नवविवाहिता की कामुकता को अपने लंड से शांत किया-2

(Newly Married Ki Kamukta Ko Apne Lund Se Shant Kiya- Part 2)

कहानी का पहला भाग: नव विवाहिता की कामुकता को अपने लंड से शांत किया-1

अभी तक मेरी इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा कि मेरे ऑफिस की एक लड़की को पटाने की बहुत कोशिश की मैंने लेकिन वो अपने काम से काम रखती थी. तभी उस की शादी हुई और एक महीने के बाद वो ऑफिस आई तो वो मुझे खुश नहीं लगी. और उस के बाद उसने मुझे अपने घर बुला कर अपनी चूत की कामुकता शांत की मुझसे चुद कर!
अब आगे:

प्रिया का शरीर ऐंठने लगा और फिर एक दम से ढीला पड़ गया और ठीक उसी समय मेरे लंड ने भी मेरा साथ छोड़ दिया।
मैं हाँफते हुए प्रिया के नंगे बदन के ऊपर गिर गया और जब तक लेटा रहा जब तक कि मेरा लंड उसकी चूत से बाहर नहीं निकल गया।

फिर मैं उससे अलग हो गया। थोड़ी देर तक हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हुयी। फिर प्रिया उठी और अपने पेटीकोट से अपनी चूत को साफ करी, उसके बाद मेरे लंड को साफ किया और फिर बिस्तर में पड़ी हुयी हम दोनों के मिलन के रस को साफ करने लगी।
इसके बाद वो मेरे सीने पर अपना सिर रख कर लेट गयी और कहने लगी- शादी के बाद आज पहली बार मुझे नंगी रहने पर बहुत अच्छा लग रहा है।

“पर एक बात कहूं, उस को मानोगी?” मैंने प्रिया से कहा।
“हाँ हाँ बोलो, जो तुम कहोगे वो सब मैं मानूंगी।” उसने हौले से मेरी नाक दबाते हुए और अपनी खुशी को जाहिर करने के लिये अपनी नाक को टेढ़ा किया।
“तो ठीक है, रमेश तुम्हारे साथ सेक्स करते समय जो भी करे उस का पूरा साथ देना।”

वो तुरन्त अचकचा कर उठ गयी और मेरी तरफ देखते हुए बोली- तुम ये क्या कह रहे हो? बहुत गन्दा है वो!
“कैसे?” पहले मैंने प्रिया की बात समझने का प्रयास किया।
प्रिया बोली- वो केवल चाट कर ही सन्तुष्ट रहने वाला है।
“मैं समझा नहीं?”

प्रिया ने अपनी बात कहनी जारी रखी- रमेश बस मेरी चूत और गांड चाट कर ही सन्तुष्ट रहने वाला है, और जब चोदने का वक्त आता है तो मेरी चूत के ऊपर झर कर करवट बदल कर सो जाता है और मैं पूरी रात तड़पती रहती हूँ। आधी रात को नहाने के बाद कहीं जाकर मेरी तड़प खत्म होती है… और तुम कह रहे हो मैं उस का साथ दूं?

मैं एकटक प्रिया को देखता रह गया। जब उस की बात खत्म हुयी तो मैंने उससे कहा- तुमने मुझ से वादा किया है। अब सुनो, मैं क्यों कह रहा हूं। तुम उस का साथ दो, वो तुम्हारे साथ कुछ भी करे, बाकी तुम्हारी तड़प मिटाने के लिये मैं हूं। उस का साथ देने पर उसे खुशी मिलेगी और तुम्हें आजादी।
मैंने थोड़े में अपनी बात को समझाया- दूसरा जब सेक्स करते हैं तो चूत, गांड चटाई या लंड का चूसना उसी सेक्स का एक हिस्सा है और इसमें बड़ा मजा आता है।

मेरी बात काटते हुए प्रिया बोली- लेकिन तुमने भी तो मेरे साथ सेक्स किया और तुमने मेरी चूत गांड को छुआ तक नहीं, चाटने की बात तो बहुत दूर तक की है। तो क्या तुम्हें मजा नहीं आता।
मैंने कब कहा- मुझे मजा नहीं आता? मैं भी इसका खूब मजा लेता हूं लेकिन तुम्हारे साथ इस समय न लेने का कारण हमारा तुम्हारा पहला मिलन है दूसरा यह कि जब तक पार्टनर अपनी इच्छा से न करने को तैयार हो, मैं जबरदस्ती नहीं करता। अगर तुम चाहो तो तुम्हें हर बार नया मजा दे सकता हूं।

