सेक्स है कुदरत का वरदान- 10
(Multiple Sex Kahani)
मल्टीपल सेक्स कहानी में रात के अँधेरे में एक घर में एक साथ कई कई चुदाई चल रही थी. किस लौड़े को किसी चूत मिली? सब इधर उधर हो गया.
कहानी के पिछले भाग
सेक्स का मजा लेने के कई जुगाड़ एक साथ
में आपने पढ़ा कि बंटू की शादी वाले दिन सरताज, रात में अंजू का चुदाई के लिए आने और उस की कामुकता से बहुत उत्साहित होता है। उस के अतिशीघ्र ओरल के द्वारा झड़ने पर आश्चर्य चकित भी होता है।
अब आगे मल्टीपल सेक्स कहानी:
सरताज ने अंजू की चूत पर से मुंह हटाया और उसके शरीर के ऊपर बादलों की तरह छा गया।
उसने अपने लंड पर मुख लार लगाकर उसे चिकना किया और चूत रस से चिकनी चूत में लंड टिकाकर जोरदार झटका लगाया।
लंड अंजू की चूत में एकदम जड़ तक चला गया।
अंजू के मुंह से एक दबी हुई चीख सी निकल गई।
सरताज को बड़ा गर्व सा हुआ कि उसके लंड में कई महीने से चुद रही अंजू के मुंह से आज भी चीख निकलवाने का दम है।
शादी में व्यस्त होने के कारण पिछले कई दिनों से सरताज किसी की चूत को चोद नहीं पाया था, न सिमरन की, न अंजू की।
अतः उसने बिना देर किए चूत को रगड़ना शुरू किया।
स्टैमिना तो सरताज का बढ़िया था ही, अंजू भी उछल उछल के पूरी मस्ती में जवाब दे रही थी।
उसे लगा कि जब मैं इतने दिनों से किसी को नहीं चोद पाया तो फिर अंजू भी तो कई दिनों से बिना चुदी होगी इसीलिए उस पर इतनी मस्ती चढ़ी हुई है।
मेरे कामुक पाठको, अब जरा हर्ष के कमरे की ओर चलते हैं कि वहां क्या घट रहा है?
जब हर्ष की नींद खुली तो उसने भी यही कहा- बहुत देर लगा दी अंजू बुआ? मैं तो समझ रहा था कि तुमने आज मेरे खड़े लंड पर चोट कर दी है क्यों कि हर्ष का लंड तो चूत में घुसने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
उसने अंजू बुआ को पकड़ के ऊपर खींचा, उसने भी यही पाया कि अंजू बुआ इतनी चुदासी हो रही थी कि पहले से ही सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी उसकी बाहों में आ गई।
हर्ष ने तो पहले ही सारे कपड़े उतार के फेंके हुए थे।
उस ने अंजू बुआ को बाहों में ले कर पूरे नंगे जिस्म को सहला कर उस के मांसल एवं कोमल बदन का आनंद किया, उस के बूब्स को दबा दबा के उस की चूत की आग भड़काई।
उस के बाद उस ने दोनों निप्पलों को चूस के अंजू को लंड के लिए पागल कर दिया।
अंजू की सिसकारियां हर्ष में जोश भर रही थीं।
उस के बाद हर्ष ने रस और नशीली खुशबू के गोदाम पर धावा बोला।
हर्ष की जुबान ने अंजू बुआ की वो हालत कर दी कि चूत में मच रही गुदगुदी के कारण पूरा शरीर कंपन करने लगा।
पता नहीं अंजू की चूत से कितने ऑर्गेज्म बह निकले।
फिर हर्ष ने अंजू की टांगें ऊपर की और अपने लंड पर थूक लगाकर एक जोरदार धक्का मारा।
लंड, चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ जड़ तक भीतर समा गया।
हर्ष ने सुबह की कसर निकालते हुए रुक रुक के करारे झटके लगाने शुरू किये और मुंह से उसके फूल झरने लगे।
वह बोल रहा था- मां की लौड़ी, बहुत आग लगी है साली तेरी भोसड़ी में? इस उम्र में भी तेरे को नित नये लंड चाहिए? सुबह मेरे नये लंड से चुदने के बाद, तेरे को नये लंड का ऐसा चस्का कि, बेटे की शादी में, घर के सारे मेहमानों से बचते हुए, तू फिर मेरे लंड के मजे लेने आ गयी?
