चूत के साथ गांड फ्री: ननद भाभी को चोदा
(Chut Ke Sath Gand Free: Nanad Bhabhi Ko Choda)
दोस्तो, मैं एक बार फिर से हाजिर हूँ अपनी कहानी लेकर।
मेरा नाम गोल्डी है, मैं दिखने में पतला और 6 फिट 2 इंच का 20 साल का अच्छा दिखने वाला लड़का हूँ। मेरा लंड 8 इंच का है और मोटा है जो अच्छी अच्छी लड़कियों औरतों का दम निकल सकता है। मेरी यह कहानी पूरी सच है.
एक दिन की बात है मैं अपने खेत की तरफ घूमने गया, मैं सोनीपत हरियाणा का रहने वाला हूँ तो हमें अपने खेतों में जानवरों और गांव की औरतों जो खेत से फसल काट लेती हैं, उनकी निगरानी या फिर पहरेदारी के लिए जाना ही पड़ता है तो उस दिन भी मैं खेत की तरफ गया, वहां मैंने देखा कि हमारे खेत में चार औरतें घुसी हुई थी. तो मैं वहां मौके पर पहुंच गया, मैंने उन्हें धमकी देकर छोड़ दिया.
फिर अगले दिन दोबारा मैं खेत पर गया तो वो ही चार औरतें मिली. तो मैंने उन्हें कहा कि अबकी बार अगर हमारे खेत में नजर आयी तो तुम्हारी खैर नहीं!
तभी अचानक उनमें से एक ने मुझे थोड़ा अजीब तरीके से देखना शुरू कर दिया।
मैंने भी उसे उसकी भाषा में जवाब दिया और उनके पीछे जाने लगा.
तभी वो बाक़ी सभी औरतों से थोड़ा पीछे चलने लगी और मेरे तरफ देख कर हंसने लगी और तभी मैं उसके पास गया, उसका नाम पूछा.
उसने अपना नाम प्रियंका बताया और बताया कि वो मेरे पड़ोसी गांव की थी.
मैंने अपना एक हाथ उसके पिछवाड़े पर फिराया और एक हाथ उसकी चूची पर!
तभी वो बोली- फिर कभी मिलना, अभी नहीं!
और वो चली गयी।
अगले दिन मैं फिर उसी वक्त पर खेत में गया तो वो आज अकेली आयी थी. मैंने उसे पकड़ लिया और खूब मसला, उसके चूचे दबाए और उसे ज्वार के खेत में ले गया और उसका रसपान करने लगा. अब मैं उसके शर्ट के अंदर ही चुचे दबाने लगा. उसके बाद मैंने उसका शर्ट निकाल दिया और जम कर उसकी चूची पी.
और जैसे ही मैंने सलवार का नाड़ा पकड़ा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर हटा दिया और बोली- आज नी… कल करिये… आज मेरी डेट है!
तो मैंने उसे छोड़ दिया.
उसके बाद उसने मेरे खेत में से घास और ज्वार ली और चली गयी.
तो मैं अगले दिन फिर से उसी समय पर अपने खेत में गया पर वो नहीं आई, उसके बाद मैं खेत में कई दिनों तक गया वो मुझे नजर नहीं आई.
तो मैंने सोचा कि छोड़ न यार! माँ चुदाने दे साली को!
तीन दिन बाद मेरे दोस्त का फ़ोन आया और बोला- खेत में आ जा, आज रंडी बुला रखी है!
मैं वहां गया तो देख कर दंग रह गया, देखा तो वो प्रियंका थी, वही औरत जो मुझे खेत में मिली थी.
वो ही वहां खेत वाले कमरे में नंगी बैठी थी.
तो मैंने अपने दोस्त से पूछा कि ये यहां कैसे?
उसने बताया कि वो रंडी है और पैसों के लिए चुदती है।
अब मेरा दोस्त बोला- जा तू बाहर, मैं पहले कर लूँ!