“तुमने अभी भी मुझे खूब मजा दिया, जबकि न तुमने मेरी चूत और गांड चाटी और न मुझसे अपना लंड चूसने के लिये बोला।”
“मैंने अभी तो कहा कि पार्टनर जब तक नहीं चाहता, मैं उस के साथ कुछ नहीं करता। तुम अगर चाहोगी, तो मैं वो भी मजा तुम को दूंगा।”

हम दोनों करवट लेकर एक दूसरे से बातें करते रहे, मैंने प्रिया की टांग को अपने ऊपर चढ़ाया और उस के कूल्हे को सहलाते हुए उस की गांड में उंगली डालने की कोशिश करता तो कभी उस की चूत के दाने को मसल देता।
“कैसा लग रहा है?”
“बहुत अच्छा, तुम जो भी करो अब मुझे अच्छा लगेगा। ऐसे ही करते रहो।”

उस का इशारा मिलते ही मेरी उंगली ने अपना काम करना शुरू कर दिया। लेकिन हम दोनों के छाती वाला हिस्सा एक दूसरे से सटा हुआ था, इसलिये उतना मजा नहीं आ रहा था और इस बात का अहसास प्रिया को भी हो रहा था.
वो पलट गयी और अपनी पीठ मेरी छाती से चिपका ली और अपने एक पैर को मेरे पैर के ऊपर चढ़ा दी। अब मुझे और प्रिया दोनों को खेलने में आसानी हो रही थी। मेरी दो उंगलियां प्रिया की चूत के अन्दर थी और अंगूठा उस की फांकों से खेल रहा था। प्रिया भी बीच बीच में अपने हाथों का इस्तेमाल बीच बीच में कर रही थी।

कुछ देर तो ऐसा ही चलता रहा और हम दोनों के बीच कोई बात नहीं हुयी।

प्रिया हमारे बीच की खामोशी को तोड़ते हुए बोली- शरद, तुम अभी जो चाटने वाली बात कह रहे थे, क्या उस को करने में वास्तव में मजा आता है?
“हाँ, मजा तो आता है।” मैंने कहा- लेकिन पार्टनर से सहयोग पर ही मजा आता है। जबरदस्ती में कोई मजा नहीं है।
इतना बताने के साथ ही मैं बोल उठा- तुम अपनी बताओ, तुम्हें भी ये मजा चाहिये क्या?
प्रति उत्तर में प्रिया बोली- हां, अगर तुम मजा दोगे तो मैं जरूर लूंगी।

“लेकिन अकेले नहीं!” उस की बात को काटते हुए बोला- तुम्हें भी मेरे लंड को प्यार करना होगा।
“हां, मैं भी करूंगी।”

प्रिया का इतना कहना ही था कि मैंने उस को सीधा किया और उस के होंठों को चूसने लगा, प्रिया भी मेरा साथ देने लगी। फिर मैं उस के ऊपर चढ़ गया और बारी बारी से उस के निप्पल को चूसते हुए उस की नाभि के पास आया और फिर चूत की फांकों को चूमने लगा और फांकों के बीच अपनी जीभ चलाने लगा, फिर थोड़ा और नीचे आया और चूत के अन्दर जीभ डाल दी.

उस की एक सिसकारी निकली।
प्रिया ने मेरे सिर को अपने हाथों से थामा हुआ था और अपनी जांघों के बीच मेरे सिर को जकड़ लिया था। मुझे उस की चूत का रस पीने में, उस की फांकों के बीच जीभ चलाने में, उस की पुतिया को अपने दांतों के बीच काटने में बड़ा मजा आ रहा था, प्रिया की सिसकारी, ‘आह ओह उम्म…’ की आवाज मेरे कानों में मिठास घोल रही थी।