उसके बाद उसने अंजू बुआ की चूत में मौजूद दोनों तितलियों को अपने लंड से कुचलना, कुटना शुरू कर दिया।
अंजू की चूत के दोनों होंठ हर्ष के लंड से, हथौड़े जैसी चोट खाकर खुशी से फूल रहे थे।
कम से कम 20 मिनट तक हर्ष अंजू की चूत को रगड़ता रहा।
अंजू के मुंह से लगातार सिसकारियों की आवाज़ें उसे और अधिक उत्तेजित कर रही थीं और दबी, घुटी चीखें उसके जोश को बढ़ा रही थीं।
फिर जब हर्ष के लंड में वीर्य का तूफान सा उठा तो उसने अपनी गति और घर्षण शक्ति बढ़ा दी और दोगुनी रफ्तार तथा चौगुने जोश के साथ लंड अंदर बाहर करने लगा।
अंजू बुआ भी उसी उत्साह से उछल-उछल के उसके हर धक्कों का जवाब दे रही थी फिर अंजू की चूत और हर्ष का लंड दोनों इतनी जोर से फड़कने लगे कि पूरे शरीर को उनके फड़कने का एहसास हो रहा था।
मेरे रसिक पाठको, आप लोगों को यह जानने की उत्सुकता होगी कि मनीष के साथ क्या हुआ!
तो आइए चलते हैं उसके कमरे में!
अंजू नंगे पड़े मनीष के ऊपर चढ़ी हुई थी।
जब होठों के ऊपर ऊपर रसीली चूत का एहसास हुआ तो मनीष समझ गया कि अंजू उस रात की तरह 69 का मजा लेना चाहती है।
मनीष ने कहा- उस रात की सुनहरी यादें अभी तक भूली नहीं? आज भी वैसे ही चूत चूसाते हुए मेरा लंड चूस रही है?
मनीष का लंड भी तुरंत कड़क हो गया।
वह करवट लेते हुए उठा और अंजू को अपने नीचे ले लिया।
वह कुछ अधिक उतावली में था उसने तुरंत अंजू के पैर मोड़े और एक झटके से अपना लंड, उसकी चूत में घुसेड़ के चूत को रगड़ने लगा।
वह रुक रुक के रगड़ों के मजे ले रहा था।
मनीष को उम्मीद नहीं थी कि अंजू को चोदने का अवसर इतनी जल्दी मिल जाएगा।
अंजू के मुंह से उस रात जैसी ही सिसकारियां निकल रही थीं।
10 – 15 मिनट की आनंद दायक मगर पसीने ला देने वाली मेहनत ने दोनों को चरम सुख की अनमोल घड़ियां प्रदान कर कर दीं।
जिसके बाद दोनों पसीने में लथपथ, गुत्थमगुत्था हो के पड़े हुए थे।
उधर सरताज के धक्के लगातार जारी थे।
अंजू की चूत को कम से कम तीन बार ऑर्गेज्म देने के बाद सरताज ने अपने लंड से इतने दिनों से एकत्रित वीर्य का स्टॉक अंजू की चूत में खाली कर दिया।
स्खलित होने के बाद भी उस का लंड अभी तक कड़क था इसलिए सरताज रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अंजू ने उछलना बंद कर के, सरताज की पीठ और चूतड़ में जोरो से नाखून ग़ड़ा के, उसे यह संकेत दिया कि अब उस से झेला नहीं जा रहा, वह चुदाई समाप्त करे।
सरताज ने उस के इशारों को समझते हुए अपने लंड को अंजू की चूत में दबा के लंड के नरम पड़ने की प्रतीक्षा करने लगा।
दूसरे कमरे में हर्ष की सांसें जब सामान्य हुईं तो उसने कहा- वाह यार अंजू बुआ, पम्मी सही कह रही थी तेरे जैसी लंडखोर औरत दुनिया में कम ही होगी। बहुत मजा आया यार तेरे को चोद के!