मैं बोला- ना यार, पहले मैं करूं! तू बाहर जा!
वो बोला- मैं ना जाऊँ बाहर! पहले मैं ही करूंगा.
तो मैं मान गया और बाहर चला गया.
अब मैं बाहर पहरेदारी कर रहा था कि कोई आ न जाए. जब दूर दूर तक मुझे कोई नहीं दिखा तो अब मैं अंदर देखने लगा कि वहां क्या चल रहा है.
मैंने देखा कि वो मेरे दोस्त के लंड को चूस रही थी. मैंने देखा कि मेरे दोस्त का लंड सिर्फ चार इंच का है.
उसके बाद मेरे दोस्त ने उसे घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड उसकी चूत पर रख दिया और लंड अंदर बाहर आगे पीछे करने लगा, वो प्रियंका बस आह आह की आवाज ही निकाल रही थी. मुझे लगा कि उसको तो दर्द न के बराबर हो रहा है और वो आराम से पूरे लंड को अपनी चूत में ले रही थी.
फिर जल्दी ही मेरा दोस्त रुक गया और बिल्कुल आराम से लंड आगे पीछे करने लगा, शायद उसका माल छूट गया था. उसका लंड जब बाहर आया तो मैंने देखा कि उसका लंड ढीला पड़ गया था.
और अब वो दोनो खड़े हो गये, वो औरत उसकी मुठी मारने लगी और थोड़ी देर में उसका लंड फिर से खड़ा हो गया और उसने उसे अब अबकी बार लेटा दिया और उसके ऊपर लेट कर अपने हाथ से लंड उसकी चूत पर सेट करके फिर से अंदर बाहर करने लगा और लगभग दस मिनट तक चोदता रहा और उसने उसकी चूची पर जोर से काट लिया और झड़ कर खड़ा हो गया.
जब मेरा दोस्त बाहर आने लगा तो इतने में मैं दूर जाकर बैठ गया जैसे मुझे कुछ पता ही ना हो!
दरवाजा बंद करके मेरा दोस्त मेरे पास आया और बोला- तू जा अब!
मैं बोला- ठीक है भाई!
अब बारी मेरी थी तो मैं अंदर गया और दरवाजा बंद कर लिया.
वो मुझे देख कर हंसने लगी तो मैं भी हंस दिया। मैंने उससे पूछा- तू उस दिन खेत में क्यों नहीं आई थी?
तो वो बोली- मैं मायके चली गयी थी!
उसके बाद मैं उसके पास बैठ गया और उसके चुचे दबाने लगा, तभी उसके मुंह से अजीब अजीब आवाजें निकलने लगी ‘आह आह श श आह…’
दस मिनट तक मैं उसके चुचे दबाने और चूसने में लगा रहा, उसके चूचों से दूध आ रहा था. तब तक उसने मेरा लंड ऊपर से ही सहलाया, फिर उसने मेरी पैंट निकाल दी और उसके बाद मेरी शर्ट निकाली।
जैसे ही उसने मेरा कच्छा निकाला, उसने झट से मेरा लंड मुँह में भर लिया और पागलों की तरह चूसने लगी. थोड़ी ही देर में मैं झड़ने वाला था, मेरे झड़ते ही उसने सारा रस बड़ी आसानी से पी लिया और लंड को चाट चाट कर साफ कर दिया.
कुछ देर में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और उसके बाद मैंने उसे जमीन पर लेटा दिया और उसकी टाँगें खोल दी और देखा तो उसकी चुत एक रंडी जैसी नहीं थी.
तो उसने बताया कि उसकी शादी को सिर्फ एक साल हुआ है और अभी तक बच्चा पैदा नहीं हुआ है.
