नई जवानी की बुर की चुदाई-4
(Nai Jawani Ki Bur Ki Chudai- Part 4)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left नई जवानी की बुर की चुदाई-3
-
keyboard_arrow_right नई जवानी की बुर की चुदाई-5
-
View all stories in series
रात की खून भरी बुर की चुदाई के बाद दूसरे दिन मेरी नींद उसकी मधुर आवाज से खुली, वो मेरे लिये चाय बना कर लाई थी। इस समय उसने कपड़े पहन रखे थे।
मैं उसकी आवाज सुनकर उठा और बेड टी का मजा लिया।
मैं चाय पीकर यह सोचकर लेटने लगा कि तीन दिन तक अब मौज ही मौज होगी, क्योंकि प्रिया ऑफिस नहीं जायेगी और मुझे भी रूकने के लिये बोलेगी.
पर यहाँ तो उल्टा ही हो गया, जैसे मैं वापस लेटने लगा, उसने मुझे तुरन्त ही झिड़क दिया और तैयार होकर ऑफिस जाने के लिये बोली.
और वो भी खुद लंगड़ाते हुए रसोई की तरफ चल दी।
मैं उठा और उसके पीछे रसोई आ गया और दर्द के बारे में पूछा तो बोली- मजा लेने के लिये कुछ तो चुकाना ही पड़ेगा।
‘तुम ऑफिस जाओगी?’
‘हाँ बिल्कुल!’ वो बोली.
‘तो तुम भी तैयार हो जाओ, हम दोनों ही साथ चलते हैं।’
‘नहीं, तुम अकेले जाओगे और मैं अकेली!’
मैं उसकी बात समझ गया था। मैं तैयार हो गया, प्रिया ने मुझे नाशता करा दिया और टिफिन भी दे दिया।
मैं टिफिन लेकर निकल पड़ा.
करीब 1 घंटे के बाद प्रिया भी ऑफिस आ गई, हम दोनों की फॉर्मल बात चीत हुई और फिर दिन भर हम लोग अपना काम करते रहे। आज मुझे प्रिया और भी सेक्सी लग रही थी। मेरा मन काम में नहीं लग रहा था। पर मुझे किसी तरह समय बिताना था.
ऑफिस छूटने के एक घंटे पहले प्रिया अपनी किसी सहेली या फिर बहन से बात कर रही थी और उसके बाद बिना किसी को बताये ऑफिस से निकल गई।
ऑफिस छूटने के बाद जब मैं घर पहुंचा, लेकिन प्रिया घर नहीं आई थी, मेरे पास उसका नम्बर भी नहीं था।
मैं क्या करूँ?
मैं इसी उधेड़बुन में था कि प्रिया ने मुझसे बोला था कि तीन दिन तक वो घर में अकेली है और वो इसीलिये मेरे साथ मेरे घर आई थी, लेकिन क्या मेरे से कोई गलती हो गई कि वो बिना मुझे बताये कहाँ चली गई?
मेरे दिमाग में उसके घर जाने की बात आने लगी कि तभी डोर बेल बजी, दरवाजा खोला तो प्रिया बाहर खड़ी थी। उसे देखते ही मेरे मुंह से निकला- कहाँ थी तुम?
‘क्यों बहुत बैचेन हो रहे हो मेरे बिना?’ वो बोली।
‘तुम कुछ बता कर नहीं गई थी न इसलिये!’
अन्दर आकर कुर्सी पर बैठते हुए बोली- बस मैं अपनी बहन के यहाँ गई थी।
‘कोई खास कारण से गई थी वहाँ पर?’ मैंने पूछा तो उसने हाँ में सर हिलाया.
मैं उससे बात करते हुए चाय बना रहा था, मैंने उसे चाय सर्व करते हुए उसके दर्द के बारे में पूछा तो बोली- हल्की जलन सी है।
फिर हम लोग चाय पीते हुए बात करने लगे.
तभी मेरा ध्यान उसके चेहरे पर गया, काफी चिकना था और जो उसकी हल्की-हल्की मूँछें थी, वो भी बिल्कुल साफ थी और सबसे बड़ी उसके जिस्म से बहुत ही सेक्सी सुंगध आ रही थी तो मैं उसके और करीब गया और एक कुत्ते जैसे सूंघने लगा.
वो बोली- क्या कर रहे हो?