सिसकारियाँ लेती हुयी प्रिया बोली- इतना मजा है इसमें… मुझे मालूम नहीं था।
तभी मेरी जीभ की टो उस की गांड की छेद में एक चक्कर लगा चुकी थी। फिर मैं उस के जिस्म को नीचे से चाटते हुए उस के ऊपर आकर उस के होंठो को एक बार फिर मुंह में भर लिया और होंठ चूसते हुए मैंने प्रिया को जकड़ा और पलटी मार लिया, अब मैं नीचे था और प्रिया मेरे ऊपर थी।

प्रिया समझ चुकी थी, वो अब ठीक वैसा ही कर रही थी जैसा मैं उस के साथ कर रहा था। उसने बारी बारी से मेरे निप्पल को चूसा और फिर मेरे छाती से अपनी जीभ चलाते हुए पेट की तरफ नीचे उतरने लगी। नाभि पर जीभ चलाते हुए मेरी जांघों को भी सहला रही थी, मेरे लंड का टोपा, कभी उस की चूची तो कभी उस के पेट से टकराता, फिर वो जीभ को जांघ के आस-पास चलाने लगी, मैंने आंखें बन्द कर ली और सुखद अनुभव का आनन्द करने लगा।
प्रिया मेरे अण्डों पर भी अपनी जीभ चला रही थी.

काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा। प्रिया ने लंड छोड़ बाकी सभी जगह का मुझे सुख दिया, उसने अभी तक मेरे लंड को अपने मुख में नहीं लिया था। मैंने भी प्रिया को नहीं बोला कि वो मेरा लंड चूसे, मैं बस आंखें बन्द किये हुए, जो वो कर रही थी, मैं उस का आनन्द ले रहा था। मैं बीच बीच में उस के निप्पल को मसल देता था।

सिलसिला ऐसे ही चलता रहा और मैं आँखें बन्द किये हुए सोचता रहा कि अब प्रिया लंड को चूसेगी, पर ऐसा नहीं हुआ। बीच बीच में उस के जिस्म से टच होने के कारण मेरे लंड में भी तनाव बढ़ता जा रहा था।
मैं प्रिया को पकड़ कर उस के ऊपर चढ़ने ही वाला था कि मुझे मेरे लंड पर गीलेपन का अहसास होने लगा, उस की जीभ मेरे लंड पर चल चुकी थी। प्रिया ने अंडकोष को चाटना शुरू करके लंड के ऊपर के हिस्से में बढ़ रही थी। धीरे धीरे उस की जीभ टोपे पर भी चलने लगी। एक न समझ में आने वाला आनन्द का अहसास हो रहा था। वो अब बड़े ही प्यार से मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी।

फिर वो मेरे कान पर आयी और बोली- मेरे अन्दर अपने लंड को डालो।
मैंने उसे पटक दिया और उस के ऊपर चढ़ गया और एक बार फिर उस की चूत से लंड को सटाया, लेकिन इस बार आग में थोड़ी नरमी थी, मैंने लंड को उस की चूत के अन्दर पेल दिया। उस के बाद धकापेल का सिलसिला चला निकला, जब धक्के लगाते लगाते थक जाता तो प्रिया के ऊपर लेट कर उस की चूची को पीने लगता और फिर धक्के लगाता, इस बार प्रिया भी मेरा हौसला बढ़ाते हुए मेरा साथ दे रही थी।

करीब 4-5 मिनट चोदने के बाद मुझे लगा कि प्रिया का पानी मेरे लंड को गीला कर रहा है, बस उसी के एक मिनट बाद मैं भी प्रिया की चूत के अन्दर झड़ कर उस के ऊपर लेट गया, लंड महाराज अपना काम पूरा करके ढीले होकर चूत से बाहर निकल आये और मैं प्रिया से अलग होकर उस के बगल में लेट गया।

उस के कुछ देर बाद प्रिया उठी, अपने पेटीकोट को उठाया और एक टांग को पलंग पर रख कर अपनी चूत साफ की और फिर मेरे लंड को साफ किया। फिर मोबाईल उठा कर उसने कुछ किया और मेरे सीने पर अपने सिर रखा और मेरे टांग पर टांग चढ़ाकर लेट गयी, उस के बाल सहलाते-सहलाते मुझे कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला।

