी अगर लड़के का वीर्य ना छूटे, तब तक वह चूत छोड़ेगा नहीं.
काफी देर बाथरूम में रहने के बाद अपने सारे कपड़े पहन कर मैं बाहर आ गई.
रणजीत बाहर मेरा ही इंतज़ार कर रहा था.
उसने मेरे दोनों हाथ अपने हाथों में ले लिए और तुरंत मुझे खींचकर बेड पर ले गया; मेरी टी-शर्ट निकाल दी.
इससे पहले मैं कुछ समझ पाती, मेरी एक चूची उसके मुँह में थी.
अब रणजीत ने मेरी जींस और पैंटी निकाल दी.
हालांकि मैंने विरोध करने की कोशिश की पर मेरी कोशिश नाकाम थी.
अगर थोड़ा और विरोध करती तो जींस और पैंटी फट जाती.
उसका लंड पहले से तैयार था, उसने एक ही झटके में अपना लंड चूत में डाल दिया और मेरे ऊपर से धक्के मारने लगा.
हर धक्के में रणजीत अपनी पूरी ताक़त लगा रहा था.
मेरी हालत तो ऐसी थी जैसे चूत से खून निकल रहा हो.
अब इससे ज्यादा तो मेरी चूत भी बर्दाश्त नहीं कर सकती थी.
मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर रणजीत का लंड अपने हाथ में लिया और कहा- रणजीत, प्लीज बस करो!
पर उसका ध्यान सिर्फ मेरी चूत पर था.
उसने कुछ ध्यान नहीं दिया.
मैंने नीचे होकर रणजीत का लंड अपने मुँह में ले लिया क्योंकि मैं जानती थी कि अगर इसे मुँह में नहीं लिया तो अब मेरी चूत की खैर नहीं.
यह मुझे चोद चोद कर मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा.
मैं किसी लड़के का लंड मुँह में नहीं लेती थी पर आज मामला कुछ और था.
मैंने उसका लंड अपने दोनों हाथों में कसके पकड़ लिया और मुँह में लेकर चूसने लगी.
पर तभी रणजीत ने अपना लंड थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर से मेरे मुँह में डाल दिया.
इस बार उसका लंड मेरे गले के अन्दर तक चला गया.
मुझे साँस लेने में भी दिक्कत होने लगी.
मैंने उसका लंड मुँह से बाहर निकाल दिया.
रणजीत ने पूछा- क्या हुआ हिमानी?
मैंने कुछ उत्तर नहीं दिया.
अब रणजीत ने मुझे उठाकर अपने लंड पर बिठा दिया.
इस बार मेरी पीठ रणजीत के मुँह की तरफ थी और मेरा मुँह रणजीत के पैरों की तरफ था.
रणजीत ने अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया.
मैं भी थोड़ा आगे को हट गई. रणजीत का लंड पीछे फिसल गया.
रणजीत ने दोबारा कोशिश की लेकिन मैंने विरोध किया.
तो उसका लंड चूत के अन्दर नहीं जा पाया और पीछे की ओर फिसल गया.
रणजीत एकदम चौकन्ना हो गया.
उसने पीछे से मेरे दोनों चूतड़ अपने दोनों हाथों से खोल दिए.
अब उसका ध्यान मेरी गांड के छेद पर था.
मैं भी पलट गई और कहा- रणजीत यहां नहीं प्लीज!
रणजीत बोला- हिमानी, सिर्फ एक बार. सेक्स में मैं सिर्फ अपनी चूत ही लड़कों को परोसती थी क्योंकि अपनी गांड का छेद मैंने शादी के बाद सिर्फ अपने पति के लिए बाकी रखा था.
पर रणजीत कहां मानने वाला था … उसने अपनी एक उंगली मेरे चूतड़ों के बीच वाले जामुनी छेद में डाल दी और फिर दूसरी भी अन्दर सरका दी.
करीब दो मिनट तक उसने अपनी दोनों उंगलियां मेरी गांड के छेद में अन्दर बाहर की और बाहर निकाल लीं.
अब उसने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर सैट किया और प्रेशर के साथ अन्दर धकेल दिया.
मेरे लिए भी अनाल सेक्स नया था, पर मेरी इच्छा के विपरीत था.
इस बार रणजीत आराम आराम से काम कर रहा था.
शायद मेरा मल द्वार इतना टाइट था कि रणजीत समझ गया था कि अगर कुछ गड़बड़ की तो वह तुरंत वीर्य ख़ारिज कर देगा.
मैंने भी पूरी ताक़त से अपना मल द्वार को कस लिया.
रणजीत मेरा पैंतरा भांप गया.
वह चुपचाप लेटा रहा उसके लंड में कोई हलचल नहीं थी.
करीब आधा मिनट तक वह चुपचाप लेटा रहा और अपने लंड को मेरी गांड के छेद के बाहर तैनात किए रहा.
जब मैं भी अपने चूतड़ों को कसे रह कर थक गई तो मैंने अपने दोनों चूतड़ ढीले छोड़ दिए.
उसी पल रणजीत ने हल्के से अपना लंड बड़े आराम से गांड के अन्दर डाल दिया.
मैं दर्द से कांप उठी और रणजीत को मना करने लगी.
मगर वह नहीं माना.
कुछ देर बाद मैं सामान्य हो गई और चूंकि उस वक्त मैं रणजीत के ऊपर थी, तो वह हल्के हल्के से अपना लंड बाहर निकालता और अन्दर डाल देता.