तीसरे कमरे में मनीष ने चुदाई से तृप्त होने के बाद कहा- तूने मजे ला दिये यार अंजू! जीजा को तो पता भी नहीं कि वह मेरी बहन चोदते हैं तो मैं उनकी बहन को चोदता हूं। मुझे तो तेरे आने की उम्मीद कम थी पर तूने गजब कर दिया, बेटे की सुहागरात अभी मनी नहीं पर तू पराए मर्द के साथ रात रंगीन करने चली आई।
अंजू बिना कुछ जवाब दिए पड़ी रही।
तीनों कमरों में वासना का तूफान एक बार तो शांत हो चुका था।
चूतें सुस्ता रही थीं और तीनों लौड़े, कड़ी मेहनत के बाद, थक के सिकुड़ चुके थे।
ठीक 1 घंटे बाद लाइट आई।
आईये, अब एक एक कमरे का जायजा लेते हैं।
सरताज यह देख कर आश्चर्य मिश्रित आनंद से भर गया कि उसके बिस्तर में अंजू नहीं बल्कि पम्मी पड़ी थी।
उसके मुंह से निकला- अरे पम्मी तू? अरे यार, मैं तो अंजू को चोदते समय कई बार तेरी ही कल्पना किया करता था। मुझे जरा भी अंदाजा नहीं था कि किसी दिन मैं तेरे को चोद पाऊंगा।
तभी अंजू की आवाज आई- बहुत अच्छे हरामखोर!
अंजू ने आकर सरताज का मुंह पकड़ा और कहा, अच्छा तो तू चोदता तो मुझे था और कल्पना मेरी भतीजी की करता था, हरामी? यदि ऐसा था भी तो तूने कहा क्यों नहीं कि मुझे पम्मी को चोदना है। देख यार सरताज, हम जैसी औरतें मर्द को बांधने में विश्वास नहीं रखती बल्कि खुद भी मजा करना चाहती हैं और हमारी सहेलियों, भाभियों, ननदों और भतीजियों को भी मजे करवाना चाहती हैं।
सरताज ने कहा- यार अंजू, मेरी हिम्मत नहीं हुई तेरे से पम्मी को चोदने के बारे में बात करने की। मुझे क्या पता था कि तुम दोनों बुआ भतीजी के संबंधों में इतना खुलापन है।
अंजू ने कहा- चलो, तुम दोनों और मजा करो मैं जरा सिमरन दीदी से जाकर मिलती हूं, जो हर्ष से चुदाने उसके कमरे में गई है।
सरताज फिर चौंका, बोला- क्या कह रही है तू? सिमरन हर्ष से? अरे तुम लोगों की चुदास की कोई सीमा है या नहीं? हर्ष सुबह तो आया है और सिमरन उसके नीचे पहुंच भी गई? आखिर यह हो क्या रहा है?
अंजू ने कहा- यह सब इस निगोड़ी पम्मी के कारण है, जिसके कारण आज सुबह-सुबह मैं भी हर्ष से चुद चुकी हूं। सिमरन दीदी से जब मैंने हर्ष के बारे में बताया कि उसने किस तरह मुझे खड़े-खड़े चोद कर झड़ाया तो फिर उसका मन भी ललचा गया। उसने मेरे से रिक्वेस्ट करी कि मेरी जगह वह चुदना चाहती है तो मैं दीदी को आखिर कैसे मना कर सकती थी!
अंजू यह कहकर कमरे से बाहर निकल गई।
हर्ष के कमरे में अंजू ने जब प्रवेश किया तो हर्ष सिमरन के साथ लिपटा पड़ा था।
अंजू ने कमरे में घुसते ही कहा- क्यों दामाद जी, कैसा लगा हमारा उपहार?
हर्ष ने कहा- तुम तो अद्भुत हो यार बुआ, पम्मी ने तुम्हारी तारीफ तो करी थी लेकिन तुम्हारा दिल इतना बड़ा होगा यह मुझे पता नहीं था। मैं इतना ही कहूंगा कि सिमरन आंटी किसी भी तरह से तुमसे कम नहीं है। सुबह तुमको और रात को सिमरन को चोदने के बाद मुझे लगता है, मेरा तो बंटू की शादी में आना सफल हो गया। अब तुम भी तो अपना सुबह वाला वादा निभाओ।
अंजू ने कहा- बहुत बड़े लालची हो दामाद जी, मैं जरा पम्मी के मामा का भी तो पता करूं कि उसके कमरे में क्या चल रहा है?