मैंने उसके होंठों पर होंठ रख कर, लंड चूत पर रख कर उसके चुचों को पकड़ कर जोर से झटका मारा तो एक ही बार में लंड आधे से ज्यादा घुस गया और उसकी चीख मेरे मुंह में दब गयी. तभी मैंने एक और झटका मारा और पूरा 8 इंच का लंड चूत में समा गया तो उसने हाथ पैर जमीन पर मारने चालू कर दिए क्योंकि उसकी आवाज मेरे मुंह से बाहर नहीं जा रही थी क्योंकि मैंने उसके होंठ जोर से दबा रखे थे।
मैं कुछ सेकंड रुका और उसके होंठ छोड़ कर लंड अंदर बाहर करने लगा. तभी वो अपने दोनों हाथ मेरे पेट पर रख कर मुझे थोड़ा दूर करने लगी जिससे पूरा लंड चूत में न जाये!
उसके मुंह से अजीब अजीब आवाजें आ रही थी, वो मुझे गाली दे रही थी, बोल रही ही- भोसड़ी के पाड़ दी मेरी… बहनचोद!
और लगातार गाली देती रही- आह आह… उई मां मार दी हूं…
कुछ मिनट बाद ही अपनी कमर हिलाने लगी और चुदाई में मेरा साथ देने लगी और फिर पांच मिनट बाद वो झड़ गई, उसके पानी की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी, मैं अभी नहीं झड़ने वाला था क्योंकि मैं उसके मुंह में झड़ चुका था तो मैं लगातार उसे चोदता रहा.
तभी थोड़ी देर में मेरा शरीर भी अकड़ने लगा और मैंने धक्के और तेज कर दिए और उसकी चूत में ही झड़ गया.
दो मिनट बाद फिर उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया जिससे थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से तैयार हो गया तो मैंने उसे उल्टा घुटने के बल किया यानि उसे घोड़ी बना दिया, पीछे से उसकी चूत पर लंड रख कर उसकी चूची पकड़ उन्हें दबाने लगा और लंड चूत में घुसा कर चोदने लगा, अब वो मेरा लंड आराम से चूत में ले रही थी, उसके मुंह से सिर्फ मादक आवाज आ रही थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मैं उसे जम कर चोदा. तभी मुझे उसके चूतड़ दिखे और मैं उसकी गांड मारने के बारे में सोचने लगा. मैंने लंड बाहर निकाल लिया और उसकी गांड पर रख दिया जिससे वो एकदम खड़ी हो गयी और बोली- गांड ना मराऊँ यार… दर्द घन्ना होवे है. (गांड नहीं मरवाऊँगी, बहुत दर्द होता है!)
तो मैंने उसे समझाया और उसे किस किया और उसे मना कर गांड मरवाने के लिए तैयार किया और अपना लंड उसकी गांड के छेद पे रख दिया और जैसे ही धक्का देने को तैयार हुआ तो तभी बाहर से जोर से आवाज आई- उतौली कर लै, कोई आण लाग रया है. (जल्दी कर लो, कोई आ रहा है.)
मेरे दोस्त ने किसी को खेत की तरफ आते देखा तो वो जोर से बोला. खेतों में काफी दूर से आदमी को देख सकते हैं.
तभी हम दोनों चुदाई बीच में छोड़ के बाहर निकले, उसने अपना घास की गठड़ी उठाई और जाने लगी.
मैंने उसे रोका और पैसों के बारे में पूछा तो वो बोली- सब पे पिसे ना लिया करती में (सब से पैसे नहीं लेती मैं!)
और तब उसने अपना नंबर दिया और मुस्कुरा कर वहाँ से चली गयी।
तो दो दिन बाद मैंने उसे फ़ोन किया और उसका हाल चाल पूछा और मिलने को कहा तो उसने तीन दिन बाद का टाइम दिया और बोली- मुझे बाइक पर ले जाना गांव के बाहर से!
मैं तीन दिन बाद बाइक लेकर पहुंचा तो देखा कि एक लड़की जो जवान और मोटे मोटे चुचों वाली, भारी गांड वाली थी, उसके साथ थी.