‘कुछ नहीं, तुम्हारे जिस्म से बहुत ही सेक्सी खुशबू आ रही है, इसलिये कुत्ते जैसा सूंघ रहा हूँ।’
इस समय प्रिया सफेद रंग का बॉटम और सफेद रंग की शर्ट पहनी थी और सफेद रंग की हील भी पहने हुए थी, मैंने उसके हाथ को पकड़ा और खड़े होने का इशारा किया, वो समझ गई और कुर्सी से उठ कर खड़ी हो गई, इस समय उसकी लम्बाई और मेरी लम्बाई के बराबर थी.
मैं घूमते हुए उसके पीछे गया और उसके कंधे पर अपनी ठोढ़ी टिकाकर उसके गाल से अपने गाल सटाकर बोला- प्रिया, तुम बहुत सुन्दर लग रही हो और तुम्हारे अन्दर से आती हुई महक मुझे और मदहोश करते हुए तुम्हारा दीवाना बना रही है।
प्रिया भी मेरे गालों को सहला रही थी।
मैंने उसकी कमीज के बटन खोलना शुरू किया, उसने झट से मेरा हाथ पकड़ा और बोली- ये क्या अभी से? रात में करना।
‘प्रिया मेरी गलती नहीं है, तेरे इस सेक्सी रूप ने मुझे बेकाबू कर दिया है, इसलिये… मत रोको मुझे!’
और फिर मैंने कमीज के बटन को खोलकर उसके जिस्म से अलग कर दिया और उसकी चुची ब्रा के ऊपर से दबाने लगा.
उसने अपने दोनों हाथ की माला बनाकर मेरी गर्दन पर डाल दी, मेरे हाथ जब उसकी चुची को सहलाते हुए उसकी बगल में गये तो वहां बिल्कुल भी बाल नहीं थे, मुझे उसकी बगल को सहलाने में बड़ा मजा आ रहा था।
कहाँ कल रात में झंगाड़ था बालों को, आज वो जंगल पूरी तरह से साफ था। मैंने उसकी बगल को सहलाते हुए पूछा- प्रिया, कहाँ से बनवाकर आ रही हो?
‘अपनी दीदी के यहाँ!’
मेरी मदहोशी तुरन्त ही खत्म हो गई, ‘क्या?’ मैं चौंक कर पूछा।
‘हाँ!’
‘तो उनको पता लग गया है कि तुम यहाँ पर हो?’
‘नहीं, बस कल रात जब तुम मुझसे प्यार कर रहे थे तो मुझे बड़ा अजीब लग रहा था, कि मेरे पूरे जिस्म में बाल ही बाल थे फिर भी तुम मुझे प्यार कर रहे थे, इसलिये मैंने सोचा कि आज मैं तुम्हारे लिये अच्छे से तैयार होकर आऊँगी।’
‘एक बात और बताऊँ?’ उसने मेरी आँखों में आँखें डालते हुए कहा- जब दीदी मेरी वैक्सिंग कर रही थी, तो मैं सिर्फ तुम्हारे बारे में सोच रही थी और पता नहीं कब मेरा पानी छुट गया, दीदी ने तुरन्त पूछा कि मेरी जिंदगी में कौन है?
‘तो तुमने क्या बताया?’
‘कुछ नहीं!’
अब मुझे प्रिया को देखने की बड़ी इच्छा हो रही थी, मैंने प्रिया की ब्रा को उससे अलग किया, फिर उसकी बॉटम और पेंटी को उससे अलग किया, मेरी नजर जब उसकी चिकनी चूत पर पड़ी तो मुझे लगा कि वास्तविक खजाना तो अब दिखाई पड़ रहा है।
क्या उभारदार गुलाबी रंग की चूत थी उसकी!
मैं अपने घुटने पर आ गया और मेरी उंगलियाँ उसकी चिकनी और सफाचट चूत को केवल सहला रही थी। अब बाल का नामोनिशान नहीं था… क्या मुलायम चूत लग रही थी!