और वह हर्ष के कमरे से बाहर निकल गई।
जब अंजू ने मनीष के कमरे में प्रवेश किया तो मनीष, जस्सी के साथ गुत्थमगुत्था हो के पड़ा था, दोनों को नींद आ चुकी थी।
अंजू ने जाकर हर्ष के चूतड़ पर एक चपत लगाई हर्ष की नींद खुली देखा तो सामने अंजू खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी
उसने चौंक कर अपनी बगल में नजर डाली।
देखा कि वहां अंजू नहीं, सिमरन की बेटी जस्सी लेटी हुई थी।
मनीष को समझ नहीं आया कि वह क्या प्रतिक्रिया दे।
अंजू ने कहा- घबरा मत यार, यह सब तेरी किसी गलती के कारण नहीं हुआ बल्कि जस्सी की इच्छा थी तुझ से चुदने की!
मनीष ने जस्सी की ओर देखा जो कि अब उठ कर बैठ चुकी थी।
जस्सी ने कहा- दरअसल मैं जब से शादी में आई तब से मैं अंजू मौसी, मम्मी और पम्मी तीनों की हरकतों को बहुत गौर से देख रही थी। जब मुझे कुछ संदेह हुआ तो मैंने पम्मी को पकड़ा। औरतों के मन में तो वैसे भी कोई बात टिक नहीं सकती, उस पर यदि कोई उन के जैसी ही कामुक औरत मिल जाए तो फिर वह तुरंत अपना दिल खोलकर रख देती है। जब मुझे पता चला कि अंजू मौसी पहले हर्ष के पास जाने वाली थी लेकिन मम्मी के कहने पर इन्होंने हर्ष को छोड़कर तुम्हारे पास आने की ठान ली थी। उस के बाद जब मैंने मौसी से रिक्वेस्ट करी कि मुझे तो कल सुबह ही वापस लौटना है। तुम तो बाद में भी चुद सकती हो तो इन्होंने मेरी मम्मी के बाद मेरे ऊपर भी इतना बड़ा उपकार किया।
मनीष ने कहा- आज का अनुभव मेरे लिए अद्भुत था, इस के पीछे की कहानी जानकर तो मुझे और भी अधिक अचरज हो रहा है कि आज मुझे बिना प्रयास के एक नई और जवान चूत चोदने का आनंद मिला गया।
अंजू ने मनीष को भी कहा- चलो, तुम लोग इंजॉय करो मैं जरा हर्ष के पास जाती हूं।
अंजू ने जब फिर से हर्ष के कमरे में प्रवेश किया तो हर्ष और सिमरन दोनों एक दूसरे के बदन को सहलाकर चुदाई के एक और शो के लिए मूड बना रहे थे।
अंजू को देखकर हर्ष दुविधा में पड़ गया, कि क्या वह सिमरन को चोदे या अंजू के ऊपर चढ़ाई करे?