मेरी नींद तब खुली, जब अलार्म बजने बजने के साथ मुझे मेरे लंड में कुछ दर्द सा महसूस हुआ।
जब मैं और थोड़ा चेतन अवस्था में आया तो कूल्हे को खूब मसला जा रहा है और मेरी गांड गीली हो रही है। मुझे समझ में आ गया कि प्रिया मेरी गांड में अपनी जीभ चला रही थी।
मैंने पूछा- क्या कर रही हो?
“कुछ नहीं, बस ऐसे ही लेटे रहो।”
“मेरे लंड में दर्द हो रहा है।” मैंने प्रिया को किसी तरह से हटाया और उस के बाद बोला- तुम अकेली मजा मत लो, आओ 69 की पोजिशन में मजा लेते हैं।
“69 का मतलब क्या है?”
“कुछ नहीं… दोनों का मुंह विपरीत दिशा में होगा। तुम्हारी चूत मेरे मुंह के पास होगी और मेरा लंड तुम्हारे मुंह के पास… फिर जो तुम चाहो तुम करना और जो मैं चाहूं वो मैं करूंगा।”

प्रिया को बात समझ में आ चुकी थी, वो झट से 69 की पोजिशन में आ गयी। पहले पहल तो वो मेरे लंड के ऊपर अपनी जीभ चला रही थी और मैं उस की चूत की फांकों पर जीभ चला रहा था। फिर मैंने उस के फांकों को फैलाया और उस के अन्दर थूक लगाया और उंगली डाल कर अन्दर घुमाने लगा और उस के अन्दर की क्रीम को चाट लिया।
तीन चार बार ऐसा करने पर प्रिया ने पूछ लिया- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं, बस तुम्हारी क्रीम को चाट रहा हूं।

वो तुरन्त मेरे ऊपर से उतर कर वापिस सीने पर चढ़ गयी और बोली- मुझे भी देखना है कि तुम क्या करते हो।
उस का इतना कहना ही था कि मैंने उस के चूत के अन्दर उंगली डाली और थोड़ा घुमाने के बाद बाहर निकाल कर आईसक्रीम की तरह अपनी उंगली चाटने लगा।
“मुझे भी तुम्हारी क्रीम चाटनी है।”
“ठीक है, एक काम करो, मेरे लंड पर बैठ जाओ, थोड़ा उछलो कूदो और जब मैं बोलूं तो मेरी क्रीम निकाल कर चाट लेना।”

थोड़ा समझाने के बाद प्रिया मेरे लंड पर चढ़ गयी और मेरे लंड की सवारी करने लगी लेकिन कुछ देर बाद वो उछलना कूदना बंद करके मेरे होंठों को चूसने लगी। वो मेरे होंठों को चूस रही थी और मैं उस की गांड में उंगली कर रहा था।
कुछ देर ऐसा करने के बाद वो फिर एक बार उछलने लगी। फिर अचानक वो हांफते हुए मुझ पर गिर पड़ी, ठीक उसी समय मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है, मैंने प्रिया से बोला- क्रीम अगर चाटनी है तो मेरे लंड को अपने हाथ से दबाओ.
उस को समझ में नहीं आया तो मैंने उसे करके दिखाया तो वो वैसा करने लगी और फिर मेरा माल पिचकारी से छूटे पानी की तरह उस के चेहरे पर, उस की छाती पर और उस के हाथ में गिर गया।
उस के बाद मेरे कहने पर उसने मेरे लंड को अपने मुंह से साफ किया और फिर अपने हाथ में लगे हुए मेरे रस को चाट कर साफ कर दिया, बाकी का उस ने एक बार फिर अपने पेटीकोट का सहारा ले कर साफ किया।

इतना करने के बाद प्रिया अपने कपड़े पहनने लगी और मुझ से जाने के लिये बोली।
मैं भी उठा और उस को चूम कर अपने कपड़े पहन लिये और चुपचाप उस के घर से निकल आया।

सवेरा होने को था और किसी की नजर में हम दोनों में से किसी को नहीं आना था।

दोस्तो मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लग रही है? कृपा करके मेल के माध्यम से मुझे अपने विचार बतायें।
धन्यवाद
आपका अपना शरद सक्सेना
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कहानी का तीसरा भाग: नव विवाहिता की कामुकता को अपने लंड से शांत किया-3

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