मैंने प्रियंका से उसके बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो उसकी ननद है और सेवा देना चाहती है.
मेरे मन में तो लड्डू फूट रहे थे.
मैंने अपने उसी दोस्त को फ़ोन किया और उसे बता कर उन्हें लेकर चल पड़ा और खेतों के रास्ते से ही कोठड़े (खेत वाले कमरा) पर ले आया.
अब वो भी दो थी और हम भी दो… तो हमने फैसला किया कि प्रियंका मेरे दोस्त के साथ और रीना (प्रियंका की ननद) मेरे साथ चुदाई करेगी.
पहले मैं रीना को लेकर अंदर गया और जाते ही उसके कपड़े निकाल कर फेंक दिए और पागलों की तरह उसे नोचने लगा और कभी उसकी गर्दन और कभी उसकी चूची पर लगातार किस कर रहा था और उसने मेरी पैन्ट खोल दी और लंड को आगे पीछे करने लगी.
तभी वो झुकी और मेरे लंड को चूसने लगी. कुछ देर बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया और सीधा उसकी चूत में आराम आराम से डालने लगा. अब वो थोड़ा करहा रही थी, मैंने एकदम से झटका मार कर लंड पूरा उसके अन्दर उतार दिया जिससे उसने जोरदार चीख मारी और मैं रुक गया और आराम से आगे पीछे करने लगा.
रीना अभी भी रो रही थी पर मैं नहीं रुका और चुदाई करता रहा और कुछ मिनट बाद हम दोनों झड़ गए. थोड़ी देर उसने मेरा गीला लंड चूसा और खड़ा कर दिया.
तभी मैंने देखा कि उसकी चूत से खून निकल रहा था.
मैंने अब लंड उसकी चूत की बजाय उसकी गांड पर रखा तो वो मना करने लगी तो मैंने उसे समझाया और वो मान गयी. मैंने अपने लंड पर और उसकी गांड थूक लगाया और लंड गांड पर रख दिया और जोर लगाया तो मेरे लंड का टॉप अंदर चला गया और वो आगे सरक गई और लंड बाहर आ गया.
मैंने उसे अच्छे से समझाया और फिर से लंड रखा और जोरदार झटका मार कर आधा घुसा दिया, वो फिर से रोने लगी और मैंने उसकी परवाह न करते हुए लगातार अपना पूरा लंड डाल कर रीना की गांड चोदने लगा. उसके बाद पन्द्रह मिनट में मैं झड़ गया और हमने अपने कपड़े पहने और बाहर आये तो देखा कि बाहर कोई नहीं था.
हमने आस पास के ज्वार के खेतों में देखा तो वहीं से आवाज सुनाई दी तो देखा कि मेरा दोस्त और प्रियंका जम कर चुदाई कर रहे थे.
वो हमें देख कर रुक गए तो हमने उन्हें कहा- तुम लगे रहो, हम जा रहे हैं!
और हम बाहर आ गए. मैं रीना को फिर से कोठड़े में ले गया और उसके बदन से खेलने लगा.
कुछ देर बाद मैं रीना को कोठड़े में छोड़ बाजार से खाने का सामान लाने चला गया. फिर कुछ देर बाद वो दोनों ज्वार में से बाहर आये, तब तक मैं समोसे और जलेबी ला चुका था, हमने मिल कर समोसे और जलेबी खाई. और सबने कपड़े ठीक किये.
मैंने अपने दोस्त से कहा- अब तू जा इन्हें छोड़ने!
वो उन्हें लेकर चला गया और मैंने उनके जाने के बाद कमरा बन्द किया और गांव की तरफ आ गया।
यह कहानी बिल्कुल असली है. दोस्तो बताना कि मेरे सच्ची और सरल कहानी कैसी लगी. मुझे सभी लोग अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें! मैं आपके मेसेज का इंतजार करूँगा.
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