उसकी समस्या तब अपने आप हल हो गई जब अंजू ने आते ही उसका लंड चूसना शुरू किया और सिमरन उसके आंडों को जुबान से सहलाने लगी।
जब हर्ष का लंड अच्छी तरह कड़क हो गया तो अंजू ने उसको अपनी चूत में ले लिया और हर्ष के लंड की सवारी करने लगी।
सिमरन कभी हर्ष के होंठ चूसती, कभी उसकी निप्पलों को मसलती।
हर्ष की मस्ती की कोई सीमा नहीं थी, पहली बार दो औरतें एक साथ उसके मजे ले रही थीं।
हर्ष के दोनों हाथ सिमरन और अंजू के स्तनों से खेल रहे थे।
कभी वह सिमरन को अपने ऊपर झुका कर उसके निप्पल को चूसता तो कभी अंजू को झुका कर उसके।
अंजु हर्ष के ऊपर चढ़ी हुई उछल-उछल के उसके लंड के मजे ले रही थी और अपनी गरम चूत की मालिश से हर्ष के तन बदन में सनसनी पैदा करके उसको मस्त कर रही थी।
सिमरन चूंकि एक बार चुद के हर्ष के लंड को निचोड़ चुकी थी इसलिए इस बार उसने अपनी सहेली अंजू के आनंद को बढ़ाने के प्रयास जारी रखे।
हर्ष अपनी और 2 – 2 नंगी कामुक औरतों की कामवासना के कारण जन्नत का आनंद उठा रहा था।
मनीष ने अंजू के जाने के बाद जस्सी को घोड़ी बनाया और इस बार उस की गांड मारने लगा।
जस्सी को तो गांड मरवाने की आदत पड़ चुकी थी।
वह उतनी मस्ती में गांड मरवा रही थी, जितनी मस्ती में चुदाई का आनंद लिया था।
मनीष, जस्सी की गांड मारते हुए सोच रहा था कि जस्सी तो सुबह कॉलेज और पम्मी घूमने चली जायेंगी लेकिन अंजू और सिमरन तो यहीं रहेंगी। अगर मुकद्दर ने साथ दिया तो इसकी मां भी चोद डालूंगा और अंजू तो फिर से चुदने को तैयार है ही।
अंजू, सिमरन के बारे में सोचते सोचते उसका जोश बढ़ गया और वह वहशी तरीके से जस्सी की गांड मारने लगा।
जस्सी कई बार गांड मरवा चुकी थी इसलिए मनीष के जोशीले रगड़े उसको दर्द नहीं, अनोखा सुख पहुंचा रहे थे।
वह हर धक्के का उसी जोश के साथ जवाब दे रही थी।
वह सोच रही थी कि आज यह भी अच्छा हुआ कि मम्मी और मेरे बीच का पर्दा हट गया।
अब ना उनको मुझे कुछ पता लगने का डर रहेगा ना मुझे उनकी चिंता करने की जरूरत।
आइये अब हर्ष के कमरे में चलते हैं।
हर्ष उछलती अंजू को अब नीचे कर के उस पर चढ़ के दमदार चुदाई करने लगा।
जब उसे चोदते हुए बहुत देर हो गई तो अंजू ने कहा- अरे हर्ष, आज ही दम निकालेगा क्या? अरे अब तो हम दोनों तुझ से चुदती ही रहेंगी। थोड़ा सो ले, फिर नाश्ता करके तो तुम सबको निकलना है।
हर्ष ने कहा- अंजू बुआ, बात तो तुम्हारी सही है लेकिन क्या करूं जब तक अच्छे से रगडूं नहीं मेरे लौड़े को मजा भी तो नहीं आता।
फिर भी उसने अंजू की बात को मानकर अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी, अंजू का ऑर्गेज्म अब समीप आ चुका था।
उस ने अपना दाहिना हाथ हर्ष के लंड के पीछे लगाया और बांए हाथ से क्लिटोरिस को झुकाया आठ दस धक्कों में चूत फड़कने लगी।
तभी हर्ष के मुंह से भी जोर जोर से आह आह की आवाज निकली, उस ने अपना लंड जड़ तक अंजू की चूत में घुसाए रखा।
उस के लंड की पिचकारी से छुटी वीर्य की धार अंजू की बच्चेदानी पर छिड़काव करने लगी।
वीर्य स्खलन की अंतिम बूंद तक आनंद लेने के बाद वह अंजू के ऊपर से सरक कर उसकी बगल में लेट गया और उसे अपनी बाहों में ले लिया।
उन दोनों की मस्ती भरी आवाजों से सिमरन की नींद भी खुल गई और वह हर्ष के पीछे से उसकी पीठ पर अपने दोनों स्तन अड़ाते हुए चिपट गई।
मेरे कामुक पाठकों, मल्टीपल सेक्स कहानी की रोचक घटनाएं भरपूर मनोरंजन कर रही हैं न?
अगले अंक में पढ़िए कि पम्मी, नई दुल्हनों कोमल और कुलजीत के साथ मिल के क्या क्या गुल खिलाती है?
अपनी सनसनी मुझ तक पहुंचाएं।
हमारी आई डी है
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मल्टीपल सेक्स कहानी का अगला भाग: सेक्स है कुदरत का वरदान- 11
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