मैंने प्रिया से कुर्सी पर बैठने के लिये कहा, मैं उसकी चूत को अच्छे से देखना चाहता था, कल रात तो कुछ समझ में भी नहीं आया था।
मैंने उसकी चूत की फांकों को फैलाया, उसकी लाल-लाल गहराई में उसकी चॉकलेटी कलर की पुतिया छुपी हुई थी। मैंने एक बार प्रशंसा भरी नजर से प्रिया को देखा और फिर बिना उसके उत्तर के इंतजार के मेरे होंठ उस महहोश कर देने वाली चूत से टच हो गये।
शुरू में तो मैं चूम रहा था, लेकिन कब मेरी जीभ उसकी चूत पर चलने लगी, उसकी पुतिया को होंठों के बीच फंसा कर लॉलीपॉप की तरह चूस रहा था।
मुझे तो पता ही नहीं चला कि कब मेरे दांत उसकी चूत के उभारों को काटने लगे, वासना इतनी प्रबल हो रही थी कि मैं उसकी चूत को खा जाना चाहता था.
वो मेरे बालो को सहला रही थी, लेकिन वो जल्दी ही खलास हो गई और उसका पानी मेरे मुंह में गिर रहा था।
वो शायद संकोचवश मेरे मुंह को अपनी चूत से अलग करना चाह रही थी, लेकिन वो असफल हो रही थी और फिर उसने प्रयास करना बंद कर दिया।
उसकी चूत के रस को चाटते हुए, नाभि से होते हुए उसके दूध को पीते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए, उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया.
मैंने होंठ चूमने के बाद पूछा- प्रिया मैंने तुम्हारी मलाई चखी, मुझे बहुत पसंद आई, क्या तुम मेरी मलाई चखोगी?
वो खड़ी हुई और मेरे एक-एक कपड़े उतार कर मुझे अपनी जगह बैठाकर खुद नीचे बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया। बहुत प्यार से वो मेरे लंड को चूस रही थी, उम्म्ह… अहह… हय… याह… कभी वो लंड को पूरा मुंह में भर लेती तो कभी सुपारे के खोल को खीचकर अग्रभाग पर अपनी जीभ चलाती तो कभी टट्टों को भी बारी-बारी से मुंह में भर लेती।
इधर मैं भी उसकी दोनों चुची से खेल रहा था।
जब उसने काफी देर मेरा लंड चूस लिया, तो मैंने उसे अपनी गोदी में उठाया और बेड पर लेटा दिया और उसकी दोनों जांघों के बीच बैठकर उसकी चूत पर लंड सेट किया, उसकी चूत अभी भी धधक रही थी, मैंने एक जोर का झटका दिया.
‘आह…’ बस उसके मुंह से निकला।
मैंने तुरन्त ही अपने आपको काबू में किया और रूक गया और फिर धीरे-धीरे करके लंड को उसकी चूत के अन्दर पेबस्त किया।
मैं उसके ऊपर लेट गया और उसकी चुची को अपने मुंह में भर लिया।
‘शक्ति, तुम बहुत अच्छे हो। मैं आज दुनिया के सब सुख पा गई!’
मुझे लगा कि ये उसके इमोशन हैं. मैंने अपना काम चालू रखा। अब मैं धीरे-धीरे अपने लंड को आगे पीछे करने लगा और धक्के की स्पीड भी धीरे-धीरे बढ़ाने लगा। एक जैसी पोजिशन में धक्के मारते मारते मैं थकने लगा तो मैं चित लेट गया और प्रिया को अपने ऊपर कर लिया और फिर उसकी चूत में लंड डालकर नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर उसको चोदने लगा।
प्रिया भी अब समझ चुकी थी, वो भी मुझे चोदने की कोशिश कर रही थी, हालांकि उसके इस प्रयास से उसकी चूत से लंड बाहर आ जा रहा था।
लेकिन एक बार जब वो समझ गई तो एक एक्सपर्ट की तरह वो भी मुझसे खेलने लगी।
यह बुर की चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
फिर मेरे कहने से वो सीधी बैठ गई, उसके इस तरह के थोड़े प्रयास में ही मेरा लंड जवाब देने लगा था, मैंने प्रिया को अपने से नीचे उतारा और उससे बोला- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी चूत के बाहर अपना पानी निकाल सकता हूँ और अगर तुम चाहो तो मेरी मलाई को अपने मुंह में ले सकती हो!
मेरी बात सुनने के बाद उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया और जब तक कि मेरी मलाई की एक एक बूंद को चाट नहीं ली तब तक उसने मेरे लंड को अपने मुंह से अलग नहीं किया।
थोड़ी देर हम दोनों चिपक कर लेटे रहे।
अब दूसरी बार प्रिया की बुर की चुदाई करके मुझे और शायद उसे भी काफी सुकून मिला.
कहानी जारी रहेगी.
[email protected]
What did you think of this story??
Comments