करीब दो मिनट तक तो रणजीत आराम से झटके मारता रहा था.
फिर शायद उसका लंड मेरी गांड में सैट हो चुका था तो उसने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी.
अब उसके धक्के मेरी गांड की रबर जैसी चमड़ी में लग रहे थे.
अगर कभी आपने ध्यान दिया हो तो लड़कियों की गांड में दो रबर जैसी चमड़ी होती हैं, एक बाहर की तरफ जिसे आप अपनी उंगली से महसूस कर सकते है और एक मल द्वार के अन्दर. जहां मैं रणजीत का लंड महसूस कर रही थी.
रणजीत का लंड पूरी तरह मेरे मलद्वार को भांप चुका था और उसके धक्के ऐसे ही ताबड़तोड़ हो गए थे, जैसे वह मेरी गांड नहीं चूत चोद रहा हो.
करीब 10 मिनट तक रणजीत के धक्के चलते रहे.
मेरे लिए हालत ऐसे हो चुके थे कि मेरी गांड छिल गई थी.
मैं मौका देखकर रणजीत के ऊपर से गिर गई.
रणजीत मेरे इस कदम से चौंक गया और बोला- अरे हिमानी … क्या हुआ … क्या हुआ?
मैंने रणजीत को साफ बोल दिया- रणजीत, पीछे इतनी तेजी से धक्के मत मारो … मुझे दर्द हो रहा है.
इस पर रणजीत का तर्क था- अरे, पहली बार तो दर्द होता ही है, चाहे आगे करवाओ या पीछे.
रणजीत अपना लंड मेरे मुँह की तरफ ले आया.
पर उसका लंड अभी अभी मेरी गांड से निकला था इसलिए मुझे मुँह में उसका लंड लेने में घिन आ रही थी.
मैंने उसका लंड छिटक दिया.
शायद वह भी समझ गया था. उसने मेरी दोनों टांगें ऊपर उठा दीं और फिर से मेरे दोनों चूतड़ खोल कर अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रखकर धक्का दे मारा.
पर मैंने उसी समय अपनी गांड के छेद को कस लिया तो उसका लंड मेरे कसे हुए छेद में नहीं घुस सकता था.
रणजीत थोड़ा गुस्सा हो गया.
उसने फिर से मेरी दोनों टांगें खोल दीं और अब उसने मेरी गांड की बजाए मेरी चूत पर लंड को रखकर धक्का मारा.
चूत तो किसी भी लंड का विरोध नहीं करती.
इसलिए उसका लंड सीधा मेरी चूत की गहराई में समा गया.
मैंने अपनी दोनों टांगें चिपका लीं जिससे चूत एकदम कस जाती है.
रणजीत भी अब तैयार था.
उसने अपने एक हाथ से मेरी दोनों टांगें पकड़ लीं और नीचे से लंड की सही पोजीशन बना ली.
अब तो मुक़ाबला चूत और लंड के बीच था.
रणजीत ने दन दना दन धक्के मेरी चूत में मारने शुरू किए.
वह हर कुछ सेकंड बाद मेरे चेहरे को देखता था.
शायद वह मेरे भावों को पढ़ रहा था.
मेरे चेहरे के भाव ऐसे थे जैसे रोने से पहले किसी बच्चे के होते हैं.
रणजीत ने 20 मिनट मेरी चूत में धक्के मारे और इन 20 मिनट में मेरी चूत की धज्जियां उड़ चुकी थीं.
अगर चूत के पास ज़ुबान होती तो चूत भी बोल देती कि आज के बाद कभी सेक्स नहीं करेगी.
बाद में बड़ी मुश्किल में रणजीत का वीर्य ख़ारिज हुआ.
उसका लंड सिकुड़कर छोटा सा रह गया और अपने आप ही चूत से निकल गया.
इन 20 मिनट में मैं 2 बार स्खलित हो चुकी थी.
किसी बेजान लाश की तरह मैं नंगी बिस्तर पर पड़ी थी.
ऑफिस गर्ल फक्ड इन जंगल … हालत यह थी कि मेरे शरीर में हिलने तक की ताक़त नहीं थी.
2 मिनट के बाद रणजीत उठा; उसने मेरी दोनों टांगें खोलीं और मेरी चूत से बहते हुए सारे रस को चाट लिया और एक लम्बी सी किस मेरी चूत पर दी.
मैंने भी पूरी ताक़त जोड़ कर बिस्तर से उठकर अपने सारे कपड़े पहन लिए और रणजीत को रूम से जाने को कहा.
उसने मुझे शुक्रिया बोला और मेरे रूम से चुपचाप चला गया.
अगले दिन रणजीत ने मुझसे पूछा- हिमानी रात कैसी रही?
मैं चुप थी.
फिर रणजीत बोला- मेरी अमेरिकन पिल्स काम करती है ना!
मैं एकदम से उसकी तरफ घूर कर देखने लगी.
उसने मुझे बताया कि कल उसने सेक्स टाइम बढ़ाने के लिए एक अमेरिकन पिल खाई थी.
अब मैं भी समझ गई थी.
इस दिन के बाद मैंने रणजीत से कोई बात नहीं की और हालत ये थे कि मेरी चूत ने एक महीने तक किसी लड़के के बारे में सोचा तक नहीं.
आपको इस ऑफिस गर्ल फक्ड इन जंगल सेक्स कहानी पर कितना मजा आया, ईमेल से लिख कर जरूर बताएं.
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